COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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बुधवार, 29 जून 2016

बिहारी किसानों के लिए वेब आधारित ऐप सीएमआरएस प्रारंभ

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने बिहार के किसानों के लिए बेहतर फसल और पोषक तत्व प्रबंधन हेतु एक वेब आधारित ऐप  चावल आधारित प्रणाली के लिए फसल प्रबंधक (सीएमआरएस) को पटना के आईसीएआर-आरसीईआर में आयोजित कार्यक्रम में प्रारंभ किया।
इस ऐप को शुरू करते हुए केंद्रीय मंत्री ने इस ऐप के विकास में शामिल संस्थानों के वैज्ञानिकों को बधाई दी। यह ऐप प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का ही हिस्सा होगा और इसे ग्रामीण भारत के लिए नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग में लाने के लिए मृदा स्वास्थ्य योजना के साथ जोड़ा जाएगा।
‘चावल आधारित प्रणाली के लिए फसल प्रबंधक (सीएमआरएस)’ एक वेब आधारित ऐप है, जिसका उपयोग कम्प्यूटर, मोबाइल और टैबलेट के जरिए किया जा सकता है और जिसका उद्देश्य किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि करना तथा बिहार में चावल आधारित फसल प्रणाली के उत्पादकता को बनाए रखने के लिए इसे प्रारंभ किया गया है।  

5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन 

नई दिल्ली : केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने पटना में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए आईसीएआर के अनुसंधान परिसर में ‘ग्रामीण महिलाओं की आजीविका की स्थिति में सुधार लाने के लिए रंगीन या सजावटी मछलियों का पालन एवं प्रबंधन’ विषय पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि सजावटी या रंगीन मछली पालन के प्रशिक्षण के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण करने हेतु पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए आईसीएआर के अनुसंधान परिसर में हाल ही में रंगीन या सजावटी मछलियों के पालन एवं प्रबंधन के संबंध में एक प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की गई है। 
श्री सिंह ने कहा कि राज्य की मछुआरिनों और अन्य महिलाओं की आजीविका की स्थिति में सुधार लाने से संबंधित सजावटी या रंगीन मछली पालन कार्यक्रम कोई प्रभाव नहीं छोड़ सका। यह योजना वर्ष 2010 में बनाई गई थी और इसे वर्ष 2011-12 से लेकर पांच वर्ष तक कार्यान्वित किया जाना था, हालांकि यह योजना अबतक प्रारंभ नहीं हुई। इस कार्यक्रम का लक्ष्य स्वरोजगार के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है और इसके लिए एक इकाई की स्थापना के लिए प्रति महिला 1.0 लाख रूपये मुहैया कराने का फैसला किया गया है। यह निर्णय किया गया कि यह वित्तीय सहायता राष्ट्रीय मत्स्य पालन विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी और 50,000 रूपये की राशि अर्थात कुल लागत का 50 प्रतिशत प्रत्येक प्रशिक्षित महिला को दिया जाएगा। लेकिन, इस कार्यक्रम के लागू ना होने की वजह से राज्य एनएफडीबी द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली वित्तीय सहायता से वंचित रह गया। अब केन्द्र सरकार ने पटना में सजावटी या रंगीन मछलियों के पालन और प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की है, जो बिहार के किसानों को राज्य के भीतर ही प्रशिक्षण पाने में सहायता प्रदान करेगा।

‘शराब व मादक पदार्थ का सेवन भारत सहित पूरी दुनिया के लिए तबाही का कारण’

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 26 जून को नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय मादक प्रदार्थ दुरुपयोग एवं अवैध व्यापार विरोधी दिवस के अवसर पर शराब और मादक द्रव्यों (ड्रग्स) की रोकथाम के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रस्तुत प्रदान किये। इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने शराब और मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कार प्राप्त लोगों से जागरुक बने रहने और खतरों से सतर्क रहते हुए अपने प्रयासों को जारी रखने की बात कही। राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों बुरी आदतें देश और दुनिया के सामाजिक जीवन में तबाही का कारण है। राष्ट्रपति ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की इस पहल की सरहाना करते हुए कहा कि मंत्रालय को नागरिक समाज की आवश्यकता पर गौर करते रहना होगा और साथ ही गैर सरकारी संगठनों को समाज से इन बुराइयों को खत्म करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा। 
राष्ट्रपति ने कहा कि कई अध्ययनों से पता चलता है कि आतंकवाद, तस्करी और मादक द्रव्यों की गतिविधियों का आपसी संबंध होता है। जबतक इन संबंधों को तोड़ा नहीं जाता, इन तीनों बुराइयों से निपटना काफी कठिन होगा। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री विजय सांपला और कृष्ण पाल गुर्जर शामिल थे।

