COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शनिवार, 13 सितंबर 2014

दलितों के विकास के लिए खोज रहा हूं जोड़ीदार : मांझी

संक्षिप्त खबर
पटना : सूबे के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी दलितों के हित के लिए जोड़ीदार बनाने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि मैं खुद कार्यपालिका देख रहा हूं और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चैधरी विधायिका। अब तीसरे जोड़ीदार की खोज जारी है, जो न्यायपालिका का कार्य देख सकें। हम चाहते हैं कि तीन जोड़ीदारों के बल पर वंचित समुदाय के लिए बिहार में शानदार कार्य किया जा सके। 
पिछले दिनों (07 सितम्बर) दलित अधिकार मंच के तत्वावधान में महादलित समारोह का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री श्री मांझी ने समारोह का उद्घाटन किया। मुख्य अतिथि बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चैधरी थे। समारोह की अध्यक्षता बाबू लाल मांझी और संचालन नरेश मांझी ने किया। 
इस अवसर पर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि अगर दलितों की जनसंख्या को सही ढंग से सर्वें कराया गया, तो हम आबादी का 25 प्रतिशत हिस्सा होंगे। इतनी जनसंख्या अन्य जातियों की नहीं है। अगर ऐसा होता है, तो दलित ही मुख्यमंत्री होंगे। उन्होंने कहा कि एकदिन दलितों का ही राज होगा! 
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों को भी वासगीत पर्चा मिलेगा। लेकिन, यह जरूरी है कि वे पिछले 12 सालों से क्षेत्र में रह रहे हों। वासगीत पर्चा महिलाओं के नाम से जारी किया जाएगा। इसी तरह इन्दिरा आवास योजना के तहत ग्रामीण और अरबन एरिया में राजीव आवास योजना से बहुमंजिला भवन बनेगा। उन्होंने कहा कि अधिकारी काफी कम संख्या में प्रोजेक्ट बनाते हैं। उनका तर्क होता है कि धनराशि नहीं है। अधिकारियों का काम तो प्रोजेक्ट बनाना है, अगर धनराशि कम पड़ेगी तो वे खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के घर के सामने धरना देंगे और अधिक धनराशि देने की मांग करेंगे। 
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि महादलित अंधविश्वास से निकलें। बीमार पड़ने पर सीधे सरकारी अस्पतालों में जाएं। सारी व्यवस्था दुरूस्त हो गयी है। झोलाछाप और माथा हिलाने वाले भगत और भक्तिनी के चक्कर में नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि 30 रुपए में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्मार्ट कार्ड बन रहा है। 534 प्रखंडों में इसकी व्यवस्था की जा रही है। इसे वार्ड स्तर तक पहुंचाया जाएगा। आरंभ में लोग 125 साल तक जीते थे। अब गिरावट आने पर 65 साल जीते हैं। इसके बावजूद मुसहर समुदाय के लोग 45 साल ही जीते हैं। उन्होंने कहा कि शराब को छोड़ देना होगा। हम दारू के बदले पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। हरेक गांव में 5 चापाकल लगेंगे। युवाओं को विभिन्न तरह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। युवा मनचाहा हुनर प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए भेजें। सरकार मिड डे मील, पोशाक, किताब, छात्रवृति आदि मुहैया करती है। अब 40 परिवारों के ऊपर एक स्कूल खोलने का आदेश दिया गया है। इससे आप लाभ उठायें।

विधायक भी कर रहे भेदभाव

पटना : सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक मंचों पर हम यह दावा भले ही करते हों कि समाज बदल रहा है, सोच बदल रहा है। सामाजिक समरसता आ रही है। लेकिन, यथार्थ में ये सारी बातें बकवास ही नजर आती हैं। गुरुवार को पटना में नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह में यह बात साफ तौर पर दिखी कि सम्मान देने की परंपरा को जातियों में बांट दिया। नीतीश कुमार व दूसरे सवर्ण नेताओं के चरण स्पर्श करने वाले कई विधायक महादलित मुख्यमंत्री व स्पीकर को सम्मान देने में झेपते नजर आए। विधायक ऋषि मिश्रा ने इन दोनों के सामने सिर झुकाना भी उचित नहीं समझा।

