COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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बुधवार, 26 जुलाई 2017

22 राज्यों में चुंगी (चेक पोस्ट) समाप्त

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई, 2017 से लागू किया गया है। इसके लागू होते ही भारत में 22 राज्यों के सभी चुंगी (चेक पोस्ट) समाप्त कर दिये गये हैं।
विवरण इस प्रकार हैं : आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, सिक्किम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, झारखंड, ओडिशा, पुडुचेरी, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड।
राज्य जहां चुंगियों (चेक पोस्ट) को समाप्त करने की प्रक्रिया जारी है : असम, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, पंजाब, मिजोरम, त्रिपुरा।

जेल बंदियों के लिए वेब एप्लीकेशन लांच 

नई दिल्ली : राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) को जेल में कैद बंदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई है। 28 जून, 2017 को भारतीय विधि संस्थान में आयोजित सम्मेलन में एनएएलएसए ने जेल बंदियों को निःशुल्क कानूनी सेवाएं देने के लिए वेब एप्लीकेशन लांच और एनआईसी के माध्यम से विकसित कानूनी सेवा प्रबंधन प्रणाली लांच किया। वेब एप्लीकेशन के माध्यम से राज्य कानूनी सेवा प्राधिकार तथा जिला कानूनी सेवा प्राधिकार अपने / अपने क्षेत्राधिकार के जेलों में प्रत्येक बंदी के लिए डाटा भरेंगे, ताकि अदालत में वकील के जरिये उनका प्रतिनिधित्व किया जा सके। यह साफ्टवेयर अपनी रिपोर्ट में कैदियों की कुल संख्या, बिना वकील वाले कैदियों की कुल संख्या, कानूनी सेवा अधिवक्ताओं द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए बंदियों की संख्या और अपने निजी वकीलों द्वारा प्रतिनिधित्व कैदियों की संख्या का पता लग जायेगा।
सभी सूचनाएं राज्यवार, जिलेवार, और प्रत्येक जेल के संबंध में उपलब्ध होंगी। रिपोर्ट में कैदी के बंद रहने की अवधि की जानकारी मिलेगी और इससे यह सूचना प्राप्त होगी कि अपराध प्रक्रिया संहिता के सेक्शन 436 (ए) के तहत बंदी जमानत का पात्र है या नहीं। यह वेब एप्लीकेशन कानूनी सेवा प्रणाली को और पारदर्शी बनाएगा और कहीं से भी सभी सक्षम पदाधिकारी कैदियों को दी जाने वाली कानूनी सहायता की अनुमति पर नजर रख सकेंगे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अदालत में पेशी के पहले दिन से सभी बंदियों का प्रतिनिधित्व प्राप्त है।
वेब एप्लीकेशन उच्चतम न्यायलय के न्यायाधीश और एनएएलएसए के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने लांच किया। इस अवसर पर 18 राज्यों के कानूनी सेवा प्राधिकार के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सदस्य सचिव शामिल हुए। वेब एप्लीकेशन लांच होने के बाद एनआईसीपीटी ने ओरियेंटेशन सत्र का आयोजन किया।
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गुरुवार, 29 जून 2017

अनुकंपा के आधार पर ग्रामीण डाक सेवक की नियुक्ति होगी

  • ग्रामीण डाक सेवा के आश्रितों को 3 महीने के भीतर अनुकंपा का लाभ मिलेगा
  • जरूरी हुआ तो आवेदक की ऊपरी उम्र की सीमा में भी छूट दी जाएगी
नई दिल्ली : डाक विभाग ने मौजूदा नियम के तहत ग्रामीण डाक सेवक के आश्रित परिजनों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने के लिए नई शुरुआत की है। ग्रामीण डाक सेवक की नौकरी के दौरान मौत होने पर आश्रित को बिना किसी मुश्किल के तय समय के भीतर अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। किसी भी ग्रामीण डाक सेवक की नौकरी के दौरान बीमारी या किसी दूसरी वजह से मृत्यु होती है, तो उसके परिवार के सदस्य को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिलेगी। जरूरी हुआ तो आवेदक की ऊपरी उम्र की सीमा में भी छूट दी जाएगी। नई योजना की शुरुआत से ग्रामीण डाक सेवक जो कि समाज के कमजोर और गरीब तबके से आते हैं और किसी अनहोनी की स्थिति में जिनपर अचानक मुश्किल आ जाती है, उनके परिजनों को राहत मिलेगी। आश्रितों के निकटतम रिश्तेदारों में भी विस्तार दिया गया है, जिसमें अब निम्नलिखित भी शामिल होंगे :
  • शादीशुदा बेटा जो मां-पिता के साथ रह रहा है और ग्रामीण डाक सेवक के निधन के समय अपनी आजीविका के लिए पिता पर पूरी तरह निर्भर हो
  • तलाकशुदा बेटी जो ग्रामीण डाक सेवक के निधन के समय अपने पिता पर ही पूरी तरह से निर्भर हो
  • ग्रामीण डाक सेवक की बहू जो निधन के समय उन्हीं पर पूरी तरह से निर्भर हो और ग्रामीण डाक सेवक के एकमात्र बेटे का पहले ही निधन हो चुका हो
  • परिवार के सदस्यों में इसके विस्तार का लक्ष्य हमारे समाज में महिलाओं के सामने उनके पति/परिजन के अचानक निधन से पैदा हुई मुश्किल परिस्थितियों में राहत देना है
अलग सेवा शर्त, सामाजिक और वित्तीय हालात और परिवार में वित्तीय अभाव, ज्यादा समय लेने वाली जटिल प्रक्रिया की वजह से गरीबी के आधार पर परिजनों के मूल्यांकन के पुराने तरीके को बदलकर वर्तमान तरीका लागू किया गया है। आगे से अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आए आवेदन पर विचार कर आवेदन प्राप्ति की तारीख से तीन महीने के भीतर इसपर फैसला ले लिया जाएगा। आश्रित को दूर ना जाना पड़े, इसके लिए फैसला किया गया है कि ग्रामीण डाक सेवक के आश्रित को अनुकंपा के आधार पर ग्रामीण डाक सेवक की नियुक्ति वहीं करने की कोशिश की जाएगी, जहां उसका परिवार रहता है।
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आंध्र प्रदेश में भारत की पहली ग्रामीण एलईडी स्ट्रीट लाइटिंग परियोजना क्रियान्वित होगी

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : विद्युत मंत्रालय के अधीनस्थ एनर्जी एफिसिएंसी सर्विसेज लिमिटेड के माध्यम से भारत सरकार आंध्र प्रदेश के सात जिलों की ग्राम पंचायतों में 10 लाख परंपरागत स्ट्रीट लाइट के स्थान पर एलईडी लाइट लगायेगी। यह भारत सरकार की स्ट्रीट लाइटिंग राष्ट्रीय परियोजना (एसएलएनपी) के तहत देश में ग्रामीण एलईडी स्ट्रीट लाइटिंग से जुड़ी पहली परियोजना है। प्रथम चरण में गुंटूर, प्रकाशम, नेल्लोर, कुरनूल, कडप्पा, अनंतपुर और चित्तूर जिलों की ग्राम पंचायतों में यह बदलाव सुनिश्चित किया जायेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में इस बदलाव अभियान से ग्राम पंचायतों को हर साल कुल मिलाकर लगभग 147 मिलियन यूनिट बिजली की बचत करने में मदद मिलेगी और इससे 12 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड (सीओ2) की रोकथाम संभव हो पायेगी। इस परियोजना पर आने वाली कुल पूंजीगत लागत का वित्त पोषण फ्रांकेइसे डे डेवलपमेंट (एएफडी) नामक फ्रांसीसी विकास एजेंसी द्वारा किया जायेगा। इस परियोजना के तहत ईईएसएल अगले 10 वर्षों तक इन ग्राम पंचायतों में समस्त वार्षिक रख-रखाव और वारंटी प्रतिस्थापन का कार्य करेगी।
इससे पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि वर्ष 2018 तक राज्य के समस्त गांवों में लगभग 30 लाख परंपरागत स्ट्रीट लाइट के स्थान पर एलईडी स्ट्रीट लाइट्स लगाई जायेंगी। ईईएसएल ने राज्य सरकार को आश्वासन दिया है कि 10 लाख एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने से बिजली में लगभग 59 प्रतिशत की बचत होगी, जो 88.2 करोड़ रुपये की वार्षिक मौद्रिक बचत के बराबर है। राष्ट्रीय स्तर पर भारत के 21 राज्यों में 23 लाख से भी ज्यादा परंपरागत स्ट्रीट लाइट के स्थान पर एलईडी स्ट्रीट लाइट्स लगाई गई हैं।

ग्रामीण विकास में प्रभावी पहल के लिए 144 पुरस्कृत

नई दिल्ली : ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 19 जून, 2017 को एक पुरस्कार समारोह आयोजित किया। इस कार्यक्रम में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत उपलब्धियां दर्शायी गईं। इस समारोह में विभिन्न योजनाओं के अधीन प्रंशसनीय कार्य करने वाले राज्यों, संस्थानों तथा सरकारी पदाधिकारियों को पुरस्कृत किया गया। जियो-मनरेगा के तहत जल संरक्षण पर लघु फिल्म, मध्य प्रदेश की सौ वर्षीय जनजातीय महिला, जदिया बाई के प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मकान निर्माण तथा पीएमजीएसवाई पर शान द्वारा गाए गए एक दृश्य श्रव्य गीत का भी प्रदर्शन किया गया। ग्रामीण विकास मंत्री ने मनरेगा पर एक नागरिक केंद्रित मोबाइल ऐप की भी शुरूआत की, जिसमें मनरेगा के विभिन्न पहलुओं पर सूचना प्रदान की जा सकती है। ग्रामीण विकास विभाग अपने कार्यक्रम प्रबंधन में सूचना और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का गहन उपयोग करता है और ‘जन-मनरेगा’ ऐप ‘मेरी सड़क’ और ‘आवास’ मोबाइल ऐप विभाग की तीसरी ऐसी नागरिक केंद्रित पहल है।
विभिन्न कार्यक्रमों के अंर्तगत कुल 144 पुरस्कार दिए गए। सतत आजीविका, पारदर्शिता और जवाबदेही, आधार सीडिंग, रूपांतरण और जियो-मनरेगा पर पुरस्कार मनरेगा के तहत दिए गए थे। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंर्तगत सर्वाधिक ग्रामीण सड़कों के निर्माण वाले (बिहार) तथा गैर-परम्परागत निर्माण सामग्री का उपयोग करने वाले (मध्य प्रदेश) राज्यों को पुरस्कार दिए गए। हरियाणा, गुजरात तथा कर्नाटक ने पीएमजीएसवाई (चरण 1 और 2) में लक्ष्य का 95 प्रतिशत से अधिक काम पूरा करने पर विशेष पुरस्कार प्राप्त किए। ऐसे राज्यों को जिन्होंने विभिन्न मापदंड़ों से अच्छा काम किया था, उन्हें पीएमएवाई-जी के अंर्तगत पुरस्कृत किया गया। केंद्रीय भवन अनुसंधान, रुड़की जिसने भवन टाइपोलाजी का तकनीकी परीक्षण उपलब्ध करवाया, ग्रामीण विकास की एनआईसी विभागीय टीम द्वारा तकनीकी सहायता दिए जाने तथा नवीन प्रौद्योगिकियों के उपयोग में महत्वपूर्ण योगदान के लिए यूएनडीपी के सलाहकार, वरिष्ठ नागरिक डॉ. प्रबीर कुमार दास को भी पुरस्कार दिए गए। नौ जिलों के कलैक्टरों को भी अधिकतम संख्या में पीएमएवाई-जी मकान पूरे करने के लिए पुरस्कृत किया गया। महत्वपूर्ण बात यह रही कि नौ जिला कलैक्टरों में से पांच उड़ीसा से थे।

उत्तराखंड व हरियाणा खुले में शौच मुक्त राज्य घोषित

नई दिल्ली : स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंतर्गत उत्तराखंड और हरियाणा ने खुद को देश का चैथा और पांचवां खुले में शौच मुक्त राज्य घोषित किया है। ये दोनों राज्य सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और केरल की श्रेणी में शामिल हो गए हैं, जो पहले ही खुले में शौच मुक्त राज्य घोषित हो चुके हैं। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण शुरू होने के ढाई महीने के भीतर ही राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता का दायरा 42 प्रतिशत से बढ़कर 64 प्रतिशत हो गया है। उत्तराखंड में 13 जिले, 95 ब्लॉक, 7256 ग्राम पंचायतें और 15751 गांव हैं, जबकि हरियाणा में 21 जिले, 124 ब्लॉक और 6083 ग्राम पंचायतें हैं। इन सभी ने क्रमशः देहरादून और चंडीगढ़ में खुद को खुले में शौच मुक्त घोषित किया।
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शेष बचे 4141 गांवों का 2018 तक विद्युतीकरण

