COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna
COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

शनिवार, 30 जुलाई 2016

‘बिहार में एक वर्ष की उम्र के शिशुओं की मृत्यु दर 1,000 पर 43’

  • राज्यपाल ने स्वास्थ्य मेला का किया उद्घाटन
  • पांच वर्ष के बच्चों की मृत्यु दर 1,000 पर 70

पटना : ‘‘राज्य के विकास एवं समाज कल्याण के विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी संसाधनों पर निर्भरता के साथ-साथ जन-निजी-भागीदारी को व्यावहारिक स्वरूप देना श्रेयस्कर रहता है। राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रक्षेत्र में निजी क्षेत्र का निवेश बहुत जरूरी है। सरकारी चिकित्सा संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण और आधुनिकीकरण के साथ-साथ निजी क्षेत्र के सहयोग से बड़े-बड़े अस्पताल एवं चिकित्सा संस्थान खोले जाने की जरूरत है। कई जानलेवा बड़ी बीमारियों के इलाज के क्रम में काफी बड़ी पूंजी बिहार से बाहर चली जाती है, जिसे अपने राज्य में ही अन्तर्निहित करते हुए हम बिहार का आर्थिक रूप से भी सशक्तीकरण कर सकते हैं।’’ उक्त विचार महामहिम राज्यपाल रामनाथ कोविन्द ने महावीर वात्सल्य अस्पताल के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित ‘वात्सल्यात् लोक मंगलम्’ नामक स्वास्थ्य मेला का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किये। 
राज्यपाल ने कहा कि हाल में स्थितियों में सुधार के बावजूद, बिहार में एक वर्ष की उम्र तक के शिशुओं की मृत्यु दर प्रत्येक 1,000 पर 43 है। पांच वर्ष उम्र तक के बच्चों की मृत्यु दर प्रत्येक 1,000 पर 70 बताई गई है। उन्होंने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार अपने समेकित प्रयासों से हालात में सुधार के ठोस प्रयत्न कर रही हैं। बिहार सरकार भी अपने ‘सात निश्चयों’ के तहत ‘हर घर-नल का जल’ तथा ‘शौचालय निर्माण-घर का सम्मान’ जैसे कार्यक्रमों पर तेजी से अमल कर रही है। नवजात शिशुओं की प्राण रक्षा के लिए अनुमंडल एवं जिला अस्पतालों में नवजात शिशु देखभाल केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं तथा शिशु एवं मातृ मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। श्री कोविन्द ने कहा कि आज महावीर वात्सल्य अस्पताल द्वारा ‘स्वास्थ्य मेले’ का आयोजन किया जाना एक जनहितकारी एवं प्रशंसनीय कार्य है। यह एक ऐसा प्रयास है, जिसके माध्यम से विभिन्न रोगों से पीड़ित मानवता को तो राहत पहुंचायी जा सकती है, साथ ही स्वस्थ रहने के तौर-तरीके भी आम जनता, विशेषकर गरीब लोगों को बताए-समझाए जा सकते हैं। 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकायुक्त-सदस्य मिहिर कुमार झा ने कहा कि महावीर वात्सल्य अस्पताल माताओं और नवजात बच्चों की आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैश है और यहां गरीबों का भी कम शुल्क पर सुगमता से ईलाज हो जाता है। कार्यक्रम में लेडी गवर्नर सविता कोविन्द भी उपस्थित थीं। समारोह को अस्पताल के अध्यक्ष जस्टिस उदय सिन्हा, महावीर पारा मेडिकल ट्रेनिंग एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डाॅ. एसपी श्रीवास्तव, ‘यूनिसेफ’ के राज्य प्रधान यामीन मजूमदार आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन महावीर वात्सल्य अस्पताल के निदेशक डाॅ. एसएस झा ने किया।

इकबाल अहमद अंसारी बने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

पटना : महामहिम राज्यपाल रामनाथ कोविन्द ने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी को पद की शपथ दिलायी। शपथ ग्रहण समारोह राजभवन में आयोजित किया गया था। शपथ ग्रहण समारोह में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार विधान परिषद् के सभापति अवधेश नारायण सिंह, बिहार विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार चैधरी, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव एवं बिहार विधान परिषद् में नेता प्रतिपक्ष सहित बिहार मंत्रिपरिषद् के माननीय कई मंत्रीगण, माननीय पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण, बिहार विधान परिषद् एवं बिहार विधान सभा के कई माननीय सदस्यगण, लोकायुक्त एवं लोकायुक्त सदस्यगण, महाधिवक्ता, विभिन्न आयोगों, निगमों, प्राधिकारों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्यगण, राज्य सरकार के वरीय पदाधिकारीगण आदि भी उपस्थित थे।

शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

नहीं रहीं महाश्वेता देवी

  • महान साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता लंबे समय से थीं बीमार
  • ज्ञानपीठ, पद्म विभूषण, साहित्य अकादमी और मैग्सेसे पुरस्कारों से सम्मानित
  • ज्यादा समय वह आदिवासियों के बीच काम करती रहीं
  • चर्चित किताबों में हजार चैरासी की मां, ब्रेस्ट स्टोरीज, तीन कोरिर शाध शामिल
  • फिल्म ‘हजार चैरासी की मां’, ‘रुदाली’, ‘संघर्ष’ और ‘माटी माय’ महाश्वेता के उपन्यासों पर आधारित
पटना : बांग्ला की जानी मानी साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी का कोलकाता में निधन हो गया है। वो 90 साल की थीं। महाश्वेता देवी लंबे समय से उम्र संबंधी समस्याओं से पीड़ित थीं। उन्हें लंबे समय से गुर्दे और रक्त संक्रमण की समस्या थी। पिछले दो महीने से वो कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती थीं और 23 जुलाई को उन्हें हार्ट अटैक हुआ था।
उनके निधन की खबर मिलते ही सबसे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘भारत ने एक महान लेखिका खो दिया है। बंगाल ने एक महान मां को खोया है। मैंने अपना एक मार्गदर्शक खो दिया है।’’
बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट में लिखा, ‘‘महाश्वेता देवी ने कलम की ताकत को बखूबी दिखाया है। न्याय, बराबरी और दया की यह आवाज हमें गहरे दुख में छोड़कर चली गई।’’ फिल्मकार महेश भट्ट और मधुर भंडारकर ने भी महाश्वेता देवी के निधन पर दुख व्यक्त किया। भट्ट ने ट्वीट में लिखा कि वह महिला जो कमजोरों के साथ चली और जिसने ताकतवर लोगों के साथ बैठने से मना कर दिया।
महाश्वेता देवी को ज्ञानपीठ, पद्म विभूषण, साहित्य अकादमी और मैग्सेसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। तीन दशक से ज्यादा समय तक वह आदिवासियों के बीच काम करती रहीं। उनके साहित्य का काफी हिस्सा आदिवासियों के जीवन पर आधारित था।
यूं तो महाश्वेता देवी बांग्ला में उपन्यास लिखा करती थीं, लेकिन अंग्रेजी, हिंदी और अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद के जरिए उनके साहित्य की पहुंच काफी व्यापक स्तर पर थी। उनकी चर्चित किताबों में हजार चैरासी की मां, ब्रेस्ट स्टोरीज, तीन कोरिर शाध शामिल हैं। उनकी कई किताबों पर फिल्में भी बनाई गई हैं। ‘हजार चैरासी की मां’ पर फिल्मकार गोविंद निहलानी ने फिल्म बनाई है। इसके अलावा ‘रुदाली’, ‘संघर्ष’ और ‘माटी माय’ भी ऐसा सिनेमा है, जो महाश्वेता के उपन्यासों पर आधारित है।
साभार : बीबीसी

