COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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गुरुवार, 3 जुलाई 2014

कार्यकर्ताओं को समझाया सोशल मीडिया की ताकत

संक्षिप्त समाचार
मानपुर, गया : पिछले दिनों एक स्वंमसेवी संस्था के कार्यकर्ताओं को इलेक्ट्राॅनिक्स और पिं्रट मीडिया के साथ सोशल मीडिया के महत्व को समझाया गया। तीन दिवसीय कम्युनिकेशन और मीडिया कार्यक्रम के समापन पर 30 लोगों के फेसबुक अकाउण्ट खोले गये। इसमें गया, दरभंगा, पटना, भोजपुर, अररिया जिले के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
स्वीट्जरलैंड से आए एक चैनल के पत्रकार जोनास और उनकी पत्नी अनिता ने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया। प्रथम दिन समाचार लेखन पर जोर दिया गया। दूसरे दिन फोटो खींचने और टीवी साक्षात्कार के बारे में जानकारी दी गयी। तीसरा दिन रहा सोशल मीडिया के नाम। इसके तहत प्रशिक्षण लेने वालों के फेसबुक अकाउण्ट खोले गये। साथ ही अश्लीलता से बचकर रहने की सलाह दी गयी। सोच समझकर ही फेंड्स बनाने की बात कही गयी। 
इस अवसर पर कार्यकर्ता कृति ने बताया कि सुदूर गांव में बहुत सारी समस्याएं हैं। प्रशिक्षण से निश्चित रूप से सभी को फायदा मिला है। प्रशिक्षण में एकता परिषद के राष्ट्रीय समन्वयक प्रदीप प्रियदर्शी के साथ वीके सिंह, अनिल पासवान, अमर कुमार भारती, अमिशा भारती, सिंधु सिन्हा, श्वाति कश्यप, उमेश कुमार आदि कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

एक डिसमिल जमीन पर बने घर में रहते हैं दस लोग

भोजपुर : किसी को यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि मुसहर का एक परिवार सिर्फ एक डिसमिल जमीन पर बने घर में रहने को बाध्य है। इस परिवार में कुल दस सदस्य हैं। छह महिलाएं और चार पुरुष। मामला संदेश के रामासाढ़ पंचायत के भटौली गांव का है। और यह परिवार है राम अयोध्या का। यहां मुसहर समुदाय का 24 परिवार रहता है। सभी के नसीब में एक डिसमिल जमीन है। सब के सब मालिकाना भूमि पर रहते हैं। ये यहां तीन पुश्त से रहते आ रहे हैं। आजतक सरकार ने वासगीत पर्चा निर्गत नहीं किया है। बुजुर्ग राजू मुसहर (62 साल), राजाराम मुसहर (60 साल) और बेदामो देवी (60 साल) ने सीओ के पास आवेदन देकर वासगीत पर्चा निर्गत करने की मांग की है। 
यहां के निवासी ललन मुसहर ने बताया कि यहां 57 महिलाएं और 46 पुरुष रहते हैं। कुल 103 लोगों की जनसंख्या है। 14 को लाल और 5 को पीला कार्ड निर्गत किया गया है। अबतक बीपीएल और एपीएल का सवाल ही नहीं है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों की पहचान कर प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न दिये जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद 20 प्रतिशत परिवारों का कार्ड नहीं बना है। इस कारण केवल किरासन तेल मिल पाता है।
ज्ञात हो कि आजादी के बाद कानून बनाकर आवासीय भूमिहीनों को 12.5 डिसमिल जमीन देने का प्रावधान किया गया। इसे होम स्डीड टेंटसी एक्ट कहते हैं। बाद में इस एक्ट में परिवर्तन कर दिया गया। अभी 3 डिसमिल जमीन दी जाती है। अब सूबे में मांझी सरकार है। लोगों की मांग है कि आवासीय भूमिहीनों की श्रेणी में लाकर 3 डिसमिल जमीन सरकार उपलब्ध कराये।