कुपोषण से निपटने को कार्यशाला

नई दिल्ली : नीति आयोग ने राजधानी में कुपोषण पर हाल ही में जारी आंकड़ों के आधार पर एक मजबूत पोषण रणनीति विकसित करने के लिए परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया। शीर्षक ‘भारत में कुपोषण: कार्रवाई के लिए निर्देश’ के तहत सारे हितधारकों - केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों, प्रमुख विभागों के मुख्य सचिवों और एम्स के स्वतंत्र विशेषज्ञों, राष्ट्रीय पोषण संस्थान इत्यादि को एक जगह लाने के उद्देश्य से किया गया था और जिसमें महत्वपूर्ण मुद्दों तथा विचारों को एकसाथ रखा गया। 
बैठक की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय के साथ सीईओ अमिताभ कांत और स्वास्थ्य सलाहकार आलोक कुमार ने किया। इस परामर्श में प्रख्यात प्रतिभागियों टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष, रतन टाटा और कर्नाटक पोषण मिशन की सलाहकार मिस वीणा राव ने भी भाग लिया।

शुक्रवार, 24 जून 2016

पटना में 4 लेन महात्मा गांधी सेतु का पुनर्निर्माण

  • 1742.01 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बिहार के पटना में एनएच-19 पर गंगा नदी के ऊपर 5.575 किलोमीटर लंबे चार लेन वाले महात्मा गांधी सेतु के पुनर्निर्माण संबंधी परियोजना को मंजूरी दे दी। नये निर्माण के लिए पुल के इस क्षतिग्रस्त ढांचे को ढहाया जाएगा और उसके बाद स्टील ट्रस के साथ इसकी री-डैकिंग की जाएगी। यह परियोजना इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण (ईपीसी) मोड में होगी। इसपर 1742.01 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। 
यह परियोजना पटना-हाजीपुर क्षेत्र को कवर करते हुए उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ेगी। यह परियोजना यातायात, विशेषकर उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच चलने वाले भारी यातायात के समय और लागत में कमी लाने के अलावा राज्य में बुनियादी ढांचे में सुधार की प्रक्रिया में तेजी लाएगी। महात्मा गांधी सेतु के पुनर्निर्माण से राज्य के इस क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक स्थिति के उत्थान में भी मदद मिलेगी। 
ज्ञात हो कि पटना में गंगा नदी के ऊपर चार लेन वाले महात्मा गांधी सेतु का निर्माण 1980 के दशक में बिहार की राज्य सरकार ने किया था। बदहाल हालत में पहुंच चुका यह पुल उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी है और कई आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक गतिविधियों का मार्ग भी है। नेपाल और भूटान का कारोबार भी इसी संपर्क के माध्यम से होता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पिछले 15 वर्षों से इस पुल के पुनर्निर्माण के प्रयास कर रहा है, लेकिन उसके प्रयास सफल नहीं हो सके हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा काफी अध्ययन किए जाने बाद अब यह तय किया गया कि इस पुल की मौजूदा संरचना को ढहाया जाए और उसके बाद स्टील ट्रस के साथ इसकी री-डैकिंग की जाए। तदनुसार, पटना में महात्मा गांधी सेतु की संरचना के पुनर्निर्माण के लिए विस्तृत प्राक्कलन तैयार किया गया।

गुरुवार, 23 जून 2016

‘संभावित बाढ़ व सुखाड़ को तैयार रहें’

