COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के लिए बैंकों के साथ समझौता

पटना : राज्य सरकार के सुशासन कार्यक्रम 2015-20 के अंतर्गत विकसित बिहार के सात निश्चय के अधीन ‘आर्थिक हल युवाओं को बल’ के तहत बिहार सरकार एवं विभिन्न बैंकों के बीच समझौता ज्ञापन पर मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकासायुक्त शिशिर सिन्हा एवं प्रधान सचिव, शिक्षा आरके महाजन की मौजूदगी में हस्ताक्षर हुआ।
इस अवसर पर प्रधान सचिव शिक्षा ने बताया कि एचडीएफसी, बैंक आॅफ बड़ोदा, इंडियन बैंक, इलाहाबाद बैंक, बिहार मध्य ग्रामीण बैंक, आईडीबीआई, भारतीय स्टेट बंैक, एक्सीस बैंक, आईसीआईसीआई, ओरियेंटल बैंक, यूको बैंक, बिहार ग्रामीण बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक आॅफ बिकानेर एण्ड जयपुर तथा यूनाईटेड बैंक आॅफ इंडिया से समझौता हुआ है। इस योजना के अंतर्गत 12वीं कक्षा उतीर्ण विद्यार्थियों को शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इससे पूर्व छात्र स्वयं बैंक से सीधे संपर्क साधकर ऋण लेते थे, परन्तु अब सरकार के द्वारा बैंको से छात्र ऋण हासिल कर सकेंगे। उच्च शिक्षा में राज्य का सकल नामांकन अनुपात वर्तमान में 13 प्रतिशत है। जबकि राष्ट्र स्तर पर ये 24 प्रतिशत है। राष्ट्रीय स्तर से बराबरी करने में स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड योजना सहायक होगा।
आरके महाजन ने बताया कि प्रोफेशनल डिग्री के लिए छात्र-छात्राएं बैंकों से ऋण लिया करते थे, परन्तु बिहार सरकार ने स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड योजना को लागू कर शिक्षा ग्रहण करने वाले के लिए रास्ता खोल दिया है, ताकि वे सभी तरह की शिक्षा के लिए बैंकों से ऋण प्राप्त कर सकें। शर्तो के अनुसार 4 लाख रुपये मूलधन सीमा तक ऋण दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि आवेदकों को जिला निबंधन एवं परामर्श केन्द्र के माध्यम से इस योजना का लाभ दिया जाएगा।
स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड में लाभार्थी का निबंधन सं., नाम, माता/पिता का नाम, जन्म तिथि, पता, आधार संख्या, ऋण देने वाले बैंक शाखा का नाम एवं पता अंकित रहेगा। जिले का अग्रणी बैंक इस योजना के अन्तर्गत नोडल बैंक के रूप में कार्य करेगा। यह बैंक सभी बैंकों से शिक्षा ऋण से संबंधित सूचना प्राप्त करेगा और समीक्षा कर डिफाॅल्ट की दशा में सहायता राशि की सूचना शिक्षा विभाग, बिहार सरकार को प्रस्तुत करेगा, जिसके आलोक में राशि संबंधित बैंकों के लिए अग्रणी बैंक के माध्यम से विमुक्त की जायेगाी।
योजना के अंतर्गत बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से मान्यता प्राप्त संस्थानों से इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थी, सेन्ट्रल बोर्ड आॅफ सेकेण्ड्री एजुकेशन एवं समतुल्य अन्य बोर्ड से मान्यता प्राप्त संस्थानों से 12वीं पास विद्यार्थी बिहार राज्य संस्कृत शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त संस्थान से उप शास्त्री उत्तीर्ण विद्यार्थी एवं बिहार राज्य मदसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त संस्थान से मोलवी उतीर्ण लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के तमाम वरीय पदाधिकारी तथा भारतीय स्टेट बैंक के सीजीएम अजीत सूद सहित विभिन्न बैंकों के पदाधिकारीगण मौजूद थे।

बुधवार, 28 सितंबर 2016

वीयर के निर्माण कार्य के लिए करीब 39 करोड़ रुपये स्वीकृत

 संक्षिप्त खबरें 
पटना : जल संसाधन विभाग से प्राप्त खबर के अनुसार बिहुल नदी पर लक्ष्मीपुर ग्राम के पास वीयर के निर्माण कार्य हेतु 38 करोड़ 79 लाख 61 हजार रुपये की प्रशासनिक एवं व्यय की स्वीकृति प्राप्त हो गयी है। उक्त योजना के कार्यान्वयन की समय सीमा विŸाीय वर्ष 2018-19 है। सूचना में यह भी बताया गया है कि इस कार्य के नियंत्री पदाधिकारी मुख्य अभियंता, सिंचाई सृजन, जल संसाधन विभाग, दरभंगा/अधीक्षण अभियंता, पश्चिमी कोशी नहर अंचल, झंझारपुर होंगे तथा इसके निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी कार्यपालक अभियंता, पश्चिमी कोशी नहर प्रमंडल, कुनौली होंगे। राशि की निकासी वीरपुर कोषागार, वीरपुर से की जायेगी।

मुख्यमंत्री राहत कोष में 1,22,600 रुपये का चेक सौंपा

पटना : पटना उच्च न्यायालय के विधि पदाधिकारियों एवं अधिवक्ताओं के प्रतिनिधिमंडल ने 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प में 1,22,600 रुपये का चेक मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में अपर महाधिवक्ता-4 अंजनी कुमार, सरकारी अधिवक्ता-3 सुभाष प्रसाद सिंह तथा स्टैंडिंग काउंसिल-7 कुमार आलोक शामिल थे।

टेलीफिल्म ‘क्षमादान’ का प्रीमियर शो प्रदर्शित

पटना : वर्ष 1940 में ‘येसु समाज’ द्वारा स्थापित संत जेवियर हाई स्कूल के प्रेक्षागृह में टेलीफिल्म ‘क्षमादान’ का प्रीमियर शो प्रदर्शित किया गया। रोम में रहने वाले पोप ने चालू साल को ‘दया का वर्ष’ घोषित किया है। इस टेलीफिल्म का केन्द्र बिन्दु प्यार, क्षमा, त्याग और पाप-स्वीकार है। संस्था सिगनीस इंडिया ने टेलीफिल्म ‘क्षमादान’ का निर्माण किया है। निर्माता-निर्देशक विक्टर फ्रांसिस हैं। यह लोकल पेशेवर कलाकारों के सहयोग से बनाया गया है।

शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट तथा खादी प्रोडक्ट की होगी ब्रांडिंग व बारकोडिंग