बुधवार, 27 जुलाई 2016

पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना होगी

पटना : पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री अवधेश कुमार सिंह ने सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के संवाद कक्ष में आयोजित संवाद सम्मेलन में कहा कि राज्य सरकार बिहार के विकास के लिए सुनियोजित ढंग से कार्य कर रही है। बिहार कृषि प्रधान राज्य है। कृषकों को खुशहाल बनाने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है। पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए इसी वर्ष पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की जायेगी। उन्होंने कहा कि पशुओं की उचित देखभाल नहीं होने के कारण किसानों को जानकारी के अभाव में संकटों से जुझना पड़ता है। साथ ही पशुधन निरीक्षकों की नियुक्ति की जायेगी। 
उन्होंने कहा कि कृषि विकास योजना के अन्तर्गत दुग्ध समितियों का गठन, दुग्ध संग्रहण केन्द्र की स्थापना, स्वचालित दुग्ध संग्रहण केन्द्र की स्थापना, स्वचालित मिल्किंग मशीन की स्थापना, चीज पैकिंग मशीन की स्थापना आदि के लिए राशि की मंजूरी दी गई है। डेहरी-ओन-सोन में पूर्व से स्थापित चीज मेकिंग मशीन के साथ उत्पादित चीजों की पैकिंग और कटिंग कर छोटे-छोटे पैकेट में उपभोक्ताओं को दिया जायेगा। कंफेड के द्वारा पांच वर्षों में दुध के संग्रहण को देखते हुए नये डेयरी संयत्रों, पशु आहार संयत्र स्थापित कर उसकी प्रोसेसिंग के लिए एलसीडीसी से ऋण ली गयी है।
अवधेश कुमार सिंह ने समग्र गव्य विकास योजना पर बल देते हुए कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को इसके द्वारा सुदृढ़ किया जायेगा। यह स्वरोजगार का अच्छा माध्यम है। इसका उद्देश्य है कि हर व्यक्ति को न्यूनतम पौष्टिक आहार के रूप में दुध उपलब्ध हो, ताकि राज्य दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सके। समग्र गव्य विकास योजना के लिए 2015-16 में 61 करोड़ 67 लाख 75 हजार रुपये की मंजूरी दी गयी है। यहां के पशुपालकों को कोलकाता, हैदराबाद अन्य राज्यों में प्रशिक्षण के लिए भेजा जा रहा है। कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के अन्तर्गत 26.34 लाख पशुओं का गर्भधारण हुआ। सांडो की संख्या बढ़ाने के लिए भी एक रूपरेखा तैयार की गयी है। 
उन्होनंे बताया कि एम्बुलेटी भान के माध्यम से पशुपालकों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। 1799 शिविर लगाकर 3.49 लाख पशुओं के मल, मुत्र, रक्त की जांच की गयी और टीकाकरण भी हुआ। 1.70 लाख पशुओं का बधियाकरण भी हुआ। उन्होंने मत्स्य प्रक्षेत्र की विकासोन्मुख योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि मछली पालन में असीम संभावनाएं हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य पालन पर निर्भर है। राज्य के विकास में मत्स्य पालन का अहम स्थान है। इससे पौष्टिक आहार के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार भी मिलता है। झारखंड राज्य के विभाजन के बाद मत्स्य पालन प्रमुख रोजगार के रूप में उभरा है। 
राज्य में करीब 93296 हेक्टर में तालाब एवं पोखरे, 26303 हेक्टर में जलाशय, 9000 हेक्टर में मन और 9.41 लाख हेक्टर में जलजमाव आद्र भूमि हैं। प्रतिवर्ष बिहार में 5.81 लाख टन मछली की आवश्यकता है। उत्पादन 4.79 लाख टन के करीब है। इसे बढ़ावा देने के लिए नये तालाब के निर्माण, मत्स्य बीज हेचरी का निर्माण, ट्यूबवेल तथा पंपसेट का अधिष्ठापन, सरकारी तालाब का जीर्णोद्धार, मत्स्य अंगूलिकाओं के वितरण की योजना चालाई जा रही है। 
अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए विशेष अनुदान पर नर्सरी एवं तालाब, ट्यूबवेल, पंपसेट का अधिष्ठापन किया जा रहा है। आधा एकड़ के नर्सरी, तालाब के निर्माण के लिए 1.51 लाख की राशि निर्धारित की गई है। इसपर 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत 50 प्रतिशत अनुदान पर पांच मत्स्य बीज हेचरी, 74.88 हेक्टर नये तालाब का निर्माण एवं 86 ट्यूबवेल का निर्माण हुआ है। 
अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए विशेष घटक योजना के अन्तर्गत 90 प्रतिशत अनुदान पर 165.40 एकड़ जल क्षेत्र में नर्सरी, तालाबों का निर्माण एवं 108 ट्यूबवेल का अधिष्ठापन का निर्माण किया गया है। मछुआरों के लिए सामूहिक दुर्घटना बीमा की योजना के अन्तर्गत विभिन्न जिलों के 29 बीमा दावों को निष्पादन के लिए फिस्फोफेड के द्वारा बीमा कम्पनी को दिया गया, जिसमें 6 दावों का भुगतान हो चुका है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में जीविका के माध्यम से चुजें वितरित किये गये हैं। अण्डा उत्पादन में वृद्धि के लिए लेयर मुर्गी फाॅर्म की स्थापना पर अनुदान की योजना चलायी जा रही है। 50 लाख प्रति की दर से अनुमानित लागत वाले पांच हजार लेयर मुर्गी फाॅर्म फिड मिल सहित की स्थापना पर 50 प्रतिशत अनुदान की योजना पर मंजूरी दी गयी है, जिसके तहत 2015-16 में अबतक 6 लाभुकों को अनुदान का लाभ दिया गया है। 
बकरी पालन एवं कुकूट पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बैकयार्ड, मुर्गी पालकों एवं बीपीएल परिवारों को अनुदानित दर पर चुजें वितरण किये जा रहे हैं। बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए पूर्णियां के मिरंगा में विशेष योजना चलायी जा रही है।

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यशाला

  • महिला पुलिस स्वयंसेवकों की नियुक्ति और एनजीओ की सेवाएं लेने से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के बेहतर क्रियान्वयन में मदद : मेनका गांधी 

