COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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बुधवार, 31 अगस्त 2016

‘एक माह में आधारकार्ड में लगे शिक्षकों के फोटो स्कूलों में लगाये जाये’

  • कुछ शिक्षक खुद पढ़ाने के बदले 5-6 हजार रुपए पर दूसरे को रख लिए हैं
  • जो शिक्षक आधारवाली फोटो स्कूलों में नहीं लगायेंगे, उनके वेतन कटेंगे : रघुवर दास
  • गुमला की बेटियों को रोजगार उपलब्ध कराएं
  • बेटियों को पलायन करानेवाले बिचैलियों को सलाखों में डालें
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य के सभी उपायुक्तों को निदेश दिया कि अपने-अपने जिलों में एक महीने के अंदर यह सुनिश्चित करें कि सभी विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक आधारकार्ड में लगे अपना फोटो स्कूल में अवश्य टांगे, ताकि स्कूल में पढ़ रहे बच्चे और बच्चियों के अभिभावक यह जान सकें कि उनके विद्यालय में कौन-कौन से शिक्षक पढ़ाने हेतु कार्यरत हैं, क्योंकि राज्य सरकार को ऐसी सूचना मिली है कि कुछ विद्यालयों में भाड़े के शिक्षकों को विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों ने स्वयं के बदले में रखा है और इसके बदले में वे भाड़े के शिक्षकों को पांच-छह हजार रुपये दे देते हैं। इससे विद्यालयों में पढ़ाई ठप हो रही है। जो शिक्षक आधारयुक्त अपना फोटो विद्यालयों में नहीं लगाते हंै, ऐसे शिक्षकों के वेतन रोक दिये जाये। यहीं नहीं, जेल के कैदियों को भी आधार कार्ड से जोड़ें। उक्त बातें मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सूचना भवन में आयोजित सीधी बात कार्यक्रम में कही, जब गिरिडीह के गोपीकृष्ण वर्मा ने यह शिकायत कर दी कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय हारोडीह में छात्रों को राज्य सरकार द्वारा मिलनेवाला लाभ नहीं मिल रहा। 
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गुमला के उपायुक्त को स्पष्ट निर्देश दिया कि वे यह सुनिश्चित करें कि हमारी बेटियां किसी भी बिचैलियों के चंगुल में न फंसे, उनका शोषण न हो। गुमला में ही इन बेटियों को रोजगार का अवसर प्रदान करायें। साथ ही उन लोगों को गिरफ्तार करें, जो राज्य की बेटियों को बहला-फुसलाकर पलायन करा रहे है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य की सारी बेटियों को संदेश दिया कि वे किसी भी हालत में पलायन न करें, उनके रोजगार के प्रबंध के लिए राज्य सरकार हरसंभव कार्य करने को तैयार है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सीधी बात कार्यक्रम में शिकायत करने आयी लालो कुमारी को कहा कि वह ऐसे लोगों को पर्दाफाश करे, जो ऐसी घटनाओं में लिप्त हैं। साथ ही गुमला के पुलिस अधिकारियों को सुनिश्चित करने को कहा कि लालो ने जिन लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करायी है, उसे जल्द सलाखों के पीछे डाले। 
चतरा के चतरा कैंप निवासी रौशन की शिकायत थी कि रतन कुमार जायसवाल की हत्या कर दी गयी, पर उनके रिश्तेदारों को न तो अनुकम्पा के आधार पर नौकरी मिली और न ही क्षतिपूर्ति अनुदान राशि दी गयी। इस संबंध में मुख्यमंत्री रघुवर दास को वरीय पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अपराधिक वारदातों में मारे गये लोगों के लिए क्षतिपूर्ति का कोई प्रावधान नहीं है, पर अनुकम्पा के आधार पर नौकरी जल्द ही उपलब्ध करायी जा रही है।
बोकारो के लुकईया गांव के भोला शंकर अग्रवाल के जमीन संबंधी मामले में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भोला शंकर अग्रवाल को बोकारो के उपायुक्त से मिलने का आदेश दिया। जल संसाधन विभाग से संबंधित मामले में भालको में लिपिक पद पर कार्यरत विपता राम के 1997 में मृत्यु होने के बाद भी उनके परिवार को आजतक बकाये राशि का भुगतान नहीं होने पर, जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह ने मुख्यमंत्री को बताया कि यह मामला बिहार से संबंधित है, और इस संबंध में उन्होंने वहां के अधिकारियों से बातचीत की है। समस्या के समाधान में वे लगे हैं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री ने विपता राम की पत्नी चिंता देवी की खराब आर्थिक हालत को देख एक लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की।
एनआईसी कालेज आदित्यपुर में पढ़ाई कर रहे उत्तम कुमार की मौत का मामला भी सीधी बात में गूंजा। उत्तम के पिता का कहना था कि उसके बेटे की सुनियोजित ढंग से हत्या कर दी गयी। जिसपर मुख्यमंत्री ने सरायकेला खरसावां के एसपी को घटनास्थल पर जाकर नये ढंग से जांच करने का आदेश दिया। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह भी कहा कि इसके बाद उच्चस्तरीय जांच की अनुशंसा करने की आवश्यकता पड़ेगी, तो वे इससे भी नहीं चूकेंगे। 
गोड्डा के शोभापुर के बलराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से शिकायत की कि गांव के मुख्य पथ से गड़िया पोखर होते हुए नेगचातर तक मिट्टी मोरम पथ निर्माण की स्वीकृत राशि 15 लाख 96 हजार रुपये थी, जिसमें मुखिया गुलनाज बेगम और पंचायत सेवक ने मिलकर 12 लाख की अवैध निकासी कर ली, पर आजतक इन दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, केवल प्राथमिकी दर्ज करके छोड़ दिया गया। इसपर मुख्यमंत्री रघुवर दास पुलिस अधिकारियों पर बरसे। उन्होंने कहा कि क्या प्राथमिकी दर्ज कर लेने से समस्या का समाधान हो गया। शीघ्र दोषियों को गिरफ्तार करें, न कि सुपरवीजन के नाम पर तमाशा खड़ा करें। ज्ञातव्य है कि ये मामला सीधी बात में 1 मार्च को भी उठा था।
हजारीबाग के बरही पंचमहादेव निवासी संजय रजक का कहना था कि मौजा 56 की रैयती जमीन डीवीसी ने अधिगृहीत कर ली, जिसके बाद कुछ अधिगृहीत जमीन में से कुछ जमीन रैयतों को लौटा दी गयी, पर रैयत जब अपनी वापसी जमीन का लगान कटाने जा रहे हैं, तो अंचल अधिकारी द्वारा रसीद नहीं काटी जा रही। जिस पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी लेनी चाही। अधिकारियों का कहना था कि नये कानून का प्रावधान लागू करने में एक महीने लग जायेंगे, उसके बाद सब ठीक हो जायेगा। पाकुड़ में रैयती जमीन पर तालाब को समतलीकरण कर दिये जाने पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अधिकारियों को आदेश दिया कि अगर रैयती जमीन पर भी तालाब है, तो उसे समतलीकरण न कर, तालाब खुदवाने का कार्य करें।
इसी प्रकार सीधी बात में मुख्यमंत्री ने रामगढ़ के सुभाष कुमार गुप्ता, साहिबगंज के गोरखनाथ पासवान, देवघर के अजीत कुमार सिंह, हजारीबाग के विश्वनाथ प्रसाद, पाकुड़ के दीपनारायण तिवारी, पलामू के अक्षय कुमार सिंह की भी शिकायतें सुनी और उसका समाधान किया।