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : केंद्रीय बिजली, कोयला, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा एवं खनन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल ने राज्य बिजली मंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि “बिजली ही वह आधार है, जिसके आसपास भारत के प्रत्येक नागरिक को बेहतर जीवन स्तर प्रदान करने के लिए एक उपयुक्त प्रणाली का निर्माण किया जा सकता है”। पीयूष गोयल ने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य पिछले छः महीनों के दौरान राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बिजली, कोयला, नवीकरणीय ऊर्जा तथा खनन क्षेत्रों में किए गए कार्यों की समीक्षा करना है। श्री गोयल ने कहा कि इसके अतिरिक्त इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “न्यू इंडिया” के विजन को ध्यान में रखते हुए निर्धारित समय में सभी के लिए 24 घंटे गुणत्तापूर्ण एवं किफायती बिजली उपलब्ध कराने के लक्ष्यों को अर्जित करने के लिए नई नीतियों का निर्माण करना भी है।  
मंत्री महोदय ने कहा कि यह सम्मेलन एक “परिणाम केंद्रित बैठक” है। उन्होंने वड़ोदरा में आयोजित पिछले राज्य बिजली मंत्रियों के सम्मेलन में दिसंबर, 2018 तक देश के प्रत्येक परिवारों को बिजली उपलब्ध कराने के संकल्प को भी दोहराया। उन्होंने यह भी कहा कि सभी के लिए 24 घंटे गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती बिजली उपलब्ध कराने के मार्ग की चुनौतियां अभी तक समाप्त नहीं हुई है और अगले तीन चार महीनों में शेष बचे 4141 गांवों का विद्युतीकरण करने के लिए अंतिम रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है।
श्री गोयल ने पारदर्शिता और जवाबदेही की चर्चा करते हुए कहा कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र में कई मोबाइल ऐप और वेबपोर्टलों का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता इस सरकार की एक पहचान है। मंत्री महोदय ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को राज्य तथा केंद्र सरकार के एक सामूहिक, समन्वयात्मक एवं सहयोगात्मक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने को प्रोत्साहित किया, जो कि देश में एक भ्रष्टाचार मुक्त बिजली क्षेत्र के निर्माण में सहायक होगा। इस सम्मेलन में 23 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों एवं वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर बिजली सचिव पी. के. पुजारी, खनन सचिव अरुण कुमार, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा सचिव राजीव कपूर समेत मंत्रालय तथा मंत्रालय के तहत सीपीएसयू के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

15 मई तक 13,469 गांवों का बिजलीकरण हुआ

नई दिल्ली : पंडित दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय (अंतिम व्यक्ति की सेवा) दर्शन के अनुरूप 20 नवबंर, 2014 को भारत सरकार ने दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) को स्वीकृति दी। यह एकीकृत योजना है, जिसमें ग्रामीण बिजली वितरण के सभी पक्ष यानी फीडर का अलगाव, प्रणाली सुदृढीकरण तथा मीटरिंग शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2015 को स्वतंतत्रा दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए 1000 दिनों के अंदर बिजली से वंचित सभी गांव को बिजली प्रदान करने का संकल्प व्यक्त किया था। इसलिए, भारत सरकार ने ग्रामीण बिजलीकरण कार्यक्रम को मिशन मोड में लिया और मई, 2018 तक बिजलीकरण का काम पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया।
15 मई, 2017 तक बिजली सुविधा से वंचित 18,452 गांव में से 13,469 गांव में बिजली पहुंचा दी गयी है। पूर्ववर्ती योजना के शेष ग्रामीण बिजलीकरण कार्य डीडीयूजीजेवाई में समाहित किये गये हैं। योजना की परिव्यय राशि 43,033 करोड़ रुपये है। इसमें 3345 करोड़ रुपये भारत सरकार का अनुदान है। पुराने ग्रामीण कार्य को समाहित करने के साथ समग्र परिव्यय राशि भारत सरकार की अनुदान राशि 63,027 करोड़ रुपये सहित 75,893 करोड़ रुपये है।
नई डीडीयूजीजेवाई योजना के अंतर्गत परियोजना लागत की 60 प्रतिशत (विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 85 प्रतिशत) की दर से भारत सरकार अनुदान देती है। निर्धारित मानदंडों को पूरा करने पर 15 प्रतिशत की दर से अतिरिक्त अनुदान (विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 5 प्रतिशत) दिया जाता है। इस योजना के अंतर्गत 32 राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए 42,553.17 करोड़ रुपये की परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं। इनमें फीडर अलगाव के लिए (15572.99 करोड़ रुपये), प्रणाली सुदृढीकरण तथा ग्रामीण घरों से जोड़ने के लिए (19706.59 करोड़ रुपये), मीटरिंग (3874.48 करोड़ रुपये), ग्रामीण बिजलीकरण (2792.57 करोड़ रुपये) तथा सांसद आदर्श ग्राम योजना (398.54 करोड़ रुपये) शामिल है।
ग्रामीण बिजलीकरण कार्य की प्रगति की निगरानी के लिए फील्ड में 350 से अधिक ग्राम विद्युत अभियंता (जीवीए) तैनात किये गये हैं। बिजली सुविधा से वंचित 18,452 गांवों में बिजलीकरण की प्रगति की निगरानी के लिए जीएआरवी मोबाइल एप विकसित किया गया। जीएआरवी एप में जीवीए फील्ड फोटोग्राफ, डाटा तथा अन्य सूचना अपडेट करते हैं। सभी 5.97 लाख गांवों में घरों के बिजलीकरण की निगरानी के लिए 20 दिसंबर, 2016 को अद्यतन जीएआरवी एप को लांच किया गया। अद्यतन जीएआरवी में संवाद-पारदर्शिता और दायित्त स्थापित करने में नागरिकों को शामिल करने का विशेष फीचर है। योजना से ग्रामीणों की जीवनशैली बदलने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र सामाजिक आर्थिक विकास होने की आशा है। योजना के निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिणाम हैं :
  • कृषि में उत्पादकता वृद्धि
  • महिलाओं के लिए निरसता कम करना
  • बच्चों की शिक्षा में सुधार
  •  सभी गांवों तथा घरों से संपर्क
  • ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वसनीय बिजली सेवा
  • स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं देने में सुधार
  • संचार साधनों (रेडियो, टेलीफोन, टेलीविजन, मोबाइल) तक पहुंच में सुधार
  • बिजली व्यवस्था से जनसुरक्षा में सुधार।
योजना में राज्यों की स्थानीय आवश्यकता/प्राथमिकता के अनुसार कार्य चुनने में लचीलापन है। जनसंख्या मानक को समाप्त कर दिया है और जनसंख्या प्रतिबंध के बिना सभी गांवों व मोहल्लों को योजना के अंतर्गत पात्र माना गया है। डीपीआर तैयार करते समय राज्य जिला बिजली समिति (बीईसी) से परामर्श करेंगे और योजना में सांसदों के सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के प्रस्तावों को आवश्यक रूप से शामिल करना होगा। योजना की अन्य विशेषताओं में अनिवार्य ई-निविदा, मानक निविदा दस्तावेज का परिपालन शामिल है। निजि बिजली वितरण कंपनियां तथा आरई को-आॅपरेटिव सोसाइटी भी योजना के अंतर्गत पात्र हैं। योजना की समीक्षा दिशा (जिला विकास समन्वय तथा निगरानी समिति) द्वारा की जा रही है। भारत सरकार ग्रामीण जनता की जिंदगी में परिवर्तन लाने और सभी के लिए 24 घंटे बिजली देने के लिए संकल्पबद्ध है।
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रविवार, 23 अप्रैल 2017

नव काव्यांजलि एक निर्भीक अभिव्यक्ति

समीक्षक : बसंत कुमार राय
 पुस्तक समीक्षा 
राजीव मणि द्वारा संपादित ‘नव-काव्यांजलि’ में ‘अपनी बात’ कहते हुए संपादक की यह उक्ति अच्छी लगी कि संग्रह में मौजूद गलतियों की जवाबदेही उन पर है, लेकिन खूबियों का श्रेय कवियों को जाता है। प्रश्न उठता है कि किस प्रकार की गलतियों के लिए वे दायित्व ले रहे हैं? क्या इनमें रचनागत त्रुटियाँ भी शामिल है? यदि हाँ, तो कमियों के बचाव के लिए उनका पक्ष अनूठा है।
किसी भी कविता में कविता इस बात पर निर्भर करती है कि कवि वस्तु को किस तरह देखता है, क्योंकि वस्तु की भौतिक सत्ता कविता में गौण हो जाती है। ऐसे में कवि अपनी अंतर्दृष्टि के सहारे उसे संरचनागत विस्तार देता है। यहीं वह प्रस्थान बिंदु भी है, जहाँ से कवि अपनी निजता का अतिक्रमण भी करता चलता है। वस्तु की सर्वस्वीकार्यता प्रस्तुत करने की यह प्रक्रिया कवि की अवलोकन क्षमता, संवेदना की गहराई, रचने के लिए शिल्प के चुनाव के विवके पर बहुत ज्यादा निर्भर करती है। यहाँ रचना के अबूझ बन जाने का खतरा रहता है, जिससे आधुनिक कविता बुरी तरह पीड़ित है, लेकिन पाठक रचना को छोड़ रचनाकार (कवि) का नाम देखकर वाह-वाह कर देते हैं।
Nav Kavyanjali
ऐसा भी होता है कि वस्तु का विन्यासगत विस्तार करते-करते कवि स्थूल विवरणों के सहारे अपने कत्र्तव्य की इतिश्री समझ लेता है। तब कविता निश्प्राण हो जाती है। यह एक बड़ी कमजोरी है, जिसको देखते हुए प्रकाशक कविता की पुस्तक छापने से घबराते हैं। यह संग्रह इस कमजोरी से मुक्त नहीं है, लेकिन संपादक कुछ अच्छी रचनाओं को सामने रखकर ‘नव काव्यांजलि’ प्रकाशित करने के लिए निश्चितरूपेण प्रशंसा के पात्र हैं। 
संग्रह की कुछ कविताओं में जीवन का मर्म, उसकी पेंददगियां, उसमें निहित प्रेम और करूणा, ईष्र्या-द्वेष, आशा-आकांक्षा, भ्रम और छल, संघर्ष, हिंसा और प्रतिहिंसा का विद्रूप खुलकर सामने आया है। दरअसल में काव्य रचना की चारित्रिक खूबियां हैं कि वह अपनी बनावट में लोकतांत्रिक हैं। राजनीतिक लोकतंत्र की अवधारणा से परे रचनागत लोकतांत्रिकता कविता की विशिष्ट पहचना है। यह तब भी कविता में थी, जब धरती पर लोकतंत्र नहीं था। कुम्भन दास की यह उक्ति-भक्तन को कहां सीकरी सो काम, स्वयं में एक पुख्ता प्रमाण है। ऐसे तो भक्ति आंदोलन का सूत्रपात ही लोकोन्मुखी प्रवृत्तियों के कारण लोकभाषाओं में हुआ। इसलिए न्यायसंगत मान्यता के तहत कविता संपूर्ण चराचर की निर्भीक अभिव्यक्ति है। मुझे खुशी हुई कि इस संग्रह में ज्यादातर कवियों की चिन्ता में आमजन सहित नदी, पेड, चिड़ियाँ, पहाड़ आदि शामिल हैं। 
सृष्टि का स्वरूप ही काव्यमय है। कोई भी कविता इस सत्य के अनुरूप ही शलाध्य हो सकती है। कहना न होगा कि मनुष्य ने काव्यमयता को बिगाड़ने की भरपूर कोशिश की है। यह कोशिश लगातार जारी है। कविता ऐसी कोशिश के खिलाफ किस तरह खड़ी है, यह उसकी सबसे बड़ी चुनौती है। संग्रहित कवियों से यह उम्मीद की जाती है कि इस आसन्न चुनौती से वे मुंह न मोड़ेंगें।
समीक्षक : बसंत कुमार राय

सरकार हज यात्रियों को पानी के जहाज से पुनः सऊदी अरब के जेद्दा शहर भेजने के विकल्प पर विचार कर रही