नई दिल्ली : केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत एक उन्मुखीकरण कार्यशाला नई दिल्ली में आयोजित की गई। राज्यों के महिला एवं बाल विकास व सामाजिक कल्याण विभागों के मुख्य सचिवों, जिला कलेक्टरों व उपायुक्तों और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के विस्तारीकरण के तहत चयनित 61 अतिरिक्त जिलों के अन्य संबंधित जिला स्तरीय प्राधिकरणों के प्रतिनिधियों ने इस कार्यशाला में भाग लिया। 
कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और मानव संसाधन विकास मंत्रालयों ने जन्म के समय नवजात बाल-बालिका अनुपात को बेहतर करने, बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने और संबंधित पहल को मजबूत करने के लिए उठाए गए कदमों से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया। 
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए समुदाय के नजरिए में प्रभावशाली ढंग से बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण हितधारकों का समर्थन प्राप्त करने और स्थानीय हिमायतियों एवं प्रमुख स्थानीय हस्तियों को इस अभियान से जोड़ने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने समुदाय को एकजुट करने, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना की निगरानी प्रभावशाली ढंग से करने से जुड़े मुद्दों पर कलेक्टरों के साथ विचार-विमर्श किया। मेनका संजय गांधी ने विस्तार से बताते हुए कहा कि विशेष महिला पुलिस स्वयंसेवकों (एसएमपीवी) की नियुक्ति ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के कारगर क्रियान्वयन में अत्यंत मददगार सबित हो सकती है। उन्होंने यह सलाह दी कि गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना में एक अन्य महत्वपूर्ण भागीदार बन सकते हैं और उनको इस अभियान में शामिल करना लाभप्रद हो सकता है, क्योंकि वे राज्यों के दूर-दराज के इलाकों में भी अपने कामकाज का संचालन करते हैं।

शनिवार, 23 जुलाई 2016

अल्पसंख्यक स्कूली छात्रों के लिए छात्रवृत्ति

  • ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि एक माह बढ़ी 
  • अल्पसंख्यक स्कूली छात्र 31 अगस्त, 2016 तक कर सकते हैं आवेदन 

नई दिल्ली : अल्पसंख्यक मंत्रालय ने जरूरतमंद छात्रों के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति एवं मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 31 अगस्त, 2016 तक कर दिया है। यह तिथि 31 जुलाई, 2016 को समाप्त हो रही थी, अब छात्रों की सुविधा को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। 
नकवी ने कहा कि मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति एवं मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि को बढ़ाने के सम्बन्ध में देश के विभिन्न राज्यों से लोगों द्वारा मांग की गई थी तथा इस सम्बन्ध में कई सुझाव अल्पसंख्यक मंत्रालय को प्राप्त हुए थे। नेशनल स्कालरशिप पोर्टल पर 2016-17 के लिए कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए केंद्र प्रायोजित मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति एवं कक्षा 11 से 12 के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि को 31 जुलाई, 2016 से बढ़ाकर 31 अगस्त, 2016 तक कर दिया गया है। 
इस फैसले से देशभर में अल्पसंख्यक वर्ग के लाखों जरूरतमंद छात्रों को लाभ मिलेगा। मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति का उद्देश्य अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना है कि वे अपने स्कूल जाने लायक बच्चों को स्कूल भेजें और अपने शिक्षा से सम्बंधित वित्तीय बोझ को कम कर सकें और अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा को पूरा करने में सहयोग करें। मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों को छात्रवृतियां प्रदान करना है, ताकि उन्हें उच्च शिक्षा में अच्छे अवसर प्राप्त हो सकें, उच्च शिक्षा में उनकी संख्या और रोजगार के अवसरों की उपलब्धता को बढ़ाया जा सके।

शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

अटल पेंशन योजना में 100 करोड़ रुपये जारी

नई दिल्ली : देशभर के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में एपीवाई सेवा प्रदाता के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारिता बैंक और डाक विभाग द्वारा अटल पेंशन योजना को लागू किया जा रहा है। 30 जून, 2016 तक एपीवाई योजना के अंतर्गत पंजीकृत होने वाले ग्राहकों की संख्या 30 लाख के पार पहुंच चुकी है और रोजाना करीब 5,000 नए ग्राहकों को इस योजना के साथ जोड़ा जाता है। 
31 मार्च, 2016 से पहले ग्राहक अंशदान के 50 फीसदी हिस्से (अधिकतम 1,000 रुपये) के साथ जो ग्राहक पंजीकरण करा चुके हैं, यह योजना उन्हें सरकार से सह-अंशदान की सुविधा प्रदान करती है और ये ग्राहक 2015-16 से 2019-20 तक पांच वर्ष की अवधि के लिए सह-अंशदान करने के लिए योग्य हो जाएंगे। आयकर की श्रेणी में न आने वाले एवं किसी अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना से न जुड़े ग्राहक ही इस योजना में शामिल होने के लिए योग्य हैं। उपरोक्त तथ्य को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने पीएफआरडीए के जरिए वर्ष 2015-16 के लिए 16.96 लाख योग्य ग्राहकों के लिए 99.57 करोड़ रुपये की सह-अंशदान राशि जारी कर दी है। जिन ग्राहकों का मार्च, 2016 तक एपीवाई खाते में अंशदान बकाया है, उनको सरकार की ओर से दिया जाने वाला सह-अंशदान नहीं दिया जाएगा। ऐसे ग्राहकों को पीएफआरडीए के द्वारा सलाह दी गई है कि वे अपने एपीवाई खाते को नियमित करें, ताकि सरकार द्वारा दिया जाने वाला सह-अंशदान सितंबर माह में उन्हें दिया जा सके। सरकार द्वारा दिया जाने वाला सह-अंशदान केवल तभी देय है, जब एपीवाई खाते को नियमित रूप से संचालित किया जाए और भारत सरकार का यह सह-अंशदान ग्राहकों के बचत बैंक खाते में अदा किया जाता है।
अटल पेंशन योजना ग्राहकों को 60 वर्ष की उम्र से कम से कम 1,000 रुपये से 5,000 रुपये के बीच निश्चित पेंशन की गारंटी उपलब्ध कराता है। ग्राहक की मृत्यु होने की अवस्था में समान राशि लाभार्थी के जीवनसाथी को मुहैया कराई जाती है। दोनों की मृत्यु होने की स्थिति में पेंशन की बकाया राशि नामिति को एकमुश्त रूप में उपलब्ध कराई जाती है। ग्राहक की मृत्यु 60 वर्ष की उम्र से पूर्व होने पर अपरिपक्वता की स्थिति में लाभार्थी के जीवनसाथी के पास यह विकल्प मौजूद है कि वह इस पॉलिसी को बकाया समय तक आगे भी जारी रख सकते हैं, ताकि परिपक्व होने की स्थिति में लाभार्थी के जीवनसाथी को इस पेंशन का लाभ मिल सके। इसके साथ ही, संचय चरण के दौरान पेंशन योगदान पर वास्तविक लाभ न्यूनतम गारंटी पेंशन के लिए कल्पित लाभ से अधिक है, तब इस अतिरिक्त लाभ का फायदा ग्राहक को मिलेगा, जिससे योजना के फायदों में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी।

गुरुवार, 14 जुलाई 2016

60 लाख युवाओं को नए सिरे से प्रशिक्षित करने को मंजूरी

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अगले चार वर्षों (2016-2020) के दौरान एक करोड़ से अधिक लोगों को कौशल प्रशिक्षण देने के लिए 12 हजार करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) को मंजूरी दी है। पीएमकेवीवाई में 60 लाख युवाओं को नए सिरे से प्रशिक्षण दिया जाएगा और पूर्व शिक्षा की पहचान (आरपीएल) के अधीन अर्जित 40 लाख लोगों के अनौपचारिक कौशल को भी प्रमाणित किया जाएगा। आरपीएल और नए प्रशिक्षणों के मध्य लक्ष्य आवंटन घटाया-बढ़ाया जा सकेगा और क्रियात्मक तथा परिचालन संबंधी आवश्यकताओं के आधार पर इसका परस्पर विनिमय भी किया जा सकेगा। 
यह योजना पूर्व अधिसूचित सामान्य मानदंडों के अनुरूप होगी और अनुदान मॉडल के आधार पर आगे बढ़ेगी। इसमें प्रशिक्षण और मूल्यांकन लागत की सीधे ही प्रशिक्षण प्रदाता और मूल्यांकन निकायों को सामान्य मानदंडों के अनुरूप प्रतिपूर्ति की जाएगी।
प्रशिक्षुओं को वित्तीय सहायता यात्रा भत्ता, आवास और भोजन की लागत के रूप में दी जाएगी। लाभार्थियों को नियोजन सहायता सीधे ही प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से दी जाएगी। बेहतर पारदर्शिता और लक्ष्य निर्धारण के लिए प्रशिक्षण भागीदारों को प्रशिक्षण की लागत के संवितरण को आधार कार्ड और बॉयोमीट्रिक्स से जोड़ा जाएगा। कौशल प्रशिक्षण राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे (एनएसक्यूएफ) के अनुरूप उद्योग के मानकों के आधार पर दिया जाएगा।
विभिन्न राज्यों की विशिष्ट कौशल आवश्यकताओं के समाधान की जरूरत के संबंध में कौशल विकास पर मुख्यमंत्रियों के उप-समूह की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों को पीएमकेवीवाई 2016-2020 के अधीन परियोजना आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से शामिल किया जाएगा। इस योजना के तहत वित्तीय और वस्तुगत दोनों तरह के कुल प्रशिक्षण का 25 प्रतिशत लक्ष्य का आवंटन किया जाएगा। पीएमकेवीवाई के अगले चरण के कुल प्रशिक्षण लक्ष्यों का 25 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के लिए राज्यों को सीधे ही वित्तीय राशि / बजट आवंटित किया जाएगा। 
प्रशिक्षुओं के जुटाव, निगरानी और प्रशिक्षण के बाद नियोजन का कार्य रोजगार मेलों और कौशल शिविरों के माध्यम से किया जाएगा। जैसा कि सामान्य मानदंडों में निर्देश दिया गया है नियोजन को प्रोत्साहन, हतोत्साहन से जोड़ते हुए प्रशिक्षुओं के नियोजन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। परंपरागत नौकरियों के लिए अनौपचारिक प्रशिक्षण हेतु एक परियोजना आधारित दृष्टिकोण का भी प्रस्ताव किया गया है। पीएमकेवीवाई में घरेलू कौशल जरूरतों को पूरा करने के अलावा खाड़ी के देशों, यूरोप और अन्य विदेशी स्थलों में रोजगार के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा। इस योजना के तहत अच्छी नौकारियों के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी।