वैशाख पूर्व ताड़ी की जगह नीरा पहुंचाने का लक्ष्य : सीएम

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अगले वैशाख के पूर्व ताड़ी की जगह नीरा पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें खुशी होगी। इससे लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी और लोगों का स्वाद भी बदल जायेगा। मुख्यमंत्री अधिवेशन भवन में ताड़ उद्योग पर आधारित आयोजित कार्यशाला में अपने संबोधन में बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग को इस बात की बधाई दी कि उन्होंने इस प्रकार के कार्यशाला का आयोजन कराया। उन्होंने कहा कि यह राज्यस्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम है और इसमें तमिलनाडू के कृषि वैज्ञानिक, ताड़ विशेषज्ञ और अनेक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। उन्होंने तमिलनाडू के कृषि वैज्ञानिकों और ताड़ विशेषज्ञों को इसके लिये धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को इस बात के लिए बधाई दी कि पूरे बिहार में ताड़ के पेड़ों का सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर उसकी गिनती करा ली। कृषि विभाग की गिनती के अनुसार, राज्य मंे लगभग 92 लाख 13 हजार ताड़ के पेड़ हैं। साथ ही 40 लाख खजूर के पेड़ हैं और नारियल के पेड़ों की संख्या 4 लाख के आसपास है। उन्होंने कहा कि मुख्यतः ताड़ और खजूर के पेड़ों की बात करते हैं, तो सबसे ज्यादा दुरूपयोग ताड़ से ताड़ी निकालकर उसके व्यापार से है। शराबबंदी के बाद यह प्रश्न आया कि उनकी जीविका ताड़ उतारने से चलती है। प्रश्न यादि जीविका का है, तो हमलोगों ने इसके समाधान निकालने का भी प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि बहुत पूर्व खादी ग्रामोद्योग संघ के प्रोत्साहन से नीरा की बिक्री होती थी। 
उन्होंने नालंदा का जिक्र करते हुए कहा कि वहां कई गांवों में बागीचा की तरह ताड़ का पेड़ है। 1977-78 की बात है। उन्होंने वहां के लोगों से पूछा कि इतना ताड़ का पेड़ है, तो नीरा का उत्पादन क्यों नहीं होता। कई लोगों से पूछा, तो बताया गया कि इसका संग्रह करना, मार्केटिंग करना मुश्किल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके स्मृति में यह बात थी। इस विषय पर मुख्य सचिव, उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एवं अन्य वरीय अधिकारियों से बात की। तमिलनाडू में सबसे ज्यादा ताड़ का पेड़ है। फिर वहां बातचीत हुयी। विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गयी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सवेरा होने से पहले ताड़ के रस को इकट्ठा कर लिया जाए, तो वह नीरा कहलाता है, किन्तु उसको छोड़ दिया जाए और उसमें फर्मेंटेशन होने लगे, तो वह ताड़ी बन जाता है। उन्होंने कहा कि नीरा पौष्टिक चीज है, जबकि ताड़ी विकृत चीज है। शरीर को फायदा पहुंचाने वाला चीज नीरा है। तमिलनाडू के वैज्ञानिक बातचीत के बाद यहां आये और नालंदा जिले में जाकर ताड़ के पेड़ों को देखा। 
उन्होंने कहा कि पासी समुदाय को ताड़ी उतारने वाला मानकर कुछ लोग भड़काउ काम कर रहे थे। वस्तुतः पासी समुदाय के लोग ताड़ के पेड़ से ताड़ी उतारते हैं और बेचते हैं। उन्होंने कहा कि ताड़ से खाद्य और अखाद्य पदार्थ जो बताये गये हैं, उसकी उपयोगिता अलग है। ताड़ से बनाये गये चटाई और डोल्ची का इस्तेमाल तो हर जगह होता है। बरसात से बचने के लिए भी लोग ताड़ का इस्तेमाल करते हैं।
खपरैल मकान में लोग ताड़ के पेड़ को चीरकर मजबूती के लिए अन्दर से खपड़े के नीचे डालते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि तमिलनाडू में जो ताड़ के पेड़ हैं, उससे ज्यादा फल बिहार के ताड़ के पेड़ों में पाया जाता है। ताड़ का कोआ स्वादिष्ट होता है और कोआ से भी बहुत चीज निकाला जा सकता है। नीरा को भी प्रिजर्व करने के तरीके हैं, किन्तु इस क्षेत्र में तेजी से काम करना होगा। यह देखना होगा कि जिन जिलों में लाखों की संख्या में पेड़ हैं, वहां ताड़ की संख्या को दृष्टिगत रखकर नीरा के संग्रह की प़द्धति बनानी होगी। दुग्ध संग्रह केन्द्र की व्यवस्था की तरह नेटवर्क बनाना होगा। कम्फेड को इसमें तजुर्बा है और इसमें कम्फेड से सहायता लेकर ताड़ी उतारने वाले लोगों का समूह बनाया जाए। जहां अधिक ताड़ के पेड़ हैं, वहां एक या दो पंचायत पर संग्रह केन्द्र बनाया जा सकता है। नीरा को एक जगह एकट्ठा कर प्रोसेसिंग प्लांट में पहुंचाने की व्यवस्था करनी होगी और इसकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग भी करनी होगी। इससे काफी लाभ होगा और आज जो लाभ हो रहा है, उससे दुगनी आमदनी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ताड़ी उतारने वाले सिर्फ ताड़ी क्यांे उतारेंगे, उनके बच्चों और उनके परिवार की भी तरक्की होनी चाहिये। उनके बच्चों को भी शिक्षित होने का अधिकार है। यह जो प्रयास हो रहा है, इस प्रयास से नशीला चीज निकलेगा ही नहीं। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद आज स्थिति बदली है और गांव में शाम होते होते जो झगड़ा झंझट शुरू होते थे, वह सब बंद हो गया है। लोगों की माली हालत सुधर रही है। और आमदनी का सही सदयुपयोग हो रहा है। शराबबंदी के बाद गांव में उल्लासित महिलाओं का चेहरा देख रहे हैं। हम उनके आनन्द के भाव को नहीं मिटायेंगे। ताड़ी की जगह नीरा, गुड़ और अन्य उत्पाद बनेंगे, तो अधिकांश लोगों को सम्मान जनक रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी यही इच्छा है कि आम लोगों के जीवन में परिवर्तन और बेहतरी आए, बिहार आगे बढ़े और अपने पुराने गौरव को प्राप्त करे। इसके पूर्व कार्यशाला को उद्योग मंत्री जयकुमार ंिसंह एवं कृषि मंत्री रामविचार राय ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ और ताड़ पर आधारित प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री को इस अवसर पर ताड़ आधारित उद्योगों से संबंधित एक वृत्त चित्र का भी अवलोकन कराया गया।
इस अवसर पर मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश, उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस. सिद्धार्थ, ग्रामीण विकास के सचिव अरविन्द चैधरी, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डाॅ. अजय कुमार सिंह, तमिलनाडू कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ0 पुन्नू स्वामी, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल ंिसंह, तमिलनाडू के ताड़ विशेषज्ञ, विभिन्न विभागों के पदाधिकारीगण एवं बड़ी संख्या मंे प्रतिभागी उपस्थित थे।

‘अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक दशा सुधारकर आर्थिक एवं सामाजिक दशा में बदलाव हेतु कृतसंकल्प है सरकार’