पटना : संभावित बाढ़/सुखाड़ 2016 से मुकाबले के लिए पूरी तैयारी रहनी चाहिये। उक्त बातें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संभावित बाढ़/सुखाड़ 2016 के तैयारियों से संबंधित समीक्षात्मक बैठक के दौरान कहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बाढ़ से निपटने की तैयारियों पर विस्तृत चर्चा की गयी। विभिन्न विभागों द्वारा इस संदर्भ में की गयी कार्रवाई की जानकारी दी गयी। साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा विस्तृत रूप से पूर्ण जानकारी दी गयी है। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा हर आपदा से निपटने के लिये एसओपी का निर्माण किया जा रहा है। बाढ़ एवं सुखाड़ की स्थिति से निपटने के लिये एसओपी आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बनाया जा चुका है, जो सभी को उपलब्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि माॅनसून के फ्लैक्चुएशन से बाढ़़ या सुखाड़ की स्थिति बन सकती है। हमें दोनों परिस्थितियों का सामना करने के लिये तैयार रहना चाहिये। उन्होंने कहा कि नदियों के सिलटेशन खासकर गंगा नदी के कारण इससे सटे क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आईएमडी द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, अच्छी वर्षा होने की उम्मीद है। मैं सभी से यही कहूंगा कि आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा निर्धारित एसओपी के अनुसार, सारी तैयारियां करके रखें तथा मानसिक रूप से इसके लिये तैयार रहें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार आपदा से निपटने के लिए हमेशा तत्पर है। 
उन्होंने कहा कि 2007 में बाढ़ से काफी लोग प्रभावित हुये थे तथा उन्हें सरकार द्वारा ससमय सहायता उपलब्ध करायी गयी थी तथा सरकार द्वारा सहायता कार्य चलाये गये थे। वर्ष 2008 में कोसी त्रासदी के दौरान भी सरकार द्वारा विस्तृत एवं अच्छी सहायता कार्य की गयी थी। आज की तिथि में कोई भी कार्य करने के लिए किसी प्रकार का कनफ्यूजन नहीं है, सभी के लिए मापदण्ड बनाये गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारी आवश्यक सामग्रियों को खरीद लें तथा उनका पहले से ही भंडारण करके रखें। एक-एक चीज को आप अच्छी तरह देख लें। दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रहें। जिलास्तर पर आपदा प्रबंधन के मामले में सभी जिलाधिकारियों को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत विशेष अधिकार प्राप्त है। उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारी अपने स्तर पर संबंधित विभागों के साथ बैठक करके सभी तैयारी पूर्व में करना सुनिश्चित करें। उन्होंने सभी जिलाधिकारी को प्रखण्ड स्तर से वर्षापात के आंकड़ों को प्राप्त कर मुख्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि आप सभी सचेत रहें तथा बाढ़/सुखाड़ के लिए बनाये गये एसओपी का अच्छी तरह अध्ययन कर लें।
उक्त समीक्षात्मक बैठक में सभी जिलों के जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं अन्य अधिकारी विडियो काॅफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे। उक्त बैठक में प्रधान सचिव आपदा प्रबंधन ब्यासजी द्वारा आपदा प्रबंधन विभाग की तैयारियों से संबंधित विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया गया, जिसमें भारत मानसून विज्ञान द्वारा की गयी मानसून वर्षा 2016 का पूर्वानुमान, रिवर बेसिन से संबंधित जानकारी, बाढ़ पूर्व तैयारी, संसाधन मानचित्र, कम्युनिकेशन प्लान आदि बिन्दुओं पर विस्तृत प्रस्तुतिकरण दी गयी तथा चर्चा की गयी। इसके अलावा जल संसाधन विभाग द्वारा विभिन्न नदियों के तटबंध की सुरक्षा के लिए की गयी कार्रवाई से संबंधित प्रस्तुतिकरण दिया गया। आईएमडी द्वारा मानसून से संबंधित जानकारी की प्रस्तुतीकरण दी गयी। कृषि विभाग द्वारा आकस्मिक फसल योजना एवं अन्य कृषि के मुद्दे पर प्रस्तुतिकरण दी गयी। इसके अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, नागरिक सुरक्षा, पथ निर्माण विभाग द्वारा भी मुख्यमंत्री के समक्ष की गयी तैयारियों से संबंधित प्रस्तुतिकरण दिया गया।
उक्त समीक्षात्मक बैठक में आपदा प्रबंधन मंत्री चन्द्रशेखर, उपाध्यक्ष बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, सदस्य बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश, प्रधान सचिव गृह आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चन्द्रा, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा सहित सभी संबंधित विभागों के प्रधान सचिव, सचिव एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

शनिवार, 18 जून 2016

2017 तक 18452 गांवों में बिजली

 संक्षिप्त खबरें 
  • राज्यों के बिजली मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक गोवा में संपन्न 
  • उपभोक्ताओं की बिजली संबंधी शिकायतें दर्ज करने को नम्बर ‘1921’ शुरू