नई पॉलिसी का उद्देश्य हज प्रक्रिया को आसान व पारदर्शी बनाना : नकवी 

नई दिल्ली : केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि आने वाले दिनों में समुद्री मार्ग से हज यात्रा दोबारा शुरू कराने हेतु सक्रिय विचार चल रहा है और इस सम्बन्ध में पोत परिवहन मंत्रालय से बातचीत की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। श्री नकवी ने यह बात मुंबई में हज हाउस में हज 2017 के सम्बन्ध में आयोजित किये जा रहे एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कही। श्री नकवी ने कहा कि हज नीति 2018 तय करने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति यात्रियों को पानी के जहाज से पुनः सऊदी अरब के जेद्दा शहर भेजने के विकल्प पर सक्रिय विचार कर रही है। 
श्री नकवी ने कहा कि सरकार समुद्री मार्ग सहित सभी विकल्पों पर गौर कर रही है। अगर चीजें तय होती हैं, तो यह एक क्रांतिकारी और हजयात्रियों के हित में फैसला होगा। हजयात्रियों के मुंबई से समुद्री मार्ग के जरिये जेद्दा जाने का सिलसिला 1995 में रुक गया था। 
हज यात्रियों को जहाज (समुद्री मार्ग) से भेजने पर यात्रा संबंधी खर्च करीब आधा हो जाएगा। मौजूदा समय में मुंबई और दिल्ली सहित 21 स्थानों से हज की उड़ानें जेद्दा के लिए जाती हैं। नई तकनीक एवं सुविधाओं से युक्त पानी का जहाज एक समय में चार से पांच हजार लोगों को ले जाने में सक्षम हैं। मुंबई और जेद्दा के बीच 2,300 नॉटिकल मील की एक ओर की दूरी सिर्फ दो-तीन दिनों में पूरी कर सकते हैं। जबकि पहले पुराने जहाज से 12 से 15 दिन लगते थे। 
श्री नकवी ने कहा कि उच्च स्तरीय कमेटी अपनी रिपोर्ट जल्द ही सौंप देगी। नई हज पालिसी का उद्देश्य हज की संपूर्ण प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना है। इस नई पालिसी में हज यात्रियों के लिए विभिन्न सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जायेगा। श्री नकवी ने कहा कि इस बार अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सम्बंधित एजेंसियों के साथ मिल कर हज 2017 की तैयारी बहुत पहले से शुरू कर दी थी। अल्पसंख्यक मंत्रालय का उद्देश्य है कि हज यात्रा के दौरान हाजियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं मिलें। श्री नकवी ने कहा कि हज 2017 आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन करने के जबरदस्त नतीजे सामने आये हैं। इस वर्ष कुल प्राप्त आवेदनों में 1,29,196 ऑनलाइन आवेदन किये गए, जो ‘डिजिटल इंडिया’ की ओर भारत के बढ़ते कदम का उदाहरण हैं। 
श्री नकवी ने कहा कि सऊदी अरब द्वारा भारत से वार्षिक हज पर जाने वाले यात्रियों के कोटे में बढ़ोतरी किये जाने का लगभग सभी राज्यों को फायदा हुआ है। और राज्यों से इस वर्ष जाने वाले हज यात्रियों के कोटे में बड़ी बढ़ोतरी कर दी गयी है। सऊदी अरब ने 2017 के लिए भारत के वार्षिक हज कोटे में 34,005 की वृद्धि कर दी है। इस सम्बन्ध में इस वर्ष 11 जनवरी को सऊदी अरब के जिद्दा में द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे। वर्षों बाद भारत से हज पर जाने वाले यात्रियों के कोटे में इतनी बड़ी वृद्धि की गई है। हज 2016 में भारत भर में 21 केंद्रों से लगभग 99,903 हाजियों ने हज कमेटी ऑफ इंडिया के जरिये हज किया और लगभग 36 हजार हाजियों ने प्राइवेट टूर ऑपरेटरों के जरिये हज की अदायगी की थी। 
हज 2017 के लिए सऊदी अरब द्वारा कोटे में की गई वृद्धि के बाद हज कमेटी ऑफ इंडिया के माध्यम से 1,25,025 हाजी हज यात्रा पर जायेंगे। जबकि 45,000 हज यात्री प्राइवेट टूर ऑपरेटरों के माध्यम से हज पर जायेंगे। इस तरह इस वर्ष कुल 1,70,025 हज यात्री भारत से हज यात्रा पर जायेंगे।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में हज 2017 के लिए चुने गए प्रशिक्षकों को हज कमिटी ऑफ इंडिया, मुंबई में किंगडम ऑफ सऊदी अरब के रॉयल कांसुलेट, मुंबई नगर पालिका, सऊदी एयरलाइन्स, एयर इंडिया, कस्टम्स, आप्रवासन के अधिकारियों एवं डॉक्टरों ने हज यात्रा के दौरान ‘क्या करें, क्या ना करें’ की जानकारी दी। इसमें यातायात, जेद्दा में आवास, सऊदी अरब के कानूनों की जानकारी शामिल थी। इस कार्यक्रम में 500 से अधिक प्रशिक्षकों ने भाग लिया। ये प्रशिक्षक देश भर में ट्रेनिंग कैंप लगाकर हाजियों को प्रशिक्षण देंगे।
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एक करोड़ मनरेगा परिसंपत्तियां भू-चिन्हित

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : इसके अंतर्गत हर वर्ष औसतन करीब 30 लाख परिसंपत्तियों का निर्माण किया जाता है, जिनमें अनेक कार्य शामिल होते हैं, जैसे जल संरक्षण ढांचों का निर्माण, वृक्षारोपण, ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का सृजन, बाढ़ नियंत्रण के उपाय, स्थायी आजीविका के लिए व्यक्तिगत परिसंपत्तियों का निर्माण, सामुदायिक ढांचा और ऐसी ही अन्य परिसंपत्तियां शामिल होती हैं। मनरेगा परिसंपत्तियों को भू-चिन्हित यानी जिआ-टैग करने की प्रक्रिया जारी है और इस कार्यक्रम के अंतर्गत सृजित सभी परिसंपत्तियां जिआ-टैग की जाएंगी। राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन कार्यों, विशेष रूप से जल संबंधी कार्यों को भू-चिन्हित यानी जिआ-टैग करने पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। 
जिआ-मनरेगा ग्रामीण विकास मंत्रालय का एक बेजोड़ प्रयास है, जिसे राष्ट्रीय दूर संवेदी केन्द्र (एनआरएससी), इसरो और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के सहयोग से अंजाम दिया जा रहा है। इसके लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 24 जून, 2016 को एनआरएससी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत के अंतर्गत सृजित परिसंपत्तियों को जिओ-टैग किया जाना है। इस समझौते के फलस्वरूप राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान की सहायता से देशभर में 2.76 लाख कर्मिकों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उम्मीद की जा रही है कि भू-चिन्हित करने की प्रकिया से फीड स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी।

छात्रों को डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय प्रतिभा पुरस्कार 

नई दिल्ली : माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय परीक्षा 2016 के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिभाशाली छात्रों को एक समारोह में डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय प्रतिभा पुरस्कार प्रदान किए गए। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, विजय सांपला और रामदास अठावले ने 2016 की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिभाशाली छात्रों को पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर ‘कलेक्टेड वर्क्स ऑफ बाबासाहेब अम्बेडकर’ का नया मुद्रित संस्करण और ऑडियो सीडी का एक सेट भी जारी किया गया। समारोह का आयोजन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन डॉ. अम्बेडकर फाउंडेशन ने किया था।
पुरस्कारों को 2 वर्गों में वितरित किया गया। पहले वर्ग में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वे छात्र शामिल थे, जिन्होंने 2016 की माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया। चूंकि पहली, दूसरी और तीसरी श्रेणी में कोई छात्रा नहीं है, इसलिए सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाली छात्रा के लिए विशेष पुरस्कार की घोषणा की गई, ताकि कन्या शिक्षा को प्रोत्साहित किया जा सके। पुरस्कार के दूसरे वर्ग में उच्च माध्यमिक विद्यालय परीक्षा 2016 में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को पुरस्कृत किया गया। 10वीं कक्षा में कुल 79 छात्रों को और 12वीं कक्षा में कुल 105 छात्रों को पुरस्कार दिये गए। प्रथम पुरस्कार में 60 हजार रुपये, दूसरे पुरस्कार में 50 हजार रुपये और तीसरे पुरस्कार में 40 हजार रुपये का नकद पुरस्कार है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री एवं डॉ. अम्बेडकर फाउंडेशन के अध्यक्ष थावर चंद गहलोत ने अपने संदेश में कहा कि शिक्षा बहुत शक्तिशाली उपकरण है और हर छात्र की उस तक पहुंच होनी चाहिए। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि वे पढ़ाई में खुद को समर्पित कर दें, ताकि समाज और राष्ट्र का लाभ हो। उन्होंने छात्रों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। विजय सांपला ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने अनुसूचित जातियों की उन्नति के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वे ज्ञान के प्रतीक थे। हमें उनके जीवन से जीने की शैली सीखनी चाहिए।
रामदास अठावले ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने हमें गौरव के साथ जीना सिखाया और वे हम सबके प्रेरणास्रोत थे। उनका मानना था कि हमारी उन्नति के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। उनका कहना था कि छात्रों को केवल रोजगार प्राप्त करने पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि उन्हें स्वयं अपना उपक्रम शुरु करना चाहिए। इस संबंध में अनुसूचित जातियों की सहायता के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की वेंचर कैपिटल फंड की योजना मौजूद है।
इस अवसर पर कृष्णपाल गुर्जर ने प्रतिभाशाली छात्रों को बधाई दी और कहा वे देश के भविष्य हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मान का विषय है कि इन पुरस्कारों को डॉ. भीम राव अम्बेडकर के नाम पर दिया जाता है, जिन्होंने समानता के लिए संघर्ष किया था। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने डॉ. अम्बेडकर से जुड़े पांच स्थानों को ‘पंचतीर्थ’ के रूप में घोषित किया है। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि वे अपना लक्ष्य स्वयं निर्धारित करें और उसे प्राप्त करने का प्रयास करें।  

3.54 करोड़ विद्यार्थियों को 14 छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ 

नई दिल्ली : अनुसूचित जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों (अपिव) विमुक्त, घुमंतु और अर्द्ध-घुमंतु जातियों के विद्यार्थियों के लिए 14 स्कालरशिप योजनाएं डिजिटल भुगतान के अंतर्गत संचालित की जा रही हैं, जिनका लाभ 3.54 करोड़ विद्यार्थियों को मिल रहा है। छात्रवृत्ति की समस्त राशि विद्यार्थियों के बैंक खातों में अंतरित की जा रही है और अजा. विद्यार्थियों के 60 प्रतिशत बैंक खाते आधार से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि छात्रवृत्तियों, विद्यार्थियों के लिए छात्रावासों, प्रशिक्षण सुविधाओं, परिसरों, संस्थानों के निर्माण / उन्नयन के लिए पूंजी प्रदान करने आदि उपायों के जरिए अनुसूचित जातियों से सम्बद्ध विद्यार्थियों का शैक्षिक सशक्तिकरण किया जा रहा है। यह जानकारी केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने “प्रमुख सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों” के बारे में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी। 
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय अलग-अलग तरह की सात छात्रवृत्तियां कार्यान्वित करता है, जिनमें मैट्रिक-परवर्ती और मैट्रिक-पूर्ववर्ती छात्रवृत्तियां, टॉप क्लास स्कालरशिप, राष्ट्रीय विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति, अनुसूचित जातियों के लिए यूजीसी द्वारा संचालित राष्ट्रीय फेलोशिप, अस्वच्छ व्यवसायों में लगे व्यक्तियों के बच्चों के लिए प्री-मैट्रिक स्कालरशिप, अनुसूचित जातियों और अपिव के लिए निशुल्क कोचिंग (70: 30 अनुपात में) और योग्यता उन्नयन छात्रवृत्तियां शामिल हैं। भारत सरकार का यह विश्वास है कि सब के लिए शिक्षा सशक्तिकरण की कुंजी है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय अपने बजट का करीब 54 प्रतिशत अनुसूचित जातियों के लिए छात्रवृत्तियों पर खर्च करता है। 
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की प्रत्येक शाखा को वित्त मंत्रालय द्वारा एक उद्यमी के रूप में कम से कम एक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के युवक की सहायता करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे कि उनके बीच अधिक रोजगार का सृजन किया जा सके। 

सरकार ने श्रम कानूनों और नियमों को आसान बनाया 

नई दिल्ली : सरकार ने विभिन्न प्रतिष्ठानों द्वारा श्रम कानूनों और नियमों के परिपालन को सहज बनाने के लिए अभियान शुरू किया है। निश्चित श्रम कानून नियमों 2017 के अंतर्गत फॉर्मों और रिपोर्टों को तर्क संगत बनाने से आवेदनों तथा रिपोर्टों की संख्या 3 अधिनियमों और उनके नियमों के अंतर्गत कम होकर 36 से 12 हो गई है। इस अभियान का उद्देश्य उपायोगकर्ता के लिए फॉर्मों और रिपोर्टों को समझने में सहज बनाना है। इससे प्रयास, लागत में बचत होगी और विभिन्न प्रतिष्ठानों के अनुपालन बोझ में कमी आयेगी। 2013-14 में केन्द्रीय सांख्यकी कार्यालय की छठी आर्थिक गणना के अनुसार, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों में लगभग 5.85 करोड़ प्रतिष्ठान हैं।
विभिन्न श्रम कानूनों के तहत फॉर्म भरने की आवश्यकता की समीक्षा में पाया गया कि तीन अधिनियमों और उनके अंतर्गत बने कानूनों के 36 फॉर्म अनावश्यक थे। इसलिए श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा परस्पर रूप से जुड़ें फॉर्मों को समाप्त करने और फॉर्मों की संख्या कम करने का अभियान चलाया। 9 फरवरी, 2017 को फॉर्मों तथा रिपोर्टों की संख्या घटाने के आशय की अधिसूचना पब्लिक डोमेन में आई और इस बारे में आपत्तियों और सुझावों को सभी हितधारकों से मांगा गया।
श्रम कानून जिसके अंतर्गत यह फॉर्म भरे जाते हैं, निम्नलिखित हैं :
  • अनुबंध श्रमिक (विनियमन और समाप्ति) अधिनियम, 1970
  • अंतर राज्यीय प्रवासी कर्मी (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1979
  • भवन तथा अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996

