COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna
COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

अनुसूचित जातियों के हस्तशिल्प कारीगरों के कल्याण के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : कपड़ा मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने आपस में हाथ मिलाया है, ताकि अनुसूचित जातियों के अनुमानित 12 लाख कारीगरों के आर्थिक विकास के लिए और भी ज्यादा आवश्यक कदम उठाये जा सकें। कपड़ा मंत्रालय के विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीनस्थ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी) के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य देश भर में कार्यरत उन कारीगरों की आमदनी बढ़ाने के लिए आपस में मिल-जुलकर काम करना है, जो अनुसूचित जातियों से जुड़ी श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं। केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति जुबिन इरानी और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत की मौजूदगी में इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। वस्त्र सचिव रश्मि वर्मा और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में सचिव लता कृष्ण राव भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।
इस एमओयू के तहत विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) के कार्यालय और एनएसएफडीसी के बीच निरंतर एवं विस्तृत सहयोग सुनिश्चित किया जायेगा, जिसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं -
  • जागरूकता शिविर लगाकर विभिन्न योजनाओं के बारे में प्रचार-प्रसार करके जरूरतों का आकलन करने के साथ-साथ संबंधित कमियों की पहचान करना।
  • उन चिन्हित क्लस्टरों में जरूरत आधारित विस्तृत कौशल उन्नयन के काम पूरे करना भी एक अन्य उद्देश्य है, जहां अनुसूचित जातियों के कारीगर बड़ी संख्या में मौजूद हैं। अनूठे एवं बाजार अनुकूल डिजाइनों के क्षेत्र में और आधुनिक उपकरणों एवं तकनीकों को अपनाने के लिए इन कारीगरों के कौशल का उन्नयन किया जायेगा।
  • घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय विपणन कार्यक्रमों में अनुसूचित जातियों के कारीगरों और उनके उत्पादक समूहों की भागीदारी बढ़ाना।
  • कपड़ा मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दिए जाने वाले लाभों को आपस में संयुक्त करते हुए अनुसूचित जातियों के कारीगरों को रियायती दरों पर कार्यशील पूंजी से संबंधित ऋण मुहैया कराना।

एमओयू में इस बात पर भी सहमति जताई गई है कि विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) का कार्यालय अपनी विभिन्न योजनाओं के लिए परियोजना संबंधी रिपोर्टों को तैयार करने और अनुसूचित जातियों के कारीगरों की जरूरतों को चिन्हित करने के लिए क्षेत्र (फील्ड) संबंधी अध्ययन कराने के लिए एनएसएफडीसी की सहायता करेगा। विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) के कार्यालय के छह क्षेत्रीय कार्यालयों और 52 विपणन एवं सेवा विस्तार केंद्रों की सहायता का विस्तार करने के अतिरिक्त इस तरह की सहायता दी जाएगी। उपर्युक्त एमओयू पर विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) आलोक कुमार और एनएसएफडीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक श्याम कपूर ने हस्ताक्षर किए।   