पटना : चूंकि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट से मुसलमानों की शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक बदहाली का आंकड़ा जगजाहिर है, इस आधार पर अल्पसंख्यकों के हित में उनकी शैक्षणिक दशा सुधारकर आर्थिक एवं सामाजिक दशा में बदलाव हेतु सरकार शुरू से कृतसंकल्प है। नतीजतन पूरे देश में सबसे पहले बिहार ने अल्पसंख्यकों के हक की आवाज बुलंद करते हुए इसके समग्र विकास हेतु अलग विभाग का गठन किया था। इसके पश्चात भारत सरकार ने एमएसडीपी योजना प्रारंभ की। पूर्व में यह योजना 20 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक आबादी वाले जिलों को लक्ष्य कर प्रारंभ किया गया, जिसमें पूरे देश के 90 तथा बिहार के 7 जिले शामिल थे। इसके तहत बिहार के 7 जिलों, दरभंगा, सीतामढ़ी, कटिहार, पूर्णियां, किशनगंज, अररिया एवं पश्चिमी चंपारण, में आंगनबाड़ी केन्द्र भवन निर्माण, इंदिरा आवास योजना, विभिन्न स्तर के विद्यालयों/मदरसों में अतिरिक्त वर्गकक्ष, छात्रावास, शौचालय, लाइब्रेरी, प्रयोगशाला आदि के भवन निर्माण, स्वास्थ्य प्रक्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, स्वास्थ्य उपकेन्द्र का भवन निर्माण, आईटीआई एवं पाॅलिटेक्निक निर्माण, चापाकल, सोलर लाइट विषयक योजनाएं संचालित हैं। आगे 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत वर्ष 2013-14 से राज्य के 20 जिलों में 25 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले 75 प्रखंडों एवं 8 शहरों का चयन केन्द्र ने किया है। इसके अलावा 50 प्रतिशत या इससे अधिक अल्पसंख्यक आबादी वाले गांवों के समूह में भी चिन्हीकरण कर केन्द्र को प्रस्तावित है, जहां बुनियादी कम्प्यूटर ज्ञान हेतु साइबर ग्राम योजना प्रारंभ की जा रही है।
सूचना भवन के ‘संवाद’ कक्ष में आहूत संवाददाता सम्मेलन के दौरान अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, डाॅ. अब्दुल गफूर ने उपर्युक्त जानकारी दी। डाॅ. गफूर ने आगे बताया कि 12वीं पंचवर्षीय योजनान्तर्गत राज्य हेतु एमएसडीपी में आबंटन लगभग 628.75 करोड़ रुपए है, जिसके विरूद्ध 307.25 करोड़ रुपए की योजनाएं स्वीकृत हैं।
अल्पसंख्यकों के विकास हेतु बिहार में शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर उनके अधिकार-बहाली की दिशा में केन्द्र द्वारा लाए गए कानून की 100 वर्ष पूर्व तक वक्फ बोर्ड की प्रोपर्टी को अवैध कब्जेदारों से मुक्त कर वक्फ बोर्ड का कब्जा दिलाया जाए के तहत उन्होंने बताया कि पटना सिटी तथा अब्बास अली वक्फ स्टेट पटना सिटी की प्रोपर्टी अतिक्रमण मुक्त कराई गई है। कुल 15 वक्फ स्टेट का नया पंजीयन किया गया है तथा वक्फ बोर्ड की आमदनी जो वर्ष 2014-15 में 3,38,298 रुपए थी, वर्ष 2015-16 में बढ़कर 12,38,629 रुपए हुई है। वक्फ बोर्ड को सरकारी अनुदान की राशि भी वर्ष 2014-15 में 20 लाख रुपए के मुकाबले वर्ष 2015-16 में 80 लाख रुपए दिए गए। आगे सफदर हुसैन वक्फ स्टेट के 4 कट्ठे की जमीन, जोहरा बेगम वक्फ स्टेट की जमीन, खुर्शीद हसनैन वक्फ स्टेट की लगभग 30 कट्ठे की जमीन तथा अमानी बेगम वकफ स्टेट की जमीन भी अतिक्रमण हटाए जाने की सूचना उन्होंने दी।
सरकार द्वारा शिक्षा ऋण वितरण योजना, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना आदि से लाभान्वित होने की उम्मीद जताते हुए मेडिकल कोर्सेज में महंगी पढ़ाई के संदर्भ में डाॅ. गफूर ने कम-से-कम 100 बच्चों के मेडिकल पढ़ाई हेतु सरकार के मददगार होने की दिशा में प्रयासों की जानकारी दी। डाॅ. गफूर ने मुख्यमंत्री श्रमशक्ति योजना के तहत टेªनी छात्र/छात्राओं के 70-80 प्रतिशत के लिए रोजगार-सुलभता की जानकारी दी। इस मौके पर प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने अपने संबोधन में विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना के तहत वर्ष 2016-17 में कुल 12656 मैट्रिक तथा इंटरमीडिएट में प्रथम-द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण छात्र/छात्राओं के लिए 121 करोड़ रुपए प्रोत्साहन राशि हेतु स्वीकृत हैं, जो आरटीजीएस के जरिए सीधे विद्यार्थियों के खाते में जाएंगे। उन्हें सिर्फ अपना बैंक खाता संख्या, आईएफएससी कोड, एडमिट कार्ड की प्रति संबंधित जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी को देनी है। उन्होंने भाषाई अल्पसंख्यक के आधार पर बांग्ला भाषा पेपर रखकर मैट्रिक/इंटर प्रथम/द्वितीय श्रेणी से पास 58 बच्चों के लिए भी उक्त राशि की स्वीकृति की सूचना दी।
आगे मुस्लिम परित्यक्ता सहायता योजना के तहत अबतक 11169 मुस्लिम परित्यक्ता के लाभान्वित होने, मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना के तहत 7832 लोगों को स्वरोजगार हेतु 81.32 करोड़ रुपए दिए जाने, मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक शिक्षा ऋण योजना के तहत 2610 विद्यार्थियों के बीच 23.65 करोड़ रुपए के आबंटन सहित अल्पसंख्यक छात्रावास योजना के तहत जानकारी दी कि राज्य के सभी जिलों में अल्पसंख्यक छात्र/छात्राओं हेतु छात्रावास निर्माण योजना के तहत 34 छात्रावासों का निर्माण कार्य पूर्ण है, जिसमें से 25 संचालित हैं तथा 9 का संचालन प्रक्रियाधीन है। उन्होंने बताया कि राज्य कोचिंग योजना के तहत मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय नोडल एजेंसी है। इसके द्वारा वर्ष 2014-15 तक 344 अभ्यर्थियों को सिपाही-भत्र्ती की फ्री कोचिंग दी गई, जिसमें से 101 का चयन हुआ। उर्दू शिक्षकों की बहाली हेतु 937 टीईटी प्रशिक्षणार्थियों को कोचिंग कराई गई। बिहार अग्निक पुलिस बहाली हेतु 90 छात्रों को शारीरिक प्रशिक्षण दिलाया गया, जिसमें से 43 चयनित हुए। इसी तरह यूपीएससी, बीपीएससी, रेलवे, बैंकिंग, एसएससी आदि के कोचिंग कोर्सेज भी संचालित हैं।
राज्य में वक्फ बोर्डों की संपत्ति तथा उनके द्वारा कराए जा रहे कार्यों की जानकारी देते हुए सुबहानी ने बताया कि बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के तहत इस्लामिया हाॅल, वक्फ स्टेट सं0-2146 का जी-6 भवन बनाने की स्वीकृति अनुमोदित है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 36 करोड़ है। गोलकपुर कब्रिस्तान वक्फ स्टेट सं.-2153 के खाली भू-भाग पर मैरेज हाॅल बनाने का प्रस्ताव बोर्ड से पारित है तथा इस दिशा में कार्रवाई प्रगति पर है। अनुमानित लागत 01 करोड़ 23 लाख है। बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के अंतर्गत गया अवस्थित जामा मस्जिद में 37 दुकानों का नव निर्माण किया जा रहा है। कार्य प्रगति पर है। अनुमानित लागत लगभग 70 लाख है। छोटी मस्जिद गया का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। कार्य प्रगति पर है। अनुमानित लागत लगभग 04 करोड़ है। 
बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड का ग्रांट 50 लाख से बढ़कर 2 करोड़ हो गया है। किशनगंज में प्रस्तावित खाज़ा गरीब नवाज़ मेडिकल काॅलेज का प्रशासनिक भवन का कार्य प्रगति पर है। वक्फ स्टेट सं.-243/943 तिलक मैदान मुजफ्फरपुर मंे चार आवासीय मकान बनाये गये हैं। बाढ़ जिला पटना में मैरिज और शाॅपिंग हाॅल का निर्माण। अनुमानित लागत लगभग 1,10,00,000 है। तकिया जमाल शाह, दानापुर वक्फ स्टेट सं.-658, मंे 17 दुकानों का निर्माण कराया गया है। इसकी लागत 59 लाख है तथा बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड के तहत खुर्शीद हस्नैन वक्फ स्टेट, 184/पटना, अगमकुआं, बाईपास रोड, पटना में 12 दुकानों का नव निर्माण किया गया है। कमरूननिसा बेगम वक्फ स्टेट, 12/पटना, नवाब बहादुर रोड, पटना सिटी में 12 दुकानों का नव निर्माण किया गया। व्यावसायिक भवन 1 करोड़ 26 लाख का कार्य बिहार राज्य भवन निर्माण निगम को आबंटित किया गया है। जोहरा बेगम वक्फ स्टेट, 151/पटना, नौजरकटरा, पटना सिटी में 8 दुकानों का नव निर्माण प्रारंभ है। अमानी बेगम वक्फ स्टेट, 28/पटना, पटना सिटी एवं इमामबाड़ा कब्रिस्तान मेंहदी बेगम, वक्फ नं.-209/पटना में इमामबाड़े का नव निर्माण किया गया।

शनिवार, 27 अगस्त 2016

आंखों से ही हम सृष्टि का सौन्दर्य देख सकते हैं : डाॅ. लोईस

दुमका : समाज कल्याण मंत्री डाॅ. लोईस मरांडी ने सिदो-कान्हु नेत्र अस्पताल एवं रिसर्च सेन्टर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि दुमका में नेत्र रोगों के लिए कोई समर्पित अस्पताल उपलब्ध नहीं था। इसकी वजह से सामान्य नेत्र रोग की चिकित्सा के लिए भी दुमका से बाहर जाना पड़ता था। कई लोग चिकित्सा के अभाव में कम रौशनी के साथ जीवन जी रहे थे। 
डाॅ. मरांडी ने कहा कि हम सब जानते हैं कि जीवन में आंखों का विशेष महत्व है। जीवन और सृष्टि का सौन्दर्य का पहला साक्षात्कार आंखों के माध्यम से ही होता है। इसलिए हमें आंख से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरत नेत्र रोग विषेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। अब एक समर्पित नेत्र रोग अस्पताल है जहां न केवल दुमका के बल्कि पूरे संताल परगना के नेत्र रोगी चिकित्सा के लिए आ सकते हैं। 
मंत्री ने ममता छाया संस्था द्वारा संचालित अस्पताल के सीएमडी मयंक भूषण से यह कहा कि वे अस्पताल के प्रबंधन एवं चिकित्सा में उच्च गुणवत्ता का ध्यान रखें। इस अवसर पर डाॅ. लोईस मरांडी ने कहा कि जल्द ही मेडिकल काॅलेज का शिलान्यास दुमका में होगा। सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। 
इस अवसर पर नगर पर्षद की अध्यक्षा अमिता रक्षित ने कहा कि मुझे विश्वास है कि दुमका के लिए एकदिन यह गौरव का कारण बनेगा। यह सेवा और चिकित्सा के लिए ही जाना जायेगा। इस अवसर पर नगर के गणमान्य नागरिक जिले के पदाधिकारी एवं अस्पताल के चिकित्सक एवं अन्य कर्मी उपस्थित थे।