गरीबों के स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर सीएम की बैठक

पटना : पिछले दिनों बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अध्यक्षता में गया में एक बैठक हुई। इस बैठक का उद्देश्य केन्द्र प्रायोजित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा गरीबों को लाभ पहुंचाना था। इसी क्रम में अब बीपीएल परिवारों के अलावा बीड़ी मजदूर, घरेलू कामगारों, मनरेगा मजदूरों, निर्माण श्रमिकों, रेलवे कुली, वेंडरों को भी इसमें शामिल करने का निर्णय लिया गया है। इसके बावजूद रिक्शा चालक, ऑटो रिक्शा चालक, जीप चालक और ईंट भट्ठा मजदूर इस लाभ से वंचित रह गये। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्यान्वयन पर राज्य में वर्ष 2014-15 में 75 करोड़ खर्च होंगे। ज्ञात हो कि यह योजना गरीबी रेखा से नीचे जीवन वसर कर रहे लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा देने लिए शुरू की गई थी। 
सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते थे कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत ओपीडी मरीजों को भी स्मार्ट कार्ड का लाभ मिले। ओपीडी में स्मार्ट कार्डधारियों को 40 फीसदी रियायते दी जाए, जो लागू नहीं हो सका। इसकी शिकायत भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्यपालक अधिकारी से की गयी थी। 
जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में 66 प्रतिशत अंक लेकर केरल अव्वल स्थान पर है। वहीं 53 प्रतिशत अंक लेकर पड़ोसी उत्तर प्रदेश द्वितीय और 47 प्रतिशत अंक लेकर बिहार तृतीय स्थान पर है। 
बिहार में बीड़ी मजदूरों की संख्या करीब एक लाख 99 हजार और स्ट्रीट वेंडरों की संख्या करीब एक लाख 55 हजार है। वहीं घरेलू कामगारों की संख्या उपलब्ध नहीं है। रेलवे बोर्ड के अनुसार, 22 हजार की संख्या में रेलवे मजदूर हैं। बिहार में 30 रुपए में बीमा करके स्मार्ट कार्ड बनता है। इस स्मार्ट कार्ड से परिवार के 5 लोगों का ईलाज अस्पताल में भर्ती कर किया जाता है। प्रति व्यक्ति 30 हजार रुपए तक व्यय किया जाता है। इसमें अस्पताल का बिल, भोजन, यात्रा भत्ता शामिल है। वहीं आंध्रप्रदेश की सरकार ने राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपए तक कर दिया है। 

केबीसी से अर्चना ने जीते 50 लाख रुपए

रांची : अर्चना तिर्की ने लोकप्रिय टीवी कार्यक्रम कौन बनेगा करोड़पति से 50 लाख जीत लिए हैं। हालांकि उसके सामने एक करोड़ रुपए के लिए भी प्रश्न रखे गये थे। लेकिन, उत्तर पता नहीं होने के कारण अर्चना ने बीच में ही गेम छोड़ना बेहतर समझा। अर्चना बैंक आॅफ बड़ौदा में अधिकारी हैं। खेल के क्रम में जब तारीफ करते हुए अमिताभ बच्चन ने कहा कि अर्चना जी सदैव मुस्कराती रहती हैं। इसके जवाब में अर्चना तिर्की ने कहा कि रोने के लिए भगवान ने बहुत कुछ दिया है। ज्ञात हो कि अर्चना की बेटी अनन्या एक गंभीर बीमारी से जुझ रही है। अब उसे विश्वास है कि केबीसी से जीते हुए पैसों से वह अपनी बेटी का बेहतर ईलाज करा पाएगी।

इंसेफ्लाइटिस से गंवाना पड़ा आंख

पटना : महादलित अर्जुन मांझी और रीता देवी की पुत्री सुमन कुमारी आंख से देख नहीं पाती है। उसे इंसेफ्लाइटिस नामक बीमारी है। ज्ञात हो कि उत्तर बिहार में इंसेफ्लाइटिस बीमारी से अबतक सैकड़ों बच्चों की मौत हो चुकी है। इस मामले में अर्जुन और रीता भाग्यशाली रहे। आंख गंवाने के बाद भी सुमन की मौत नहीं हुई। रीता देवी कहती है कि सभी जगहों पर दिखाकर हम हार चुके हैं। इसकी बीमारी जाने का नाम ही नहीं ले रही है। कई डाॅक्टरों को दिखाया गया। झारफूंक भी करवाया गया। डाॅक्टर कहते हैं कि सुमन के आंख का एक नस सूख गया है। इस कारण ही वह अंधी हो गयी है। ईलाज में अबतक काफी रुपए खर्च हो चुके हैं। ज्ञात हो कि अर्जुन और रीता कचरे के ढेर से रद्दी कागज, प्लास्टिक, लोहा आदि चुन और उसे बेचकर अपना परिवार चलाते हैं।

पाटलिपुत्र जंक्शन बनाम विस्थापित

पटना : पाटलिपुत्र जंक्शन बनकर तैयार है। इसकी उद्घाटन तिथि अबतक कई बार बदलनी पड़ी है। इस कारण अभी रेल का परिचालन दानापुर जंक्शन से किया जा रहा है। पाटलिपुत्र जंक्शन से परिचालन शुरू नहीं किये जाने का कारण विस्थापितों को पुनर्वासित नहीं किया जाना है। हालांकि रेलवे ने सुरक्षा दीवार खड़ी कर लोगों को दीघा नहर के किनारे ढकेल दिया है। ज्ञात हो कि यहां 456 घरों में कमजोर वर्ग के लोग रहते हैं। लोगों ने इस मुहल्ले का नाम टेसलाल वर्मा नगर रखा था। 