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सोमवार, 27 मार्च 2017

शहरी गरीबों के लिए अधिक किफायती आवास

  • पुद्दुचेरी के लिए 3,128 और हिमाचल प्रदेश के लिए 2,655 आवास
  • कर्नाटक के लिए 31424 आवास, मध्य प्रदेश-27475, बिहार-25221, झारखंड-20099, केरल-11480 और ओडीशा-2115 आवासों को मंजूरी
  • अबतक किफायती आवासों के लिए एक लाख करोड़ रुपये के निवेश की मंजूरी
नई दिल्ली : आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना-पीएमएवाई (शहरी) के तहत पुद्दुचेरी के शहरी गरीबों के लिए 3128, तेलंगाना के लिए 924 और हिमाचल प्रदेश के लिए 2655 और किफायती आवासों की मंजूरी दी है। 
मंत्रालय ने कल शहरी गरीबों के लिए 1,24,521 किफायती आवासों के लिए मंजूरी दी है। अबतक पीएमएवाई (शहरी) के अंतर्गत मंजूर किए गए 95,671 करोड़ रुपये के निवेश से ऐसे आवासों का निर्माण किया जा रहा है। इन आवासों के निर्माण के लिए केंद्र से 27,766 करोड़ रुपये की सहायता राशि मंजूर की गई है।
शहरी क्षेत्रों में आवासीय मिशन की प्रगति को ध्यान में रखते हुए आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि शहरी गरीबों के लिए आवासों के निर्माण में संबंधित शहर और राज्य सरकारें कम समय में आवश्यक कदम उठाएं।
पुद्दुचेरी के लिए 47 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 131 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत से पीएमएवाई (शहरी) के लाभार्थी आधारित निर्माण (बीएलसी) के अंतर्गत चार कस्बों में 3,128 आवासों के लिए मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही पुद्दुचेरी के लिए मंजूर किए गए आवासों की कुल संख्या बढ़कर 3,848 हो गई है। पुद्दुचेरी के लिए 2093, कराइकल-592, यनाम-358 और माहे-85 आवास हैं।
तेलंगाना में सिद्दीपेट के लिए 14 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ कुल लगभग 14 करोड़ रुपये की लागत से बीएलसी के अंतर्गत 924 आवास और निर्मित करने की मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही पीएमएवाई (शहरी) के अंतर्गत राज्य के लिए मंजूर किए गए आवासों की कुल संख्या बढ़कर 81,405 हो गई है।
हिमाचल प्रदेश के 12 कस्बों के लिए 40 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 102 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत से 2655 आवासों के लिए मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही पीएमएवाई (शहरी) के अंतर्गत राज्य के लिए अबतक मंजूर किए गए आवासों की कुल संख्या बढ़कर 4,569 हो गई है। हिमाचल प्रदेश में नालागढ़ के लिए 531, नाहन-289, धर्मशाला-227, ऊना-217, मंडी-174, शिमला-61, चाबा-57, बिलासपुर-37, सोलन-27, बड्डी-25, कुल्लु-9 और परवाना-1 आवास की मंजूरी दी गई है।
पीएमएवाई (शहरी) के बीएलसी के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को अपनी भूमि पर पक्का मकान बनाने या मौजूदा मकान में सुधार करने के लिए 1.50 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त पीएमएवाई (शहरी) के अंतर्गत कर्नाटक के लिए 31424 आवास, मध्य प्रदेश-27475, बिहार-25221, झारखंड-20099, केरल-11480 और ओडीशा-2115 आवासों को मंजूरी दी गई है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 25 जून, 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का शुभारंभ किया गया था। इसका उद्देश्य सभी शहरी गरीबों के लिए आवश्यक सुविधा के साथ पक्का मकान उपलब्ध कराना है।
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सभी राज्यों में ‘हुनर हब’ बनाये जायेंगे

  • देश के अल्पसंख्यक समाज के दस्तकारों, शिल्पकारों का डेटा बैंक तैयार किया जा रहा
  • केंद्र सरकार देश भर के एक लाख मदरसों, शिक्षण संस्थानों में शौचालय का निर्माण करेगी
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर के 5 शिक्षण संस्थानों की स्थापना
नई दिल्ली : केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि अल्पसंख्यक समाज के दस्तकारों-शिल्पकारों की कला-कौशल की विरासत को मार्किट-मौका मुहैया कराने के लिए सभी राज्यों में ‘हुनर हब’ बनाये जायेंगे। श्री नकवी ने कहा कि देश भर के अल्पसंख्यक समाज के दस्तकारों, शिल्पकारों का ‘डेटा बैंक’ तैयार किया जा रहा है। नई दिल्ली में आयोजित बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी), छात्रवृत्ति और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करने के लिए राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों के प्रधान सचिवों, अल्पसंख्यक कल्याण प्रभारी, सचिवों के सम्मेलन में श्री नकवी ने यह बात कही।
श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक समाज की पुश्तैनी शिल्पकारी-दस्तकारी को आधुनिक युग की जरुरत के हिसाब से कौशल विकास के जरिये तराशने हेतु बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है, जिनमें राजगीर, बढ़ई, जरदोजी, टेलरिंग, हाउस कीपिंग, आधुनिक-आर्गेनिक कृषि, कुम्हार, ज्वेलरी, यूनानी-आयुर्वेद अनुसंधान, ब्रास, कांच, मिट्टी से निर्मित सामग्री का निर्माण शामिल है। श्री नकवी ने कहा कि हुनर हब के संबंध में राज्य अपने प्रस्ताव भेजे, ताकि अगले वित्तीय वर्ष में कम से कम दो दर्जन राज्यों में ऐसे हुनर हब का निर्माण हो सके, जहां हुनर हाट एवं अन्य सामाजिक-शैक्षिक, कौशल विकास की गतिविधियां की जा सके। श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा आयोजित दो हुनर हाट बहुत ही लोकप्रिय साबित हुए हैं। हुनर हाट के माध्यम से अल्पसंख्यक समाज के दस्तकारों, शिल्पकारों को अपनी कला को देश ही नहीं, विदेश के दर्शकों के सामने प्रदर्शित करने का मौका मिला है।   
श्री नकवी ने कहा कि पिछले 6 महीनों में लगभग 262 करोड़ की लागत से 200 से ज्यादा “सद्भाव मंडप” और लगभग 24 “गुरुकुल” प्रकार के आवासीय स्कूलों को स्वीकृति दी गई है। सद्भाव मंडप विभिन्न प्रकार के सामाजिक - शैक्षिक - सांस्कृतिक एवं कौशल विकास की गतिविधियों का संपूर्ण केंद्र होंगे, साथ ही यह किसी आपदा के समय राहत केंद्र के रूप में भी इस्तेमाल किये जा सकेंगे।
श्री नकवी ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन को मजबूती देने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। केंद्र सरकार देश भर के एक लाख मदरसों, शिक्षण संस्थानों में शौचालय का निर्माण करेगी। श्री नकवी ने कहा कि इन शैक्षिक केंद्रों में सरकार की योजना मध्याह्न भोजना योजना और शिक्षकों के लिए अपग्रेड कौशल योजना शुरू करने की भी है, जो कि ‘3-टी’ सूत्र - टीचर, टिफिन और टॉयलेट का हिस्सा है। श्री नकवी ने कहा कि इस योजना की सफलता में राज्यों की बड़ी ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
श्री नकवी ने कहा कि कई वर्षों के बाद अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में बड़ी वृद्धि की है। 2017-18 के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट बढ़ाकर 4195.48 करोड़ रुपए कर दिया गया है। यह पिछले बजट के 3827.25 करोड़ रुपए के मुकाबले 368.23 करोड़ रुपए (9.6 प्रतिशत की वृद्धि) अधिक है। श्री नकवी ने कहा कि बजट में बढ़ोतरी से अल्पसंख्यकों के सामाजिक - आर्थिक - शैक्षिक सशक्तिकरण में मदद मिलेगी। श्री नकवी ने कहा कि इस बार बजट का 70 प्रतिशत से ज्यादा धन अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण एवं कौशल विकास, रोजगारपरक ट्रेनिंग पर खर्च किया जायेगा। बजट का बड़ा भाग विभिन्न स्कालरशिप, फेलोशिप और कौशल विकास की योजनाओं जैसे - सीखो और कमाओ, नई मंजिल, नई रौशनी, उस्ताद, गरीब नवाज कौशल विकास केंद्र, बेगम हजरत महल स्कॉलरशिप पर खर्च किये जाने का प्रावधान है। इसके अलावा बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी) के तहत भी शैक्षिक विकास की गतिविधियों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर धन खर्च किया जायेगा।  
श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय, अल्पसंख्यकों को बेहतर पारंपरिक एवं आधुनिक शिक्षा मुहैय्या कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के 5 शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर रहा है। तकनीकी, मेडिकल, आयुर्वेद, यूनानी सहित विश्वस्तरीय कौशल विकास की शिक्षा देने वाले संस्थान देश भर में स्थापित किये जायेंगे। एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जो शिक्षण संस्थानों की रुपरेखा-स्थानों आदि के बारे में चर्चा कर रही है और जल्द ही अपनी विस्तृत रिपोर्ट देगी और मंत्रालय की कोशिश होगी कि यह शिक्षण संस्थान 2018 से काम करना शुरू कर दें। इन शिक्षण संस्थानों में 40 प्रतिशत आरक्षण लड़कियों के लिए किये जाने का प्रस्ताव है।
अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए किये जा रहे हमारे प्रयासों में गरीब नवाज स्किल डेवलपमेंट सेंटर शुरू करना, छात्राओं के लिए बेगम हजरत महल स्कालरशिप, करना एवं 500 से ज्यादा उच्च शैक्षिक मानकों से भरपूर आवासीय विद्यालय एवं रोजगार परक कौशल विकास केंद्र शामिल हैं। सम्मेलन का उद्देश्य 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कार्यान्वित अल्पसंख्यक मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं की कार्यक्षमता की समीक्षा करने के साथ-साथ 14वें वित्त आयोग (2017-18 से 2019-20 तक) की शेष अवधि के दौरान कार्यान्वयन के लिए राज्यों के सुझाव प्राप्त करना है।
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रविवार, 12 मार्च 2017

Happy Holi

2017 में 1,70,025 लोग हज यात्रा पर जायेंगे

हज कोटा में वृद्धि से सभी राज्यों को लाभ 
 स्ंक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : सऊदी अरब सरकार द्वारा भारत के वार्षिक हज कोटा में वृद्धि किये जाने से सभी राज्यों को लाभ हुआ है, क्योंकि 2017 की हज यात्रा के लिए राज्यों के कोटे में भी वृद्धि हुई है। राज्यों का हज कोटा 9 मार्च, 2017 को जारी किया गया और तीर्थ यात्रियों के चयन की प्रक्रिया लॉटरी के जरिये 14 मार्च से शुरू होगी।
सऊदी अरब ने भारत का हज कोटा बढ़ाकर 34,005 कर दिया है। इस संबंध में निर्णय 11 जनवरी, 2017 को जेद्दा में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मुख्तार अब्बास नकवी और सऊदी अरब सम्राज्य के हज तथा उमरा मंत्री डॉ. मोहम्मद सालेह बिन ताहेर बेनतेन द्वारा भारत और सऊदी अरब के बीच द्विपक्षीय वार्षिक हज समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान लिया गया था।
2016 की हज यात्रा के दौरान भारत के 21 ठिकानों से लगभग 99,903 हज यात्री जेद्दा गए थे। इसके अतिरिक्त 36 हजार हज यात्री निजी टूर आॅपरेटरों के मार्फत जेद्दा गए थे। 2017 हज के लिए भारत से 1,70,025 हज यात्री जेद्दा जायेंगे। इसमें से 1,25,025 हज यात्री भारत की हज समिति के माध्यम से और 45 हजार हज यात्री निजी टूर आॅपरेटरों के माध्यम से जायेंगे।
हज कोटा में वृद्धि से सभी राज्यों को लाभ हुआ है। गुजरात के लिए हज कोटा वर्ष 2016 में 7044 था, जो 2017 हज के लिए बढ़कर 10877 हो गया। उत्तर प्रदेश का हज कोटा 21,828 से बढ़कर 29,017 हो गया है। हरियाणा का कोटा पिछले वर्ष के 1011 से बढ़कर 1343, जम्मू कश्मीर का कोटा 6359 से बढ़कर 7960 और कर्नाटक का कोटा पिछले साल के 4477 से बढ़कर 5951 हो गया है। महाराष्ट्र में पिछले वर्ष के 7357 की तुलना में 9780 हज यात्री जायेंगे। तमिलनाडु का कोटा 3189 से बढ़ाकर 2399, पश्चिम बंगाल का कोटा 8905 से बढ़ाकर 9940, तेलंगाना का कोटा 2532 से बढ़ाकर 3367, राजस्थान का 3525 से बढ़ाकर 4686, मध्य प्रदेश का 2708 से बढ़ाकर 3599, दिल्ली का 1224 से बढ़ाकर 1628, आन्ध्र प्रदेश का कोटा 2052 से बढ़ाकर 2728 और झारखंड का कोटा 2719 से बढ़ाकर 3306 कर दिया गया है।
2017 की हज यात्रा के लिए कुल 4,48,268 आवेदन प्राप्त किये गए। सबसे अधिक आवेदन केरल (95,236) से प्राप्त हुआ है और उसके बाद प्राप्त आवेदनों की संख्या क्रमशः इस प्रकार है - महाराष्ट्र (57,246), गुजरात (57,225), उत्तर प्रदेश (51,375), जम्मू और कश्मीर (35,217), मध्य प्रदेश (24,875), कर्नाटक (23,514) और तेलंगाना (20,635) है।
हज प्रक्रिया को डिजिटल बनाने का श्री नकवी का प्रयास काफी सफल हुआ है। कुल 1,29,196 आवेदन ऑनलाइन किये गए। सबसे अधिक ऑनलाइन आवेदन केरल (34,783) से प्राप्त हुए। इसके बाद क्रमशः महाराष्ट्र (24,627), उत्तर प्रदेश (10,215), गुजरात (10,071), जम्मू और कश्मीर (8227), राजस्थान (8091)।
यह पहला मौका है जब हज आवेदन प्रक्रिया डिजिटल बनाई गई। 2 जनवरी, 2017 को हज कमेटी ऑफ इंडिया मोबाइल एप्प लांच किया गया। केंद्र सरकार ने हज 2017 के लिए ऑनलाइन आवेदनों को प्रोत्साहित किया, ताकि लोगों को पारदर्शिता और आराम के साथ हज यात्रा करने का अवसर मिले। दिसंबर में हज की नई वेबसाइट भी लांच की गई थी।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारत की हज कमेटी ने काफी पहले से हज 2017 की तैयारियां शुरू कर दी, ताकि अगली हज यात्रा सुचारू और सहज हो। राज्यों का हज कोटा पूरी पारदर्शिता के साथ 2011 की जनगणना के अनुसार राज्यों की आबादी के आधार पर निर्धारित किया गया है।

