नई दिल्ली : अरूंधति राय ने कहा कि जातिवाद से ग्रस्त समाज गुलामी और यहां तक कि रंगभेदी समाज से भी बदतर है। वे नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में 29 अप्रैल को भारत की पहली पूर्णतः हिंदी-अंग्रेजी द्विभाषी पत्रिका फाॅरवर्ड प्रेस की छठवीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रही थीं। ‘‘बहुजन राजनीति और साहित्य का भविष्य‘‘ विषय पर केन्द्रित इस कार्यक्रम में अनुप्रिया पटेल, रामदास अठावले, अली अनवर, रमणिका गुप्ता, ब्रजरंजन मणि, श्योराज सिंह बेचैन, जयप्रकाश करदम, सुजाता परमिता व अरविंद जैन सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने हिस्सेदारी की।
‘यह एक महत्वपूर्ण विचार है‘, राय ने फाॅरवर्ड प्रेस की चैथी बहुजन साहित्य वार्षिकी का लोकार्पण करने के बाद कहा। वे बहुजन साहित्य व अन्याय-जनित क्रोध से जातिवाद का मुकाबला करने के विचार की बात कर रही थीं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई लड़ते हुए भी हमें अपने दिलों में न्याय, प्रेम, सौन्दर्य, संगीत व साहित्य को संजोकर रखना चाहिए और इस लड़ाई को कड़वाहट से भरे बौने बने बिना लड़ना चाहिए।
आॅल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के मुखिया अली अनवर ने कहा कि पसमांदा, बहुजन पहले हैं और मुसलमान बाद में। हम अल्पसंख्यक नहीं कहलाना चाहते। हम तो बहुजन हैं, उन्होंने कहा। वे रामदास अठावले के इस प्रस्ताव पर चकित थे कि ऊंची जातियों के आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबके को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इस तरह के किसी भी निर्णय के लिए मानसिक दृष्टि से तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि केवल सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ापन ही आरक्षण का आधार होना चाहिए।

श्योराज सिंह बेचैन ने बसपा को सलाह दी कि सत्ता के पीछे दौड़ने की बजाए उन्हें एक पत्रिका शुरू करनी चाहिए, क्योंकि सामाजिक, सांस्कृतिक व बौद्धिक शक्ति ही बहुजनों का सही अर्थों में सशक्तिकरण करेगी। इस मौके पर द्वितीय महात्मा जोतिबा व क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले बलीजन रत्न सम्मानों से ब्रजरंजन मणि, एआर अकेला (कवि, लोकगायक, लेखक व प्रकाशक) व डॉ हीरालाल अलावा (सीनियर रेसिंडेट, एम्स व जय आदिवासी युवा शक्ति के संस्थापक) को सम्मानित किया गया।
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