डायना ने प्रधानमंत्री से की मांग

पटना : लोकसभा और विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से लोगों को प्रतिनिधित्व दिये जाने का प्रावधान है। लेकिन, झारखंड विभाजन के बाद बिहार विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से प्रतिनिधि नहीं चुना गया है। वहीं इस समुदाय से जेजी गोलस्टेन झारखंड में प्रतिनिधि हैं। 
जानकारों का कहना है कि बिहार में एंग्लो इंडियन समुदाय की संख्या काफी कम है। ऐसे में किस आधार पर बिहार विधानसभा में प्रतिनिधि दिया जाए। वहीं झारखंड में इस समुदाय की जनसंख्या अधिक है। सामाजिक कार्यकर्ता डायना ग्रेस थोमस का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 331 में स्पष्ट वर्णन है कि यदि सदन में पर्याप्त एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं है तो उन्हें चुना जाना चाहिए। इसी को आधार बनाकर तमिलनाडु की सामाजिक कार्यकर्ता डायना एंग्लो इंडियन समुदाय से होने के आधार पर लोकसभा में अपना नामांकन चाहती हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने नरेन्द्र मोदी से लोकसभा के लिए नामांकित किए जाने का आग्रह किया है। साथ ही दावा किया है कि उन्हें अन्तरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है। इरोड में जन्मीं 33 वर्षीया डायना ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है।

पांच वर्षीया अंजली लापता

पटना : बिहटा के राघोपुर पंचायत स्थित बिहटा बंगला मुसहरी की पांच वर्षीया अंजली कुमारी पिछले 15 दिनों से लापता है। वह अपनी मां जीतनी देवी के साथ बिहटा स्टेशन से पटना के लिए रेल पर चढ़ी थी। और फिर उसे पटना से फतुहा जाना था। अंजली के पिता समन मांझी बताते हैं कि जब मां-बेटी पटना जंक्शन पर उतरीं, तो वहीं भीड़ में कहीं खो गयी। अपनी बेटी अंजली की तस्वीर लेकर पिता दर-दर भटक रहा है। परिवार, रिश्तेदारों के यहां भी काफी खोजा गया। सभी जान-पहचान वालों से पूछताछ की जा रही है। समन बताते हैं कि गायब होने के बक्त अंजली गुलाबी रंग का सलवार और कुर्ती पहनी थी। अब वे लोगों से अपील करते फिर रहे हैं कि जिसे भी वह बच्ची मिले, वह मोबाइल नंबर 9931126082 पर सूचित करे। 

शिक्षक दिवस पर गुरुजी हुए सम्मानित

पटना : श्रीकृष्णपुरी स्थित इन्दिरा गांधी कम्युनिटी हाॅल में एलेन क्लासेज के तत्वावधान में पिछले दिनों शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल थे। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने डाॅ. आईसी कुमार, पूर्व कुलपति, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, सामाजिक कार्यकर्ता नरेन्द्र प्रताप मिश्रा, डीएन तिवारी, मानद परामर्शी, राहुल राज, एसके दुबे, आईडी सिंह, डाॅ. एलपी प्रभाकर, डी. सिंह, ध्रुव कुमार यादव, डाॅ. एके संतोष, डाॅ. परिमल खान, दिनेश चन्द्र और प्रेरणा को शाल, प्रसंशा पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। 
साथ ही डाॅं. रामदुलार दास, प्राचार्य, एसएमडी महाविघालय, जमालपुर (गोपालगंज), डाॅ. योगेन्द्र प्रसाद यादव, पृथ्वी चंद विज्ञान महाविघालय, छपरा, डाॅ. प्रभुनाथ ओझा, पूर्व प्राचार्य, राजकीय इंटर काॅलेज, अतरसन (सारण), प्रो. अवध बिहारी मिश्रा, पूर्व प्राध्यापक, जिन्नत जरीना ईस्माइल, संस्थापक, होली क्राॅस स्कूल, छपरा, रंजीता मिश्रा, राजकीय विद्यालय, महुआ (वैशाली), प्रो. अमरेन्द्र नारायण सिंह, भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, डाॅ. बिहारी सिंह, एएन काॅलेज, पटना, डाॅ. परशुराम सिंह, नव नालंदा विश्वविद्यालय, नालंदा, वीरेन्द्र मिश्र अभय, प्रख्यात कवि, प्रदुमन प्रसाद सिंह, बेनीपुर उच्च विद्यालय, बेनीपुर, सुमिन्द्र प्रसाद सिंह, उच्च विद्यालय, कल्याणपुर, बैद्यनाथ सिंह, सेवानिवृत्त शिक्षक, अनुग्रह नारायण सिंह, नरौली, बीसी राय, काॅलेज आॅफ काॅमर्स, पटना और विजय कुमार सिंह, शिक्षक, गोपालगंज को सम्मानित किया गया।