बिहार के वैशाली में केला अनुसंधान केन्द्र स्थापित

नई दिल्ली : केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि बिहार केले की खेती के लिए काफी उपयुक्त है और बड़े पैमाने पर केले की पैदावार यहां के किसानों की तकदीर बदल सकती है। कृषि मंत्री ने यह बात गोरौल, जिला वैशाली, बिहार में केला अनुसंधान केन्द्र के शिलान्यास के अवसर पर कही।
कृषि मंत्री ने कहा कि अक्टूबर, 2016 को राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा को केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। इसके बाद वैशाली में केले की खेती करने के इच्छुक किसानों की उम्मीदें पूरी करने के लिए सरकार ने यहां केला अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया है। केला अनुसंधान केन्द्र वैशाली के गोरौल प्रक्षेत्र के तहत आता है और पारिस्थितिकीय कारणों के कारण केला अनुसंधान केन्द्र की स्थापना के लिए गोरौल को चुना गया है। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र देश एवं राज्य में केले की खेती के कम उपज के कारणों, खेती के रकवा विस्तार, पौधे के अन्य भागों के समुचित उपयोग, विभिन्न उत्पाद, विपणन एवं मूल्यवर्धन (वैल्यू एडिशन) के क्षेत्र में अनुसंधान करेगा।
श्री सिंह ने बताया कि डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने प्रधानमंत्री के सपनों को पूरा करने के लिए केले की खेती से आमदनी दुगुनी करने के लिए शोध शुरू कर दिया है। इस शोध संस्थान के शुरू होने से यह अनुसंधान और जोर पकड़ेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि केन्द्र अनुसंधानकर्ताओं के सहयोग एवं कृषकों की सहभागिता से बिहार एवं आसपास के राज्यों में महाराष्ट्र वाली केला क्रांति का सूत्रधार बनेगा और इलाके के किसानों की समृद्धि एवं सुख का कारण बनेगा।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के किसान 26 सरकारी समितियों के माध्यम से घरेलू बाजार विकसित कर विदेशों तक केले का निर्यात कर केला उत्पादन में देश को एक नयी दिशा दे रहे हैं। महाराष्ट्र केले की सघन खेती, टीशू कल्चर, टपक सिंचाई आदि का उपयोग कर 12-15 हजार रेलवे वैगन प्रति वर्ष उच्च गुणवत्तायुक्त केला देशभर में भेजने का काम करता है।
श्री सिंह ने कहा कि भारत में केले का उत्पादन 14.2 मि. टन है। भारत केला उत्पादन में दुनिया का प्रथम एवं रकबा में दुनिया में तीसरा स्थान रखता है, जो फल के रकवे का 13 प्रतिशत एवं फल उत्पादन का 33 प्रतिशत है। राज्यों में महाराष्ट्र सबसे बड़ा उत्पादक है एवं इसके बाद तमिलनाडु आता है। महाराष्ट्र की उत्पादकता 65.7 टन/हे. है, जो कि औसत राष्ट्रीय उत्पादकता 34.1 टन/हे. से अधिक है। बिहार में केले की खेती 27.2 हजार हेक्टेयर में की जाती है, उत्पादन लगभग 550 हजार टन एवं औसत उत्पादकता 20.0 टन/हे. है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।
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बुधवार, 8 मार्च 2017

100 जिले खुले में शौच मुक्त घोषित

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नई दिल्ली : पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करने और उनकी अगुवाई की भलीभांति सराहना करने के उद्देश्य से देश भर में पूरे सप्ताह चलने वाली विभिन्न गतिविधियों के कार्यक्रम ‘स्वच्छ शक्ति सप्ताह’ का शुभारंभ किया। केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने हरियाणा सरकार के साथ संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम के तहत हरियाणा के गुरुग्राम में राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ शक्ति सप्ताह का शुभारंभ किया। हरियाणा में जमीनी स्तर से जुड़ी 1000 से अधिक महिला स्वच्छता चैंपियनों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। हरियाणा के 11 ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) जिलों के उपायुक्तों को इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर श्री तोमर ने स्वच्छ भारत मिशन के क्रियान्वयन के तहत समस्त ग्रामीण भारत में महिलाओं द्वारा निभाई जा रही अग्रणी भूमिका की सराहना की। उन्होंने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का स्वरूप प्रदान करने के लिए भी इनकी सराहना की। उन्होंने घोषणा की कि पूरे सप्ताह के दौरान राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम आयोजित कर महिला स्वच्छता चैंपियनों, महिला सरपंचों, ‘आशा’ से जुड़ी कार्यकर्ताओं, स्कूल शिक्षकों, युवा विद्यार्थियों और वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि गुजरात में एक विशाल कार्यक्रम के आयोजन के साथ इस सप्ताह का समापन होगा। ‘स्वच्छ शक्ति 2017’ नामक इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 6000 महिला सरपंचों को संबोधित करेंगे और स्वच्छ भारत में उनके अहम योगदान के लिए उन्हें सम्मानित करेंगे।
मंत्री महोदय ने यह भी घोषणा की कि देश में ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) जिलों की संख्या अब 100 के पार चली गई है। इसी तरह 1.7 लाख से ज्यादा गांव अब ओडीएफ हो गये हैं। उन्होंने कहा कि आज हासिल की गई इस महत्वपूर्ण उपलब्धि ने इसे मिशन के लिए दोहरी खुशी के अवसर में तब्दील कर दिया है। उन्होंने स्वच्छ एवं खुले में शौच मुक्त भारत को एक वास्तविकता में तब्दील करने संबंधी प्रधानमंत्री के विजन में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति, विशेषकर इन 100 जिलों के प्रशासन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
हरियाणा के विकास एवं पंचायत और कृषि मंत्री ओ. पी. धनखड़ भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महिलाएं स्वच्छ भारत मिशन की स्वाभाविक नेता हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि हरियाणा नवंबर, 2017 तक एक ओडीएफ राज्य बन जायेगा। केंद्र एवं राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ अन्य हितधारकों ने भी इस समारोह में भाग लिया।

आर्सेनिक के बारे में जागरूकता जरूरी : उमा भारती

नई दिल्ली : केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा है कि गंगा बेसिन में आर्सेनिक की समस्या से करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं और इस समस्या के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक समग्र आंदोलन चलाए जाने की जरूरत है। नई दिल्ली में केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की ओर से ‘गंगा बेसिन के भूजल में आर्सेनिक की समस्या एवं निराकरण’ विषय पर आयोजित कार्याशाला का उदघाटन करते हुए उन्होंने कहा कि भूजल में आर्सेनिक की समस्या से निपटने के लिए इस कार्यशाला की रिपोर्ट आने के बाद मंत्रालय एक व्यापक कार्ययोजना तैयार करेगा, जिसमें राज्य सरकारों एवं गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग लिया जायेगा। विकास में जनभागिदारी के महत्व पर जोर डालते हुए उन्होंने कहा कि भूजल में आर्सेनिक एवं अन्य प्रदूषण से निपटने के लिए भी जनआंदोलन खड़ा करना पड़ेगा। इसी प्रकार जल के सदुपयोग को भी जन आंदोलन बनाये जाने की जरूरत है। सुश्री भारती ने कहा कि उन्होंने भी ऐसे कई गांव देखे हैं, जहां जल संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है।   
सुश्री भारती ने कहा कि ग्रामीण भारत को पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने में 85 फीसदी के आसपास योगदान भूजल का है। भारत सरकार की योजनाओं में भूजल संसाधनों की स्थिरता एक बडा एजेंडा है। क्योंकि बदलती जीवन शैली और बढ़ती जनसंख्या के साथ पानी की मांग भी बढ़ रही है, और भूजल संसाधनों का संरक्षण करने और उन्हें बचाने की अत्यन्त जरूरत है।        
सुश्री भारती ने कहा कि भूजल संसाधनों से संबंधित समस्याओं में से एक प्रमुख समस्या पानी की गुणवत्ता की है। भूजल में आर्सेनिक की मौजूदगी जहर के समान है और यह मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा गंगा बेसिन में कृत्रिम पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे भूजल की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद मिलेगी ।
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री ने विश्वविद्यालयों, आईआईटी और अनुसंधान संस्थानों में काम कर रहे भूजल विशेषज्ञों से आह्वान किया कि वे भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव दें, ताकि मंत्रालय को इस समस्या के समाधान के लिए भविष्य की रणनीति बनाने में सहायता मिल सके।
कार्यशाला के उदघाटन सत्र में केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्य मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि भूजल में आर्सेनिक की समस्या से देश की 50 फीसदी जनता जूझ रही है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए सभी विभागों को एक सामूहिक सोच बनानी पडे़गी और मिलकर कार्य करना होगा। मंत्रालय के सचिव डॉ. अमरजीत सिंह ने इस अवसर पर कहा कि गंगा नदी से ही सर्वाधिक जल मिल रहा है और यही नदी आर्सेनिक से ज्यादा प्रदूषित है। इस समस्या के निजात पाने के लिए राज्यों में टास्क फोर्स बनाकर कार्य किया जायेगा। एक दिवसीय इस कार्यशाला में देशभर के विभिन्न राज्यों एवं संस्थानों से आए 300 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला के लिए 23 प्रपत्र चुने गए, जिसमें से सात प्रपत्रों पर विशेषज्ञों एवं भूजल वैज्ञानिकों के बीच विस्तृत चर्चा हुई।

राघोपुर में कटाव निरोधक कार्य के लिए 4268.25 लाख रुपये स्वीकृत

पटना : जल संसाधन विभाग ने जानकारी दी है कि राघोपुर दियारान्तर्गत गंगा नदी के दायें धार के बायें किनारे एवं बायें धार के दायें एवं बायें किनारे स्थित विभिन्न बिन्दुओं पर कटाव निरोधक कार्य हेतु प्राक्कलित राशि 4268.25 लाख रुपये की प्रशासनिक एवं व्यय की स्वीकृति दी गई है। सूचनानुसार राशि की निकासी एवं व्ययन हेतु कार्यपालक अभियंता, बाढ़ नियंत्रण एवं जन निस्सरण प्रमंडल, लालगंज को अधिकृत किया गया है तथा इस कार्य के लिए नियंत्री पदाधिकारी प्रधान सचिव, जल संसाधन विभाग, पटना होंगे। उक्त निर्माण कार्य की समय सीमा वित्तीय वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में कार्यान्वित करते हुए दिनांक 31 मई, 2017 तक पूर्ण करने की है।
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सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर के 5 शिक्षण संस्थानों की स्थापना करेगी

नई दिल्ली : केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने युद्धस्तर पर अभियान चलाया हुआ है जिससे कि अल्पसंख्यकों सहित समाज के सभी तबकों को सस्ती, सुलभ गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल सके। नई दिल्ली में “माइनॉरिटी कम्युनिटी टीचर्स एसोसिएशन” के नेशनल सेमिनार को सम्बोधित करते हुए श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय अल्पसंख्यकों को बेहतर पारंपरिक एवं आधुनिक शिक्षा मुहैय्या कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के 5 शिक्षण संस्थानों की स्थापना करेगा। तकनीकी, मेडिकल, आयुर्वेद, यूनानी सहित विश्वस्तरीय कौशल विकास की शिक्षा देने वाले संस्थान देश भर में स्थापित किये जायेंगे। एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जो शिक्षण संस्थानों की रुपरेखा-स्थानों आदि के बारे में चर्चा कर रही है और जल्द ही अपनी विस्तृत रिपोर्ट देगी और हमारी कोशिश होगी कि यह शिक्षण संस्थान 2018 से काम करना शुरू कर दें। इन शिक्षण संस्थानों में 40 प्रतिशत आरक्षण लड़कियों के लिए किये जाने का प्रस्ताव है। 
श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का पूरा जोर इस बात पर है कि अल्पसंख्यकों को बेहतर शिक्षा के साथ-साथ उन्हें विभिन्न कौशल ट्रेनिंग भी दी जाये, जिससे छात्र रोजगार के योग्य हो सकें। अल्पसंख्यकों को बेहतर शिक्षा दिलाने और बेहतर रोजगारपरक ट्रेनिंग देने के लिए मंत्रालय विभिन्न योजनाएं चला रहा है। 
श्री नकवी ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस बार अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में बड़ी वृद्धि की है। 2017-18 के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट बढ़ाकर 4195.48 करोड़ रुपए कर दिया गया है। यह पिछले बजट के 3827.25 करोड़ रुपए के मुकाबले 368.23 करोड़ रुपए (9.6 प्रतिशत की वृद्धि) अधिक है। श्री नकवी ने कहा कि बजट में बढ़ोतरी से अल्पसंख्यकों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक सशक्तिकरण में मदद मिलेगी। 
श्री नकवी ने कहा कि इसबार बजट का 70 प्रतिशत से ज्यादा धन अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण एवं कौशल विकास, रोजगारपरक ट्रेनिंग पर खर्च किया जायेगा। बजट का बड़ा भाग विभिन्न स्कालरशिप, फेलोशिप और कौशल विकास की योजनाओं जैसे ‘सीखो और कमाओ’, ‘नई मंजिल’, ‘नई रौशनी’, ‘उस्ताद’, ‘गरीब नवाज कौशल विकास केंद्र’, ‘बेगम हजरत महल स्कॉलरशिप’ पर खर्च किये जाने का प्रावधान है। इसके अलावा बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी) के तहत भी शैक्षिक विकास की गतिविधियों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर धन खर्च किया जायेगा। 
मेरिट-कम-मीन्स स्कालरशिप पर 393.5 करोड़ रुपए, प्री-मेट्रिक स्कालरशिप पर 950 करोड़ रुपए, पोस्ट-मेट्रिक स्कालरशिप पर 550 करोड़ रुपए, ‘सीखो और कमाओ’ पर पिछले साल के मुकाबले 40 करोड़ रुपए की वृद्धि के साथ 250 करोड़ रुपए, ‘नई मंजिल’ पर 56 करोड़ रुपए की वृद्धि के साथ 176 करोड़ रुपए, मौलाना आजाद फेलोशिप स्कीम पर 100 करोड़ रुपए खर्च किये जाने का प्रावधान है। मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के लिए 113 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। श्री नकवी ने कहा कि 2017-18 में 35 लाख से ज्यादा छात्रों को विभिन्न स्कॉलरशिप दी जाएगी। इसके अलावा 2 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार परक ट्रेनिंग दी जाएगी। 
श्री नकवी ने कहा कि 16 से ज्यादा ‘‘गुरुकुल’’ प्रकार के आवासीय स्कूलों को स्वीकृति दी गई है। साथ ही जो मदरसें मुख्यधारा की शिक्षा भी दे रहे हैं, उन्हें भी मदद दी जारी रही है। अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए किये जा रहे केंद्र सरकार के प्रयासों में गरीब नवाज स्किल डेवलपमेंट सेंटर शुरू करना, छात्राओं के लिए बेगम हजरत महल स्कालरशिप करना एवं 500 से ज्यादा उच्च शैक्षिक मानकों से भरपूर आवासीय विद्यालय एवं रोजगार परक कौशल विकास केंद्र शामिल हैं।
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बुधवार, 1 मार्च 2017