सिंदरी व बरौनी में बंद उर्वरक इकाइयों के पुनरुद्धार को मंजूरी

नई दिल्ली :  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी में बंद उर्वरक इकाइयों के पुनरुद्धार को मंजूरी दे दी है। इसके अंतर्गत फर्टिलाइजर काॅर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड के दो बंद यूरिया इकाईयों जो सिंदरी (झारखंड) और गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में है और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचएफसीएल) की बरौनी (बिहार) की इकाई भी शामिल है। 
इन तीनों उर्वरक इकाईयों को विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) और एफसीआईएल / एचएफसीएल द्वारा नामांकन मार्ग के माध्यम से फिर से शुरू किया जाएगा। इन तीन नई इकाइयों सिंदरी, गोरखपुर और बरौनी की स्थापना से बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में यूरिया की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद मिलेगा। इससे परिवहन के द्वारा पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों से जो यूरिया भेजा जाता था, उससे रेलवे और सड़क बुनियादी ढांचे पर दबाव कम होगा और जिससे सरकार द्वारा भाड़ा पर दी गई सब्सिडी में बचत होगी। इससे इस क्षेत्र में आर्थिक विकास को गति मिलेगी। क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के विकास के अलावा इस इकाई से 1200 प्रत्यक्ष और 4500 अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे। 
गेल (इंडिया) लिमिटेड ने जगदीशपुर से हल्दिया के लिए एक गैस पाइपलाइन बिछाने की योजना बनाई है। इन इकाइयों के लिए यह पाइपलाइन सहारा और ग्राहक के रूप में इसकी व्यवहार्यता सुनिश्चित करेगा। जगदीशपुर-हल्दिया गैस पाइपलाइन (जेएचपीएल) के शुरू होने से पूर्वी भारत के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा और इस क्षेत्र के आर्थिक विकास पर गुणक प्रभाव पड़ेगा। 
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने यूरिया क्षेत्र के लिए गैस पूलिंग को पहले ही मंजूरी दे दी थी, जिससे इनके पुनरुद्धार के लिए इन इकाइयों को जमा कीमत पर गैस प्राप्त होगी जिससे यूरिया इकाइयों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।

मोतीहारी में कृषि एवं डेयरी विकास केन्द्र की स्थापना

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : पिपराकोठी मोतीहारी, बिहार, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने पिपराकोठी मोतीहारी, बिहार में कृषि एवं डेयरी विकास केन्द्र की स्थापना कर इस इलाके के लोगों को एक नयी सौगात दी। मोतीहारी के इस नये कृषि एवं डेयरी विकास केन्द्र के संचालन की जिम्मेदारी राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल को सौंपी गयी है।
अपने संसदीय क्षेत्र मोतीहारी के पिपराकोठी में कृषि एवं डेयरी विकास केन्द्र के उद्घाटन के मौके पर कृषि मंत्री ने कहा कि यह केन्द्र पशुओं की नस्ल सुधार, प्रजनन, पोषण, स्वास्थ्य प्रबंधन, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन और दूध से बनने वाले विभिन्न उत्पादों से संबंधित नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराने के साथ-साथ बेरोजगार नौजवानों को प्रशिक्षण भी देगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल में उच्च दुग्ध उत्पादन करनेवाली बेहतरीन गायें जैसे साहिवाल, थारपारकर और गीर मौजूद हैं। भैंसों में मुर्रा नस्ल के पशु मौजूद हैं, जिनका संतति परीक्षित वीर्य इस केन्द्र के माध्यम से लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने भरोसा जताया कि इस इलाके के किसान और अन्य लोग इस केन्द्र का पूरा-पूरा फायदा उठाएंगे।
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि भारत दूध के उत्पादन के मामले में दुनिया में नंबर वन है, लेकिन अभी भी हमारे पशुओं की उत्पादकता कम है और इनकी वजह हैं अच्छे नस्ल के पशुओं की कमी, चारे की कमी, कुपोषण, दोषपूर्ण प्रबंधन एवं अनियमित प्रजनन आदि। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के निवारण के लिए इस केन्द्र के वैज्ञानिक लगातार इस क्षेत्र के लोगों को सलाह देते रहेंगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि दूसरी हरित क्रांति के लिए एकीकृत खेती को बढ़ावा देना जरूरी है, क्योंकि इससे किसान की आय के दूसरे रास्ते खुलते हैं। उन्होंने कहा कि दूध का व्यवसाय एक अकेला व्यवसाय है, जिसमें किसान को लगातार आमदनी होती रहती है। इस मौके पर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक और अधिकारी मौजूद थे।