बदहाल है कौथवां ग्राम पंचायत

दानापुर : दानापुर प्रखंड में कौथवां ग्राम पंचायत है। इस पंचायत के मुखिया राजद के महासचिव बाहुबली रीतलाल यादव के पिता हैं। वहीं जदयू विधायक अरुण मांझी की दीदी का घर कौथवां मुसहरी में ही है। इसके बावजूद आजतक इस मुसहरी की सूरत नहीं बदल सकी।
कौथवां मुसहरी निवासी प्रदीप मांझी का कहना है कि रूपसपुर थानान्तर्गत चुल्हाई चक में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चैधरी आए थे। इन्हें लोगों ने एक आवेदन-पत्र सौंपा था। इस आवेदन में समस्याओं का जिक्र था। इसके बावजूद यहां विकास कार्य पर ध्यान नहीं दिया गया। 
ज्ञात हो कि ये महादलित यहां कई दशक से रह रहे हैं। करीब 20 साल पहले इन्दिरा आवास योजना से मकान बनाया गया था। आज सभी मकान जर्जर अवस्था में हैं। साथ ही, महादलितों को न तो वासगीत पर्चा दिया गया है और न ही जमीन उनके नाम से की गयी है। स्त्री-पुरुष बाहर खुले आकाश के नीचे शौचक्रिया को बाध्य हैं। आजतक इस मुसहरी ने बिजली की रोशनी नहीं देखी है।
ई-मेल से प्राप्त वीरेन्द्र यादव एवं आलोक कुमार की खबरें

मंगलवार, 2 सितंबर 2014

अपने पुत्र को जंजीर से बांधकर रखती है एक मां !

न्यूज@ई-मेल
संक्षिप्त खबर
पटना : राजधानी स्थित पश्चिम मैनपुरा ग्राम पंचायत में गोसाई टोला नामक मुहल्ला है। यहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सबलपुर, (पटना सदर प्रखंड) की आशा कार्यकर्ता मुन्नी देवी रहती है। मुन्नी के पति, रामलगन राय, की मृत्यु 1997 में ही हो चुकी है। इनके दोनों पुत्र अविनाश (18 साल) और टिंकल (15 साल) को मिर्गी की बीमारी है। 
पति की मौत के बाद मुन्नी किसी तरह अपने घर का खर्च चलाती रही। साथ ही, बीमारी में काफी खर्च हो रहा था। कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पिटल के सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र द्वारा संचालित सिलाई केन्द्र से मुन्नी ने सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वह अपने घर पर ही सिलाई करने लगी। साथ ही 2011 में विधवा मुन्नी को आशा कार्यकर्ता बनाया गया। 
इन सब के बावजूद मुन्नी अब हिम्मत हारने लगी है। पिछले चार माह से आशा कार्यकर्ता के रूप में किये गये काम का पैसा नहीं मिला है। बेटों की दवा ठीक से नहीं हो पा रही है। मिर्गी रोग ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। तंग आकर परिवार वालों ने दवा देने के बदले उन्हें जंजीर में जकड़ रखा है। इस अमानवीय व्यवहार से आसपास के लोग भी हैरान हैं।

मुसहर करने लगे अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने की मांग

पटना : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू और भाजपा गठबंधन के समय 21 दलित जातियों को मिलाकर राज्य महादलित आयोग बनाया था। इन दलित जातियों में पासवान जाति को शामिल नहीं किया गया था। पासवान को छोड़कर 21 दलित जातियों को 3 डिसमिल जमीन की सुविधा दी गयी, जो आवासहीन थे। अब फिर से पासवान को इन जातियों में शामिल कर लिया गया है। 
बिहार सरकार के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा महादलित के रूप में पहचानी गई 21 जातियां हैं - बंतार, बौरी, भोगता, भुईया या भूमजीज, चैपाल, धोबी, डोम या धनगर, घासी, हलालखोर, हरि, मेहतर या भंगी, कंजर, कुरियर, लालबेगी, डबगर, मुसहर, नट, पान या सवासी, पासी, रजवार, तुरी और चमार।
इधर महादलित आयोग में रहकर भी मुसहर समुदाय के लोग घुटन महसूस करने लगे। इनका कहना है कि जिस उद्देश्य से महादलित आयोग बनाया गया, वह पूर्ण होता नहीं दिख रहा है। यहां तक कि राज्य महादलित आयोग के प्रथम अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि ने पूर्व मुख्यमंत्री को अनुशंसा भेजा था। यह लालफीताशाही का शिकार हो गया। अब उदय मांझी महादलित आयोग के अध्यक्ष हैं। उदय मांझी भी मुख्यमंत्री को अनुशंसा भेजने वाले हैं। लोग मुसहर समुदाय को अनुसूचित जाति की श्रेणी से निकालकर अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल किये जाने की मांग करने लगे हैं। लोगों का मानना है कि अनुसूचित जाति में रहकर मुसहरों का विकास और कल्याण नहीं हो पा रहा है। अतः अनुसूचित जनजाति में शामिल कर लिया जाए। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मुसहर समुदाय को आश्वासन दिया है कि इनकी मांग पर वे विचार करेंगे। जरूरी हुआ तो केन्द्र सरकार से पत्राचार भी करेंगे।