जनजातियों को हर हाल में लाभ मिले : राज्यपाल

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रांची : राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जनजातियों के विकास हेतु विभिन्न योजनाएं संचालित हैं। इन योजनाओं का लाभ उन्हें हर हाल में मिलनी चाहिए। इस निमित्त उन्होंने जनजातियों को जागरुक होने हेतु कहा। राज्यपाल ने गिरिडीह में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह कहा। राज्यपाल ने इस अवसर पर जनजातीय समाज को शिक्षा के प्रति जागरुक होने हेतु कहा। उन्होंने समाज के विकास हेतु इसे अत्यावश्यक बताया। उन्होंने कहा कि यदि आदिवासी समाज को विकास की ओर अग्रसर होना है, तो उन्हें शिक्षा का मार्ग अपनाना होगा। उन्हें अपने बच्चों को शिक्षित करना होगा। इस अवसर पर कल्याण मंत्री डाॅ. लुईस मरांडी, सांसद रवीन्द्र नाथ पांडेय, विधायक निर्भय शाहबादी समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

‘योजनाओं का तीव्र गति से कार्यान्वयन हो’

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि लोगों के कल्याणार्थ केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं का कार्यान्वयन तीव्र गति से हो, इसके लिए सभी तत्परता से कार्य करें। उन्होंने कहा कि जनता को उनका यथोचित लाभ सुगमतापूर्वक मिले, इस हेतु  निरंतर अनुश्रवण करें। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा संचालित योजनाओं की प्रगति की निरंतर समीक्षा की जानी चाहिए। जिस योजना के कार्यान्वयन में हम पीछे हैं, उस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। साथ ही योजना से वंचित लोगों की शिकायतों की समीक्षा करनी चाहिए। राज्यपाल राज भवन में आदिम जनजातियों, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यकों के कल्याणार्थ संचालित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा कर रही थी। इस अवसर पर मंत्री, कल्याण एवं समाज कल्याण विभाग डाॅ. लुईस मरांडी, विकास आयुक्त-सह-अपर मुख्य सचिव, योजना एवं विŸा विभाग अमित खरे, राज्यपाल के प्रधान सचिव एस. के. शतपथी, प्रधान सचिव, समाज कल्याण मुखमीत सिंह भाटिया, कल्याण सचिव हिमानी पाण्डेय, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा अजय सिंह, सचिव, प्राथमिक, माध्यमिक एवं साक्षरता अराधना पटनायक समेत अन्य वरीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
राज्यपाल महोदया ने इस अवसर पर कहा कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में सुरक्षा की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। वहां की छात्राओं के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाय। उन्होंने विद्यालय परिसर की चारदिवारी और उसके दिवार की ऊंचाई पर भी ध्यान देने हेतु कहा। सुरक्षा हेतु महिला होमगाॅर्ड की प्रतिनियुक्ति के सुझाव का उन्होंने स्वागत किया। उन्होंने विद्यालय में खेल के मैदान तथा संगीत शिक्षक की उपलब्धता हेतु भी पहल करने को कहा। राज्यपाल महोदया ने बैठक में वृद्धाश्रम व अनाथालय के संचालन के लिए एक बेहतर नीति-निर्माण हेतु कहा और उचित प्रबंधन की ओर ध्यान देने की आवश्यकता बताई। इस दिशा में स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यों का आकलन भी होनी चाहिये। 
राज्यपाल ने अल्पसंख्यकों के कल्याणार्थ संचालित योजनाओं के तीव्र कार्यान्वयन की दिशा में यह ध्यान देने हेतु भी कहा कि जिस राज्य में इन योजनाओं का बेहतर और अधिक सफल कार्यान्वयन हो रहा है, वहां की नीतियों व कार्यपद्धति को भी देखा जा सकता है। उन्होंने आदिम जनजातियों हेतु संचालित विद्यालयों की समीक्षा करते हुए कहा कि विद्यालय के संचालन हेतु एनजीओ पर निर्भरता की समीक्षा करनी होगी। उन्होंने कौशल विकास की समीक्षा करते हुए कहा कि लोगों का किस क्षेत्र में रूझान है, इसे प्रशिक्षण हेतु ध्यान में रखा जाना चाहिये जिससे वे बेहतर कर सकें और उन्हंें रोजगार प्राप्त हो सकें। उन्होंने अनुसूचित जाति/जनजाति हेतु संचालित छात्रावास की समीक्षा करते हुए कहा कि अधूरे निर्मित छात्रावास को शीघ्र पूर्ण किया जाय। छात्रावासों की मरम्मति की ओर भी ध्यान देने हेतु कहा। साथ ही वहां वार्डन/मेट्राॅन की उपलब्धता हेतु भी कहा।
राज्यपाल महोदया ने मुख्यमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी लाभुकों को उनका वाजिब हक़ मिले, इस ओर विशेष ध्यान देना होगा। शिकायतों के निबटारा की ओर ध्यान दें। इसके अतिरिक्त उन्होंने वनाधिकार योजना, प्री एवं पोस्ट मैट्रिक छात्रवृŸिा योजना, साईकल वितरण योजना, पोषाक वितरण योजना, मुख्यमंत्री जनजाति ग्राम योजना, वन बंधु कल्याण योजना, सरना फेन्सिंग/मांझी धुमकुड़िया योजना, अनुसूचित जनजाति/जाति के किसानों के लिए माइक्रो सिंचाई योजना, लाईवलीवुड प्रमोशन कार्यक्रम आदि की समीक्षा की।
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नंद कुमार साई राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष

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नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व सांसद नंद कुमार साई ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया। इस अवसर पर श्री साई ने कहा कि वह देश के दूर-दराज इलाकों में रहने वाले आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने की भरसक कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में रहने वाले ज्यादातर आदिवासीगण संविधान द्वारा उन्हें प्रदत्त अधिकारों से अब भी अनभिज्ञ हैं। श्री साई ने कहा कि वह इस बात पर गौर करेंगे कि देश में अनुसूचित जनजातियों के लोगों के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एनसीएसटी एक महत्वपूर्ण साधन में तब्दील हो जाए।
इससे पहले एनसीएसटी के कार्यालय में उनके आगमन पर श्री साई की अगवानी एनसीएसटी की उपाध्यक्ष अनुसुइया यूइके, सांसद बारी कृष्ण दामोर एवं हर्षदभाई चुनीलाल वसावा और आयोग के सचिव राघव चन्द्र ने की।
छत्तीसगढ़ के जसपुर जिले के भगोरा गांव में 1 जनवरी, 1946 को जन्मे श्री साई ने जसपुर स्थित एनईएस कॉलेज में अपना अध्ययन कार्य संपन्न किया और रायपुर स्थित पंडित रवि शंकर शुक्ला विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। श्री साई वर्ष 1977, 1985 और वर्ष 1998 में मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। वह वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और वह विधानसभा में विपक्ष के प्रथम नेता थे। श्री साई वर्ष 1989, 1996 और वर्ष 2004 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। वह वर्ष 2009 और 2010 में राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए। वह कोयले एवं इस्पात पर गठित स्थायी संसदीय समिति के सदस्य भी रह चुके हैं और इसके साथ ही वह शहरी विकास मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।
श्री साई आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार में काफी सक्रिय रहे हैं। निषेध के प्रबल समर्थक श्री साई आदिवासियों के शोषण एवं उन पर अत्याचार के विरोध स्वरूप शुरू किए गए विभिन्न आंदोलनों की कमान संभालते रहे हैं।

सड़कों पर जीवन यापन करने वाले बच्चों के संरक्षण व देखभाल के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का शुभारंभ

नई दिल्ली : सड़कों पर जीवन यापन करने पर विवश बच्चों के संरक्षण एवं देखभाल के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का शुभारंभ नई दिल्ली में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य उनके पुनर्वास के साथ-साथ हिफाजत को भी सुनिश्चित करना है। इससे पहले एसओपी का शुभारंभ एक समारोह में किया गया, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश माननीया मुक्ता गुप्ता, एनसीपीसीआर की अध्यक्ष स्तुति कक्कड़, जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री एवं सेव द चिल्ड्रेन की ब्रांड अम्बेसडर दीया मिर्जा, सेव द चिल्ड्रेन इन इंडिया के अध्यक्ष हरपाल सिंह और सेव द चिल्ड्रेन इंटरनेशनल के सीईओ थॉमस चांडी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। एनसीपीसीआर ने सड़कों पर जिंदगी गुजारने पर मजबूर बच्चों के लिए इस अत्यावश्यक रणनीति को विकसित करने हेतु सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशन (सीएसओ), सेव द चिल्ड्रेन के साथ गठबंधन किया।
एनसीपीसीआर ने सड़कों पर जीवन यापन कर रहे बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण के लिए आवश्यक कदमों वाली एक विस्तृत रूपरेखा तय करने का निर्णय लिया, क्योंकि इस तरह के बच्चों की समस्याएं बहुआयामी एवं जटिल होती हैं। एसओपी का लक्ष्य मौजूदा वैधानिक एवं नीतिगत रूपरेखा के अंतर्गत विभिन्न कदमों को दुरुस्त करना है। एसओपी का उद्देश्य उन प्रक्रियाओं को चिन्हित करना है, जिनपर अमल तब किया जायेगा, जब सड़कों पर जीवन यापन करने वाले किसी बच्चे की पहचान एक जरूरतमंद बच्चे के रूप में हो जायेगी। ये प्रक्रियाएं नियमों एवं नीतियों की मौजूदा रूपरेखा के अंतर्गत ही होगी और इनकी बदौलत विभिन्न एजेंसियों द्वारा उठाये जाने वाले कदमों में समुचित तालमेल संभव हो पायेगा। इसके अलावा, ये प्रक्रियाएं इन बच्चों की देखभाल, संरक्षण एवं पुनर्वास के लिए समस्त हितधारकों हेतु कदम-दर-कदम दिशा-निर्देश के रूप में होगी।
एसओपी के शुभारंभ के अवसर पर मेनका संजय गांधी ने कहा, ‘हमारी सरकार भारत में हर बच्चे की खुशहाली के लिए प्रतिबद्ध है। इस पहल से सरकार को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा एवं संरक्षण संबंधी सुविधाएं सड़कों पर जीवन यापन करने वाले बच्चों को भी सुलभ हों।’
विभिन्न क्षेत्रों में किये गये विस्तृत शोध अध्ययनों के निष्कर्षों के साथ-साथ 35 एनजीओ के साथ पटना, लखनऊ, हैदराबाद और मुम्बई में किये गये क्षेत्रीय विचार-विमर्श से उभर कर सामने आये सुझावों पर गौर करने के बाद ही एसओपी तैयार की गई। एसओपी को तैयार करने से पहले दिल्ली में उन बच्चों से भी एनसीपीसीआर में सलाह-मशविरा किया गया, जो सड़कों पर जीवन यापन करने की विवशता से अपने-आपको उबार चुके हैं।
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मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

अनुसूचित जातियों के हस्तशिल्प कारीगरों के कल्याण के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : कपड़ा मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने आपस में हाथ मिलाया है, ताकि अनुसूचित जातियों के अनुमानित 12 लाख कारीगरों के आर्थिक विकास के लिए और भी ज्यादा आवश्यक कदम उठाये जा सकें। कपड़ा मंत्रालय के विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीनस्थ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी) के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य देश भर में कार्यरत उन कारीगरों की आमदनी बढ़ाने के लिए आपस में मिल-जुलकर काम करना है, जो अनुसूचित जातियों से जुड़ी श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं। केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति जुबिन इरानी और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत की मौजूदगी में इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। वस्त्र सचिव रश्मि वर्मा और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में सचिव लता कृष्ण राव भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।
इस एमओयू के तहत विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) के कार्यालय और एनएसएफडीसी के बीच निरंतर एवं विस्तृत सहयोग सुनिश्चित किया जायेगा, जिसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं -
  • जागरूकता शिविर लगाकर विभिन्न योजनाओं के बारे में प्रचार-प्रसार करके जरूरतों का आकलन करने के साथ-साथ संबंधित कमियों की पहचान करना।
  • उन चिन्हित क्लस्टरों में जरूरत आधारित विस्तृत कौशल उन्नयन के काम पूरे करना भी एक अन्य उद्देश्य है, जहां अनुसूचित जातियों के कारीगर बड़ी संख्या में मौजूद हैं। अनूठे एवं बाजार अनुकूल डिजाइनों के क्षेत्र में और आधुनिक उपकरणों एवं तकनीकों को अपनाने के लिए इन कारीगरों के कौशल का उन्नयन किया जायेगा।
  • घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय विपणन कार्यक्रमों में अनुसूचित जातियों के कारीगरों और उनके उत्पादक समूहों की भागीदारी बढ़ाना।
  • कपड़ा मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दिए जाने वाले लाभों को आपस में संयुक्त करते हुए अनुसूचित जातियों के कारीगरों को रियायती दरों पर कार्यशील पूंजी से संबंधित ऋण मुहैया कराना।