बाल संसद में गूंजा ‘गंदगी ही बीमारी की जननी है‘

गया : गंदगी ही बीमारी की जननी है। इसे कम करने का प्रयास जिले के फतेहपुर प्रखंड के 5 पंचायतों में किया जा रहा है। वाटर एड इंडिया के सहयोग से यहां काम हो रहा है। जल एवं स्वच्छता अभियान को व्यापक स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। 
कार्यकर्ताओं ने फतेहपुर प्रखंड के फतेहपुर पंचायत, मतासो पंचायत, पहाड़पुर पंचायत, निमी पंचायत और कठौतिया केवाल पंचायत में 37 सरकारी स्कूलों का चयन किया है। फिलवक्त प्रथम चरण में निमी पंचायत के 9 विद्यालयों में संचालित बाल संसद के पदाधिकारियों को प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया गया है। 
राजेश कुमार बताते हैं कि स्वच्छता एवं शुद्ध पेयजल को लेकर जागृति पैदा की जा रही है। बच्चों को जानकारी दी जाती है कि सदैव खाना खाने के पूर्व हाथ को साबून से धोना चाहिए। उसी तरह शौचक्रिया के बाद हाथ को साबून से रगड़-रगड़कर धोना चाहिए। हमेशा शौचालय का ही प्रयोग करना चाहिए। अगर मजबूरी में शौचक्रिया खुले मैदान में जाना पड़े तो पैर में चप्पल जरूर हो। गांव से लेकर स्कूल तक के कूड़ों का बेहतर ढंग से निष्पादन करना चाहिए। सबसे अच्छा है कि कूड़ों को सयानों के सामने जलाकर भस्म कर दें। इधर-उधर थूकने की आदत में सुधार लाना चाहिए। यह सब गीत और खेल के माध्यम से बच्चों को समझाया जाता है। इन स्कूलों में समय-समय पर चित्रकला प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। 
प्रधानाध्यापक अजय किशोर बताते हैं कि यह विद्यालय पहाड़पुर पंचायत के गोपालकेड़ा गांव में स्थित है। यहां 1972 से स्कूल संचालित है। स्कूल की चहारदीवारी नहीं की जा सकी है। दो शौचालय हैं। एक लड़की और एक लड़कों के लिए बनाया गया है। इसी शौचालय का उपयोग शिक्षकगण भी कर लेते हैं। एक चापाकल है। इसमें पानी डालकर काफी देर चलाना पड़ता है, तब जाकर पानी गिरता है। ऐसी स्थिति में शौचालय का उपयोग करने वालों की दिक्कत को समझा जा सकता है। यहां के बच्चों ने बताया कि विकास शिविर में बीडीओ धर्मवीर कुमार आए थे। उन्हें सभी तरह की परेशानी बतायी गयी। बीडीओ साहब बोले कि चापाकल लगवा देंगे। यह आजतक नहीं लग सका।