बुधवार, 24 अगस्त 2016

‘अनुसूचित जनजाति का नामांकन 35 फीसदी अंक में हो’

झारखण्ड के मेडिकल काॅलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में रिक्त सीटों को भरने के लिए रघुवर दास ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा को लिखा पत्र
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि शैक्षणिक सत्र 2016-17 में झारखण्ड के मेडिकल काॅलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जनजाति के 37 रिक्त सीटों में नामांकन हेतु निर्धारित 40 प्रतिशत अंक की आवश्यक अहत्र्ता में 5 प्रतिशत की कटौती कर 35 प्रतिशत कर दिया जाय। 
ज्ञात हो कि झारखंड के 3 मेडिकल काॅलेजों क्रमशः आरएमसीएच, रांची, एमजीएम मेडिकल काॅलेज, जमशेदपुर तथा पाटलिपुत्रा मेडिकल काॅलेज, धनबाद में एमबीबीएस की कुल 289 सीटें हैं, जिनमें से 76 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। शैक्षणिक सत्र 2016-17 में इन 76 सीटों के विरूद्ध अनुसूचित जनजाति के मात्र 49 अभ्यर्थी ही एमबीबीएस पाठ्यक्रम हेतु सफल घोषित किए गए हैं। निर्धारित 40 प्रतिशत अंक नहीं होने के कारण 37 सीटें रिक्त रह जाएंगी। अतः मुख्यमंत्री दास ने केन्द्रीय मंत्री नड्डा को अनुसूचित जनजाति के नामांकन हेतु 35 प्रतिशत अंक की अहत्र्ता करने का अनुरोध किया है। ऐसा होने से अनुसूचित जनजाति के रिक्त सीटों को भरा जा सकेगा। 
मुख्यमंत्री ने श्री नड्डा को पत्र में कहा है कि अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कुल सीटों में नामांकन से उनके हितों की रक्षा तो होगी ही, आमजनों की चिकित्सा सुविधा हेतु डाॅक्टरों की कमी भी दूर होगी। उनके नामांकन से सरकार को चिकित्सा सुविधा बहाल करने में सुविधा होगी।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की हिन्दी वेबसाइट और उन्नत इंग्लिश वेबसाइट का शुभांरभ

मंत्रालय तकनीक सहित सभी माध्यमों से लोगों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध : मुख्तार अब्बास नकवी 
नई दिल्ली : केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की नई हिन्दी वेबसाइट और उन्नत इंग्लिश वेबसाइट का शुभारंभ का। उन्नत वेबसाइट http://www-minorityaffairs-gov-in इस्तेमाल करने में आसान है। साथ ही यह वेबसाइट आईपेड और मोबाइल जैसे उपकरणों पर भी बेहतर तरीके से काम करेंगी।
इस अवसर पर नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय तकनीक, सोशल मीडिया सहित सभी माध्यमों से लोगों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचने के हमारे प्रयास का यह एक हिस्सा है, जिससे कि एक पारदर्शी व्यवस्था में विकास का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके।
उन्होंने कहा कि सुझावों के आधार पर मंत्रालय को वेबसाइट पर नए फीचर जोड़ने चाहिए। श्री नकवी ने जानकारी दी कि छात्रवृत्ति के लिए मोबाइल एप्लीकेशन शुरू करने की भी योजना बनाई जा रही है, जिससे कि मोबाइल फोन के जरिए छात्र आसानी से छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कर सकें।
श्री नकवी ने कहा कि उन्नत वेबसाइट कई कल्याणकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएंगी, जोकि अल्पसंख्यक समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह वेबसाइट लोगों के लिए काफी कारगर साबित होगी। जरूरतमंद लोग इस वेबसाइट के माध्यम से जानकारी हासिल कर आसानी से कल्याणकारी योजनाओं का फायदा उठा सकते हैं। श्री नकवी ने कहा कि यह वेबसाइट अब यूजर्स के लिए और भी आकर्षक होगी, जिस पर लोग जाकर मंत्रालय के कार्यक्रमों और योजनाओं को आसानी से समझकर उनका फायदा उठा सकते हैं।
इस वेबसाइट में फोटो गैलरी, वीडियो गैलरी, प्रेस रिलीज, न्यूज पेपर रिलीज जैसे फीचर्स को जोड़ा गया है। साथ ही यह वेबसाइट ट्विटर, फेसबुक और यू-ट्यूब जैसी सोशल मीडिया साइट्स से भी जुड़ी होगी। इस वेबसाइट में फीडबैक का भी ऑप्शन होगा, जिसमें लोग जाकर मंत्रालय की योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में सीधे अपने सुझाव दे सकते हैं। इसके साथ ही लोग इस वेबसाइट तक आसानी से पहुंच सकें, इसलिए इसे अन्य महत्वपूर्ण साइट्स जैसे डलळवअ, पीएम-इंडिया, नेशनल पोर्टल, जीओआई वेब डायरेक्ट्री, पीएमएनआरएफ, पीजी पोर्टल, नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल इत्यादि से भी जोड़ा गया हैं।

सोमवार, 22 अगस्त 2016

डिजीटल पहचान की ओर अग्रसर यहां का हर घर

झारखण्ड का ऐसा गांव जहां हर परिवार का होगा अपना ईमेल व व्हाट्सऐप नम्बर
जमशेदपुर : ’’डिजिटल इंडिया’’ अभियान के तहत डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय के उप समाहत्र्ता सह जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी संजय कुमार की पहल पर हिराचुनी गांव के हर घर की डिजिटल पहचान के लिए सभी घरों के लिए एक जैसी सिरीज के ईमेल आईडी बनाए जा रहे हैं। कई दिनों की पूर्व तैयारी के बाद आज संजय कुमार ने जमशेदपुर प्रखण्ड की दूरस्थ पंचायत के अन्तर्गत हिराचुनी गांव पहुंच कर वहां आयोजित ग्राम सभा में डिजिटल साक्षरता हेतु इस पहल को क्रियान्वित करने के लिए ग्रामीणों से सर्वसम्मति ली। वहां उपस्थित ग्राम प्रधान, मुखिया प्रतिनिधि, पूर्व मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, प्रज्ञा केन्द्र संचालक, स्थानीय पारा शिक्षक तथा ग्रामीण युवाओं के बीच तय हुआ कि हर परिवार से एक प्रमुख सदस्य के नाम का ईमेल आईडी/व्हाट्सऐप नम्बर हो तथा सभी की मेल आईडी के नाम में गांव का नाम अवश्य शामिल हो। लगभग 300 की आबादी तथा 60 घरों वाले उक्त गांव के हर घर को डिजिटल पहचान देने की शुरूआत मौके पर ही वहां के ग्राम प्रधान देबाशिष महतो की ईमेल आईडी hirachuni.grampradhan@gmail.com प्रज्ञा केन्द्र संचालक की मदद से सृजित कर की गई। विशेष बात यह है कि उपरोक्त सभी मेल आईडी hirachuni.XYZ@gmail.com की सीरीज की होंगी जहां XYZ सम्बंधित व्यक्ति का नाम होगा। आज यहां के सभी 60 घरों में से 47 घरों के ईमेल आईडी हेतु आंकड़े लिए गए। शेष छूटे हुए लोगों के आंकड़े इकट्ठे कर ईमेल आईडी बनाने में सहयोग करने का दायित्व प्रज्ञा केन्द्र संचालक श्री अशोक कुमार महतो तथा गांव के ’’यूथ ब्वायज क्लब’’ के सदस्यों को दिया गया। यह भी तय हुआ कि एक सप्ताह के अन्दर सभी का ईमेल आईडी बन जाने के बाद उन्हें सम्बंधित घरों के सामने प्रदर्शित किया जाना है। गांव का अपना फेसबुक पेज ’’डिजिटल हिराचुनी’’ तथा इसी नाम का व्हाट्सऐप ग्रुप तथा ब्लाॅग बनाया जा रहा है।
हिराचुनी गांव के चयन के पीछे कारण : जमशेदपुर प्रखण्ड के अन्तर्गत हिराचुनी गांव में 2011 जनगणना आंकड़ो के अनुसार पुरुष साक्षरता दर 95 प्रतिशत है। अधिकतर लोग इंटरनेट चलाना जानते हैं। ज्यादातर युवाओं के पास स्मार्ट फोन है। गांव में बीएसएनएल, एअरटेल, आईडिया, रिलायंस 4जी आदि की नेट कनेक्टिविटी है। इस मौके पर सभी स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा यूथ ब्वायज क्लब के दर्जनों सदस्य, अनूप कुन्डू, सपन कु0 महतो, तपन कु0 महतो, भागीरथ सिंह आदि मौजूद थे।

