संक्षिप्त खबरें
नई दिल्ली : इसके अंतर्गत हर वर्ष औसतन करीब 30 लाख परिसंपत्तियों का निर्माण किया जाता है, जिनमें अनेक कार्य शामिल होते हैं, जैसे जल संरक्षण ढांचों का निर्माण, वृक्षारोपण, ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का सृजन, बाढ़ नियंत्रण के उपाय, स्थायी आजीविका के लिए व्यक्तिगत परिसंपत्तियों का निर्माण, सामुदायिक ढांचा और ऐसी ही अन्य परिसंपत्तियां शामिल होती हैं। मनरेगा परिसंपत्तियों को भू-चिन्हित यानी जिआ-टैग करने की प्रक्रिया जारी है और इस कार्यक्रम के अंतर्गत सृजित सभी परिसंपत्तियां जिआ-टैग की जाएंगी। राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन कार्यों, विशेष रूप से जल संबंधी कार्यों को भू-चिन्हित यानी जिआ-टैग करने पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है।
जिआ-मनरेगा ग्रामीण विकास मंत्रालय का एक बेजोड़ प्रयास है, जिसे राष्ट्रीय दूर संवेदी केन्द्र (एनआरएससी), इसरो और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के सहयोग से अंजाम दिया जा रहा है। इसके लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 24 जून, 2016 को एनआरएससी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत के अंतर्गत सृजित परिसंपत्तियों को जिओ-टैग किया जाना है। इस समझौते के फलस्वरूप राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान की सहायता से देशभर में 2.76 लाख कर्मिकों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उम्मीद की जा रही है कि भू-चिन्हित करने की प्रकिया से फीड स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी।
छात्रों को डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय प्रतिभा पुरस्कार
नई दिल्ली : माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय परीक्षा 2016 के अनुसूचित जाति
और अनुसूचित जनजाति के प्रतिभाशाली छात्रों को एक समारोह में डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय प्रतिभा पुरस्कार प्रदान किए गए। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, विजय सांपला और रामदास अठावले ने 2016 की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिभाशाली छात्रों को पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर ‘कलेक्टेड वर्क्स ऑफ बाबासाहेब अम्बेडकर’ का नया मुद्रित संस्करण और ऑडियो सीडी का एक सेट भी जारी किया गया। समारोह का आयोजन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन डॉ. अम्बेडकर फाउंडेशन ने किया था।
पुरस्कारों को 2 वर्गों में वितरित किया गया। पहले वर्ग में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वे छात्र शामिल थे, जिन्होंने 2016 की माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया। चूंकि पहली, दूसरी और तीसरी श्रेणी में कोई छात्रा नहीं है, इसलिए सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाली छात्रा के लिए विशेष पुरस्कार की घोषणा की गई, ताकि कन्या शिक्षा को प्रोत्साहित किया जा सके। पुरस्कार के दूसरे वर्ग में उच्च माध्यमिक विद्यालय परीक्षा 2016 में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को पुरस्कृत किया गया। 10वीं कक्षा में कुल 79 छात्रों को और 12वीं कक्षा में कुल 105 छात्रों को पुरस्कार दिये गए। प्रथम पुरस्कार में 60 हजार रुपये, दूसरे पुरस्कार में 50 हजार रुपये और तीसरे पुरस्कार में 40 हजार रुपये का नकद पुरस्कार है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री एवं डॉ. अम्बेडकर फाउंडेशन के अध्यक्ष थावर चंद गहलोत ने अपने संदेश में कहा कि शिक्षा बहुत शक्तिशाली उपकरण है और हर छात्र की उस तक पहुंच होनी चाहिए। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि वे पढ़ाई में खुद को समर्पित कर दें, ताकि समाज और राष्ट्र का लाभ हो। उन्होंने छात्रों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। विजय सांपला ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने अनुसूचित जातियों की उन्नति के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वे ज्ञान के प्रतीक थे। हमें उनके जीवन से जीने की शैली सीखनी चाहिए।
रामदास अठावले ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने हमें गौरव के साथ जीना सिखाया और वे हम सबके प्रेरणास्रोत थे। उनका मानना था कि हमारी उन्नति के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। उनका कहना था कि छात्रों को केवल रोजगार प्राप्त करने पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि उन्हें स्वयं अपना उपक्रम शुरु करना चाहिए। इस संबंध में अनुसूचित जातियों की सहायता के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की वेंचर कैपिटल फंड की योजना मौजूद है।