नई दिल्ली : केंद्रीय विद्युत, कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सभी राज्यों ने अपने यहां मार्च, 2019 तक या उससे पहले सभी को चैबीस घंटे बिजली मुहैया कराने का संकल्प व्यक्त किया है। यही नहीं, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों को छोड़ सभी राज्यों ने 31 दिसंबर, 2016 तक उन सभी बाकी गांवों में बिजली पहुंचाने का भी संकल्प व्यक्त किया है, जहां यह अभी उपलब्ध नहीं है। सभी राज्य इस कार्य के लिए अगले 30 दिनों में ठेके दे देंगे। राज्यों के विद्युत मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में इस आशय की घोषणा करते हुए गोयल ने कहा कि राज्यों ने 1 मई, 2017 तक एक मिशन के रूप में देश भर में फैले 18452 गांवों के सभी घरों में 100 प्रतिशत बिजली मुहैया कराने पर भी सहमति जता दी है। 
सम्मेलन में भाग लेने वाले राज्यों ने यह सुनिश्चित करने का भी संकल्प व्यक्त किया कि ‘उदय’ से जुड़े सहमति पत्र (एमओयू) में उल्लिखित परिचालनात्मक एवं वित्तीय लक्ष्यों का परिपालन कर दिया जाएगा। अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में सभी राज्यों ने अब से केवल स्मार्ट मीटर ही खरीदने का संकल्प व्यक्त किया है, जिनमें कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है और जो संचार सक्षम होते हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि केंद्रीय खरीद के परिणामस्वरूप इन स्मार्ट मीटरों की लागत को 60 फीसदी घटाकर 3223 रुपये के स्तर पर ला दिया गया है, जबकि पहले लागत 8000 रुपये बैठती थी। यही नहीं, देश भर में 25 करोड़ उपभोक्ताओं के लिए भविष्य में केवल ऐसे ही मीटर हासिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 
उन्होंने यह भी घोषणा की कि देश भर में उपभोक्ताओं की बिजली संबंधी शिकायतें दर्ज करने के लिए चार अंकों वाला नम्बर ‘1921’ शुरू किया गया है। दो दिवसीय बैठक के निष्कर्षों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों के दौरान हुए विचार-विमर्श सफल एवं सार्थक रहे और सभी ने सहकारी एवं सहयोगात्मक तरीके से गरीबों और किसानों की सेवा में काम किया, जो हमारे लोकतंत्र की ताकत को दर्शाता है। गोयल ने कहा कि इस बैठक से यह धारणा निराधार साबित हुई कि विभिन्न राजनीतिक हितों के कारण उद्देश्य में समानता सुनिश्चित नहीं की जा सकती। इस बैठक के दौरान पनबिजली नीति पर भी चर्चा हुई और अटकी पड़ी छोटी (25 मेगावाट या उससे कम) पनबिजली परियोजनाओं पर राज्यों के सहयोग से काम पुनः शुरू करने के तरीके ढूंढ़ने पर जोर दिया गया, ताकि पनबिजली क्षेत्र को नई गति प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक समिति गठित की गई है, जो 30 सितंबर, 2016 तक अपनी सिफारिशें पेश कर देगी। 

भारत अब भी पोलियो मुक्त देश

नई दिल्ली : भारत अभी भी पोलियो मुक्त देश बना हुआ है, क्योंकि देश से वाइल्ड पोलियो वायरस का उन्मूलन कर दिया गया है और इसका अंतिम मामला 13 जनवरी, 2011 को पाया गया था तथा 5 वर्ष से अधिक समय से वाइल्ड पोलियो वायरस के किसी भी नए मामले का पता नहीं चला है। 
मीडिया में कुछ रिपोर्टें आईं कि 5 वर्ष में पहली बार भारत में पोलियो वायरस (पी2 स्ट्रेन) पुनः पाया गया है, तथापि यह सही नहीं है, क्योंकि पाया गया पोलियो वायरस स्ट्रेन टीके से व्युत्पन्न पोलियो वायरस (वीडीपीवी) है, जिसे सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन के निकट सीवेज सैम्पल से एकत्र किया गया है, तथापि आसपास के क्षेत्रों में किसी भी बच्चे को वीडीपीवी से प्रभावित नहीं पाया गया है। देश में वाइल्ड पोलियो वायरस टाइप-2 का अंतिम मामला 17 वर्ष पूर्व 1999 में रिपोर्ट किया गया था। टीके से व्युत्पन्न पोलियो वायरस (वीपीडीवी) के पाए जाने से देश की पोलियो मुक्त स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा। यह सिर्फ देश की निगरानी प्रणाली की दृढ़ता और उसकी इच्छाशक्ति को दर्शाता है जो कि आसपास के वातावरण (सीवेज) में भी पोलियो वायरस के पाए जाने के प्रति सतर्क रहता है। टीके से व्युत्पन्न पोलियो वायरस, पोलियो वायरस के दुर्लभ स्ट्रेन हैं जो कि ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) में निहित स्ट्रेन से अनुवांशिक रूप से परिवर्तित हुए हैं। 
क्षेत्र में हाल में कराए गए नमूना सर्वेक्षण के अनुसार 94 बच्चों ने ओपीवी की कम-से-कम 3 खुराक प्राप्त की थीं। अतः संबंधित क्षेत्र में इसके हस्तांतरित होने की संभावना कम है। तथापि, पोलियो के खिलाफ एहतियाती उपाय के तौर पर हैदराबाद और रंगारेड्डी जिलों के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों को कवर करते हुए 20 जून से एक विशेष प्रतिरक्षण अभियान का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें इनएक्टिवेटिड पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) के जरिए पोलियो से लगभग 3,00,000 बच्चों को सुरक्षित किया जाएगा। विशेष प्रतिरक्षण अभियान यह सुनिश्चित करेगा कि उच्च जोखिम क्षेत्र में रहने वाले सभी बच्चों को पोलियो से सुरक्षा प्रदान की जाए। 