साथ ही इनका अपना होगा लोगो : प्रधान सचिव, उद्योग विभाग
पटना : ‘राज्य के हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट तथा खादी प्रोडक्ट्स की बारकोडिंग तथा ब्रांडिग के साथ अपना अलग-अलग लोगो होगा। इसके लिए राज्य सरकार त्वरित गति से कार्य कर रही है और दिसंबर, 2016 तक हम इन कार्यो को पूर्ण कर लेंगे।’ प्रधान सचिव उद्योग डाॅ. एस सिद्धार्थ ने सूचना भवन के ‘संवाद’ कक्ष में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उपर्युक्त जानकारी दी और बताया कि फिलहाल खादी सेक्टर में 24 सितंबर, 2016 को चरखा दिवस के अवसर पर राजधानी में व्यापक कार्यक्रम का आयोजन है, जिसमें खादी के सभी स्टेटहोल्डर्स भाग लेंगे इंप्रूव्ड टेक्नोलाॅजी और डिजाइन वाले हजार त्रिपुरारी चरखा भी वितरित होंगे और सीएम नीतीश कुमार स्वयं इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे।
डाॅ. सिद्धार्थ ने बताया कि निफ्ट को खादी की बेहतर डिजाइनिंग का जिम्मा दिया गया है और उसने लगभग 50 डिजाइन सुलभ कराए हैं। डाॅ. सिद्धार्थ ने राज्य सरकार द्वारा हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट तथा खादी के विकास के लिए फोकस्ड अप्रोच की बात कही और बताया कि इसके लिए अलग-अलग पाॅलिसी भी बनाई जा रही है। हैंडिक्राफ्ट के विकास के संदर्भ में उन्होंने जानकारी दी कि पूर्व से उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, उद्योग विभाग के हिस्से के रूप में इसके लिए कार्यरत है और अब इसे स्वतंत्र सोसायटी के रूप में नोटिफाइ कर दिया गया है, जिसके अध्यक्ष होंगे उद्योग मंत्री।
हैंडीक्राफ्ट के विकास के लिए सरकार की एक अहम् नीति माइक्रो क्रेडिट योजना के संदर्भ में उन्होंने बताया कि इससे छोटी-छोटी राशि-रकम के अभाव में कारीगरों को कठिनाई से मुक्ति मिलेगी। बाबा खड़गसिंह मार्ग, नई दिल्ली में हैंडीक्राफ्ट संबंधी बिहार के फेश को माॅडर्न शो रूम के रूप में डेवलप किए जाने की भी बात डाॅ. सिद्धार्थ ने बताई। इसी तरह हैंडलूम के संदर्भ में रिसर्च, डिजाइन, रिसोर्स ,वैरायटी, प्रोडक्ट आदि हेतु निफ्ट के साथ टाइअप की जानकारी उन्होंने दी। आगे सिल्क भवन की योजना की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इससे बिहार के सिल्क उद्योग को एक ही जगह पर इसके रिसर्च, रिसोर्स, डिजाइनिंग आदि की समग्र जानकारी तथा सामग्री प्राप्त हो जाएगी।
उद्योग विभाग की नवोन्मेषी योजना के तहत डाॅ. सिद्धार्थ ने संभावित नीरा उद्योग पर प्रकाश डाला और बताया कि इसके लिए प्रशिक्षण कार्य प्रारंभ है, तमिलानाडू से इस संदर्भ में जानकारियां इकट्ठी की गई हैं तथा आगे इसके विकास का जिम्मा कम्फेड को दिया गया है।
संवाददाता सम्मेलन के प्रारंभ में डाॅ. सिद्धार्थ ने सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के संदर्भ में वर्ष 2016 को माइलस्टोन वर्ष बताते हुए कहा कि इस वर्ष पूर्व की सभी नीतियों की समीक्षा के बाद उसमें संशोधन करते हुए नई नीतियां लागू की गई हैं, ताकि राज्य में बेहतर औद्योगिक माहौल बने।
उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान
डाॅ. सिद्धार्थ ने सिंगल विडों एक्ट में संशोधन के बाद बिहार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, 2016 लागू किए जाने की चर्चा करते हुए बताया कि इसकी सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इसमें 30 दिनों की समय सीमा लागू है, जिसका फायदा यह है कि यदि 30 दिनों में लाइसेंस नहीं मिलता है, तो डीम्ड क्लियरेंस माना जाएगा। आगे बिहार स्टार्ट अप नीति 2016 को मुख्यमंत्री के सात निश्चय में शामिल ‘‘आर्थिक हल युवाओं को बल’’ के संदर्भ में इनोवेटिव सोच वाले युवाओं के लिए बेहतर नीति बताते हुए डाॅ. सिद्धार्थ ने जानकारी दी कि देश के छः राज्यों में पूर्व से लागू है ओर बिहार 7वां राज्य है। बिहार ने छहों राज्यों की अच्छी बातों का समावेश कर अपनी स्टार्ट अप पाॅलिसी बनाई है, जिसमें कैपिटल सब्सिडी की बजाय इंट्रेस्ट सब्सिडी का प्रावधान है। इसमें इंसेटिव के तौर पर स्टाम्प डयूटी, लैंड कनवर्जन शुल्क तथा 100ः वैट रीइंबर्समेंट के प्रावधान सहित पूर्व की नीति में जहां कैपिटल सब्सिडी के तौर पर 5 करोड़ की सीमा तक कुल पूंजी निवेश के 20 प्रतिशत का भुगतान सरकार देती थी, वहीं नई नीति में इंटेªस्ट सब्सिडी का प्रावधान किया गया है, जिसमें बैंक इंटेªस्ट का 100 प्रतिशत जो कुल निवेश का 30 प्रतिशत तथा 10 करोड़ रुपए में जो कम हो, के आधार पर लागू होगा। इसी तरह माइक्रो एंड स्माॅल परियोजना हेतु 12 प्रतिशत, एससी/एसटी महिलाओं, थर्ड जेंडर, युद्ध के कारण विधवा, एसिड अटैक पीड़िता, विकलांग के लिए इंटेªस्ट सब्सिडी 15 प्रतिशत अतिरिक्त होगा। इसी तरह नाॅन प्रायोरिटी सेक्टर के लिए वैट कर 70 प्रतिशत तक रीइंबर्स होगा।
डाॅ. सिद्धार्थ ने प्रमुख बातों के संदर्भ में बताया कि सबसे पहले सरकार ने प्रायोरिटी तथा नाॅन प्रायोरिटी के आधार पर निवेश प्रोत्साहन का वर्गीकरण करते हुए प्रायोरिटी सेक्टर में दस प्रक्षेत्र को सूचीबद्ध किया है। तदनुसार फूड प्रोसेसिंग, टूरिज्म, स्माॅल मशीन मैन्यूफैक्चरिंग, आईटी मैन्यूफैक्चिरिंग (इलेक्ट्रोनिक एंड इलेक्ट्राॅनिक हार्डवेयर मैन्यूफैक्चिरिंग) टेक्सटाइल, प्लास्टिक एंड रबड़ इंडस्ट्री, रीन्यूएबल इनर्जी, हेल्थ केयर, लेदर तथा टेक्निकल एडुकेशन प्रायोरिटी में शामिल हैं। स्टार्ट अप पाॅलिसी में इंक्यूवेटर को प्रति प्रस्ताव 2 लाख रुपए सहित निवेशक के लिए फंड रेजिंग सपोर्ट में 2 से 5 तथा निवेशक को भी 2 फीसदी सब्सिडी है, इसके अलावा 10 लाख रुपए तक सरकार द्वारा सीड कैपिटल के प्रावधान की जानकारी उन्होंने दी। उन्होंने सरकार द्वारा राज्य में औद्यौगिक माहौल के प्रोत्साहन हेतु औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, मुख्यमंत्री सूक्ष्म एवं लघु कलस्टर विकास योजना, हस्तकरघा एवं रेशम प्रक्षेत्र विकास, कौशल विकास कार्यक्रम के प्रावधानों की जानकारी देते हुए युवाओं को इससे लाभान्वित होने की अपील की।