गहरे गड्ढे वाली जमीन महादलितों के नाम

दानापुर : दानापुर स्थित कौथवा ग्राम पंचायत में अभिमन्यु नगर है। यहां गैर मजरूआ जमीन है। सरकार ने 59 लोगों को जमीन का परवाना दिया है। अधिकांश लोग परवाना मिलते ही जमीन पर काबिज हो गए। कुछेक लोग जमीन पर काबिज नहीं हो सके। हुआ यूं कि इनकी जमीन से मिट्टी निकालकर रोड बना दिया गया है। जेसीबी मशीन से मिट्टी निकालने के कारण यहां गहरा गड्ढा बन गया है। इसमें सालोंभर पानी भरा रहता है। गड्ढे में पानी रहने के कारण मुसहर समुदाय को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। गड्ढे में पानी रहने के कारण सीमांकन कराने में परेशानी हो रही है। यह मामला 19 सालों से लंबित है। 
दूसरी ओर, कटिहार जिले के समेली प्रखंड में डूमर ग्राम पंचायत की समस्या है। इस पंचायत में बकिया मुसहरी एवं पश्चिम टोला, वार्ड नम्बर 12 है। इस टोले में 260 घरों में महादलित मुसहर रहते हैं। इनकी जनसंख्या 1,100 है। कुछ के पास रैयती जमीन है। कुछ मालिकाना जमीन पर रहते हैं। हां, गैर मजरूआ भूमि पर भी लोग रहते हैं। इंदिरा आवास योजना के तहत 30 मकान बने हैं। कई अधूरा हैं। इस टोले से एक किलोमीटर की दूरी पर कोलहा हरिणकोल की जमीन है। यह सामान्य जमीन से 6 फीट गड्ढे में है। बरसाती पानी भरा रहता है। अभी यह जमीन महादलितों के नाम है। इनका कहना है कि हमें तो ठगा गया है। यह जमीन किसी काम की नहीं। हमें जानबूझ कर ऐसी बेकार जमीन दी गयी है।

आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं

बिहटा : प्रत्येक साल रक्षाबंधन के दिन रुचि कुमारी अपने भाई को राखी बांधती थी। मगर, इस साल ऐसा नहीं हो सका। विवाहिता रुचि के ससुराल वालों ने 25 जुलाई, 2014 को उसकी हत्या कर दी। मामला बिहटा थाना क्षेत्र का है। पहले तो थानाध्यक्ष द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं किया गया और जब एसएसपी के समक्ष शिकायत की गयी, तो उसके बाद एफआईआर तो दर्ज कर ली गयी, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। 
ज्ञात हो कि बिहार की पुलिस में अबतक कोई खास सुधार नहीं हुआ है। राजधानी पटना में पुलिस की लापरवाही, वसूली और बेकसूरों को सताने की खबरें अकसर चर्चा में रहती हैं। ऐसे में यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि जिलों और फिर दूर के क्षेत्रों में क्या होता होगा। सच्चाई यह है कि अधिकांश थाना अवैध कमाई वाले अड्डे बन चुके हैं। गरीब, मजबूरों की यहां नहीं सुनी जाती। हां, दबंग और पैसे वालों को चलती ऐसे थाना क्षेत्रों में खूब रहती है।

‘‘हमारा कानून, हमारा अधिकार‘‘

पटना : पिछले दिनों ‘‘हमारा कानून, हमारा अधिकार‘‘ को लेकर पैक्स ने कानूनी जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। पांच दिनों तक चले इस कार्यशाला में दलितों को अधिकार के बारे में जानकारी दी गयी। साथ ही संविधान, भारतीय दण्ड संहिता, दण्ड प्रक्रिया संहिता, सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955, अपराध, दण्ड आदि पर चर्चा की गयी। प्रतिभागियों को केस स्ट्डी से अवगत कराया गया। इसी से संबंधित केस को लेकर रोल प्ले करना था। इसमें ब्रजेश कुमार, प्रेम कुमार चैधरी, कैलाश राम, रिंकी कुमारी, वासुदेव दास, ओम प्रकाश और आलोक कुमार ने भाग लिया। 

27.6 फीसदी थानों में दलितों के प्रवेश पर रोक

पटना : मल्टिपल एक्शन रिसर्च ग्रुप के प्रशिक्षकों ने कहा कि आज भी दलितों पर अत्याचार हो रहा है। यह ग्रुप पिछले दिनों नयी दिल्ली से पटना एक कार्यक्रम में प्रशिक्षण देने आया था। ग्रुप के लोगों ने कहा कि आज भी दलितों को मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया जाता है। बेगार-कार्य करवाया जाता है। दबंगों द्वारा जमीन पर कब्जा कर लिया जाता है। 
आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 38 फीसदी राजकीय विद्यालयों में अलग से खाना बनाने की व्यवस्था है। वहीं 35.8 फीसदी दुकानों में दलितों को अंदर आने पर रोक है। 33 फीसदी स्वास्थ्यकर्मी दलितों के घर में प्रवेश ही नहीं करते हैं। 27.6 फीसदी थानों में दलितों को आने ही नहीं दिया जाता है। दक्षिण भारत में दलितों के लिए अलग से चर्च और कब्रिस्तान है। कुल मिलाकर इस वर्ग को अलग-थलग रखकर जिंदगी मजे में काटने का उपाय बना लिया गया है। अंजू तालुकदार, अम्बालिका राॅय और राजेश देवली ने प्रशिक्षण दिया।