इस अवसर पर कृष्णपाल गुर्जर ने प्रतिभाशाली छात्रों को बधाई दी और कहा वे देश के भविष्य हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मान का विषय है कि इन पुरस्कारों को डॉ. भीम राव अम्बेडकर के नाम पर दिया जाता है, जिन्होंने समानता के लिए संघर्ष किया था। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने डॉ. अम्बेडकर से जुड़े पांच स्थानों को ‘पंचतीर्थ’ के रूप में घोषित किया है। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि वे अपना लक्ष्य स्वयं निर्धारित करें और उसे प्राप्त करने का प्रयास करें।
3.54 करोड़ विद्यार्थियों को 14 छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ
नई दिल्ली : अनुसूचित जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों (अपिव) विमुक्त, घुमंतु और अर्द्ध-घुमंतु जातियों के विद्यार्थियों के लिए 14 स्कालरशिप योजनाएं डिजिटल भुगतान के अंतर्गत संचालित की जा रही हैं, जिनका लाभ 3.54 करोड़ विद्यार्थियों को मिल रहा है। छात्रवृत्ति की समस्त राशि विद्यार्थियों के बैंक खातों में अंतरित की जा रही है और अजा. विद्यार्थियों के 60 प्रतिशत बैंक खाते आधार से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि छात्रवृत्तियों, विद्यार्थियों के लिए छात्रावासों, प्रशिक्षण सुविधाओं, परिसरों, संस्थानों के निर्माण / उन्नयन के लिए पूंजी प्रदान करने आदि उपायों के जरिए अनुसूचित जातियों से सम्बद्ध विद्यार्थियों का शैक्षिक सशक्तिकरण किया जा रहा है। यह जानकारी केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने “प्रमुख सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों” के बारे में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय अलग-अलग तरह की सात छात्रवृत्तियां कार्यान्वित करता है, जिनमें मैट्रिक-परवर्ती और मैट्रिक-पूर्ववर्ती छात्रवृत्तियां, टॉप क्लास स्कालरशिप, राष्ट्रीय विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति, अनुसूचित जातियों के लिए यूजीसी द्वारा संचालित राष्ट्रीय फेलोशिप, अस्वच्छ व्यवसायों में लगे व्यक्तियों के बच्चों के लिए प्री-मैट्रिक स्कालरशिप, अनुसूचित जातियों और अपिव के लिए निशुल्क कोचिंग (70: 30 अनुपात में) और योग्यता उन्नयन छात्रवृत्तियां शामिल हैं। भारत सरकार का यह विश्वास है कि सब के लिए शिक्षा सशक्तिकरण की कुंजी है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय अपने बजट का करीब 54 प्रतिशत अनुसूचित जातियों के लिए छात्रवृत्तियों पर खर्च करता है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की प्रत्येक शाखा को वित्त मंत्रालय द्वारा एक उद्यमी के रूप में कम से कम एक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के युवक की सहायता करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे कि उनके बीच अधिक रोजगार का सृजन किया जा सके।
सरकार ने श्रम कानूनों और नियमों को आसान बनाया
नई दिल्ली : सरकार ने विभिन्न प्रतिष्ठानों द्वारा श्रम कानूनों और नियमों के परिपालन को सहज बनाने के लिए अभियान शुरू किया है। निश्चित श्रम कानून नियमों 2017 के अंतर्गत फॉर्मों और रिपोर्टों को तर्क संगत बनाने से आवेदनों तथा रिपोर्टों की संख्या 3 अधिनियमों और उनके नियमों के अंतर्गत कम होकर 36 से 12 हो गई है। इस अभियान का उद्देश्य उपायोगकर्ता के लिए फॉर्मों और रिपोर्टों को समझने में सहज बनाना है। इससे प्रयास, लागत में बचत होगी और विभिन्न प्रतिष्ठानों के अनुपालन बोझ में कमी आयेगी। 2013-14 में केन्द्रीय सांख्यकी कार्यालय की छठी आर्थिक गणना के अनुसार, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों में लगभग 5.85 करोड़ प्रतिष्ठान हैं।
विभिन्न श्रम कानूनों के तहत फॉर्म भरने की आवश्यकता की समीक्षा में पाया गया कि तीन अधिनियमों और उनके अंतर्गत बने कानूनों के 36 फॉर्म अनावश्यक थे। इसलिए श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा परस्पर रूप से जुड़ें फॉर्मों को समाप्त करने और फॉर्मों की संख्या कम करने का अभियान चलाया। 9 फरवरी, 2017 को फॉर्मों तथा रिपोर्टों की संख्या घटाने के आशय की अधिसूचना पब्लिक डोमेन में आई और इस बारे में आपत्तियों और सुझावों को सभी हितधारकों से मांगा गया।
श्रम कानून जिसके अंतर्गत यह फॉर्म भरे जाते हैं, निम्नलिखित हैं :
- अनुबंध श्रमिक (विनियमन और समाप्ति) अधिनियम, 1970
- अंतर राज्यीय प्रवासी कर्मी (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1979
- भवन तथा अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996
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