COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

बेघर होने का डर सता रहा बिन्दटोली के लोगों को

 न्यूज@ई-मेल 

पटना : पश्चिमी पटना स्थित दीघा बिन्दटोली में आवासीय व खेतिहर भूमिहीनों की अच्छी संख्या है। गंगा किनारे का है यह क्षेत्र। पिछले कई दशक से ये यहां रह रहे हैं। झोपड़पट्टी में रहते हैं। मोटा अनाज खाते हैं। खेतिहर भूमिहीन होने के कारण बटाईदारी पर खेत लेकर खेती करते हैं। पटना और छपरा दिराया में जाकर खेती करते हैं। पूर्व मध्य रेल द्वारा दीघा से सोनपुर तक रेल-सह-सड़क पुल का निर्माण हो रहा है। इससे यहां के लोगों में बेचैनी है। हालांकि, सरकार यह साफ कर चुकी है कि इन पिछड़ी जाति के लोगों को विस्थापन के पूर्व पुनर्वास कर दिया जाएगा। अब इस दिशा में कदम नहीं उठये जाने से लोगों में आक्रोश है। 
बिन्दटोली में बिन्द जाति के लोग रहते हैं। गंगा और सोन नदी से यहां कटाव काफी हुआ है। जो कुछ बचा, उसका कसर ईंट मालिकों द्वारा निकाल दिया गया। अब ईंट भट्टे पर लगे प्रतिबंध के बाद रेल-सह-सड़क पुल निर्माण का रोड़ा सामने आ गया है। पूर्व मध्य रेल द्वारा बिन्दटोली छोड़कर हटने की नोटिस दी जा चुकी है। पर लोग पुनर्वास की मांग को लेकर डटे हैं। बेघर होने का डर इन्हें सताये हुए है।
प्रारंभ में समाज सेवक आकर बच्चों को पढ़ाते थे। पढ़ाने वाले को रहने के लिए झोपड़ी और खाने को रोटी मिल जाती थी। रामधीरज महतो कहते हैं कि काफी मेहनत के बाद प्राथमिक मध्य विद्यालय, उप स्वास्थ्य केन्द्र और आंगनबाड़ी केन्द्र खोला जा सका है। इससे पहले किसी विदेशी संस्था द्वारा विद्यालय चलाया जाता था। उसका प्रयास था कि सभी लोगों को धर्म परिवर्तन करा दे। मगर कामयाबी नहीं मिली और वे चलता बनें। अभी कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पिटल की प्रशिक्षु नर्सेंज आती हैं। इनका फिल्ड वर्क होता है। 

तीन साल बाद विक्की जीवित लौट आया ! 

कटिहार : कोई तीन साल पहले विक्की को सांप ने डंसा था। उसके परिजनों ने काफी झारफूंक करवाया। ओझाओं ने मंतर फूंके। लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ। अंततः ओझाओं के कहने पर विक्की के परिजनों ने उसे केले के पत्ते में बांधकर उसे मरा समझ नदी में प्रवाहित कर दिया। अब तीन साल बाद वह जीवित लौट आया है। विक्की के जीवित लौट आने पर उसके परिवार के लोग खुश हैं।

भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार की मांग

पटना : राजनीतिक दलों व जन संगठनों ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश, 2014 का विरोध किया है। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक सिसिल साह ने कहा है कि यूपीए सरकार ने भू-धारकों के हितों का ख्याल किया था। भूमि अधिग्रहण कानून की आत्मा को ही एनडीए सरकार ने मार डाला है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी की सरकार ने भूमि मालिकों का सर्वनाश करने और औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए ही भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाया है। इस संबंध में लोगों को जागरूक कर व्यापक जन आवाज तैयार करेंगे। यह बिहार विधान सभा चुनाव को प्रभावित करेगा। उन्होंने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में आवश्यक सुधार की मांग की है।
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