दानापुर : गुडि़या देेवी 25 साल की है। इनकी चार संतानें हैं। छह दिन पहले दानापुर अनुमंडल अस्पताल में गुडि़या को ‘जुड़वा’ पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई है। गुडि़या देवी की शादी कम उम्र में ही कर दी गयी थी। गुडि़या की सबसे बड़ी पुत्री कुमकुम कुमारी सात साल की है। अभी कुमकुम केजी में पढ़ती हैं। वहीं ़िद्वतीय पुत्र अमरजीत कुमार चार साल का है। स्कूल नहीं जाता है। गुडि़या की सास शारदा देवी ने जुड़वा शिशु का नाम राम और लक्ष्मण रखा है। गुडि़या का पति रविन्द्र राय काफी खुश हैं। गाय पालना और दूध बेचकर जो पैसे मिलते हैं, उससे अच्छी तरह घर का खर्च चल जाता है। दोनों नवजात बच्चे स्वस्थ हैं।
आप विक्रांत से सबक ले सकते हैं
पटना : यक्ष्मा यानी टीबी अब जानलेवा नहीं है। हां, केवल समय पर टीबी रोग की पहचान हो जाए तो। स्वास्थ्य केन्द्रों पर आसानी से दवा उपलब्ध है। बस आपको स्वास्थ्य केन्द्र जाकर अपना नाम रजिस्टर करवाना होगा। उसके बाद बलगम और एक्स-रे जांच की जाएगी। जांच के बाद ही दवा उपलब्ध करायी जाएगी। दवा देने वाले स्वास्थ्यकर्मी के मार्गदर्शन में आपको दवा खानी है। हां, ध्यान रहे कि जबतक चिकित्सक अथवा स्वास्थ्यकर्मी दवा सेवन करने को मना ना करें, दवा का सेवन करते रहना है। ऐसा करने पर जानलेवा टीबी का खौफ सदा के लिए खत्म हो जाएगा।
अगर यकिन ना हो तो पटना नगर निगम अंतर्गत वार्ड नम्बर एक चलिए। यहां शबरी काॅलोनी है। इसे दीघा मुसहरी भी कहते हंै। इसी मुसहरी में विक्रांत कुमार रहता है। लंबे समय तक ग्लैंड टीबी से बेहाल था। ग्लैंड टीबी का प्रसार गले से उतरकर छाती तक हो चुका था। घाव के कारण वस्त्र नहीं पहन सकता था। घाव को लोगों से छुपाने के लिए चादर लपेटकर रहता था। वह कई बार ग्लैंड टीबी की दवा खाकर छोड़ चुका था। इस कारण दवा देने वाले और उसके परिजन भी परेशान थे। अंततः विक्रांत कुमार को सुबुद्धि आई। वह नियमित दवा का सेवन करने लगा। आखिरकार बीमारी हमेशा के लिए जाती रही।
दीघा मुसहरी के लोगों का कहना है कि हम गरीबी में जन्म लेते और बुढ़ापा देखे बिना ही जवानी में ही मर जाते हैं। हमलोग जन प्रतिनिधियों की तकदीर बनाते हैं। परन्तु खुद की तकदीर नहीं बना पाते। रोजगार के अभाव में महिलाएं महुआ दारू बनाती और बेचती हैं। बच्चे कचरा से कागज, प्लास्टिक आदि चुनने जाते हैं। नौजवान ठेका पर जमकर काम करते हैं। आज विक्रांत रद्दी कागज आदि चुनकर खुद खाता और मां-बाप को भी खिलाता है।
ज्ञात हो कि टीबी की दवा का नियमित सेवन नहीं करने से इसके जीवाणु शक्तिशाली होते चले जाते हैं। फिर से दवा चालू करते वक्त मरीज को हाई डोज दवा देनी पड़ती है। यह शरीर के वजन और उम्र के अनुसार ही दी जाती है। ऐसे में अगर आपको टीबी की बीमारी है तो निराश होने की जरूरत नहीं। आप विक्रांत को देखकर सबक ले सकते हैं।
सुशासन के मंत्रियों का परस्पर विरोधी बयान, लोगों में आक्रोश
पटना : यह कैसा सुशासन है? यहां एक मंत्री पदोन्नत करने की बात करता है, दूसरा बर्खास्त करने पर उतारू हैं। इसे लेकर प्रभावित लोग परेशान हैं। प्रभावितों को न निगलते और न ही उगलते बन रहा है। यह स्थिति बिहार सरकार के दो मंत्रियों के द्वारा अलग-अगल दिये परस्पर विरोधी बयान के बाद उत्पन्न हुई है।
हुआ यूं कि राजधानी स्थित श्रीकृष्ण स्मारक सभागार में फरवरी, 2014 को बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री भीम सिंह ने राज्य के सभी पंचायत रोजगार सेवकों को पंचायत सचिव का प्रभाव देने की बात कर डाली। दूसरी तरफ ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्रा पंचायत रोजगार सेवकों को बर्खास्त करने का आदेश निर्गत कर रहे हैं। इसपर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खामोश हैं।
अब यह मामला सोशल नेटवर्किंग पर चर्चा में है। कटिहार जिले के एक पंचायत रोजगार सेवक सुधांशु चैधरी ने फेसबुक पर सभी पंचायत रोजगार सेवकों व मनरेगा मित्रों को स्मरण करवाते हुए लिखा है कि पंचायती राज मंत्री ने पंचायत सचिव का प्रभार देने का जो सब्जबाग दिखाया था, अब उसपर वज्रपात होने वाला है। उन्होंने सवाल उठाया है कि यह कौन सा न्याय और कैसा विकास है? बिना किसी गलती किये सात साल नौकरी करने के बाद बर्खास्ती का फरमान जारी कर दिया गया है! बिहार में पंचायत रोजगार सेवकों की बहाली कर मानदेय 5400 रुपए दिये जाते थे। अब बदले हालात में लोगों में आक्रोश है।
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