84.21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई 

नई दिल्ली : खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई पर आरंभिक रिपोर्ट आनी शुरू हो गई हैं। राज्यों से मिली रिपोर्टों के मुताबिक, 17 जून को कुल बुवाई क्षेत्र 84.21 लाख हेक्टेयर आंका गया, जबकि पिछले साल इस समय यह आंकड़ा 93.63 लाख हेक्टेयर था। यह जानकारी दी गई है कि 9.17 लाख हेक्टेयर में धान, 3.32 लाख हेक्टेयर में दलहन, 6.01 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाज, 1.88 लाख हेक्टेयर में तिलहन, 44.38 लाख हेक्टेयर में गन्ना और 12.25 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई व प्रतिरोपण हुआ है।

बुधवार, 15 जून 2016

जल संरक्षण और कृषि के विविधीकरण पर जोर

 संक्षिप्त खबर 
नई दिल्ली : सड़क परिवहन और राजमार्ग एवं शिपिंग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में किसानों की खराब आर्थिक स्थिति के लिए पानी की भारी कमी और खेती एवं अन्य संबंधित गतिविधियों में नवाचार तथा विविधीकरण का अभाव मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। श्री गडकरी नई दिल्ली में ‘किसानों को कर्ज के जाल से मुक्तिदिलाना: भारत में नीतिगत सुधारों की चुनौतियां’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे। 
श्री गडकरी ने कहा कि देश में सिंचाई से जुड़ा बुनियादी ढांचा निहायत ही अपर्याप्त है। वैसे तो उन्होंने सुस्त पड़े 89 एआईबीपी (त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम) और अन्य सिंचाई योजनाओं के लिए ज्यादा धनराशि दिए जाने का स्वागत किया, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर हम अपने पास उपलब्ध जल का संरक्षण एवं उपयोग करना सीख लें, तो काफी हद तक पानी की समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। इस संबंध में उन्होंने नदियों और धाराओं के तलछट को बनाए रखने के लिए मिट्टीरोधी बांधों (चेक डैम) का निर्माण करने की जरूरत पर विशेष बल दिया। उन्होंने राज्य सरकारों का आह्वान किया कि वे सिंचाई के लिए अपने धन आवंटन में वृद्धि करें और इसके साथ ही उन्होंने मध्य प्रदेश का उदाहरण दिया, जहां सिंचाई खर्च में की गई बढ़ोतरी की बदौलत उत्पादकता भी बढ़ गई है। 
जल संरक्षण का उल्लेख करते हुए श्री गडकरी ने यह भी कहा कि गंगा नदी पर जल मार्ग विकास परियोजना और हाल ही में घोषित 111 अन्य राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास से जल सतह को ऊपर उठाने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने में काफी मदद मिलेगी। 
मंत्री महोदय ने कृषि के विविधीकरण और कृषि आधारित उद्योगों जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन, बांस आधारित उद्योगों इत्यादि में नवाचार की आवश्यकता पर भी विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि अपशिष्ट सहित स्थानीय रूप से उपलब्ध उत्पादों का सबसे अच्छा उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अभिनव प्रौद्योगिकी लाने हेतु अनुसंधान से जुड़े प्रयास किए जाने चाहिए। इस संबंध में उन्होंने मानव बाल से अमीनो एसिड उर्वरकों और कृषि एवं नगर निगम के कचरे से दूसरी पीढ़ी के एथनॉल के उत्पादन का उदाहरण दिया। मंत्री ने बताया कि हरित राजमार्ग कार्यक्रम से भी गांवों में रहने वाले युवाओं के लिए रोजगार उत्पन्न होंगे और इसके साथ ही उनकी वित्तीय स्थिति सुधारने में भी मदद मिलेगी।