गुरुवार, 22 सितंबर 2016

वक्फ संपत्तियों को कब्जाधारियों से मुक्ति अभियान जारी

केंद्रीय वक्फ परिषद की 74वीं बैठक आयोजित
नई दिल्ली : केंद्र ने वक्फ संपत्तियों को ‘गैर-कानूनी कब्जाधारियों’ के चंगुल से मुक्त करने के लिए देशभर में युद्धस्तर पर अभियान शुरू किया है, ताकि वक्फ संपत्तियों का इस्तेमाल मुसलिम समुदाय के कल्याण और उनके सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए हो सके। ज्ञात हो की वक्फ संपत्तियां इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हैं। केंद्रीय वक्फ परिषद की 74वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने यह कहा। उन्होंने कहा कि राज्य वक्फ बोर्डों के पदाधिकारियों की मिलीभगत से वक्फ संपत्तियों पर कब्जा किए जाने की गंभीर शिकायतें कुछ राज्यों से मिली हैं। नकवी ने कहा कि इस संबंध में एक उच्चस्तरीय जांच की जा रही है और कब्जाधारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे जितने भी ताकतवर हों।
नकवी ने कहा कि स्वतंत्र प्रभार ग्रहण करने के बाद वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और विकास के लिए उन्होंने प्राथमिकता के आधार पर पहल की है। इस संबंध में तमाम राज्य सरकारें बेहतर सहयोग कर रही हैं, लेकिन ऐसी बहुत सी वक्फ संपत्तियां हैं, जिनका पंजीकरण नहीं हुआ है। कुछ राज्यों में तमाम वक्फ संपत्तियां ‘कब्जाधारियों’ के चंगुल में फंसी हैं।
उन्होंने सभी राज्य वक्फ बोर्डों को निर्देश दिया कि इस साल के अंत तक सभी वक्फ संपत्तियों को ऑनलाइन पंजीकृत कर लिया जाए और उनके संबंध में सूचनाओं को पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने इस काम के लिए राज्य वक्फ बोर्डों को वित्तीय सहायता भी दी है। इस संबंध में कई राज्य बेहतरीन काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जो वक्फ संपत्तियों के ऑनलाइन पंजीकरण के प्रति गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।
नकवी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों के संबंध में शिकायतों को देखने के लिए जल्द ही केंद्रीय स्तर पर ‘बोर्ड ऑफ एजुडीकेशन’ गठित किया जाएगा, जिसका नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश करेंगे। राज्यों में तीन सदस्यीय न्यायाधिकरणों का गठन किया जा रहा है। लगभग 15-16 राज्यों ने इन न्यायाधिकरणों का गठन कर लिया है। उन्होंने आग्रह किया कि अन्य राज्य भी इसका गठन जल्द कर लें।
नकवी ने कहा कि राज्य सरकारों के सहयोग से अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय स्कूल, कॉलेज, मॉल, अस्पताल, कौशल विकास केंद्र आदि का निर्माण करेगा और उनसे जो आय होगी, उसे मुस्लिम समुदाय की शैक्षिक तथा अन्य विकास गतिविधियों में लगाया जाएगा। वक्फ की जमीनों पर बहुपयोगी सामुदायिक केंद्र ‘सद्भाव मंडप’ बनाए जाएंगे, जिन्हें वैवाहिक समारोहों, प्रदशर्नियों और आपदा के समय राहत केंद्रों के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

राज्यपाल ने पुस्तक का विमोचन किया

 संक्षिप्त खबरें 
पटना : ‘आईना सीतामढ़ी’ पुस्तक सीतामढ़ी जिला के सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं सामाजिक इतिहास का दर्पण है। इस पुस्तक में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सीतामढ़ी के योगदान, वहां के मशहूर स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व विधायक स्व. बदीउज्जमां खान उर्फ बच्चा बाबू के व्यक्तित्व और कृतित्व तथा सीतामढ़ी की सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहरों का विस्तारपूर्वक विवेचन किया गया है। पुस्तक में धार्मिक सद्भावना पर बल देते हुए इसे भारत की मूल पहचान बताया गया है। उक्त बातें महामहिम राज्यपाल राम नाथ कोविन्द ने डाॅ. मो. शफीउज्जमां लिखित पुस्तक ‘आईना सीतामढ़ी’ को राजभवन सभागार में लोकार्पित करते हुए कही।
राज्यपाल श्री कोविन्द ने कहा कि सीतामढ़ी जिले के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं राजनीतिक - हर तरह की विरासतों और समृतियों का वास्तविक दर्पण यह किताब है। उन्होंने कहा कि हिन्दी और उर्दू दोनांे भाषाआंे में मधुर संबंध रहा है। कई उर्दू लेखकों ने हिन्दी में किताबें लिखी हैं तथा कई हिन्दी लेखकों ने उर्दू में साहित्य रचा है। उन्होंने इस किताब के हिन्दी अनुवाद की भी आवश्यकता जताइर्, ताकि सीतामढ़ी के बारे में सबलोग भलीभांति अवगत हो सकें। राज्यपाल ने पुस्तक प्रकाशन के लिए पूर्व मंत्री शाहिद अली खान और लेखक डाॅं शफीउज्जमां को बधाई दी।
कार्यक्रम में सीतामढ़ी के सांसद रामकुमार शर्मा, पूर्व मंत्री शाहिद अली खान, पूर्व मंत्री सुनील कुमार पिन्टू एवं विधान पार्षद देवेश चन्द्र ठाकुर ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इन वक्ताओं ने सीतामढ़ी के गौरवमय इतिहास तथा समृति विरासत का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया। कार्यक्रम में राज्यपाल के प्रधान सचिव डाॅ. हई, पूर्व विधायक राजू सिंह सहित कई साहित्यकार, नेता, समाजसेवी एवं सामान्य जन आदि भी उपस्थित थे।

गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर तैयार किये गये वेबसाइट का लोकार्पण

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर तैयार किये गये वेबसाइट का लोकार्पण मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद सभाकक्ष में किया। इस अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि आज 350वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर देश-विदेश से लाखों की संख्या में जो लोग यहां पधारे हैं, उनकी सुविधा के लिए वेबसाइट लांच किया गया है। जैसा कि पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव ने जानकारी दी है, इससे लेागों को काफी सहुलियत होगी। उन्होंने कहा कि वेबसाइट से आने वाले श्रद्धालुओं को 350वंे प्रकाशोत्सव के कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिलेगी, किस प्रकार से वे पटना पहॅंच सकते हैं और पटना में कहां ठहर सकते हैं, इन सब चीजांे के बारे में जानकारी मिलेगी। वेबसाइट से तमाम श्रद्धालुआंे को काफी सुविधा होगी, इसके लिए मैं पर्यटन विभाग को बधाई देता हूं। गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के लिए नोडल डिपार्टमंेट पर्यटन विभाग को बनाया गया है। 350वें प्रकाशोत्सव की तैयारी पिछले एक वर्ष से शुरू कर दी गयी थी। 350वें प्रकाशोत्सव की तैयारी के लिए कई बैठकें मुख्य सचिव के स्तर पर हुई हैं, मेरे स्तर पर भी तीन बैठकें हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक बहुत बड़ा आयोजन है। लाखांे की संख्या में लोग इसमंे शामिल होंगे, यह हम सब लोंगो के लिए गौरव का विषय है। इस धरती पर गुरु गोविंद सिंह महाराज का जन्म हुआ था। यह हमलोगांे के लिए गौरव की बात है कि 350वें प्रकाशोत्सव हम मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाशोत्सव का आयोजन बहुत शानदार ढ़ंग से किया जायेगा, जो भी श्रद्धालु देश-विदेश के विभिन्न हिस्सांे से यहां आयें, वे संतुष्ट होकर जायें। राज्य सरकार ने हर तरह से तैयारी प्रारंभ कर दी है। इसके लिए अलग-अलग लोगों एवं विभागों को जिम्मेवारियां भी दी गई हैं। पटना के जिलाधिकारी, पटना के प्रमंडलीय आयुक्त, नगर विकास विभाग के जिम्मे भी बहुत सारे काम दिये गये हैं, सभी लोग अपना काम कर रहे हैं।