शनिवार, 20 अगस्त 2016

छात्रवृत्तियों की तिथि बढ़ाई गई

नई दिल्ली : अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित छात्रों के लिए वर्ष 2016-17 हेतु मैट्रिक पूर्व अथवा पश्चात छात्रवृत्रियों के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि को 30 सितंबर, 2016 तक बढ़ा दिया गया है। इससे पूर्व भी अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय ने मैट्रिक पूर्व अथवा पश्चात छात्रवृत्रियों के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि को 31 अगस्त, 2016 तक बढ़ाया था।
केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामले राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय ने अंतिम तिथि को बढ़ाने के संबंध में देशभर के लोगों से प्राप्त व्यापक अपीलों और सुझावों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है। श्री नकवी ने कहा कि यह निर्णय अल्पसंख्यक समुदायों के गरीब वर्गों के जरूरतमंद छात्रों के हित में लिया गया है। 
ज्ञात हो कि प्री-मैट्रिक स्तर पर छात्रवृत्ति का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के माता-पिताओं को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहन देना, विद्यालय शिक्षा पर होने वाले वित्तीय बोझ को कम करना और उनकी विद्यालय शिक्षा को पूर्ण करने के लिए बच्चों के लिए किए जा रहे प्रयासों को बनाए रखना है। पोस्ट-मैट्रिक स्तर पर छात्रवृत्ति का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों को छात्रवृत्तियां प्रदान करना है। ताकि उन्हें उच्चतर शिक्षा के लिए बेहतर अवसर मिल सके और उच्च शिक्षा की प्राप्ति दर को बढ़ाते हुए वे अपने रोजगार की क्षमता बढ़ा सके।

शुक्रवार, 12 अगस्त 2016

‘अबतक अनुसूचित जनजाति का अपेक्षित विकास नहीं हुआ’

सरायकेला : झारखंड के कल्याण मंत्री डाॅ. लोईस मराण्डी ने कहा कि आजादी के बाद भी अबतक अनुसूचित जनजाति का अपेक्षित विकास नहीं हुआ है। सरकार का प्रयास है, हर खेत में पानी हा,े हर हाथ में काम हो एवं सभी के चेहरे पर मुस्कान हो और सरकार इस दिशा में सफल भी हो रही है। सभी चयनित जगहों पर डोेभा, तालाब का निर्माण किया गया। विकास मेले के माध्यम से परिसंपत्ति वितरित की जा रही है। वे सरायकेला-खरसांवा में कल्याण विभाग द्रारा आयोजित मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजांित ग्राम विकास योजना अंतगर्त गरीब मेला को संबोधित कर रही थीं।
सरायकेला-खरसावां जिला में इस बार विकास मेले में 80 प्रंितशत से अधिक जनसंख्या वाले अनुसूचित जनजाति समुदाय के 50 गावों का चयन कर कुल 73 लाभुको के बीच 1,46,00,000 रुपए की परिसंपत्तियों का वितरण किया गया। संबंधित गांव के स्वयं सहायता समूह, जो अच्छा कार्य कर रहें हैं, उन्हें 1 लाख रुपए का चेक एवं नवयुवक बेरोजगारों के बीच 2 लाख रुपए का चेक वितरित किया गया।
मंत्री ने कहा कि अपनी इच्छा के अनुरूप व्यवसाय करें। उन्होंने अपील की कि शिक्षा के स्तर में सुधार लायें तथा गुणवतापूर्ण शिक्षा ग्रहण करें ताकि अपने अधिकारों को जान सकें। प्रशासन से सरकार की योजनायों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हुए लाभ लें। गांवों में पंचायत सचिवालय की भी स्थापन की गई है, जिसके माघ्यम से सरकारी लाभ ली जा सकेगी। अनुसूचित जनजाति को केस -मुकदमा लड़ने के लिए सरकार द्रारा मदद भी दी जा रही है। इसे कल्याण विभाग से संपर्क कर प्राप्त किया जा सकता है। चिकित्सा सहायता अन्र्तगत तीन हजार से दस हजार रुपए तक की राशि दी जा रही है।

गुरुवार, 11 अगस्त 2016

योजनाओं को क्रियान्वित नहीं करने वाले कर्मचारी नपेंगे : रघुवर

रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि योजनाओं को क्रियान्वित नहीं करने वाले पदाधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। जिनका काम अच्छा होगा, उन्हें 15 नवंबर को सम्मानित भी किया जायेगा। वे महिला, बाल विकास और समाज कल्याण विभाग द्वारा आयोजित बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों (सीडीपीओ) के राज्य स्तरीय सम्मेलन व विभागीय योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। विदित हो कि कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री से सीधी बात कार्यक्रम में लोगों की शिकायत पर संज्ञान लेते हुये मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि वे स्वयं सीडीपीओ के साथ बैठक करेंगें। उन्होंने कहा कि बरसात के बाद वे स्वयं फील्ड में जायेंगे और सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं का निरीक्षण करेंगे।
मुख्यमंत्री श्री दास ने कहा कि झारखंड को कुपोषण के कलंक से मुक्त करना है। इसमें बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, आंगनबाड़ी सहायिका, सेविका आदि की भूमिका अहम है। अच्छा काम के लिए आपस में प्रतिस्पद्र्धा करें। जिसकी जो जिम्मेवारी है, उसे ईमानदारीपूवर्क निर्वहन करें। जनजातीय बहुल क्षेत्रों में ज्यादा काम करने की जरूरत है। टीम वर्क के रूप में काम कर हम झारखंड की दशा और दिशा बदल सकतें हैं। बिचैलिये और भ्रष्टाचार की शिकायत मिली, तो कठोर कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि जल्द ही पंचायत सचिवालय का गठन किया जायेगा। इनके गठन से आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका का काम हल्का होगा। साथ ही उनके काम की निगरानी भी की जा सकेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीडीपीओ, सुपरवाइजर, आंगनबाड़ी केंद्रों आदि का प्रोफाइल तैयार किया जाये और उनकी रैंकिंग की जाये। केंद्र सरकार द्वारा राज्यों में किये जा रहे महिला बाल विकास कार्यक्रमों की रैंकिंग की जा रही है। विभाग आगामी तीन माह में सभी संबंधित योजनाओं को शीघ्रतापूर्वक कार्यान्वित करे, ताकि केंद्र द्वारा की जा रही रैंकिंग में झारखंड नहीं पिछड़े। उन्होंने कहा कि गांव की स्थिति में और सुधार लाना है। बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। अशिक्षा और गरीबी के कारण महिलाओं को पौष्टिक आहार की जानकारी नहीं है। इनके लिए सरकार ने कई योजनाएं चलायी हैं। सीडीपीओ फील्ड में जायें और काम की निगरानी करें। जो काम नहीं करता है, उसकी जानकारी दें। कड़ी कार्रवाई की जायेगी। कई बार शिकायत मिलती है कि आंगनबाड़ी नहीं खुलती है।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर सीडीपीओ महिलाएं हैं। बच्चों और महिलाओं के प्रति दर्द होना चाहिए। कोई बच्चा कुपोषित न हो और गर्भवती महिला में खून की कमी न हो, यह सुनिश्चित करें। संथाल और कोल्हान में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। वहां महिलाओं में एनिमिया की समस्या आम है। इस पर भी काम करें। मुख्यमंत्री ने लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना आदि में सुधार लाने का निर्देश दिया। 0-6 वर्ष तक के बच्चों का आधार कार्ड बनाने का काम भी महत्वपूर्ण है। इसे भी पूरी जिम्मेवारी से करें।
कार्यक्रम में कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी, मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, विभाग के प्रधान सचिव एमएस भाटिया, पोषण मिशन की महानिदेशक मृदुला सिन्हा, समाज कल्याण निदेशक रविंद्र प्रसाद सिंह समेत सीडीपीओ व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

झारखंड सूचना आयोग का ऑनलाइन पोर्टल शुरु

रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड राज्य सूचना आयोग के ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की। प्रोजेक्ट भवन स्थित सभागार में मुख्यमंत्री ने http://onlinejsic.jharkhand.gov.in को जारी करते हुए कहा कि सूचना आधारित युग में पारदर्शिता और काम के त्वरित निष्पादन की जरूरत है। इस पोर्टल के माध्यम से लोगों को बिना परेशानी और जल्द सूचना मिल पायेगी। सरकार लोगों तक सूचना पहुंचाने में देर करने का पक्षधर नहीं है।
झारखंड राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त आदित्य स्वरूप ने बताया कि इस पोर्टल के माध्यम से द्वितीय अपील ऑनलाइन दायर की जा सकेगी। लोगों को सूचना आयोग के दफ्तर आने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। ऑनलाइन आवेदन स्वीकार होने पर आवेदक को एसएमएस के माध्यम से इसकी सूचना मिल जायेगी। साथ ही उनके केस संख्या, सुनवाई की तिथि आदि की जानकारी भी मिलेगी। कार्यक्रम में सूचना आयुक्त प्रबोध रंजन दास, हिमांशु शेखर चैधरी, मुख्यमंत्री के सचिव सुनील कुमार बर्णवाल समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