पोत ‘महादेई’ पोर्ट लुई, मारीशस की यात्रा पर

नई दिल्ली : भारतीय नौसेना का जहाज आईएनएसवी महादेई पहली सभी महिला चालक दलों को लेकर पोर्ट लुई, मॉरीशस पहुंचा। नौसेना के प्रसिद्ध नौकायन पोत महादेई अपने घरेलू बंदरगाह गोवा से 24 मई, 2016 को महिला चालक दलों के साथ पहली ऐतिहासिक खुले सागर की यात्रा पर रवाना हुआ था। लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी, जो एक नेवल आर्किटेक हैं, महादेई की पहली महिला कप्तान हैं। इस पोत के चालक दल में लेफ्टिनेंट पी स्वाति, लेफ्टिनेंट प्रतिभा जामवाल (एयर ट्रैफिक कंट्रोल विशेषज्ञ), लेफ्टिनेंट विजया देवी, सब- लेफ्टिनेंट पायल गुप्ता (दोनों शिक्षा अधिकारी) और लेफ्टिनेंट ऐश्वर्या (नेवल आर्किटेक) हैं। 
इस जहाज ने 2100 नौटिकल माइल की समुद्री यात्रा दक्षिण-पश्चिम मानसून की मार झेलते 20 दिनों में पूरा किया गया था। इस समुद्री यात्रा का समय इस तरह तय किया गया था कि उन्हें 2017 में, जो विश्व भ्रमण करना है, उसके बारे में अच्छे ढंग से परिचित हो जायें। गोवा से मॉरीशस तक महादेई 35 केटीएस की रफ्तार से आती हवाओं का, 5 तक समुद्री राज्यों और 5 मीटर तक लहरों का उभार सहते हुए गोवा से मॉरीशस पहुंचा। इस यात्रा से प्रशिक्षण के उद्देश्यों को पूरा किया गया। इस कठोर यात्रा के माध्यम से इन नौसैनिकों को उनके सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण के धरातल पर खरा उतरने का एक अवसर भी मिला।
महादेई का स्वागत मॉरीशस के तट रक्षक पोत रिट्ईवर द्वारा पोर्ट लुईस बंदरगाह पर किया गया और उसे फिर सही जगह पर ले जाया गया। इसके साथ ही, महादेई की आगवानी वहां भारत के कार्यवाहक उच्चायुक्त, राष्ट्रीय तटरक्षक बल के कमांडेंट सहित भारतीय उच्चायोग के अन्य अधिकारियों और उनके परिजनों ने किया। मॉरीशस के दस महिला पुलिस अधिकारियों ने बंदरगाह से 10 मील की दूरी पर आगवानी की और उस फिर अपने दल द्वारा ही पोर्ट के लिए रवाना हुए। अपने प्रवास के दौरान चालक दल मॉरीशस के राष्ट्रपति, लैंगिक समानता एवं बाल विकास मंत्री, मॉरीशस सरकार के अन्य गणमान्य लोगों से मुलाकात करेंगे। यह पोत दर्शकों और स्कूली बच्चों के लिए भी उपलब्ध रहेगा। महादेई पर कुछ चयनित समूहों के लिए पोर्ट लुई में छुट्टी बिताने के लिए रहेगा। 
यह पोत 24 जून 2016 को पोर्ट लुई से गोवा के लिए वापस आयेगा। महादेई के जुलाई के पहले सप्ताह में गोवा पहुंचने की संभावना है।