गुरुवार, 15 सितंबर 2016

जनजातीय कल्याण के लिए स्थायी समिति का पुनर्गठन

नई दिल्ली : जनजातीय कल्याण मंत्रालय से संबंधित जनजातीय कल्याण के लिए स्थायी समिति का पुनर्गठन किया गया है। कैबिनेट मंत्री, इस समिति के अध्यक्ष और राज्य मंत्री इसके उपाध्यक्ष होंगे। समिति के अन्य सदस्यों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के जनजातीय कल्याण मंत्री शामिल हैं। 
समिति के अन्य सदस्यों में वित्त सचिव, गृह सचिव, पर्यावरण और वन मंत्रालय के सचिव, कृषि मंत्रालय के सचिव, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव, संस्कृति मंत्रालय के सचिव शामिल होंगे। जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सचिव इस समिति में सदस्य सचिव होंगे।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश के कुलपति प्रो. टीवी कटीमणि और रांची विश्वविद्यालय, रांची में मानव विज्ञान विभाग के अध्यक्ष विशेषज्ञ प्रो. (डॉ.) कर्मा उरांव को दो साल की अवधि के लिए सदस्य के रूप में नामित किया गया है ।
स्थायी समिति, जनजातीय कल्याण राष्ट्रीय परिषद में चर्चा का एजेंडे तय करने के बारे में विचार-विमर्श और सिफारिश करेगी, ताकि देश में अनुसूचित जनजाति समुदाय के जीवन में सुधार लाने, वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन की समीक्षा करने, संविधान की पांचवीं अनुसूची और छठी अनुसूची के कार्यान्वयन की समीक्षा करने, जनजातीय उप योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करने तथा असहाय जनजातीय समूहों की रक्षा के उद्देश्य से बनाए गए कार्यक्रमों की निगरानी के बारे में मोटे तौर पर नीतिगत दिशा-निर्देश जारी करने हेतु व्यापक नीतिगत दिशानिर्देश प्रदान किये जा सके।

मंगलवार, 13 सितंबर 2016

बंद पड़ी खदानों का पानी जायेगा गांव में : मुख्यमंत्री

कोल इंडिया के साथ होगा एमओयू
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि बंद पड़ी कोयला खदानों में संचित पानी को पाईपलाईन के माध्यम से राज्य सरकार आसपास के क्षेत्रों में पहुंचाने का काम करेगी। कोयला सचिव अनिल स्वरूप के साथ सीएम आवास में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कोल इंडिया की बंद पड़ी खदानों में पानी संचय कर यह जल कोल इंडिया राज्य सरकार को सुलभ करायेगा तथा राज्य सरकार आपसपास के इलाकों में पानी का वितरण करेगी और इसके क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार और कोल इंडिया के बीच एमओयू किया जायेगा। 
रघुवर दास ने कहा कि झारखंड में अवस्थित कोल खदानों से गंतव्य स्थान तक कोयले की ढुलाई के लिए खदान तक रेल लाईन बिछाने का काम किया जायेगा। साथ ही इस बात का भी खयाल रखा जायेगा कि पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो। बैठक में श्री दास ने कोल इंडिया को खेल विश्वविद्यालय में अत्याधुनिक सुविधाओं को बहाल करने के लिए भी कहा। कोल सचिव अनिल स्वरूप ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि खेल विश्वविद्यालय पूरे देश में एक माॅडल बनेगा। बैठक में झरिया पुनर्वास, बिजली उत्पादन, एम्प्लाॅयमेंट एवं झारखंड स्थित कोल खदानों की स्थिति आदि के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, सचिव सुनील कुमार बर्णवाल, सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह उपस्थित थे।

रविवार, 11 सितंबर 2016

दो साल के भीतर तीन लाख स्वयं सहायता समूहों का होगा गठन

2 हजार करोड़ रुपये होंगे खर्च : रघुवर दास
उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल स्तरीय महिला स्वयं सहायता समूहों के सम्मलेन में मुख्यमंत्री ने की घोषणा
हजारीबाग : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि सफलता के लिए नीयत साफ होनी चाहिए, मेरी नीयत साफ है, मेरा लक्ष्य है राज्य का विकास, राज्य से गरीबी को दूर करना, राज्य को विकसित राज्यों की कतार में खड़ा करना। श्री दास ने कहा कि राज्य में 3 साल के भीतर 30 लाख घरों में बिजली पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। हजारीबाग के कर्जन ग्राउंड में आयोजित महिला स्वयं सहायता समूहों के सम्मलेन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने ये उदगार व्यक्त किये।
श्री दास ने कहा कि महिलाएं शक्ति स्वरूपा हैं और इन्हें और भी शक्ति संपन्न बनाने के लिए सरकार दो साल के भीतर राज्य में तीन लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन कर उनपर 2 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल राज्य में 50 हजार स्वयं सहायता समूह कार्यरत हैं। गरीबी उन्मूलन हमारी सरकार की प्राथमिकता है और महिलाओं के स्वयं सहायता समूह इस कार्य में कारगर भूमिका निभा रहे हैं, सरकार इन्हें और भी कारगर बनायेगी। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की मांग पर मुख्यमंत्री ने अगले वित्तीय वर्ष के बजट में राज्य के सभी प्राथमिक विद्यालयों में कम्प्यूटर उपलब्ध कराने की घोषणा की। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिये महिला स्वयं सहायता समूहों की बहनों ने ये अहसास कराया है कि नारी में कितनी शक्ति होती है। टैबलेट दीदी के नाम से मशहूर हो चुकी गिरिडीह जिले के बेंगाबाद की दिव्यांग नीतू को उद्धृत करते हुए मुख्यमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूहों में कार्यरत दिव्यांग महिलाओं की तारीफ की। इन समूहों को एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने हजारीबाग जिले के दो प्रखंडों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किये जाने पर उपायुक्त रविशंकर शुक्ला, सम्बंधित प्रखंड विकास पदाधिकारियों एवं महिला स्वयं सहायता समूहों को बधाई दी।
महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की मांग पर मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित पंचायत भवनों में ग्राम संगठनों को बैठक के लिए स्थान उपलब्ध कराने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इसी साल दिसंबर तक राज्य में 4402 पंचायत भवन बनने हैं, उसके बाद इस समस्या का अंत हो जाएगा। उन्होंने कहा कि 2017 के दिसंबर माह तक हर पंचायत - हर गांव तक इंटरनेट की सुविधा पहुंचा दी जायेगी। महिला स्वयं सहायता समूहों की मांग पर मुख्यमंत्री ने बैंक लोन के जरिये मांग करनेवाले हर स्वयं सहायता समूह को ममता वाहन एम्बुलेंस उपलब्ध कराने का वादा भी किया और कहा कि इन वाहनों की कमाई से समूह बैंक का कर्ज चुका सकेंगे। 
टपक सिंचाई योजना और लिफ्ट एरिगेशन से महिला स्वयं सहायता समूहों को जोड़े जाने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कृषि निदेशक जटाशंकर चैधरी को इन इलाकों में आकर वस्तुस्थिति से अवगत होने और तदनुसार कार्रवाई करने का निदेश मंच से ही दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग में लिफ्ट एरिगेशन के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट है और यह राशि जिलावार स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से खर्च करने का निदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि सिंचाई के लिए डीजल पंपों और सोलर पंपों की व्यवस्था भी सरकार करेगी।
कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करते हुए श्री दास ने कहा कि अमूल के दुग्ध उत्पादों और लिज्जत पापड़ के माध्यम से सहकारी संस्थाओं से जुड़ी महिलाओं ने गुजरात को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दी है। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हमारी बहनें भी कुटीर उद्योगों और सामूहिक प्रयास के माध्यम से झारखंड को दुनिया में एक विशिष्ट पहचान दिलाएं, यह उनकी आकांक्षा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 90 प्रतिशत सब्सिडी पर सोलर पंप उपलब्ध करा रही है। 50 हजार गरीब बहनों को दो-दो गायें दी गयी है। महिलाओं और नौजवानों के समूहों और बेरोजगार युवकों को डेयरी की स्थापना के लिए अनुदान और बैंक लोन उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन डेयरी संस्थाओं द्वारा उत्पादित सारा दूध राज्य में स्थापित मेधा डेयरी द्वारा खरीद लिया जाएगा और उन्हें बाजार की समस्या नहीं होने दी जायेगी। उन्होंने बताया कि हजारीबाग जिले में डीजी लाॅकर एक माह के भीतर प्राम्भ हो जाएगा और इसमें महिला स्वयं सहायता समूह अपने दस्तावेज सुरक्षित रख सकेंगें।
श्री दास ने खुले में शौच को सामाजिक अभिशाप बताते हुए खुले में शौच से मुक्त करनेवाले समूहों को एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह संकल्प है कि महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर 2019 में स्वच्छ भारत का उपहार बापू को दें, देश के हर घर में शौचालय हो। उन्होंने कहा कि हमने 2018 तक स्वच्छ झारखंड बनाने और हर घर में शौचालय की मौजूदगी सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है और इसमें सबका सहयोग विशेषकर महिला स्वयं सहायता समूहों का सहयोग अपेक्षित है।
श्री दास ने कहा कि जन कल्याण से जुड़ी विकास योजनाओं के लिए पैसे की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। शौचालय के निर्माण के लिए हर घर को 12 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के सीएसआर फंड से प्राप्त राशि का व्यय खुले में शौच से मुक्त करने में होगा। जिन गांवों को खुले में शौच से मुक्ति मिलती जायेगी, उन्हें पाइप के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने खनन क्षेत्रों को कुल आय का 30 प्रतिशत देने की घोषणा की है। इस पूरी राशि का इस्तेमाल संबंधित जिलों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में किया जाएगा। 
उन्होंने कहा कि इस साल 15 नवम्बर तक राज्य के 30 हजार स्कूलों में बेंच डेस्क उपलब्ध कराया जाएगा और इनका निर्माण गांव के बढ़ई करेंगे। बड़ी कंपनियों से इन्हें नहीं खरीदा जाएगा। इसी तरह सरकारी कार्यालयों व अस्पतालों में कंबल, तौलिया, परदे आदि झारक्राफ्ट के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से खरीदे जायेंगे। मिड दे मिल के तहत सप्ताह में तीन दिन वितरित होनेवाले अंडों की खरीद भी समूहों द्वारा की जायेगी। श्री दास ने उपस्थित लोगों को चीनी उत्पादों से बचने और ग्राम उत्पादों को बढ़ावा देने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि विकास के लिए प्रखंडों के बीच, महिला स्वयं सहायता समूहों के बीच प्रतियोगिता होनी चाहिए। 
महिला शक्ति को रेखांकित करते हुए श्री दास ने कहा कि हर क्षेत्र में महिलाओं ने कीर्तिमान स्थापित किया है। रियो ओलम्पिक में पीवी सिन्धु, साक्षी मलिक और दीपा कर्मकार की सफलता इसका जीवंत प्रमाण है। महापुरुषों की जीवनी बताती है कि उनकी सफलता में या तो उनकी मां का हाथ रहा है या उनके शिक्षक का। उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों को भ्रूण ह्त्या के खिलाफ संघर्ष करने और जन जागरूकता में सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संकल्प व्यक्त किया और हमारी सरकार ने इसी संकल्प के अनुरूप पहले पढ़ाई फिर विदाई का नारा दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य की बेटियां जबतक पढ़ना चाहें-पढ़ें, सरकार उनके साथ है। जिन्हें दिक्कत हो, वे 181 डायल करें, रघुवर का यह दास उनकी मदद के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि गरीबी का रोना रोने की बजाय लक्ष्य निर्धारित कर संघर्ष ज्यादा बेहतर है। महिला स्वयं सहायता समूहों की सफलता यही सीख देती है। श्री दास ने कहा कि अपने खुद के जीवन में भी मैंने संघर्ष के माध्यम से ही सफलता प्राप्त की है। तमाम राजनीतिक दलों का उद्देश्य राज्य का विकास होना चाहिए और इस मुहीम में सत्ता पक्ष और विपक्ष को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने उपस्थित लोगों से भड़काने वाले तत्वों से सावधान रहने की अपील की और कहा कि राज्य सरकार किसी की जमीन नहीं छीनेगी। उन्होंने लोगों को प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों के लुभावने प्रलोभनों से भी बचने की नसीहत दी।