अन्याय, अत्याचार और शोषण से मुक्ति को तड़प रहा गरीब समाज : राजगोपाल

श्योपुर : प्राकृतिक संसाधनों पर नैसर्गिक अधिकार, शुद्ध पीने का पानी, रहने के लिए मकान और रोजगार के अवसर पाने से शहरिया आदिवासी और गरीब समाज वंचित है। इस अन्याय, अत्याचार और शोषण से मुक्ति पाने के लिए गरीब समाज तड़प रहा है। इससे मुक्ति नवजवानों की शक्ति की एकजुटता और संगठनात्मक अभिक्रम से ही होगी। उक्त बातें एकता परिषद के अध्यक्ष श्री राजगोपाल पी.व्ही. ने महात्मा गांधी सेवाआश्रम द्वारा आयोजित तीन दिवसीय चम्बल क्षेत्रीय युवा नेतृत्व विकास प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन सत्र में कही। 
राजगोपाल ने युवाओं को आगे आने की अपील करते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों जल, जंगल और जमीन पर अधिकार के लिए आंख, कान, दिमाग और मुंह का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना होगा। उन्होंने नवजवानों से कहा कि अपने आसपास की स्थितियों को देखना, उनको सुनना, उसका विश्लेषण करना और अत्याचार व अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाना होगा। एकता परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष रनसिंह परमार ने शिविर के उद्देश्यों के बारे में बताया कि भूमि अधिकार और जलाधिकार अभियान को लंबे समय तक आगे ले जाने के लिए शहरिया भीलाला आदिवासी, गरीब व वंचित समुदाय के युवकों और युवतियों को अन्याय से मुक्ति के लिए अहिंसात्मक अभिक्रम के बारे में प्रशिक्षित करना है। प्रत्येक महीने शिविर श्रृंखला के तहत 2000 नवजवानों को प्रशिक्षित करने की योजना है, जिससे एक मजबूत और टिकाउ आंदोलन को मूर्त रूप दिया जा सके।
उद्घाटन सत्र की अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष गुड्डी बाई थी। इन्होंने कहा कि आदिवासी नवजवानों को आगे आकर अपने हक की लड़ाई लड़नी होगी। नगरपालिका अध्यक्ष मीरा गर्ग ने कहा कि पढ़-लिखकर सबको अपने अधिकारों को समझकर संघर्ष तेज करना होगा। श्योपुर के पूर्व विधायक सत्यभान सिंह चैहान ने आदिवासियों के गरिमामयी इतिहास का पुनरावलोकन करते हुए शहरिया आदिवासी समाज के प्रथम विधायक स्वर्गीय सोमा आदिवासी का उदाहरण प्रस्तुत किया और कहा कि आदिवासी समाज हमेशा से मेहनतकश और ईमानदार रहा है जिसका नाजायज फायदा गैर आदिवासी समाज ने उसे संसाधनों से बेदखल कर उठाया है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य दुर्गेश नंदिनी ने एकता परिषद के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि एकता परिषद ने दूर दराज के आदिवासी अंचल में वंचित समुदाय को जागरूक और संगठित करने का कार्य किया है।
प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन सत्र में श्योपुर के वरिष्ठ पत्रकारों और समाजसेवियों को अंगवस्त्रम् प्रदान कर सम्मानित किया गया। शिविर के उद्घाटन सत्र का संचालन श्योपुर के वरिष्ठ समाजसेवी कैलाश पराशर ने की। शिविर में मुख्य रूप से वयोवृद्व समाज सेवी भीमसेन शर्मा, मोहम्मद हबीब भाई, जलाधिकार अभियान के प्रांतीय संयोजक अनिल कुमार गुप्ता, एकता परिषद के जयसिंह जादौन, रामदत्त सिंह तोमर, मनीष राजपूत, रविन्द्र सक्ेसना, उमरिया से बिमला बारां, शबनम अफगानी, विद्यासागर गौतम, रवि बद्री, उदयभान सिंह परिहार उपस्थित थे।
ई-मेल से आलोक कुमार द्वारा भेजी गयीं खबरें