शुक्रवार, 3 जून 2016

गंगाराम की लॉटरी

 मजाक डॉट कॉम 
राजीव मणि
पचास वर्षीय गंगाराम देहात के एक भोला-भाला किसान हैं। कभी स्कूल नहीं गये हैं। किसी तरह हिन्दी में अपना नाम जरूर लिख लेते हैं। सगुनिया देवी उनकी इकलौती पत्नी है। अपनी पत्नी से वे बहुत प्यार करते हैं। कम उम्र में ही दोनों की शादी हो गयी थी। तबसे आजतक वे अपनी पत्नी को छोड़कर कहीं गांव से बाहर नहीं गये। हां, पूरी जिन्दगी में वे 3-4 बार शहर जा चुके हैं। लेकिन, पत्नी भी साथ हो ली थी। कुल ग्यारह बच्चे हैं इनके ! पूछने पर कहते हैं कि अपने हाथ में क्या है जी। सब प्रभु की माया है। चार बच्चे तो वे खुद ही चाहते थे। बाकी के ‘गलती से’ आ गये। खैर, भरा-पूरा परिवार है इनका। भगवान की दया से किसी चीज की कोई कमी नहीं है।
पिछले साल वे अपनी पत्नी के साथ शहर गये थे। कुछ खरीदारी करनी थी। कुछ सामान खरीदकर घर लाये थे। उसके साथ ही एक लकी कूपन मिला था। दुकानदार ने बताया था कि अगर उनकी लॉटरी निकलेगी, तो पूरे परिवार के साथ एक सप्ताह के लिए विदेश जाने का मौका मिलेगा। हवाई जहाज से जाना-आना और रहना-खाना फ्री। फिर भी गंगाराम ने इसपर ध्यान नहीं दिया था। वे जानते थे कि आजकल फ्री में तो माटी भी नहीं मिलती। सो उन्होंने लकी कूपन अपनी पत्नी को दे दिया था, बेकार समझकर। और पत्नी ने उसे यूं ही ताखा पर रख छोड़ा था। दिन गुजरते गये ..... और एकदिन अचानक उन्हें फोन आया कि आपकी लॉटरी निकल गयी है। आप लकी कूपन के पहले विजेता हैं। 
पहले तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। दोनों मरद-मेहरारू उस शहर की दुकान पर जा पहुंचे, पता करने। दुकानदार ने बताया कि सही में आपको लॉटरी लगी है। एक सप्ताह बाद आप सभी को जाना है विदेश। हम सब प्रबंध किये देते हैं। और इसी घटना का असर है कि गंगाराम आज सपरिवार हवाई जहाज में हैं। 
गंगाराम अपने परिवार के साथ हवाई जहाज में बैठ गये। यहां सबकुछ नया-नया लग रहा है। सभी यात्री बैठ चुके हैं। पूरा परिवार अचंभित है, कहां आ गये हैं। ..... और कुछ देर बाद ही हवाई जहाज रन-वे पर दौड़कर हवा में तैरने लगता है। इस रोमांच पर सभी बच्चे हंस पड़ते हैं। सगुनिया के मुंह से निकल पड़ता है - ‘‘बाप रे बाप ! बैलगाड़ी जइसन हिलोड़े लेता है।’’ बगल में बैठे गंगाराम अपनी पत्नी को चुप रहने का इशारा करते हैं। फिर इधर-उधर देखने लगते हैं। तभी कुछ सुन्दरियां वहां आ जाती हैं। एकदम परी जैसी ! गोरी-गोरी टांगे दिख रही हैं। ऊपर लड़कों जैसा कपड़ा पहने है। दुपट्टा भी नहीं ! गंगाराम एकदम से उसे देखने लगते हैं। पत्नी केहुनियाती है। फिर भी वे ध्यान नहीं देते। इतने में वह सुन्दरी पास आ जाती है। ‘‘सर, कोई परेशानी है आपको ?’’ गंगाराम के मुंह से कुछ नहीं निकला। फिर पूछती है, ‘‘चाकलेट लेंगे सर ?’’
‘‘पैसे लेकर बेचती हो क्या ?’’ गंगाराम ने मासूमियत से पूछ लिया।
‘‘नहीं सर, हवाई जहाज में खाने-पीने की चीजों के पैसे नहीं लगते। आप कुछ लेना चाहेंगे ?’’ 
गंगाराम थोड़ा नॉर्मल होते हुए बोले, ‘‘अगर ऐसी बात है, तो हमलोगों को लिट्टी-चोखा खिला दो। गोइठा पर का सेका हुआ।’’ 
‘‘सॉरी सर, हवाई जहाज में गोइठा जलाना मना है। अतः खेद है कि मैं आपको लिट्टी-चोखा नहीं खिला सकती।’’
‘‘अइसन बात है, तो तंदूरी रोटी गरमागरम दे दो। साथ में प्याज की भुजिया और एक लोटा ताड़ी। अब तो मिलेगा न ! ज्यादा महंगा नहीं है।’’ 
‘‘सर, इस हवाई जहाज में तंदूर भी नहीं है और न ही ताड़ी।’’ 
यह सुनते ही गंगाराम भड़क गये। ‘‘तब काहे को पूछ रही हो कि क्या चाहिए। कुछ तो है ही नहीं।’’ 
आज पहली बार परिचारिका को किसी ऐसे शख्स से पाला पड़ा था। वह गंगाराम की बात सुनकर अंदर-ही-अंदर झल्लाई भी थी। लेकिन सहज होते हुए पूछ बैठी - ‘‘सर, आप कॉफी लेंगे ?’’ 
‘‘अरे काफी नहीं थोड़ा ही दे दो। बकरी का दूध तो होगा ही ? काफी फायदेमंद चीज है। मेरी अम्मा हमको बचपन से ही पिलाती रही है।’’
‘‘सॉरी सर’’ इसके आगे वह कुछ बोल न सकी। अब गंगाराम को सचमुच गुस्सा आ गया था। मन-ही-मन शायद सोच रहे थे कि हमलोगों को देहाती समझकर मजाक करने आ गयी है। यह ख्याल आते ही बोल पड़े, ‘‘तब जाओ यहां से, हमलोग कुछ नहीं खायेंगे। आज उपवास ही रहेगा। लेकिन जाते-जाते इ तो बता दो कि रात में ठंड लगी, तो यहां बोरसी मिल सकती है या इ भी नहीं है।’’ 
परिचारिका कुछ नहीं बोली। चुपचाप चली गयी। उसके जाने के बाद सगुनिया गंगाराम को समझाने लगी, ‘‘अब इहां भी बकलोली करने लगे। बेचारी कितना अच्छा से पूछ रही थी। खाने को रोटी-सब्जी ही मांग लेते। लेकिन नवाबी करने लगे। अब तोहरे चक्कर में सभे भूखे रह जायेंगे।’’ 
गंगाराम कुछ नहीं बोले। मुंह फेरकर आंखें बंद कर ली। और जब आंखें खुली, तो खुद को विदेशी धरती पर पाया। वहां हवाईअड्डा से बाहर निकलते ही होटल वाले उन्हें मिल गये। यहीं उनकी बुकिंग कंपनी ने करा रखी थी। खैरियत यह थी कि होटल की तरफ से जो आदमी उन्हें लेने के लिए भेजा गया, वह भी भारतीय था। वहां पैसे कमाने की गरज से पहुंचा था। गंगाराम विदेशी धरती पर अपने मुल्क के आदमी को पाकर काफी खुश हुए। और फिर बातों-बातों में पूरी यात्रा की बात कह सुनायी। गंगाराम की बात सुनकर वह होटल का कर्मचारी समझ गया कि ये महाशय गांव के हैं और यहां इन्हें अकेले छोड़ना ठीक नहीं। उस कर्मचारी की मदद से गंगाराम ने पूरे परिवार के साथ विदेश का मजा लिया और फिर अपने वतन लौट आये।