सेवा भावना से जुड़ें पंचायत स्वयंसेवक

प्रोत्साहन राशि को लक्ष्य न मानें : रघुवर दास
हजारीबाग : महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की भावना को मूर्त रूप देने के लिए झारखंड सरकार लोकतंत्र की सबसे निचली इकाई को शक्ति संपन्न बनाना चाहती है, लेकिन इस प्रक्रिया में पंचायती राज व्यवस्था के निर्वाचित जन प्रतिनिधि और उनकी सहायता के लिए नियुक्त पंचायत स्वयं सेवकों को भी पूरी ईमानदारी बरतनी होगी। हमें अपने लोकतंत्र पर गर्व है, लेकिन देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था के अधिष्ठापन के 7 दशक बाद भी अगर लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है, तो हमें सोचना होगा कि गलतियां कहां हो रही हैं और उन गलतियों को दुहराने से बचना होगा। मुख्यमंत्री श्री दास हजारीबाग के कर्जन ग्राउंड में उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल स्तरीय पंचायत स्वयं सेवकों और पंचायत प्रतिनिधियों के सम्मलेन को संबोधित कर रहे थे।
श्री दास ने कहा कि वे मुख्यमंत्री व मुखिया के बीच की तमाम दूरियों को पाटने के लिए यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास हर समस्या का समाधान है और इसके लिए राज्य के मुखिया और पंचायत के मुखिया को एक साथ कोशिश करनी होगी। उन्होंने कहा कि पंचायतों को पर्याप्त अधिकार दिये गए हैं, उन अधिकारों का प्रयोग कर पंचायती राज व्यवास्था के निर्वाचित प्रतिनिधि मिड डे मिल, शिक्षकों की उपस्थिति, आवश्यक सुविधाओं की मौजूदगी, विकास योजनाओं का क्रियान्वयन आदि की निगरानी करें और ग्रामीण जनता का जीवन स्तर ऊपर उठाने के लिए प्रतिबद्ध होकर काम करें।
ग्राम सचिवालय के गठन के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास की योजनाएं धरातल पर उतरें और अपना गांव व समृद्ध गांव का संकल्प साकार हो, इसी उद्देश्य से पंचायत प्रतिनिधियों को स्वयं सेवकों के रूप में सहायक उपलब्ध कराये गए हैं। सामाजिक दायित्व का महत्व रेखांकित करते हुए श्री दास ने कहा कि देश का विकास तभी सुनिश्चित होगा, जब आप सब मिलकर आम सहमती से गांव का विकास सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ग्राम सचिवालय को राज्य सरकार की एजेंसी के रूप में स्थापित करना चाहती है।
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी को उद्धृत करते हुए श्री दास ने कहा कि पहले दिल्ली से चला एक रुपया गांव पहुंचते-पहुंचते पंद्रह पैसा रह जाता था। श्री दास ने वादा किया कि रांची से चला एक रुपया सौ फीसदी गांवों तक पहुंचेगा। उन्होंने साफ कहा कि राज्य में किसी को, चाहे वह कितना भी ताकतवर क्यों न हो, न लूट की छूट मिलेगी, न कानून से खिलवाड़ करने की छूट।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक वर्ष के भीतर हर गांव में हाई मास्ट स्ट्रीट लाइट लगेगी, तीन साल के भीतर राज्य में विकास का खुशनुमा माहौल बनेगा और चार साल के भीतर हम उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ की बराबरी में आ जायेंगे। पलायन को मजबूर लोगों की सूची बनाने का निदेश दिया गया है, सरकार ऐसे सभी लोगों को राज्य के भीतर ही रोजगार उपलब्ध करायेगी। पंचायत प्रतिनिधियों का एक सेल बन रहा है, जो सीधे मुख्यमंत्री सचिवालय से जुड़ा रहेगा। उन्होंने कहा कि 17 सितम्बर को राज्य के सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गयी है। इन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा और प्रशिक्षण पाकर प्रखंड विकास पदाधिकारी विकास योजनाओं के बारे में पंचायती राज प्रतिनिधियों और पंचायत स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण देंगे। मुख्यमंत्री ने पंचायत प्रतिनिधियों से कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने और ग्राम सभा की बैठकें नियमित तौर पर आयोजित करने की अपील की।
इस अवसर पर मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कहा कि ग्राम पंचायत लोकतंत्र की नींव है और सर्वांगीण विकास के लिए इसका सक्रिय होकर काम करना अपरिहार्य है।

शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

‘सभी समुदायों के विकास से ही राज्य का विकास’

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू नेे राजभवन में मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों से मुलाकात की एवं उनकी समस्याओं को सुना, ताकि इस समाज के लोगों का तेजी से विकास हो सके। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के विकास के लिए आवश्यक है कि वहां रह रहे सभी समुदाय के लोगों का सम्यक विकास हो। उन्होंने कहा कि वे प्रारंभ से ही सभी वर्गों एवं समुदायों के लोगों के विकास हेतु प्रतिबद्ध है। 
इस अवसर पर राज्यपाल महोदया के समक्ष डाॅ. अस़गर मिसबाही ने मदरसा बोर्ड तथा उर्दू अकादमी का गठन एवं उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति हेतु पहल करने का आग्रह किया। निफ्ट के उप कुलसचिव एसएस अख्तर ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं हेतु पोस्ट एवं प्री मैट्रिक छात्रवृŸिा हेतु राशि देने का प्रावधान है, लेकिन झारखंड के छात्र-छात्राएं कुछ तकनीकी कारणों से इस लाभ से वंचित हैं। अतः राज्य सरकार इस योजना का लाभ निमिŸा व्यक्तियों को सुलभ कराने हेतु पहल करे। यह गरीबों के लिए वरदान हो सकता है, विशेषकर लड़कियों के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का केन्द्र संचालित करने हेतु मौखिक सहमति प्रदान की गई थी, लेकिन इसकी स्थापना हेतु भूमि सुलभ नहीं कराई गई है, इसके लिए भी पहल किया जाय। 
राज्य के पूर्व महाधिवक्ता सुहैल अनवर ने कहा कि वर्Ÿामान में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में जो अर्हता रखी गई है, वह सार्थक प्रतीत नहीं होती है। प्रक्रिया के अनुसार, विद्यार्थियों को एक किसी जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा में उŸाीर्ण करना है। इस विषय की जानकारी रखते हुए भी लिपिगत कमी के कारण विद्यार्थी इस विषय में उŸाीर्ण नहीं हो पाते हैं। उन्होंने दूसरे प्रान्तों में हो रही उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि यहां भी जनजातीय/क्षेत्रीय भाषा में उŸाीर्ण करने की बाध्यता खत्म हो। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में आलीम और फाजील की डिग्री को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विश्वविद्यालय से न दिये जाने के कारण वैधता प्रदान नहीं की गई है। अतः इसके लिए अग्रेतर पहल की जाए। विगत तीन वर्षों से वक्फ बोर्ड का गठन नहीं हुआ है। इस अवसर पर अहमद सज्जाद ने कहा कि नेशनल इंटीग्रेट के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, यह अत्यन्त उत्साहवर्द्धक है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानी शेख भिखारी से जुड़े पहलुओं की ओर ध्यान दिया जाए तथा उनके ग्राम की दशा में सुधार किया जाए। उन्होंने बुनकरों को प्रोत्साहित करने की भी बात कही। 
इस अवसर पर प्रसिद्ध शिक्षाविद् डाॅ. शीन अख्तर ने राज्य में अन्य राज्यों की भांति गालीब भवन की स्थापना हेतु पहल करने का आग्रह किया। मंजर इमाम ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों की स्थिति अच्छी नहीं है। बहुत-सी बच्चियां बेच दी जाती हैं। उन्होंने पिछड़े मुसिल्म इलाकों में रहनेवाली मुस्लिम लड़कियों हेतु कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की भांति आवासीय विद्यालय सुलभ कराने की बात कही। पूर्व प्राचार्य डाॅ. जावेद अहमद ने कहा कि राज्य में ड्राप-आउट एक बड़ी समस्या है। बहुत-से विद्यार्थी मेधावी हैं, किन्हीं-न-किन्हीं कारणों से उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाते हैं।  उन्होंने शिक्षकों की नियमित नियुक्ति हेतु पहल करने करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य में नियुक्ति न होने के कारण टाॅपर तीन-चार हजार की भी नौकरी करने के लिए ललायित हैं। पूर्व कुलपति प्रो. एए खान ने कहा कि राज्य में आरक्षण नियमावली के कारण 50 फीसदी उर्दू शिक्षकों की रिक्तियां रह जाती हैं।  सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के अकीर्लुर रहमान ने कहा कि राज्य में साम्प्रदायिक सौहाद्र को बेहतर-से-बेहतर करने हेतु और सरकारी प्रयास होने चाहिए। इस अवसर पर डाॅ. असलम परवेज, पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. रजीउद्दीन, शाहनवाज कुरैशी ने भी अपने सुझाव दिये।

बाल मजदूरी, बंधुवा मजदूरी और मानव तस्करी विलोपन उन्मूलन विषय पर कार्यशाला

  • मुक्त कराए गए बंधुवा और बाल श्रमिकों का पुनर्वास महत्वपूर्ण कार्य : जस्टिस मुरुगेषण
  • बाल और बंधुवा मजदूरी समाज पर धब्बा, इनका उन्मूलन हमारी जिम्मेवारी : राजबाला वर्मा