जीतन राम मांझी के गृह क्षेत्र को मिला सर्वाधिक इंदिरा आवास

  • वित्तीय वर्ष 2014-15 में बिहार के लिए 2,80,255 इंदिरा आवास योजना का कोटा निर्धारित
  • गया अव्वल नंबर और नालंदा पांचवें पायदान पर, शिवहर फिसड्डी
राजीव मणि
पटना। चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 में केन्द्र सरकार ने बिहार के लिए 2,80,255 इंदिरा आवास योजना का कोटा निर्धारित किया है। इसकी मंजूरी ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्रा ने दे दी है। सभी 435 प्रखंड मुख्यालयों में शिविर आयोजित कर 2,80,255 लाभान्वितों को इंदिरा आवास योजना के तहत आवास निर्माण के लिए बैंक पासबुक के माध्यम से प्रथम किस्त की राशि उपलब्ध करायी जाएगी। राज्य में गांधी जयंती के अवसर पर, 2 अक्टूबर को, इंदिरा आवास शिविर आयोजित किया जाएगा। 
कलतक पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र नालंदा सभी योजनाओं में अव्वल रहता था। मुख्यमंत्री की कुर्सी बदलते ही नौकरशाहों के पासे भी बदल गए। नौकरशाहों ने इंदिरा आवास योजना में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के गृह क्षेत्र गया को अव्वल नंबर पर रखा है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र नालंदा पांचवें स्थान पर रखा गया है। इस बार इंदिरा आवास योजना में जो प्रथम पांच जिले हैं, उन्हें इस प्रकार स्थान मिला है। पहले स्थान पर गया में 18528, दूसरा समस्तीपुर 14608, तीसरी वैशाली 14055, चैथा पटना 13934 और पांचवें स्थान पर नालंदा में 13530 मकान इंदिरा आवास के तहत बनाने की योजना है। वहीं सबसे कम संख्या वाला जिला शिवहर है। यहां इंदिरा आवास योजना से केवल 1672 मकान बनेंगे। 
इन सब के अलावा दरभंगा में 12433, नवादा में 11113, बेगूसराय में 11019, पूर्वी चम्पारण में 10938, भोजपुर में 9736, सीवान में 9065, सारण में 8895, औरंगाबाद में 8891, रोहतास में 8697, भागलपुर में 8562, पूर्णिया में 7650, खगडि़या में 6669, अररिया में 6377, जहानाबाद में 6351, सहरसा में 6315, कैमूर में 6136, मुजफ्फरपुर में 5460, बांका में 5424, मधुबनी में 5422, जमुई में 5371, बक्सर में 5159, कटिहार में 4837, मधेपुरा में 4454, सीतामढ़ी में 4148, पश्चिम चम्पारण में 3858, गोपालगंज में 3616, लखीसराय में 3389, मुंगेर में 3157, सुपौल में 2911, अरवल में 2865, शेखपुर में 2819, किशनगंज में 2191 और शिवहर में 1672 लोगों को लाभान्वित किया जाएगा। 
ज्ञात हो कि जनसंगठन एकता परिषद द्वारा आयोजित जन सत्याग्रह, 2012 के पदयात्रा सत्याग्रह के दौरान केन्द्र सरकार और पी. व्ही. राजगोपाल के साथ एक वार्ता हुई थी। इसके बाद केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने इंदिरा आवास योजना की राशि 45 हजार में वृद्धि कर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में 75 हजार और गैर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में 70 हजार रुपए कर देने की घोषणा की थी। इसके तहत सूबे के नक्सल प्रभावित 11 जिलों में 75 हजार रुपए और शेष 27 सामान्य जिलों में 70 हजार रुपए देने का प्रावधान किया गया है। लाभान्वितों को प्रथम किस्त के रूप में 60 हजार रुपए उपलब्ध कराए जाएंगे। शेष रकम द्वितीय किस्त के रूप में छत ढालने के समय दिया जायेगा। राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के लक्ष्य के अनुरूप शत प्रतिशत उपलब्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जिलाधिकारियों को इंदिरा आवास योजना के लाभान्वितों का चयन करने, लाभान्वितों को सूचित करने, बैंक खाता खोलवाने और आवास साफ्ट पर आॅर्डर शीट जेनरेट करने की कार्रवाई 15 सितम्बर तक पूरा करने की हिदायत दी है।

सोमवार, 1 सितंबर 2014

क्या है आवासीय भूमि अधिकार कानून (2013)