मंगलवार, 9 अगस्त 2016

41 फीसदी साक्षरता वाले गांव को पूर्ण साक्षर बनाने की हुई पहल

  • बुजुर्गों ने अंगूठा न लगाने की ली शपथ
  • बच्चे साक्षर बनाएंगे मां-बाप को

जमशेदपुर : झारखंड के पटमदा प्रखण्ड का धुसरा गांव शीघ्र ही शत प्रतिशत साक्षर गांव बन जाएगा। उप समाहत्र्ता-सह-जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी संजय कुमार की पहल पर जिले के पटमदा प्रखण्ड के जनजाति बहुल गांव धुसरा के ग्रामीणों ने सरकारी साक्षरता अभियानों की मदद से अपने गांव को पूर्ण साक्षर बनाने की जिद ठान ली है। प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सचिदानंद महतो, ग्राम प्रधान गंगाधर सिंह, ग्राम शिक्षा समिति के अध्यक्ष व सदस्य, गांव के दोनों वार्ड सदस्य की मौजूदगी में हुई ग्राम सभा में सभी ग्रामीण महिला-पुरुष, बुजुर्गाें व बच्चों ने सामूहिक शपथ ली कि उनके गांव में अगामी 15 नवम्बर से पूर्व पूरे गांव को साक्षर कर लिया जाएगा। तय हुआ कि यहां का हर शिक्षित व्यक्ति गांव के कम से कम एक अनपढ़ व्यक्ति को लिखना पढ़ना सिखाएगा। 
ग्राम शिक्षा समिति ने उप-समाहत्र्ता संजय कुमार को आश्वस्त किया कि एक सूची तैयार हो जाएगी, जिसमें स्पष्ट होगा कि कौन शिक्षित व्यक्ति गांव के किस अशिक्षित व्यक्ति को पढ़ना लिखना सिखाएगा। बुजुर्गों ने भी इस अवसर पर संकल्प लिया कि वे आज से अंगूठा नही लगाएंगे, बल्कि घर या पड़ोस के बच्चों से हस्ताक्षर करना इसी माह सीख जाएंगे। बैठक में मौजूद गांव की बुजुर्ग महिला रेवती ने तो बैठक में ही हस्ताक्षर करना सीखने की इच्छा जताई, इस पर वार्ड सदस्य अमित कुमार ने लगभग आधा घंटे के प्रयास में ही उन्हें हस्ताक्षर करना सिखा दिया। इसके बाद तो उत्साहित उक्त बुजुर्ग महिला ने अपने हस्ताक्षरों से पूरा पेज ही भर दिया। 
जनसम्पर्क कार्यालय की तरफ से काॅपी, पेंसिल, वर्णमाला, बालपोथी आदि सामग्री युक्त साक्षरता-किट बांटी गई। इसकी मदद से कई महिलाएं ग्राम सभा में ही अपने बच्चों से लिखना सीखते हुए दिखीं। सभा के बाद उपस्थित ग्रामीणों ने गांव की गलियों में जागरुकता रैली निकाली। इस अवसर पर अमित कुमार सिंह, धनंजय मुर्मू, प्रभाती मार्डी, माधुरी सिंह, निरु सिंह, जानकी सिंह, दीनबंधु मार्डी, आल्यादी मार्डी, मुटकु मार्डी, सहचरी सिंह, हकीम सोरेन, शिव शंकर मुर्मू, सुषमा मार्डी आदि ने उप-समाहत्र्ता की इस पहल का स्वागत करते हुए गांव को साक्षर बनाने में पूरा सहयोग करने को कहा।
उल्लेखनीय है कि जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग एक हजार की आबादी व 213 घरों वाले धुसरा गांव की कुल साक्षरता दर 40.79 प्रतिशत जबकि महिला साक्षरता केवल 26.49 प्रतिशत है। इस अवसर पर उप-समाहत्र्ता व बीडीओ ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न साक्षरता अभियानों की जानकारी भी ग्रामीणों को दी।

सोमवार, 8 अगस्त 2016

दानापुर अनुमंडलीय अस्पताल में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर

सैकड़ों लोगों की हिस्सेदारी से आॅपरेशन जिन्दगी सफल
 न्यूज@ई-मेल 
आलोक कुमार
पटना : अनुमंडलीय अस्पताल, दानापुर में जिला स्वास्थ्य समिति, पटना के सौजन्य से स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में सैकड़ों लोगों की हिस्सेदारी से आॅपरेशन जिन्दगी सफल रहा। अनुमंडलीय अस्पताल, दानापुर की नर्सेज आने वाले रक्तदाताओं का पंजीकरण कर रही हैं। नामांकन के बाद रक्तदाताओं को प्रश्नावली एवं सहमति फाॅर्म दिया गया। इस फाॅर्म को भरा गया। बिहार राज्य रक्त अधिकोष, पटना व मेडिकल काॅलेज, पटना द्वारा स्वैच्छिक रक्त देनेवालों को रक्तदाता प्रश्नावली एवं सहमति फाॅर्म दिया गया। 
इसके माध्यम से यह जानने का प्रयास किया जाता है कि क्या आप पहले रक्तदान किये हैं, हां/नहीं में उत्तर देना है। अगर हां तो कितनी बार? अंतिम रक्तदान की तिथि? रक्त वर्ग? खाना/नास्ता कब किये हैं? रक्तदान के समय या बाद में कोई कठिनाई हुई थी, हां/नहीं? क्या आप आज अच्छा महसूस कर रहे हैं? क्या आप चार घंटा पहले कुछ खायें हैं? क्या आप रात में अच्छी तरह से सोये हैं? क्या कोई कारण है जिससे आप समझते हैं कि पीलिया, मलेरिया, एचआईभी/एड्स व गुप्त रोग से संक्रमित हैं? हां/नहीं में उत्तर देना है।
पिछले 6 माह में बीमारी का इतिहास जानने का प्रयास किया जाता है। आपका अप्रत्याशित वजन में कमी, बराबर दस्त होना, ग्रन्थि (ग्लैंड) में सूजन होना और बराबर कम बुखार रहना। इसी तरह पिछले 6 माह में आपने कार्य किया? गोदना गोदवाया है, कान, नाक छीदवाये हैं और दांत निकलवाया है? क्या आपको बीमारी है? हृदय रोग, फेफड़ा की बीमारी, गुर्दा की बीमारी, कैंसर की बीमारी, मिर्गी, चीनी की बीमारी, क्षय रोग, असमान्य रक्त स्त्राव का लक्ष्मण, पीलिया बी/सी और एलर्जी की बीमारी। पिछले 6 माह में मलेरिया। पिछले 1 साल में पीलिया, यौन संचारित रोग। पिछले 1 साल में टाइफाईड और बेहोश होना। पिछले 72 घंटे में आप किसी का प्रयोग किया है? एंटीवाॅटीक, एसप्रिन, अलकोहल (शराब), स्टीराॅएड। भैक्सीन, कुत्ता काटने पर रैबिज भैक्सीन (पिछले 1 साल में)। पिछले 6 माह से सर्जरी या रक्तधान का इतिहास। बड़ा आॅपरेशन, छोटा आॅपरेशन, रक्तधान। 
महिला रक्तदाता से भी सवाल पूछे जाते हैं। क्या आप गर्भवती हैं? क्या आप को तीन माह के अंदर गर्भपात हुआ है? क्या आपका बच्चा एक वर्ष से कम उम्र का है? फाॅर्म भरने के बाद वजन, पल्स, एचबी, बीपी, तापमान आदि लेने के बाद चिकित्सा पदाधिकारी अपनी सहमति/असहमति रक्तदान करने के लिए देते हैं।

बुनकरों की होगी जनगणना : स्मृति ईरानी

  • जारी किया जाएगा हेल्पलाइन नंबर
  • देश भर में द्वितीय हथकरघा दिवस मनाया गया
  • बुनकरों को संत कबीर पुरस्कार एवं राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार से किया गया सम्मानित

