DR. LALGI PRASAD SINGH |
अभी थोड़ा-बहुत ‘तिहाड़’
संसद में बैठा है
कभी बहुत-कुछ संसद
तिहाड़ में कब बैठेगी ?
तिहाड़ से संसद में जाने की
बहुत तरकीबें हैं
संसद से ‘तिहाड़’ में जाने की
तरकीब कब निकाली जाएगी ?
लूट-पाट व झूठ-फरेब के आरामगाह
एयरकंडीसंड आलीशान बंगले
वह बेचारी बन सड़कों पर नाक रगड़ रही
सबकुछ साफ-साफ नजर आने वाली चीज
खादी को कब नजर आएगी?
कितनी ही महिलाओं का
शील-हरण जारी है रोज
बलात्कारियों की शामत कब आएगी ?
जो झोंकते रहे धूल अबतक
जनता की आंखों में
आदत से लाचार
अब झोंकने लगे संसद में
आपस में मिर्च की बुकनी
फिर तो ऐसे माननीयों को
राह कब दिखाई जाएगी ?
भ्रष्टाचार बेखौफ चूस रहा
लेगों का खून
महंगाई सुरसा की तरह
मंुह फैलाए खड़ी है जनता के सामने
उसपर काबू पाने के लिए हनुमान की
भूमिका कब निभाई जाएगी ?
हिन्दुस्तान सच्चाई एवं ईमानदारी के लिए
जब न तब अंगड़ाई लेकर रह जाता
सचमुच यह दुनिया का सरताज कहलाए
तमाम बदलाओं की वह अगुआई कब आएगी ?
कवि-कथाकार डाॅ. लालजी प्रसाद सिंह, पटना
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