आखिर कौन खा जाता है मरीजों का खाना

दानापुर : अनुमंडलीय अस्पताल, दानापुर का हाल बेहाल है। सुविधा के नाम पर मरीजों को नहीं के बराबर सुविधाएं मिल रही हैं। जच्चा-बच्चा वार्ड के सामने बोर्ड लगा है, मरीजो के लिए पथ्य की सुविधा/सेवाएं उपलब्ध है। इस संदर्भ में दर्जनों लोगों से पूछताछ की गयी। उन्हें ‘पथ्य’ के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ‘पथ्य’ के बदले बोलचाल की भाषा में आहार लिखा जा सकता है। बोर्ड में लिखे मीनू के अनुसार आहार मिलता ही नहीं है। मीनू के अनुसार, सुबह का नास्ता 7ः00 से 9ः00 बजे तक। पावरोटी 4 पीस, उबला अंडा 1 और दूध टोडा पैक 25 मिली देना है। दोपहर का भोजन 12ः00 से 2ः00 बजे तक। चावल 125 ग्राम, दाल 50 ग्राम, सब्जी 120 ग्राम एवं दही 100 ग्राम देना है। शाम को नास्ते में 4ः00 से 5ः00 बजे तक ग्लुकोज बिस्कुट 2 एवं चाय मिलना है। रात के भोजन में 8ः00 से 9ः00 बजे तक चार चपाती, दाल 50 ग्राम, सब्जी 100 ग्राम और फल मौसम के अनुसार मिलना लिखा है। बोर्ड पर लिखा यह देख और पढ़कर किसी को अच्छा लग सकता है। लेकिन, जब जच्चा-बच्चा वार्ड के मरीज के परिवार वालों से बातचीत की गयी, तब निराशा हाथ लगी। 
ज्ञात हुआ कि सुबह का नास्ता 10 बजे दिया जाता है। वह भी खिचड़ी दी जाती है। अंडा तो थाली से गायब ही है। दोपहर और शाम का नास्ता तो नजर ही नहीं आता। रात के भोजन में चार रोटी और भुंजिया मिलती है। 
अनुमंडलीय अस्पताल में चार तरह की सुविधाओं के बारे में जानकारी दी गई है। यह प्रसव के उपरांत वापस घर जाने से पूर्व निःशुल्क दी जाती है। इनमें नवजात शिशु का टीकाकरण, जननी एवं बाल सुरक्षा योजना (संस्थागत प्रसव) के तहत प्रदान की जाने वाली प्रोत्साहन राशि, नवजात शिशु का जन्म प्रमाण पत्र और घर जाने हेतु एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध है। बताते चलें कि अनुमंडलीय अस्पताल में पहले जननी एवं बाल सुरक्षा योजना (संस्थागत प्रसव) के तहत प्रदान की जाने वाली राशि 14 सौ रूपए तत्क्षण मिल जाती थी। अब यह काफी समय के बाद मिल पाती है। कई लोग उबकर राशि लेने जाते ही नहीं और विभाग के लोग उनका पैसा खा जाते हैं।

काऽ हमनी के वोट देबे के सजा मिल रहल बाऽ साहेब

भोजपुर : हमनी तऽ हमेशा वोट देबेनी साहब। लेकिन अबतक कउनो फायदा ना भेटाइल। जइसन पहिले हमनी के जिनगी रहल, अबहू बाऽ। अउर बाबू लोगन के तरक्की खूब हो रहल बाऽ। काऽ हमनी के वोट देबे के सजा मिल रहल बाऽ साहेब। 
यह दर्द भोजपुर के महादलितों का है। भोजपुर के चार प्रखंड सहार, गड़हनी, संदेश और अंगीआव में भूमि सुधार अभियान और स्वास्थ्य पर एक स्वंयसेवी संस्था कार्य कर रही है। इसी क्रम में महादलितों की बैठक पिछले दिनों हुई। बैठक में जटाही राम ने कहा कि मुसहरी की स्थिति देखी जा सकती है। हमलोग वोट देकर नेताओं की तकदीर बनाते हैं। जटाही ने कहा कि इंदिरा आवास योजना से बहुत कम लोगों के मकान बने हैं। जिनके पास अपने पैसे थे, वो सरकारी रकम में मिलाकर मकान का निर्माण कर लिए। शेष लोगों का मकान पैसे के अभाव में अधूरा रह गया। चुनाव के पूर्व कहा गया था कि 1 अप्रैल, 2005 के पूर्व इंदिरा आवास योजना से जिनका मकान अधूरा रह गया है, उसे बनाने के लिए राशि दी जाएगी। लेकिन इसका फायदा नहीं मिला।
लोगों ने कहा कि गांव में अगलगी से जमीन के कागजात जल गये। सीओ के पास आवेदन भेजा गया है, मगर अभी तक वासगीत पर्चा नहीं बन पाया है। यहां दबंग लोग जमीन हथियाने में लगे हैं। दबंगों का दावा है कि इस मुसहरी की जमीन उनकी है। इस आलोक में ही यहां वासगीत भूमि मोर्चा बनाया गया। बैठक में महादलित ददन राम, दुलारचंद राम, इन्दु देवी, सिंधु सिन्हा, मनोज पाण्डेय, संजय कुमार सिन्हा आदि ने ग्राम ईकाई को सशक्त बनाने पर जोर दिया। साथ ही मिलकर समस्याओं का समाधान करने पर बल दिया।