नई दिल्ली : द्वितीय हथकरघा दिवस देश भर में मनाया गया। वाराणसी में आयोजित मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने बुनकरों को संत कबीर पुरस्कार एवं राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार से सम्मानित किया। समारोह में केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राजीव प्रताप रुड़ी विशिष्ट अतिथि थे। इस दौरान केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टमटा एवं उत्तर प्रदेश के कपड़ा मंत्री महबूब अली भी उपस्थित थे।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में आयोजित इस समारोह में उड़ीसा के शरद कुमार पात्रा, भक्त राज मेहर और गुजरात के वंकार भीमजी को संत कबीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने कार्यक्रम से पूर्व बुनकर के घर जाकर मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं। उन्होंने कहा कि इनकी समस्या बहुत है। उनकी मांग है कि इनके हालात बेहतर किए जाएं और योजनाओं का लाभ कैसे लें, जैसी बुनियादी समस्याओं से जुझ रहे हैं। केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने बुनकरों का जनगणना कराने की बात कही, ताकि सरकार के साथ इनका सीधा संवाद हो सके और ये योजनाओं का भरपूर लाभ उठा सके। उन्होंने बनारस के बुनकरों की समस्या को दूर करने के लिए जल्द हेल्पलाइन नंबर जारी करने का निर्देश दिया। कपड़ा मंत्री ने यह भी कहा कि हथकरधा और इससे जुड़ी मशीनें खरीदने या ठीक करने के लिए सरकार कुल रकम का 90 फीसदी वहन करेगी। उन्होंने इस दौरान हैशटैग आई वियर हैंडलूम की सफलता की भी चर्चा की और कहा कि काफी संख्या में लोगों ने फोटो भारत सरकार के पास भेजा है।
केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राजीव प्रताप रुड़ी ने भी बुनकरों को अपने मंत्रालय से हर तरह की सहायता देने की बात कही। कार्यक्रम के दौरान कपड़ा मंत्रालय ने बुनकरों की सहायता के लिए विभिन्न संस्थानों के साथ पांच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इसमें हथकरघा बुनकरों एवं उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ ओपन  स्कूलिंग एवं इग्नू के साथ और बुनकर सेवा केंद्र के माध्यम से हथकरघा बुनकरों के कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ। अग्रणी फैशन डिजाइनरों को हैंडलूम समुदाय के साथ काम करने और हैंडलूम-हैंडीक्राफ्ट संबंधित संशोधित पाठ्यक्रम निफ्ट में शामिल करने के लिए निफ्ट के साथ, फैशन डिजाइन काउंसिल आॅफ इंडिया सहित आईएमजी के साथ एमओयू भी शामिल है।
ज्ञात हो कि 7 अगस्त को भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई, 2015 की तारीख के राजपत्र (गजट) अधिसूचना के माध्यम से राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में अधिसूचित किया गया था, जिसका उद्देश्य हथकरघा उद्योग के महत्व एवं आमतौर पर देश के सामाजिक आर्थिक योगदान में इसके योगदान के बारे में जागरुकता फैलाना और हथकरघा को बढ़ावा देना, बुनकरों की आय को बढ़ाना और उनके गौरव में वृद्धि करना था। पहला राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पिछले वर्ष मनाया गया था और माननीय प्रधानमंत्री 7 अगस्त, 2015 को चेन्नई में आयोजित प्रमुख समारोह में मुख्य अतिथि थे।

शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

बंधुआ मजदूरी का सफाया जरूरी : बंडारू दत्तात्रेय

नई दिल्ली : श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बंडारू दत्तात्रेय ने कहा है कि मानव सम्मान और स्वतंत्रता हर लोकतांत्रिक समाज का महत्वपूर्ण अंग हैं और बंधुआ मजदूरी को भारतीय समाज से एक निर्धारित समय के अंदर समाप्त करना जरूरी है। इसके लिए प्रत्येक नागरिक को प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि बंधुआ मजदूरी के मुद्दे पर जागरूकता कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है, ताकि बंधुआ मजदूरी के अभिशाप को हमेशा के लिए खत्म किया जा सके। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि मुक्त किए गए बंधुआ मजदूरों, बच्चों और महिलाओं के पुनर्वास के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाई जानी चाहिए। 
बंधुआ मजदूरी उन्मूलन पर वीवी गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान, नोएडा में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए दत्तात्रेय ने कहा कि न्यायपालिका, जीवंत मीडिया और सिविल सोसायटी, जिला प्रशासन, पुलिस और राज्य श्रम विभागों पर दबाव डालने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ताकि बंधुआ मजदूरी करवाने वाले अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई हो और मुक्त किए गए बंधुआ मजदूरों का पुनर्वास संभव हो। उन्होंने कहा कि मुक्त किए गए बंधुआ मजदूरी में संलग्न बच्चों, महिलाओं और वयस्कों को बेहतर शिक्षा, कौशल आदि प्रदान किया जाना चाहिए, ताकि उनका सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण हो सके। उन्होंने कहा की बंधुआ मजदूरी के उन्मूलन के लिए मौजूदा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। बंधुआ मजदूर पुनर्वास, 1978 संबंधी केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना की समीक्षा मई, 2000 में की गई थी तथा आज की चिंताओं तथा चुनौतियों के मद्देनजर इसमें और सुधार की जरूरत महसूस की जा रही है। इसे ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने एक संशोधित योजना तैयार की है और सभी राज्य सरकारों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, संबंधित मंत्रालयों को उनके सुझावों के लिए भेजी गई है। यह संशोधित योजना सुझाव प्राप्त होने के बाद केंद्र सरकार ने 17 मई, 2016 से प्रभावी करने की रजामंदी दे दी है।
इस कार्यशाला में विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के श्रम आयुक्त एवं प्रतिनिधि, केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं सिविल सोसाटी के प्रतिनिधि, अकादमिक क्षेत्रों तथा गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस कार्यशाला का आयोजन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (भारत-केंद्र) के सहयोग से किया जा रहा है। नोबेल पुरस्कार प्राप्त डॉ. कैलाश सत्यार्थी ने उद्घाटन समारोह में प्रमुख वक्तव्य दिया। 
दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला मे मौजूदा नियमों की समीक्षा की जा रही है, जिसमें बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) नियम, 1976 शामिल है। इसके प्रभावशाली कार्यान्वयन के लिए संशोधित बंधुआ मजदूर पुनर्वास योजना, 2016 पर भी चर्चा की जाएगी। कार्यशाला के पहले दिन यानी 4 अगस्त, 2016 को सरकारी अधिकारियों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पुलिस और न्यायपालिका सहित सभी प्रमुख हितधारकों के साथ परामर्श किया जा रहा है। दूसरे दिन 1976 नियमों में संशोधन करने के लिए सुझावों पर चर्चा की जाएगी। मंत्रालय द्वारा तैयार किए जाने वाले संशोधन प्रस्तावों के मसौदे पर भी चर्चा होगी। कार्यशाला में केंद्र और राज्य के आला अधिकारी, विद्वान एवं विशेषज्ञ, मजदूर संघों तथा स्वयंसेवी क्षेत्र के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।

बुधवार, 3 अगस्त 2016

शराबबंदी से समझौता नहीं : नीतीश

पटना : बिहार विधानसभा से शराबबंदी पर नया विधेयक पारित कर दिया गया। नीतीश सरकार के मंत्री जलील मस्तान ने इस विधेयक को सदन में पेश किया, जिसपर पक्ष-विपक्ष में संशोधन को लेकर तीखी बहस हुई। विधानसभा में बहस का जवाब देते हुए सीएम नीतीश कुमार ने एकबार फिर कहा कि मैं बर्बाद हो जाउंगा, नष्ट हो जाउंगा, लेकिन शराबबंदी से पीछे नहीं हटूंगा।
उन्होंने भाजपा की सरकारों पर बिहार में शराब को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। झारखंड की सीमा पर शराब की दुकानें काफी संख्या में खोली जा रही है। इस बात का मैंने दिल्ली में इंटर स्टेट काउंसिल में भी आंकड़ों के साथ विरोध किया। सीएम ने साफ कहा कि विपक्ष कानून में संशोधन का विरोध कर रहा है, लेकिन चार महीनों के अनुभवों के बाद इसमें सुधार किया गया है, जो राज्य के लोगों की हित में हैं।
उन्होंने कहा कि कानून में संशोधन कर इसे और कड़ा बनाया गया है, ताकि पुलिस और अधिकारी मनमानी नहीं कर पाएं। कानून में गलत करने पर पहले अधिकारियोें को तीन महीने का सजा प्रावधान था, अब इसे बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया और जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
सीएम ने कहा कि ताड़ी पर प्रतिबंध जायज है। ताड़ी एक प्रकार का नशा है। विपक्ष के लोग इस पेशे से जुड़े लोगों के हितैषी नहीं है। वे चाहते हैं, इस समाज के लोग जिंदगीं भर ताड़ के पेड़ पर चढ़ते रहें। सरकार समाज के उत्थान के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ताड़ी के बदले नीरा का निर्माण किया जाएगा और फिर इसकी बिक्री की जाएगी। ताड़ के पेड़ से दूसरे उत्पाद बनाकर सामज के लोगों की आमदनी बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
सीएम ने कहा कि शराबबंदी का कुछ लोग विरोध कर रहे हैं, जिसमें शराब माफिया के लोग शामिल हैं। शराबबंदी से समाज और परिवार में खुशहाली आई है। शराबबंदी को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। यह देखा गया है कि घर में शराब मिलने की स्थिति में कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था, लिहाजा कानून में सुधार कर वयस्कोें को जिम्मेदार ठहराया गया है।
सीएम ने कहा कि शराब का उत्पादन सूबे में जारी रहेगा और जब राज्य में इसकी बिक्री नहीं होगी तो वो भी धीरे-धीरे छोड़कर चले जाएंगे।
उधर, भाजपा के नंद किशोर यादव ने विधेयक के सिद्धांत में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि डंडे के जोर पर नशा को दूर नहीं किया जा सकता है। भाजपा शराबबंदी का समर्थन करती है, लेकिन इस कानून में संशोधन स्वीकार नहीं है। नंद किशोर यादव ने सीएम नीतीश पर सीधा हमला किया और कहा कि वो शराबबंदी को राजनीतिक हथकंडे के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं। एकतरफ आप बिहार में शराब बनवा रहे हैं, लेकिन लोगों को पीने से मना कर रहे हैं। आखिर यह कैसा कानून है जिसमें घर में शराब मिलने पर पूरे परिवार के लोगों को जेल जाना होगा। उन्होंने कहा कि शराब मिलने पर अगर घर का मुखिया जिम्मेदार होगा, तो सूबे में शराब मिलने पर जिम्मेदार कौन होगा ?
बहस में हिस्सा लेते हुए बीजेपी विधायक आरएस पांडेय ने सदन में कहा कि विधेयक बिना संशोधन के पास हुआ तो सदन के लिए शर्म की बात है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी एक गौरव की बात है, लेकिन काला कानून लाना ठीक नहीं हैं।