रांची : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस मुरुगेषण ने कहा कि प्रतिबंधक कानून के अस्तित्व में होने के बावजूद उसके प्रावधानों के सही ढंग से लागू नहीं होने से बाल मजदूरी, बंधुवा मजदूरी और मानव तस्करी को बढ़ावा मिल रहा है। इन्हें रोकने के लिए कानून के सम्बन्धित प्रावधानों का सख्ती से लागू किया जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राज्य को अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन करते हुए इस दिशा में तत्परता से काम करना चाहिए। इन बुराइयों के मूल में गरीबी, अशिक्षा एवं कुछ अन्य समस्याएं हैं, जिन्हें जानने, समझने और उसे पूरा करने का सार्थक प्रयास करने पर ही इन्हें समाप्त किया जा सकता है। रांची के धुर्वा स्थित न्यायिक अकादमी परिसर में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और झारखंड सरकार के संयुक्त तत्वावधान में बाल मजदूरी, बंधुवा मजदूरी और मानव तस्करी विलोपन, उन्मूलन विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए जस्टिस मुरुगेषण ने ये उदगार व्यक्त किए। 
उन्होने कहा कि सरकार न सिर्फ बंधुवा मजदूरों की पहचान करे और उन्हें मुक्त कराए, बल्कि उनके लिए रोजगार के बेहतर विकल्प का प्रबंध भी करे। उन्होंने मानव तस्करों और बाल एवं बंधुवा मजदूरी कराने के आरोपियों के विरुद्ध दोष सिद्ध नहीं होने पर गहरी चिंता जताई और उपायुक्तों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ऐसे मामलों में अभियोजन की प्रक्रिया इतनी मुस्तैदी से की जाय ताकि आरोपियों को सजा भी मिल सके।
जस्टिस मुरुगेषण ने कहा कि बंधुवा मजदूरों की दुर्दशा का प्रतिकूल प्रभाव उनके बच्चों पर भी पड़ता है। उनकी मानसिकता पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। यह उनके शिक्षा, स्वास्थ्य समेत अन्य संवैधानिक अधिकारों का हनन भी है। राज्य सरकार और सक्षम पदाधिकारी यह तय करें कि अन्य राज्यों से मुक्त कराये गए बाल, बंधुवा मजदूरों पर दबाव न बने। ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो कि उन्हें पुनः उस ओर जाना पड़े। अधिकारियों को अपनी जिम्मेवारी तय करनी चाहिए। श्री मुरुगेषण ने कहा कि अधिकारियों को समय-समय पर अपने सुझाव, अपनी समस्याएं व अन्य बातें मानवाधिकार आयोग के समक्ष रखनी चाहिए, जिससे उनका निदान किया जा सके। 
कार्यशाला के तकनीकी सत्र के दौरान जस्टिस मुरुगेषण ने विभिन्न जिलों से आये उपायुक्तों, अनुमंडल पदाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को बाल मजदूरी और बंधुवा मजदूरी से जुड़े विभिन्न  कानूनी प्रावधानों की जानकारी विस्तार से दी। उनसे जस्टिस मुरुगेषण ने कई सवाल पूछे और उपयुक्त उत्तर नहीं मिलने पर उन्हें विस्तार से बंधुवा मजदूरों की बरामदगी के समय बरती जाने वाली सावधानियों, उनके पुनर्वास और सरकार द्वारा उनके उत्थान के लिए लागू की गयी योजनाओं के संबंध में जानकारी दी। 
श्री मुरुगेषण ने अधिकारियों से कहा कि वे उच्चतम न्यायालय के निर्णयों और सरकार द्वारा ऐसे लोगों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की समुचित जानकारी रखें ताकि भुक्तभोगियों को उनका पूरा हक प्राप्त हो सके। इस प्रक्रिया में अधिकारियों को उनके पुनर्वास पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही, बंधुवा मजदूरी कराने वालों के लिए भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए। संभव है कि कानून की जानकारी होने पर वे बंधुवा मजदूरी और बाल मजदूरी नहीं करायेंगे।
इस अवसर पर मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कार्यक्रम के आयोजन के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस कार्यशाला के जरिए और मजबूती मिली है। राज्य सरकार लगातार बाल मजदूरी, बंधुवा मजदूरी और मानव तस्करी की रोकथाम हेतु कार्य कर रही है। विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें प्राप्त हो रहा है। मुख्यमंत्री स्वयं इसकी समीक्षा कर अधिकारियों को निदेश देते हैं। श्रीमती वर्मा ने बताया कि बाल मजदूरी और बंधुवा मजदूरी पर गहन चिन्तन की जरूरत है। कोई किसी से जबरन काम नहीं ले सकता। अगर किसी के साथ ऐसा हो रहा है, तो आरोपी के खिलाफ राज्य सरकार कड़े कदम उठायेगी। गरीबी और अशिक्षा की वजह से लोग अन्य राज्यों और शहरों के लिए पलायन को विवश होते हैं। राज्य सरकार ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें राज्य में ही काम दिलाने का प्रयास सरकारी योजनाओं के जरिए कर रही है। इसकी समाप्ति के लिए ऐसे लोगों की पहचान जरूरी है। राज्य सरकार अपने स्तर से राज्य के पांच जिलों में सर्वे कर रही है, ताकि बंधुवा मजदूरों की पहचान कर उनके पुनर्वास का मार्ग प्रशस्त हो और उन्हें राज्य में ही काम उपलब्ध कराया जा सके। मुख्य सचिव श्रीमती वर्मा ने कहा कि बाल और बंधुवा मजदूरी समाज के लिए काला धब्बा है। अब समय आ गया है इसे मिटाने का। राज्य सरकार इन बुराइयों के उन्मूलन के लिए कटिबद्ध है, लेकिन इन सामाजिक बुराइयों को सामूहिक प्रयास और जन भागीदारी से ही समाप्त किया जा सकता है। 
इससे पूर्व श्रम विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे एवं अपराध अनुसंधान विभाग की पुलिस महानिरीक्षक संपत मीणा ने अपने-अपने विभाग की उपलब्धियों की जानकारी आयोग के समक्ष रखी। श्रम विभाग द्वारा बंधुवा मजदूरी और अपराध अनुसंधान विभाग द्वारा मानव तस्करी पर आधारित लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा मानव तस्करी पर आधारित नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी गई। 
कार्यशाला में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस डी मुरुगेषण, संयुक्त सचिव डॉ. रणजीत सिंह, मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे, समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव एमएस भाटिया, पुलिस महानिरीक्षक अपराध अनुसंधान विभाग की संपत मीणा, रांची, लातेहार, सिमडेगा, खूंटी, गिरिडीह एवं कोडरमा के उपायुक्त एवं आरक्षी अधीक्षक उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन श्रम आयुक्त प्रवीण टोप्पो ने किया।

मंगलवार, 6 सितंबर 2016

बिहार-झारखंड में कुष्ठ रोग निदान अभियान की शुरुआत

 संक्षिप्त खबरें 
19 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 32 करोड़ लोगों की जांच की जाएगी 
नई दिल्ली : भारत से कुष्ठ रोग के आमूल उन्मूलन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुपालन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने राष्ट्रीय कुष्ठ निवारण कार्यक्रम की समीक्षा की। इसके अनुरुप स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अबतक का सबसे बड़ा कुष्ठ रोग निदान अभियान (एलसीडीसी) शुरू किया है। यह अभियान 5 सितंबर, 2016 से 19 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 149 जिलों में शुरु कर दिया गया है। उक्त अभियान 15 दिन चलेगा और इस दौरान उपरोक्त जिलों के 1656 संभागों, शहरी क्षेत्रों के कुल 32 करोड़ लोगों की जांच की जाएगी। इस काम में 2,97,604 टीमों को लगाया गया है, जिनमें एक महिला आशाकर्मी और एक पुरुष स्वयंसेवी शामिल हैं। ये टीमें निर्धारित क्षेत्रों के प्रत्येक घर का दौरा करेंगी और कुष्ठ रोग के संबंध में परिवार के सभी सदस्यों की जांच करेंगी। 
इस अभियान के तहत जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रखा गया है, उनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, नगालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, दादरा एवं नागर हवेली, दिल्ली और लक्षद्वीप शामिल हैं। इस अभियान में उन जिलों को शामिल किया गया है, जहां पिछले तीन सालों में कुष्ठ रोग दर 10,000 की आबादी पर एक से अधिक मामलों में पाई गई है। 
कुष्ठ रोग निदान अभियान दुनिया में अपनी तरह का अनोखा कदम है, जिसके तहत लक्षित आबादी के प्रत्येक सदस्य की जांच की जाएगी। यह जांच एक पुरुष और एक महिला स्वयंसेवी वाली खोजी टीमें करेंगी। यह जांच टीमें घर-घर जाएंगी और स्थानीय क्षेत्र से संबंधित योजना के अनुसार अचिन्हित कुष्ठ रोग के मामलों की जांच करेंगी। अभियान का उद्देश्य है कि प्रभावित व्यक्तियों में कुष्ठ रोग का शुरुआत में ही निदान कर लिया जाए, ताकि उन्हें शारीरिक अक्षमता और अंगों की खराबी से बचाया जा सके। इसके अलावा ऐसे लोगों का समय पर उपचार किया जाएगा, ताकि सामुदायिक स्तर पर रोग के फैलाव को रोका जा सके। 
पहला एलसीडीसी मार्च-अप्रैल, 2016 को 7 राज्यों के 50 जिलों में शुरू किया गया था। इसके तहत बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश को रखा गया था तथा लगभग 60.8 करोड़ आबादी इसके दायरे में थी। अभियान के दौरान 65427 शंकित मामलों की पहचान की गई थी, जिनमें से बाद में 4120 मामले सही पाए गए थे। 