सुदर्शन भगत किसान कल्याण राज्यमंत्री

नई दिल्ली : सुदर्शन भगत ने नए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री के रूप में अपना पदभार ग्रहण कर लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उनका फोकस कम लगात से अनाज के अधिक पैदावार के साथ दुग्ध उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने पर होगा, जिससे किसान दुगनी आय प्राप्त कर सकें। 
नए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री, झारखंड के लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। श्री भगत 15वीं लोकसभा (2009-2014) के भी सदस्य थे। उन्होंने 2000 से 2005 तक झारखंड विधानसभा के सदस्य के रूप में काम किया। झारखंड सरकार में श्री भगत मानव संसाधन राज्यमंत्री (2000-2003) और मुख्यमंत्री सचिवालय में मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) 2003-2004) रह चुके हैं। वे 2004 से 2005 तक झारखंड सरकार में कल्याण मंत्री के रूप में भी काम किया है। 

कृषि विज्ञान केंद्र पोर्टल का शुभारंभ

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने आधिकारिक रूप से कृषि विज्ञान केंद्र पोर्टल http://kvk-icar-gov-in का शुभारम्भ नई दिल्ली में किया। इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री एसएस अहलूवालिया, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री सुदर्शन भगत एवं सचिव, पुशपालन, डेयरी एवं मत्स्य, देवेंद्र चैधरी उपस्थित रहे।
केवीके पोर्टल का शुभारंभ के अवसर पर राधा मोहन सिंह कहा कि देश में 645 कृषि विज्ञान केन्द्र हैं। ये केन्द्र देश के सभी जिलों में स्थापित हैं। प्रत्येक केन्द्र में कम से कम 1000 किसान जुड़े हुए हैं। केवीके की सूचना राष्ट्रीय स्तर पर एक जगह उपलब्ध न होने के कारण किसानों एंव अन्य नागरिकों को सूचना प्राप्त करने में कठिनाई होती थी तथा केवीके जिन उद्देश्यों एवं गतिविधियों के लिए स्थापित किया गया था, उसकी ऑनलाइन निगरानी एवं प्रबंधन की भी सुविधा नहीं थी। इस पॉर्टल के माथ्यम से किसानों को सूचना एवं सलाह और केवीके की सेवाओं की ऑनलाइन निगरानी भी की जा सकेगी।

परषोत्तम रूपाला कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री

नई दिल्ली : परषोत्तम रूपाला ने नए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री के रूप में अपना पद भार ग्रहण कर लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता कृषि क्षेत्र और किसानों के कल्याण के लिए केन्द्र सरकार के रोड मैप को लागू करना है। 
वे नवम्बर, 1991 से मार्च, 1995 तक गुजरात विधान सभा के सदस्य रहे। मार्च, 1995 से दिसम्बर, 1997 - गुजरात विधान सभा के लिए दूसरी बार निर्वाचित हुए। 19 मार्च, 1995 से 20 अक्टूबर 1995 तक गुजरात सरकार में नर्मदा, सिंचाई और जल आपूर्ति के कैबिनेट मंत्री रहे। 4 नवंबर, 1995 से 18 सितंबर, 1996 तक गुजरात सरकार में नर्मदा, सिंचाई और जल आपूर्ति के कैबिनेट मंत्री बने। मार्च, 1997 से दिसम्बर 1997 तक गुजरात विधान सभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे। मार्च, 1998 से जुलाई, 2002 - तीसरी बार गुजरात विधान सभा के सदस्य निर्वाचित। जून, 1998 से अक्तूबर, 2001 तक गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) के अध्यक्ष रहे। 9 अक्टूबर, 2001 से 21 दिसम्बर, 2002 तक गुजरात सरकार में कैबिनेट स्तर के कृषि मंत्री बने। अप्रैल, 2008 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। मई, 2008 से मई 2009 तक खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण समिति के अध्यक्ष रहे। अगस्त, 2009 से अगस्त, 2010 तक कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय समिति के सदस्य चुने गए। जुलाई, 2010 के बाद जहाजरानी मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य बने। सितम्बर, 2010 से अगस्त 2012 तक रसायन और उर्वरक पर बनी समिति के सदस्य रहे। मई, 2012 के बाद सदन के पटल पर रखे गए दस्तावेजों की समिति के सदस्य रहे। अगस्त, 2012 के बाद कृषि पर गठित समिति के सदस्य चुने गए। सितम्बर, 2012 के बाद राष्ट्रीय जहाजरानी बोर्ड पर गठित समिति के सदस्य रहे।