बेतुका फरमान

बिहार में शराबबंदी पर संग्राम छिड़ गया है। नीतीश सरकार ने विधानसभा में एक संशोधन प्रस्ताव पेश किया। इसके मुताबिक, अगर किसी घर में शराब मिली तो परिवार के सभी वयस्क लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी। इसके अलावा गांव शराब बंदी की कार्रवाई का विरोध करता है, तो पूरे गांव पर भी केस किया जा सकता है। साथ ही शराबियों को जिलाबदर या तड़ीपार करने का भी प्रावधान है। शराबबंदी कानून में उम्र कैद तक की सजा हो सकती है। बीजेपी ने इसके खिलाफ सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह प्रदर्शन किया है।
इस बीच केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ताड़ी की अनुमति राज्य में दी गई है और अब नया कानून पारित करके नीतीश मजाक का विषय ना कहीं बन जाएं। वहीं केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि बिहार में शराबबंदी विधेयक में जब पूरे परिवार या गांव को सजा दी जा सकती है, तो राज्य के मुखिया को क्यों नहीं सजा दी जा सकती है।

ताड़ी से हटा प्रतिबंध, सरकार का यू टर्न

शराबबंदी पर बिहार सरकार ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि अब शराबबंदी के तहत ताड़ी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। लालू यादव के दबाव में शायद सरकार ने यह फैसला लिया है। राज्य के उत्पाद और मद्य निषेध मंत्री जलील मस्तान ने कहा है कि ताड़ी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। अपने नये शराबबंदी कानून में ताड़ी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाली नीतीश सरकार ने कहा कि सूबे में ताड़ी फ्री रहेगी।
लालू प्रसाद यादव पहले ही कह चुके थे कि ताड़ी पर प्रतिबंध नहीं लगेगा, जबकि नीतीश कुमार ने अपने नए कानून में ताड़ी को देशी शराब करार दिया था। ऐसे में ताड़ी पीना ही नहीं, बल्कि पेड़ से ताड़ी निकालना और पेड़ में छेद करना तक अपराध हो गया था। इसके लिए 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा तय मुकर्रर की गई थी। महागठबंधन की बैठक में भी लालू ने सरकार से ताड़ी फ्री करने को कहा था।
इसके अलावा, राजद के कई विधायकों ने भी नए कानून को लेकर सरकार की आलोचना बैठक में की। बैठक के बाद उत्पाद मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने यूटर्न लिया। ऐसे में ये माना जा रहा है कि लालू का दबाव काम आ गया है।

बिहार में बाढ़ से 60 मरे

  • 12 जिलों के 68 प्रखंडों की 580 पंचायतों में पानी
  • 2,220 गांवों के 29 लाख की जनसंख्या प्रभावित

पटना : राज्य में महानन्दा, बखरा, कंकई, परमार, कोसी एवं अन्य नदी में आए बाढ़ से राज्य के पूर्णियां, किशनगंज, अररिया, दरभंगा, मधेपुरा, भागलपुर, कटिहार, सहरसा, सुपौल, गोपालगंज, पूर्वी चम्पारण (मोतिहारी) एवं मुजफ्फरपुर जिला बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। नेपाल के तराई क्षेत्रों में भारी वर्षा से उत्तरी बिहार के कुछ जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। बाढ़ आपदा से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया के अनुरूप जिलो द्वारा तैयारी की गई है।
गंगा कहलगांव (भागलपुर) में, घाघरा-दरौली (सिवान) में, गंगपुर-सिसवन (सिवान) में, बागमती-बेनिबाद (मुजफ्फरपुर) में, अधवारा समूह कमतौल (दरभंगा) में, कोसी-बलतारा (खगड़िया) में, महानन्दा-ढंेगरा घाट (पूर्णियां) में तथा झावा (कटिहार) में खतरे के निशान से ऊपर बह रहे हैं।
बाढ़ से अबतक 12 जिलों के 68 प्रखंडों की 580 पंचायतों में 2,220 गांव के 29 लाख जनसंख्या तथा 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल एवं 1.20 लाख हेक्टेयर में लगे फसल रकबा प्रभावित है। बाढ़ से 60 व्यक्ति तथा 2 पशु मृत हुए हैं।
बाढ़ के मद्देनजर सुपौल, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, दरभंगा एवं दीदारगंज, पटना में एनडीआरएफ की एक-एक टीमें रवाना की गई थी। वहीं खगड़िया, सीतामढ़ी, पूर्णियां, भागलपुर, मधुबनी, मधेपुरा में एसडीआरएफ की एक-एक टीम रवाना की गई थी। एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की दो-दो टीमें बिहटा, पटना में सुरक्षित रखी गई थी। बाढ़ग्रस्त अररिया जिले में राहत कार्य हेतु सुपौल जिला से 20 एनडीआरएफ जवानों को भेजा गया है। इसके अतिरिक्त बिहटा, पटना से एनडीआरएफ की एक स्पेशल टीम (40 जवान) भेजी गई है। साथ ही मधेपुरा से भी एसडीआरएफ की एक टीम (20 जवान) अररिया भेजी गई है। साथ ही भोजपुर एवं बक्सर से 25-25 सरकारी देशी नाव भी अररिया भेजे गये हैं।
पूर्णियां जिला में एसडीआरएफ की एक टीम पूर्व से प्रतिनियुक्त है। दरभंगा जिले से एनडीआरएफ की एक टीम (45 जवान), पूर्णियां जिला में राहत एवं बचाव कार्य हेतु भेजा गया है। इसके अतिरिक्त एसडीआरएफ की एक विशेष टीम (65 जवान) बिहटा, पटना से पूर्णियां जिला में राहत एवं बचाव कार्य के लिए भेजी गई है। साथ ही खगड़िया एवं मुजफ्फरपुर जिला से 25-25 सरकारी देशी नाव पूर्णियां जिला को भेजा गया है।
बाढ़ग्रस्त किशनगंज जिले में बचाव एवं राहत कार्य हेतु पूर्णियां किशनगंज जिले से दो इन्फलेटेबल मोटरबोट के साथ एसडीआरएफ के 10 जवानों को एवं खगड़िया जिला से 4 इन्फलेटेबल मोटरबोट के साथ 20 एसडीआरएफ जबानों को भेजा गया है। इसके अतिरिक्त दरभंगा जिला से एनडीआरएफ के 20 जवानों को किशनगंज जिला भेजा गया है। साथ ही दरभंगा एवं लखीसराय जिले से 50 सरकारी देशी नाव भी भेजा गया है। एसडीआरएफ की एक टीम (20 जवान) मधुबनी से कटिहार भेजी गयी है।
सीतामढ़ी जिला से आधी टीम (20 जवान) पूर्वी चम्पारण (मोतिहारी) भेजी गई है। मोतिहारी मुजफ्फरपुर से एनडीआरएफ की एक टीम (12 जवान) प0 चम्पारण (बेतिया) जिला में भेजा गया है। बिहटा (पटना) एवं दीदारगंज (पटना) से एनडीआरएफ की 1-1 टीम गोपालगंज भेजी गई है।