भारतीय डाक भुगतान बैंक की स्थापना को स्वीकृति

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार की 100 प्रतिशत इक्विटी के साथ डाक विभाग के अंतर्गत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में भारतीय डाक भुगतान बैंक (आईपीपीबी) की स्थापना को अपनी स्वीकृति दे दी है। इस परियोजना का कुल व्यय 800 करोड़ रुपये है। देश में औपचारिक बैंकिंग की परिधि से बाहर जनसंख्या के करीब 40 प्रतिशत नागरिक इस परियोजना से लाभान्वित होंगे। परियोजना को चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया जाएगा। आईपीपीबी मार्च 2017 तक भारतीय रिजर्व बैंक से बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त कर लेगा और सितंबर 2017 तक इसकी सेवाएं 670 भुगतान बैंक शाखाओं के माध्यम से देशभर में उपलब्ध होंगी और यह शाखाएं मोबाइल, एटीएम, पीओएस/एम-पीओएस उपकरणों एवं साधारण डिजिटल भुगतानों सहित अत्याधुनिक तकनीकों के साथ डाकघरों और वैकल्पिक चैनलों से संबद्ध होंगी। 
इस प्रस्ताव से मूल बैंकिंग, भुगतान और प्रेषण सेवाएं प्रदान करने के द्वारा वित्तीय समावेशन और बीमा, म्युचुअल फंड, पेंशन और ग्रामीण क्षेत्रों एवं बैंक रहित और बैंक के अंतर्गत कार्य करने वाले क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान देते हुए तीसरे पक्ष के वित्तीय प्रदाताओं के साथ समन्वय के माध्यम से ऋण तक पहुंच जैसी वित्तीय सुविधाएं भी मिलेंगी। इससे कुशल बैंकिंग पेशेवरों के लिए रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे और देशभर में वित्तीय साक्षरता के प्रचार के अवसर पैदा होंगे। इससे पहुंच और समय के संदर्भ में दुनिया में सबसे बड़े बैंक की सुविधा का सृजन होगा। 
ज्ञात हो कि वर्ष 2015-16 के दौरान वित्तीय समावेशन के रूप में आईपीपीबी की स्थापना भी बजटीय घोषणाओं का एक अंग था। डाक विभाग ने भारतीय डाक भुगतान बैंक की स्थापना के लिए सितंबर 2015 में भारतीय रिजर्व बैंक की ‘सैद्धांतिक रूप में स्वीकृति’ प्राप्त कर ली थी। भारतीय डाक भुगतान बैंक से देशभर में उपभोक्ताओं के लिए आसान, कम कीमतों, गणवत्ता युक्त वित्तीय सेवाओं की आसानी से पहुंच के लिए विभाग के नेटवर्क और संसाधनों का लाभ मिलेगा।