एमओयू में इस बात पर भी सहमति जताई गई है कि विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) का कार्यालय अपनी विभिन्न योजनाओं के लिए परियोजना संबंधी रिपोर्टों को तैयार करने और अनुसूचित जातियों के कारीगरों की जरूरतों को चिन्हित करने के लिए क्षेत्र (फील्ड) संबंधी अध्ययन कराने के लिए एनएसएफडीसी की सहायता करेगा। विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) के कार्यालय के छह क्षेत्रीय कार्यालयों और 52 विपणन एवं सेवा विस्तार केंद्रों की सहायता का विस्तार करने के अतिरिक्त इस तरह की सहायता दी जाएगी। उपर्युक्त एमओयू पर विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) आलोक कुमार और एनएसएफडीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक श्याम कपूर ने हस्ताक्षर किए।   

गरीबों के लिए याचिका दाखिल करना आसान हुआ 

नई दिल्ली : मध्यम और गरीब आय वर्ग के लोगों के लिए देश की कानूनी सहायता लेना आसान हो गया है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने मध्यम आय समूह योजना लागू की है। यह आत्म समर्थन देने वाली योजना है और इसके तहत 60,000 रुपये प्रति महीने और 7,50,000 रुपये वार्षिक आय से कम आय वाले लोगों के लिए कानूनी सहायता दी जाएगी।
सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 (2) के अन्तर्गत सोसायटी के प्रबंधन का दायित्व गवर्निंग बॉडी के सदस्यों को दिया गया है। गवर्निंग बॉडी में भारत के प्रधान न्यायाधीश संरक्षक होगे। अटार्नी जनरल पदेन उपाध्यक्ष होंगे। सोलिसीटर जनरल ऑफ इंडिया मानद सदस्य होंगे और उच्चतम न्यायालय के अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सदस्य होंगे।
उच्चतम न्यायालयों के नियमों के अनुसार न्यायालय के समक्ष याचिका केवल एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के जरिये दाखिल की जा सकती है।
सेवा शुल्क के रूप में उच्चतम न्यायालय मध्य आय समूह कानूनी सहायता सोसाइटी (एससीएमआईजीएलएएस) को 500 रुपये का भुगतान करना होगा। आवेदक को सचिव द्वारा बताई गई फीस जमा करानी होगी। यह योजना में संलग्न अनुसूची के आधार पर होगी। एमआईजी कानूनी सहायता के अंतर्गत सचिव याचिका दर्ज करेंगे और इसे पैनल में शामिल एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, दलील पेश करने वाले वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता को भेजेगे।
यदि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड इस बात से संतुष्ट हैं कि यह याचिका आगे की सुनवाई के लिए उचित है, तो सोसाइटी आवेदक के कानूनी सहायता अधिकार पर विचार करेगी। जहां तक योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक की पात्रता का प्रश्न है, याचिका के बारे में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की राय अंतिम राय मानी जाएगी।
योजना के अंतर्गत मध्यम वर्ग के वैसे लोग जो उच्चतम न्यायालय में मुकद्दमों का खर्च नहीं उठा सकते, वे कम राशि देकर सोसाइटी की सेवा ले सकते है। इस योजना के लाभ लेने के इच्छुक व्यक्ति को निर्धारित फाॅर्म भरना होगा और इसमें शामिल सभी शर्तों को स्वीकार करना होगा।
योजना के अनुसार याचिका के संबंध आने वाले विभिन्न खर्चों को पूरा करने के लिए आकस्मिक निधि बनाई जाएगी। याचिका की स्वीकृति के स्तर तक आवेदक को इस आकस्मिक निधि में से 750 रुपये जमा कराने होंगे। यह सोसाइटी में जमा किये गये शुल्क के अतिरिक्त होगा। यदि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड यह समझते हैं कि याचिका आगे अपील की सुनवाई योग्य नहीं है, तो समिति द्वारा लिये गये न्यूनतम सेवा शुल्क 750 रुपये को घटाकर पूरी राशि चैक से आवेदक को लौटा दी जाएगी।
यदि योजना के अन्तर्गत नियुक्त अधिवक्ता सौंपे गये केस के मामले में लापरवाह माने जाते हैं, तो उन्हें आवेदक से प्राप्त फीस के साथ केस को वापस करना होगा। इस लापरवाही की जिम्मेदारी सोसाइटी पर नहीं होगी और मवक्कील से जुड़े अधिवक्ता की पूरी जिम्मेदारी होगी। अधिवक्ता का नाम पैनल से समाप्त कर दिया जाएगा। समाज के कम आय वर्ग के लोगों के लिए याचिका दाखिल करने के काम को सहज बनाने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह योजना लागू की है।

शहरी गरीबों के लिए 90,095 और किफायती मकानों को मंजूरी 

नई दिल्ली : आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने 5,590 करोड़ रुपये के निवेश एवं 1,188 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत शहरी गरीबों के हित में 90,095 और किफायती मकानों के निर्माण को मंजूरी दी।
मध्य प्रदेश के लिए 5260 करोड़ रुपये के निवेश एवं 1071 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 49 शहरों एवं कस्बों में 82,262 मकानों को मंजूरी दी गई है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर के लिए 240 करोड़ रुपये के निवेश एवं 74 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 24 शहरों एवं कस्बों में 4915 मकानों को मंजूरी दी गई है। वहीं, दादर एवं नागर हवेली की राजधानी सिलवासा के लिए 26 करोड़ रुपये के निवेश एवं 12 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 803 किफायती मकानों को स्वीकृति दी गई है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लाभार्थी की अगुवाई वाले निर्माण (बीएलसी) घटक के तहत 46,823 नए मकानों के निर्माण, बीएलसी के तहत जम्मू-कश्मीर में 773 मकानों के विस्तारीकरण और भागीदारी में किफायती आवास (एएचपी) घटक के तहत मध्य प्रदेश में 42499 नए मकानों के निर्माण को मंजूरी दी गई।
मध्य प्रदेश में 39763 और नए मकानों का निर्माण बीएलसी घटक के तहत किया जाएगा, जिसके अंतर्गत किसी भी पात्र लाभार्थी को अपने स्वामित्व वाली भूमि पर एक मकान बनाने के लिए सहायता दी जाती है। मध्य प्रदेश में शहरवार मंजूरियों में ये शामिल हैं : इंदौर-30789 मकान, रतलाम-6419, सागर-3,156, उज्जैन-2884, कटनी-2800, शिवपुरी-2625, छिंदवाड़ा-2508, नागदा-2,073, जबलपुर-2,012, दतिया-1,726, सिंगरौली-1,716, डबरा-1720, विदिशा-1513, दमोह-1480, सीहोर-1,200, सिधी-1,057, आस्था-1000 और ऊंचेाहारा-1,000
जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के लिए 663 किफायती मकानों को स्वीकृति दी गई है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में अन्य मंजूरियों में ये शामिल हैं : हंदवाड़ा-602, बड़गाम-476, बारामूला-393, डोडा-306, पुलवामा-270, कारगिल-261, सोपोर-205, गांदरबल-185, भद्रवाह-176, शोपियां-159, आरएस पुरा-143, सांबा-121, किश्तवार-113, लेह-99 और पुंछ-96 ।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत मध्य प्रदेश के लिए स्वीकृत मकानों की कुल संख्या बढ़कर 187135 और जम्मू-कश्मीर के लिए स्वीकृत मकानों की कुल संख्या बढ़कर 5864 हो गई है। दी गई मंजूरियों के साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 89072 करोड़ रुपये के कुल निवेश एवं 25819 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ शहरी गरीबों के हित में अबतक कुल मिलाकर 16,51,687 किफायती मकानों के निर्माण को स्वीकृति दी गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के बीएलसी और एएचपी घटकों के तहत हर लाभार्थी को 1.50 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता दी जाती है।
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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

चेचक और हलका खसरा के लिए एकल टीका

नई दिल्ली : स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बेंगलुरू में आयोजित एक समारोह में देश में मीजल्स रूबेल (एमआर) टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया। इन दो बीमारियों के खिलाफ अभियान पांच राज्यों, संघशासित प्रदेशों (कर्नाटक, तमिलनाडू, पुदुचेरी, गोवा और लक्षद्वीप) से शुरू किया जायेगा, जिसके अंतर्गत करीब 3.6 करोड़ बच्चों को टीके लगाये जाएंगे। इस अभियान के बाद मीजल्स रूबेल (एमआर) टीका नियमित रोग-प्रतिरक्षण कार्यक्रम में शामिल किया जायेगा, जो वर्तमान में दी जा रही मीजल्स की खुराक का स्थान लेगा। वर्तमान में यह खुराक दो बार यानी 9-12 महीने और 16-24 महीने की आयु के बच्चों को दी जाती है।
टीके के उद्घाटन के अवसर पर केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री सदानंद गौडा, केन्द्रीय संसदीय कार्य, रसायन और उर्वरक मंत्री अनन्त कुमार, केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, कर्नाटक सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री डाॅ. शरण प्रकाश रूद्राप्पा पाटिल, कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य राज्यमंत्री केआर रमेश और जाने-माने अभिनेता रमेश अरविन्द उपस्थित थे। गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर पर अभियान के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए संचार सामग्री का विमोचन भी किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि सरकार देश को चेचक (मीजल्स) और हलका खसरा (रूबेल) से मुक्त करने के प्रति वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस काम में राज्य सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, गेट्स फाउंडेशन, लायन्स क्लब, आईपीए, आईएमए आदि विकास भागीदारों को शामिल करेगी। एमआर अभियान का लक्ष्य देशभर में करीब 41 करोड़ बच्चों को लाभ पहुंचाना है। इन सभी की आयु 9 महीने से 15 वर्ष के बीच है।
इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य लोगों में डाॅ. अरुण के. पंडा, एएसएमडी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, एससी खुंटिया, मुख्य सचिव, कर्नाटक, डाॅ. शालिनी रजनीश प्रधान सचिव, कर्नाटक, वंदना गुरनानी, जेएस (आरसीएच, आईईसी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और विकास भागीदारों के प्रतिनिधि शामिल थे।

बजट में 10 प्रतिशत से अधिक का इजाफा

नई दिल्ली : संसद में पेश किए गए बजट प्रस्तावों में जनजातीय मामले मंत्रालय के बजट परिव्यय में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई है। चालू वित्त वर्ष के 4,847 करोड़ रुपये की तुलना में आगामी वित्त वर्ष के लिए 5,329 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है। अनुसूचित जन-जातियों के कल्याण के लिए भी सभी मंत्रालयों के बजट आवंटन में 30 प्रतिशत से अधिक वृद्धि की गई है। इस मद के लिए चालू वित्त वर्ष के 24,005 करोड़ रुपये की तुलना में आगामी वित्त वर्ष के लिए 31,920 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है। अजजा विद्यर्थियों के लिए उच्चतर शिक्षा संबंधी नेशनल फेलोशिप और स्कॉलरशिप हेतु बजट में 140 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसके लिए वर्ष 2016-17 के रुपये 50 करोड़ की तुलना में अगले वित्त वर्ष के लिए 120 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017

अनुसूचित जातियों, जनजातियों व अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए आबंटन बढ़ाया जाएगा

वरिष्ठ नागरिकों के लिए आधार आधारित स्मार्ट कार्ड योजना शुरू की जाएगी
 बजट की खबरें 
नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने संसद में आम बजट 2017-18 प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अल्पसंख्यकों की कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन पर विशेष महत्व दे रही है। बजट 2017-18 में अनुसूचित जातियों के लिए आबंटन 38,833 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 52,393 करोड़ रुपए किया गया है, जो लगभग 35 प्रतिशत अधिक है। अनुसूचित जनजातियों के लिए आबंटन बढ़ाकर 31,920 करोड़ रुपए और अल्पसंख्यक मामलों के लिए आबंटन बढ़ाकर 4,195 करोड़ रुपए किया गया है। सरकार नीति आयोग द्वारा इन क्षेत्रों में व्यय की परिणाम आधारित निगरानी की शुरूआत करेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए आधार आधारित स्मार्ट कार्ड शुरू किए जाएंगे, जिनमें उनके स्वास्थ्य संबंधी विवरण दर्ज होंगे। वर्ष 2017-18 के दौरान 15 जिलों में प्रायोगिक योजना के जरिए इसकी शुरूआत की जाएगी। एलआईसी, वरिष्ठ नागरिकों के लिए निश्चित पेंशन योजना लागू करेगी, जिसमें 10 वर्ष तक प्रतिवर्ष आठ प्रतिशत प्रतिलाभ मिलने की गारंटी होगी।  