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को पेट्रोलियम उत्पादों की डीलरशिप मुहैया कराने को मुख्यमंत्रियों से भूमि आवंटित करने को कहा

नई दिल्ली : तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा मुख्यतः विभिन्न व्यक्तियों को आवंटित की गई डीलरशिप के जरिये विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादों जैसे कि पेट्रोल और डीजल का वितरण किया जाता है। कंपनियों ने डीलरों के चयन के लिए एक प्रक्रिया तय कर रखी है। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से संबंधित अभ्यर्थियों के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व का भी उल्लेख किया गया है। यह अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) से संबंधित अभ्यर्थियों के हित में कंपनियों द्वारा परिकल्पित सकारात्मक कार्रवाई का एक हिस्सा है। 
इसे ध्यान में रखते हुए ओएमसी के प्रदर्शन की समीक्षा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा की गई। इस दौरान यह पता चला कि एससी, एसटी अभ्यर्थियों के लिए जो स्थान चिन्हित किए जाते हैं, उनको लेकर प्रतिक्रिया मुख्यतः भूमि की अनुपलब्धता की वजह से संतोषजनक नहीं रहती है। भूमि के स्वामित्व से इस तरह के समुदायों को परंपरागत रूप से अलग रखे जाने की प्रवृत्ति के कारण ही यह स्थिति देखने को मिल रही है। यह पाया गया है कि वर्ष 2014-15 के दौरान विशेषकर इस तरह के अभ्यर्थियों के लिए 5,994 स्थानों का विज्ञापन दिया गया था। हालांकि, इस विज्ञापन के मद्देनजर केवल 2,906 स्थानों के लिए ही प्रतिक्रिया प्राप्त हुई, जो कुल विज्ञापित स्थानों का 48.5 प्रतिशत है। 3,088 स्थानों के लिए कोई भी प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई। इसके अलावा भी ऐसे 658 और लंबित मामले हैं, जिनके तहत आशय पत्र जारी किए गए थे, लेकिन भूमि की अनुपलब्धता की वजह से ये निर्दिष्ट विक्रय केंद्र (आउटलेट) शुरू नहीं किए जा सके। 
अतः यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस तरह के समुदायों से जुड़े लोगों को भूमि की अनुपलब्धता की वजह से परेशान न होना पड़े, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र प्रधान ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इस प्रयोजन के लिए उपयुक्त भूमि आवंटित करने को कहा है। उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि इस प्रयोजन के लिए भूमि रियायती दरों पर संबंधित राज्य सरकारों को मुहैया कराई जा सकती है। तेल विपणन कंपनियां इस तरह की भूमि को सरकार से पट्टे पर ले लेंगी, इसके बाद उस भूमि पर आवश्यक निर्माण कार्य करेंगी और इसके साथ ही वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने के लिए कार्यशील पूंजी से जुड़ा ऋण भी मुहैया कराएंगी। एससी, एसटी समुदायों से जुड़े कुल 3,745 व्यक्तियों को रोजगार अवसर मुहैया कराने के साथ-साथ उनका आर्थिक सशक्तिकरण भी किया जाएगा। एससी, एसटी समुदाय में उद्यमिता सृजित करने के लिए यह अपनी तरह की प्रथम ठोस पहल है, जिसके लिए संबंधित राज्य सरकारों से आवश्यक सहयोग मांगा गया है।

बुधवार, 6 जुलाई 2016

आजादी

 कविता 
राजीव मणि
सुनता हूं नारे
रह-रह कर
‘हर कोई मांगे आजादी’
लेकिन क्या
आजादी मांगने वाले
भूल जाते हैं यह
कि कुरबानी भी देनी होती है
इसके लिए
बिना कुरबानी के 
अगर मिल जाती यह
तो मैं ही मांग लेता
खुद से आजादी !