किसानों से मूंग दाल खरीदेगी केन्द्र सरकार

नई दिल्ली : केन्द्र सरकार ने देश के किसानों से मूंग की खरीद करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि कई वर्षों से मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित होता था, परंतु खरीद नहीं होती थी। इस वर्ष महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद करने के प्रस्ताव आने पर कृषि मंत्रालय ने 1 अक्तूबर, 2016 से लागू होने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य को 1 सितम्बर से लागू कर दिया है और खरीद के आदेश जारी कर दिये हैं। अतः खरीफ 2016 के लिए मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4,850 रुपये 425 बोनस अर्थात रुपये 5,275 प्रति क्विंटल को 1 अक्तूबर, 2016 से लागू होना था। परंतु मूंग बाजार में अभी से आनी शुरु हो गई है, इसलिए किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए कृषि मंत्रालय ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए इस तिथि को 1 सितम्बर, 2016 कर दिया है। यहां यह भी बताना जरुरी है कि इस वर्ष मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले वर्ष के 4,650 रुपये 200 बोनस अर्थात् रुपये 4,850 प्रति क्विंटल की तुलना में रुपये 425 प्रति क्विंटल अधिक है। 
राजस्थान, मध्य प्रदेश व तेलंगाना राज्यों में कृषि मंत्रालय की संस्था नैफेड ने खरीद की संपूर्ण तैयारियां कर ली हैं। राज्यों से प्रस्ताव आते ही खरीद के आदेश जारी कर दिए जाएंगे। अन्य सभी राज्यों से भी अनुरोध किया जा रहा है कि यदि उनके यहां मूंग दाल के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे जाते हैं, तो किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए वे यथाशीघ्र मूंग की खरीद का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजें, जिससे कि उन प्रदेशों में भी खरीद की जा सके।

शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए चेक सौंपा

 संक्षिप्त खबरें 
पटना : मगध महिला काॅलेज की प्राचार्या प्रो. आशा सिंह एवं मगध महिला काॅलेज की व्याख्याता डाॅ. सुहेली मेहता ने एक लाख एक रुपये का चेक मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंपा। दूसरी ओर बिहार आदिम जाति सेवा समिति की ओर से सचिव वीरेन्द्र कुमार, अध्यक्ष आदिवासी महिला मण्डल, कैमूर शीला गोंड तथा बिहार राज्य गोंड महासभा की सदस्या प्रियांकी गोंड ने पचास हजार रुपये का चेक मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंपा।
मुख्यमंत्री ने इस अंशदान के लिए प्राचार्य मगध महिला काॅलेज तथा बिहार आदिम जाति सेवा समिति के सदस्यों को धन्यवाद दिया तथा उनकी इस सामाजिक पहल की सराहना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपदा के समय हम सबको अपनी संवेदनशीलता को प्रदर्शित करना चाहिए और पीड़ितों की सेवा में बढ़-चढ़कर हाथ बंटाना चाहिए।

ग्रामीण युवाओं के लिए चलंत पुस्तकालय की शुरूआत

जमशेदपुर : जिला सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय द्वारा चलंत पुस्तकालय की शुरूआत की गई। पहले से ही चल रहे एलईडी सुविधायुक्त विभागीय टाटा मैजिक वाहन में शुरू हुआ यह अस्थायी पुस्तकालय 200 से अधिक पुस्तकांे व पत्र-पत्रिकाओं के लेकर गुरमा गांव पहुंचा। उक्त चलंत पुस्तकालय विभिन्न सरकारी योजनाओं सम्बंधी प्रकाशन सामग्री, स्कूली बच्चों के लिए सामान्य ज्ञान, अंगे्रजी व्याकरण, कम्प्यूटर आदि ज्ञानवर्धक पुस्तकों, पर्याप्त संख्या में सूचना विभाग की मासिक पत्रिका झारखण्ड बढ़ते कदम, समसामयिक साप्ताहिक/मासिक पत्रिकाओं तथा दैनिक समाचार पत्रों से युक्त रहेगा। रोज अलग-अलग गांव में उक्त पुस्तकालय निर्धारित समय सारणी के अनुसार जाएगा। 
आगामी सोमवार से इसी तरह का एक अन्य चलंत पुस्तकालय शहरी क्षेत्र की स्लम बस्तियों में भी भेजा जाएगा। इस पुस्तकालय में जिले में चल रहे विभिन्न विभागों/कार्यालयों से भी आग्रह किया गया है कि वे अपने विभाग/कार्यालय से संचालित योजनाओं के बारे में उपलब्ध सूचना परक पाठ्य सामग्री जिला जनसम्पर्क कार्यालय को उपलब्ध कराएं। इसी आलोक में ग्रामीण विकास विभाग तथा क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय ने अपने विभाग से सम्बंधित पुस्तकें सूचना कार्यालय को उपलब्ध करायी। स्वयंसेवी संस्थाएं, निजी प्रकाशन, लेखक, समाजसेवी भी स्वेच्छा से इस चलंत पुस्तकालय में जानकारी परक पुस्तकें भेंट कर सकते हैं। 
संचालन योजना
एक बड़े संदूक में पर्याप्त मात्रा में भरी पाठ्य सामग्री को लेकर प्रतिदिन सुबह दोनों में से प्रत्येेक वाहन जिला सूचना कार्यालय से क्षेत्रों के लिए भेजे जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में जाने वाला यह चलायमान लघु पुस्तकालय पहले सम्बंधित गांव के मिडिल स्कूल या इससे उच्च स्तर के विद्यालय में पहुंचेगा। वहां 2ः00 बजे तक विद्यालय के प्रांगण में ही अस्थायी पुस्तकालय का रूप देते हुए छात्र-छात्राओं के बीच रुचि अनुसार पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी। विद्यालय बंद होने से पहले सभी छात्रों से पुस्तकें वापस ले ली जाएंगी। दिन के दूसरे हिस्से में गांव के चबुतरें व चैपालों में उक्त पस्तकें ग्रामीणों के बीच पढ़ने के लिए उपलब्ध कराई जाएगी एवं दिन के अंत में पुस्तकें वापस लेकर पुनः जिला मुख्यालय लायी जाएंगी। यही विधि शहरी क्षेत्र की स्लम बस्तियों में चलने वाले दूसरे चलंत पुस्तकालय में भी की जाएगी। 
उद्देश्य
जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि उक्त चलंत पुस्तकालय के पीछे प्रमुख उद्देश्य सुदूर गांव देहात तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को सरकारी योजनाओं, रोजगार समाचार, देश विदेश की खबरों से अवगत कराना है। उन्होंने बताया कि अभी यह चलंत पुस्तकालय एक महीने के लिए प्रायोगिक तौर पर चलाया जा रहा है। यदि ग्रामीण क्षेत्रों से अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है, तो इसे बेहतर स्वरूप दिया जाएगा। 
चलंत पुस्तकालय की शुरूआत के अवसर पर जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी संजय कुमार के अलावा पत्र सूचना कार्यालय रांची के सहायक निदेशक व भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी एसएमएन रिजवी, क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय जमशेदपुर के प्रभारी पदाधिकारी अंजनी कुमार मिश्र, जनसम्पर्क कार्यालय के कर्मी भविष्य कु. शर्मा, गौरव घोष, अनूप कुन्डू, बीरेन्द्र डोगरा तथा चलंत पुस्तकालय के चालक अभय कुमार तथा सामन्त कुमार मौजूद थे।