यह भी जानें
पटना : इस कानून के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में उन गरीब परिवारों को भूमिहीन तथा आश्रयहीन माना गया है, जिनके पास वैधानिक तौर पर कोई भी आवासीय भूमि नहीं है। इन सभी परिवारों के लिए प्रस्तावित आवसीय भूमि का तात्पर्य ऐसी भूमि से है, जो परिवार अथवा व्यक्ति के लिए निजी उपयोग हेतु सुनिश्चित हो। प्रत्येक भूमिहीन तथा आश्रयहीन परिवार को न्यूनतम 10 डिस्मिल (4400 वर्ग फीट) भूमि का आबंटन किया जायेगा। यह भूमि, वंशानुगत प्रक्रियाओं को छोड़कर अहस्तांतरणीय होगी। उपरोक्त प्रक्रियाओं को पूर्ण करने हेतु इस कानून की अधिसूचना जारी होने के 6 माह के भीतर सभी राज्य सरकारें क्रियान्वयन की नीति और नियोजन प्रस्तुत करेंगी। जिसके तहत ग्राम सभा द्वारा प्रस्तुत सूची के अनुसार जिला प्रशासन का दायित्व योग्य परिवारों को न्यूनतम 10 डिस्मिल भूमि का आबंटन करना होगा। राज्य प्रशासन की ओर से इन प्रक्रियाओं में होने वाले विवादों के निपटारे हेतु उपयुक्त न्यायिक निकायों की स्थापना भी की जायेगी। आवासीय भूमि का अधिकार वयस्क महिला सदस्य के नाम पर किया जायेगा। उन परिस्थितियों में जहां वयस्क महिला सदस्य नहीं है, भूमि का आबंटन वयस्क पुरुष के नाम पर किया जायेगा। इस प्रक्रिया में महिला मुखिया आधारित परिवार, एकल महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, घुमंतु जनजाति तथा विकलांग परिवारों को विशेष प्राथमिकता दी जायेगी। 
इस कानून के वित्तीय प्रबंधन के लिए भारत सरकार की भागीदारी 75 प्रतिशत तथा राज्य सरकारों की भागीदारी 25 प्रतिशत होगी। ग्राम पंचायतों का दायित्व होगा कि सभी भूमिहीन तथा आश्रयहीन परिवारों की पहचान करके ग्राम सभा से अनुमोदन करके सूची तैयार करे और इसे विकासखंड तथा जिला पंचायतों को प्रस्तुत करे। इस कानून के क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक जिला स्तर पर अधिसूचना जारी की जायेगी। तत्पश्चात चिन्हित परिवारों को दो वर्ष के भीतर भूमि का आबंटन सुनिश्चित किया जायेगा। किसी भी राज्य और जिला स्तर पर यह कानून अधिकतम 5 वर्ष के भीतर पूर्णतः लागू कर दिया जायेगा। राज्य सरकारों का यह दायित्व होगा कि नयी आबादी बस्तियों में पेयजल तथा अन्य नागरिक सुविधाएं भी मुहैया करायें। भारत सरकार द्वारा इस कानून की अधिसूचना जारी होने के पश्चात राज्य सरकार के स्तर पर इसे लागू करने हेतु नियमों का निर्धारण 6 माह के भीतर किया जायेगा।

सरकार, सरकारी बाबू, मीडिया और महादलित !

न्यूज@ई-मेल
पटना : सरकार, सरकारी बाबू, मीडिया! इनसब के बीच फंसा महादलित। अब देखिए खेल, पिछले साल 15 अगस्त, 2013 को बिहार के तत्कालिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसी महादलित बस्ती में जाकर झंडा लहराना चाहते थे। इसकी व्यवस्था जिलाधिकारी पटना के चिरैयाढाड़ मुसहरी में करने लगे। इसके अलावा अन्य मुसहरी को भी तैयार करके रखा गया। इसमें चिरैयाढाड़ मुसहरी के महादलितों को फायदा हुआ। मुसहरी की गंदगी दूर हो गयी। लेकिन, मुख्यमंत्री जी यहां आते, इससे पहले ही कार्यक्रम में बदलाव कर रोनिया मुसहरी में झंडा फहराने का कार्यक्रम करवा दिया गया।
तब प्रिंट मीडिया में यह खबर आयी भी थी। अखबारों ने फोटो के साथ कुछ खबरें छापे थे। लेकिन, बाद में इसके बारे में कुछ नहीं छपा। संक्षिप्त में भी नहीं! वैसे भी महादलितों की खबर कहां खबर होती है! छोटे-छोटे नेता कभी मरते हैं तो खबर बन जाती है, मुसहरी में तो हर साल दर्जनों मरते हैं। खैर, आगे देखिए...।
इनसब के बीच चिरैयाढाड़ मुसहरी के लोगों को थोड़ा फायदा हुआ। मुसहरी की गंदगी खत्म हो गयी। चबुतरे का पक्कीकरण कर दिया गया। खराब पड़े चापाकल को दुरूस्त किया गया। लेकिन, एक बार फिर चापाकल से पानी नहीं निकल रहा है। लोग चापाकल को ठीक किये जाने की मांग कर रहे हैं। 
इतना ही नहीं, महादलितों को इंदिरा आवास योजना से मकान बनाने के लिए 45 हजार रुपए मिलने थे। अधिकारियों ने 30 हजार रुपए देकर हाथ खड़ा करना चाहा। शिकायत करने पर शेष 15 हजार रुपए की राशि दी गयी। जिन्हें यह राशि मिली, वे छत ढालने में सफल रहे। वहीं कुछ लोगों को लटकाया भी गया। इन्हीं में से एक है महेन्द्र मांझी। महेन्द्र कहता है कि झोपड़ी हटाकर इन्दिरा आवास योजना से मकान बनवाना था। 30 हजार रुपए मिले, इस राशि से छत नहीं ढल पायी। पिछले चार साल से शेष 15 हजार रुपए के लिए दौड़ादौड़ी कर रहे हैं। कोई सुनने वाला नहीं है।