मनरेगा को अबतक का सर्वाधिक 48 हजार करोड़ रुपये का आबंटन

नई दिल्ली : अरूण जेटली ने संसद में वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश करते हुए बताया कि सरकार, किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के जीवन और पर्यावरण में सुधार लाने के लिए उनसे घनिष्ठ सहयोग के साथ कार्य करती रहेगी, क्योंकि यह हमारी सरकार के लिए समझौता न करने वाला कार्यक्रम है। 2017-18 में ग्रामीण, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए कुल आवंटन 1,87,223 करोड़ रुपये किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि सरकार महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर एक करोड़ परिवारों और 50 हजार ग्राम पंचायतों को 2019 तक गरीबी से बाहर लाने के लिए मिशन अंत्योदय शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने के हमारे संकल्प के समर्थन में मनरेगा को अभिमुख बनाने के लिए गंभीर प्रयास किये हैं। उन्होंने कहा कि 2016-17 में मनरेगा के तहत 38,500 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया था, जिसे 2017-18 में बढ़ाकर 48,000 करोड़ रुपये किया गया है। यह मनरेगा के लिए अबतक का सबसे बड़ा आवंटन है। मनरेगा की सभी परिसंपत्तियों की भूसंबद्धता और उन्हें लोगों की जानकारी में रखने की पहल ने बेहतर पारदर्शिता स्थापित की है और सरकार मनरेगा कार्यों की योजना के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का भी बड़े पैमाने पर उपयोग कर रही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) निर्माण की गति 2016-17 में तेजी से बढ़कर 133 किलोमीटर सड़क प्रतिदिन हो गई, जबकि 2011-14 अवधि के दौरान इसका औसत 73 किलोमीटर प्रतिदिन था। उन्होंने कहा कि सरकार 2019 तक पीएमजीएसवाई के तहत मौजूदा लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस योजना के लिए 2017-18 में 19,000 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि बेघर लोगों और कच्चे घरों में रहने वाले लोगों के लिए 2019 तक एक करोड़ मकानों का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लिए बजट अनुमान 2016-17 में किये गए 15,000 करोड़ रुपये के आवंटन को बढ़ाकर 2017-18 में 23,000 करोड़ रुपये कर दिया है। श्री जेटली ने उम्मीद जाहिर की कि देश के शत-प्रतिशत गांवों का विद्युतीकरण का लक्ष्य 01 मई, 2018 तक प्राप्त कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत 2017-18 में 4,814 करोड़ रुपये के बढ़े हुए आवंटन का प्रस्ताव किया गया है।
श्री जेटली ने कहा कि सरकार ने 2017-18 में ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास को बढ़ावा देने और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए आवंटनों को बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) और क्रेडिट सहायता योजना के लिए आवंटन को बढ़ाकर तीन गुना से अधिक कर दिया है। वित्त मंत्री ने सदस्यों को बताया कि सुरक्षित स्वच्छता और खुले में शौच को रोकने के कार्य को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ने बहुत प्रगति की है। ग्रामीण भारत में स्वच्छता का दायरा अक्टूबर, 2014 में 42 प्रतिशत से बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया है। अब ऐसे गांवों को पाइप युक्त पानी की आपूर्ति में प्राथमिकता दी जा रही है। 

गांव स्तर पर महिला शक्ति केंद्र स्थापित किए जाएंगे 

नई दिल्ली : अरुण जेटली ने संसद में आम बजट 2017-18 प्रस्तुत करते हुए कहा कि 14 लाख आईसीडीएस आंगनवाड़ी केंद्रों में 500 करोड़ रुपए के आबंटन के साथ गांव स्तर पर महिला शक्ति केंद्र स्थापित किए जाएंगे। यह ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कौशल विकास, रोजगार, डिजिटल साक्षरता, स्वास्थ्य और पोषण के अवसरों के लिए ‘वन स्टॉप’ सामूहिक सहायता प्रदान करेगा। गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने की राष्ट्रव्यापी योजना के अंतर्गत छह हजार रुपए सीधे ऐसी गर्भवती महिला के बैंक खाते में जमा किए जाएंगे, जो किसी चिकित्सा संस्था में बच्चे को जन्म देगी और अपने बच्चों का टीकाकरण कराएगी।  
बजट अनुमान 2017-18 में सभी मंत्रालयों की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत महिला और बाल कल्याण के लिए आबंटन 1,56,528 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1,84,632 करोड़ रुपए कर दिया गया है।

2017 तक कालाजार और फिलारियासिस खत्म

  • 2018 तक कुष्ठ तथा 2020 तक खसरा समाप्त करने की योजना 
  • झारखंड और गुजरात में दो नये अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान स्थापित किये जाएंगे 
  • औषधियों की उचित मूल्यों पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए औषधि और सौन्दर्य प्रसाधन नियमावली में संशोधन होगा 

 बजट की खबरें 
नई दिल्ली : केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने संसद में वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश करते हुए बताया कि सरकार ने 2017 तक कालाजार और फिलारियासिस, 2018 तक कुष्ठ तथा 2020 तक खसरा समाप्त करने के लिए कार्य योजना तैयार की है। 2025 तक तपेदिक को भी समाप्त  करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार नवजात शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) जो 2014 में 39 था, उसे घटाकर 2019 तक 28 करने तथा मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) जो 2011-13 में 167 था, उसे 2018-20 तक 100 करने के लिए भी कार्य योजना बनाई गई है। 1.5 लाख स्वास्थ्य उप-केन्द्रों को स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती केन्द्रों में परिवर्तित किया जाएगा।
श्री जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा, द्वितीयक और तृतीयक स्तरों की देखभाल को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत है, इसलिये हमने प्रति वर्ष 5,000 अतिरिक्त स्नातकोत्तर सीटें सृजित करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा बड़े जिला अस्पतालों में डीएनबी पाठ्यक्रम शुरू करने, चुनिंदा ईएसआई और नगर निगमों के अस्पतालों में स्नातकोत्तर शिक्षा को मजबूत करने तथा प्रख्यात निजी अस्पतालों को डीएनबी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने के कदम उठाये जाएंगे। सरकार देश में चिकित्सा शिक्षा और प्रैक्टिस के विनियामक ढांचे में संरचनात्मक परिवर्तन के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
झारखंड और गुजरात में दो नये अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान स्थापित किये जाएंगे। बजट में उचित मूल्यों पर औषधि की उपलब्धता और जनेरिक औषधियों को बढ़ावा देने के लिए औषधि और सौन्दर्य प्रसाधन नियमावली में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है। चिकित्सा उपकरणों को विनियमित करने के लिए नई नियमावली तैयार की जाएगी। ये नियम अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार होंगे और इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करेंगे। इससे इन उपकरणों की लागत कम हो जाएगी।  

कृषि ऋण 10 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर निर्धारित

नई दिल्ली : केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने संसद में वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश करते हुए बताया कि सरकार को मानसून की स्थिति बेहतर रहने से चालू वर्ष 2016-17 के दौरान कृषि क्षेत्र में 4.1 प्रति होने की उम्मीद है। चैथा बजट पेश करते हुए श्री जेटली ने कहा कि किसानों को समय पर पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। 2017-18 में कृषि ऋण का लक्ष्य 10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि अल्पसेवित क्षेत्रों, पूर्वी राज्यों तथा जम्मू कश्मीर के किसानों के लिए पर्याप्त ऋण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के विशेष प्रयास किये जाएंगे। किसानों को सहकारी ऋण ढांचे से लिए गये ऋण के संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 60 दिनों के ब्याज के भुगतान से छूट का भी लाभ मिलेगा। 
वित्त मंत्री ने बताया कि लगभग 40 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान सहकारी ढांचे से ऋण प्राप्त करते हैं। सरकार जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों की कोर बैंकिंग प्रणाली के साथ सभी 63,000 क्रियाशील प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटियों के कम्प्यूटरीकरण और समेकन के लिए नाबार्ड की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्य 1900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से राज्य सरकारों की वित्तीय भागीदारी के द्वारा 3 वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। इससे छोटे और सीमांत किसानों को ऋण का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित हो जाएगा।
किसानों के अनुकूल कदमों के बारे में बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि नाबार्ड में एक दीर्घकालीन सिंचाई कोष स्थापित किया जा चुका है और प्रधानमंत्री ने इसकी स्थायी निधि में 20,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि शामिल करने की घोषणा की है। इस प्रकार इस कोष में कुल निधि बढ़कर 40,000 करोड़ रुपये हो जाएगी।
फसल बीमा योजना का विस्तार जो 2016-17 में फसल क्षेत्र का 30 प्रतिशत है, उसे 2017-18 में बढ़ाकर 40 प्रतिशत और 2018-19 में बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाएगा। बजट अनुमान 2016-17 में इस योजना के लिए 5,500 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया था, जिसे बकाया दावों का निपटान करने के लिए 2016-17 के संशोधित बजट अनुमान में बढ़ाकर 13,240 करोड़ रुपये कर दिया गया था। वर्ष 2017-18 के लिए इस मद के लिए 9000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना के अंतर्गत बीमाकृत राशि जो 2015 के खरीफ सीजन में 69,000 करोड़ रुपये थी, 2016 के खरीफ सीजन में दोगुने से भी बढ़कर 1,41,625 करोड़ रुपये हो गई है। 
उन्होंने अपने पिछले बजट भाषण का उल्लेख किया, जिसमें 5 वर्षों में किसानों की आय को दोगुना करने के लिए किसानों की आय सुरक्षा पर ध्यान केन्द्रित किया गया था। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को अपना उत्पादन बढ़ाने और फसल कटाई के बाद की चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों को समर्थ बनाने के लिए अनेक कदम उठाएगी। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) दायरे का मौजूदा 250 बाजारों से 585 एपीएमसी तक विस्तार किया जाएगा। इसके अलावा स्वच्छता, ग्रेडिंग और पैकेजिंग सुविधाओं की स्थापना के लिए प्रत्येक ई-नाम बाजार को अधिकतम 75 लाख रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी।
यह स्वीकार करते हुए कि डेयरी किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, वित्त मंत्री ने तीन वर्षों में 8000 करोड़ रुपये की संचित निधि से नाबार्ड में एक दुग्ध प्रसंस्करण एवं संरचना निधि स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने की गति में तेजी आ रही है, क्योंकि सरकार ने देश के सभी 648 कृषि विज्ञान केन्द्रों का 100 प्रतिशत कवरेज सुनिश्चित करने तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों में नई लघु प्रयोगशालाएं स्थापित करने का निर्णय लिया है।

गुरुवार, 26 जनवरी 2017

Happy Republic Day

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31 जनवरी तक ‘भारत पर्व’ का आयोजन

 स्ंक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस 2017 के आयोजन के तहत भारत सरकार द्वारा दिल्ली के लालकिले पर 26 से 31 जनवरी, 2017 के दौरान भारत पर्व का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विचार को लोकप्रिय बनाने के तहत देशभक्ति की भावना को जागृत करना, देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना और आमजन की व्यापक भागीदारी को सुनिश्चित करना है।
पर्यटन मंत्रालय को इस कार्यक्रम के लिए नोडल मंत्रालय के रूप में नामित किया गया है। इस आयोजन में गणतंत्र दिवस परेड़ की झांकी, सशस्त्र बलों के बैंड द्वारा प्रस्तुति (स्थिर और चलित), फूड-कोर्ट, शिल्प मेला, देश के विभिन्न क्षेत्रों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति और सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा एक फोटो प्रदर्शनी को प्रदर्शित किया जाएगा।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में देशभर के लोकनृत्य, आदिवासी नृत्य और संगीत को शामिल किया गया है। इनमें उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक क्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों के सांस्कृतिक दलों द्वारा प्रस्तुतियां दी जाएगी। फूड-कोर्ट में राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों, नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया (एनएएसवीआई) के 50 स्टॉल लगाये जाएंगे, जिनमें विभिन्न राज्यों के व्यंजन के साथ-साथ होटल प्रबंधन संस्थान और आईटीडीसी के व्यंजनों का लुत्फ उठाया जा सकेगा। शिल्प मेले में 50 से ज्यादा स्टॉल लगाये जाएंगे, जो देश की हस्तशिल्प विविधता को प्रदर्शित करेगे। इसका प्रबंधन राज्य सरकारों तथा वस्त्र मंत्रालय के द्वारा हस्तशिल्प विकास आयुक्त के कार्यालय के माध्यम से किया जाएगा। सूचना और प्रसारण मंत्रालय भी ‘मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है’ पर एक फोटो प्रदर्शनी को प्रदर्शित करेगा। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण गणतंत्र दिवस परेड की वह झांकी होगी, जिसे समारोह स्थल पर प्रदर्शित किया गया होगा।
भारत पर्व कार्यक्रम का उद्घाटन 26 जनवरी, 2017 को शाम 5 बजे किया जाएगा और 26 जनवरी, 2017 को यह आम जनता के लिए शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहेगा।  27 जनवरी, 2017 से 31 जनवरी, 2017 तक यह दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहेगा। इस कार्यक्रम में आम जनता को निःशुल्क प्रवेश दिया जाएगा, हालांकि प्रवेश के लिए पहचान पत्र साथ में होना जरूरी है।

ग्रामीण आवास को बढ़ावा देने को क्रांतिकारी योजना को मंजूरी

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश में ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना का अनुमोदन कर दिया है। इस योजना के तहत सरकार ब्याज सब्सिडी उपलब्ध कराएगी। ब्याज सब्सिडी ऐसे प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए उपलब्ध होगी, जो प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के दायरे में नहीं है। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोग नये मकान बना सकेंगे या अपने मौजूदा पक्के मकानों का विस्तार कर सकेंगे। योजना के अंतर्गत ऋण लेने वाले लाभार्थियों को दो लाख रुपये तक की ऋण राशि पर ब्याज-सब्सिडी दी जाएगा। इस योजना से बड़ी संख्या में ग्रामीणजनों को लाभ होगा तथा दीर्घकालिक 24 वर्षों के लिए ऋण प्राप्त होगा।
राष्ट्रीय आवास बैंक इस योजना को कार्यान्वित करेगी। सरकार, राष्ट्रीय आवास बैंक को 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान का वर्तमान मूल्य सीधे प्रदान करेगी और इसके बदले, यह बैंक ब्याज सब्सिडी की राशि प्राथमिक ऋणदाता संस्थाओं (अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों इत्यादि) को अंतरित करेगी। इसके परिणामस्वरूप, लाभार्थी के लिए मासिक किश्त कम हो जाएगी।
योजना के अंतर्गत सरकार वर्तमान व्यवस्थाओं के माध्यम से लाभार्थियों को तकनीकी सहायता सहित प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के साथ उचित समन्वय के आवश्यक उपाय भी करेगी। इस नई योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय इकाइयों में सुधार के साथ, ग्रामीण आवास क्षेत्र में रोजगार सृजन भी होगा।
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