गरीबों के लिए याचिका दाखिल करना आसान हुआ 

नई दिल्ली : मध्यम और गरीब आय वर्ग के लोगों के लिए देश की कानूनी सहायता लेना आसान हो गया है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने मध्यम आय समूह योजना लागू की है। यह आत्म समर्थन देने वाली योजना है और इसके तहत 60,000 रुपये प्रति महीने और 7,50,000 रुपये वार्षिक आय से कम आय वाले लोगों के लिए कानूनी सहायता दी जाएगी।
सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 (2) के अन्तर्गत सोसायटी के प्रबंधन का दायित्व गवर्निंग बॉडी के सदस्यों को दिया गया है। गवर्निंग बॉडी में भारत के प्रधान न्यायाधीश संरक्षक होगे। अटार्नी जनरल पदेन उपाध्यक्ष होंगे। सोलिसीटर जनरल ऑफ इंडिया मानद सदस्य होंगे और उच्चतम न्यायालय के अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सदस्य होंगे।
उच्चतम न्यायालयों के नियमों के अनुसार न्यायालय के समक्ष याचिका केवल एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के जरिये दाखिल की जा सकती है।
सेवा शुल्क के रूप में उच्चतम न्यायालय मध्य आय समूह कानूनी सहायता सोसाइटी (एससीएमआईजीएलएएस) को 500 रुपये का भुगतान करना होगा। आवेदक को सचिव द्वारा बताई गई फीस जमा करानी होगी। यह योजना में संलग्न अनुसूची के आधार पर होगी। एमआईजी कानूनी सहायता के अंतर्गत सचिव याचिका दर्ज करेंगे और इसे पैनल में शामिल एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, दलील पेश करने वाले वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता को भेजेगे।
यदि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड इस बात से संतुष्ट हैं कि यह याचिका आगे की सुनवाई के लिए उचित है, तो सोसाइटी आवेदक के कानूनी सहायता अधिकार पर विचार करेगी। जहां तक योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक की पात्रता का प्रश्न है, याचिका के बारे में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की राय अंतिम राय मानी जाएगी।
योजना के अंतर्गत मध्यम वर्ग के वैसे लोग जो उच्चतम न्यायालय में मुकद्दमों का खर्च नहीं उठा सकते, वे कम राशि देकर सोसाइटी की सेवा ले सकते है। इस योजना के लाभ लेने के इच्छुक व्यक्ति को निर्धारित फाॅर्म भरना होगा और इसमें शामिल सभी शर्तों को स्वीकार करना होगा।
योजना के अनुसार याचिका के संबंध आने वाले विभिन्न खर्चों को पूरा करने के लिए आकस्मिक निधि बनाई जाएगी। याचिका की स्वीकृति के स्तर तक आवेदक को इस आकस्मिक निधि में से 750 रुपये जमा कराने होंगे। यह सोसाइटी में जमा किये गये शुल्क के अतिरिक्त होगा। यदि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड यह समझते हैं कि याचिका आगे अपील की सुनवाई योग्य नहीं है, तो समिति द्वारा लिये गये न्यूनतम सेवा शुल्क 750 रुपये को घटाकर पूरी राशि चैक से आवेदक को लौटा दी जाएगी।
यदि योजना के अन्तर्गत नियुक्त अधिवक्ता सौंपे गये केस के मामले में लापरवाह माने जाते हैं, तो उन्हें आवेदक से प्राप्त फीस के साथ केस को वापस करना होगा। इस लापरवाही की जिम्मेदारी सोसाइटी पर नहीं होगी और मवक्कील से जुड़े अधिवक्ता की पूरी जिम्मेदारी होगी। अधिवक्ता का नाम पैनल से समाप्त कर दिया जाएगा। समाज के कम आय वर्ग के लोगों के लिए याचिका दाखिल करने के काम को सहज बनाने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह योजना लागू की है।

शहरी गरीबों के लिए 90,095 और किफायती मकानों को मंजूरी 

नई दिल्ली : आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने 5,590 करोड़ रुपये के निवेश एवं 1,188 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत शहरी गरीबों के हित में 90,095 और किफायती मकानों के निर्माण को मंजूरी दी।
मध्य प्रदेश के लिए 5260 करोड़ रुपये के निवेश एवं 1071 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 49 शहरों एवं कस्बों में 82,262 मकानों को मंजूरी दी गई है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर के लिए 240 करोड़ रुपये के निवेश एवं 74 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 24 शहरों एवं कस्बों में 4915 मकानों को मंजूरी दी गई है। वहीं, दादर एवं नागर हवेली की राजधानी सिलवासा के लिए 26 करोड़ रुपये के निवेश एवं 12 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 803 किफायती मकानों को स्वीकृति दी गई है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लाभार्थी की अगुवाई वाले निर्माण (बीएलसी) घटक के तहत 46,823 नए मकानों के निर्माण, बीएलसी के तहत जम्मू-कश्मीर में 773 मकानों के विस्तारीकरण और भागीदारी में किफायती आवास (एएचपी) घटक के तहत मध्य प्रदेश में 42499 नए मकानों के निर्माण को मंजूरी दी गई।
मध्य प्रदेश में 39763 और नए मकानों का निर्माण बीएलसी घटक के तहत किया जाएगा, जिसके अंतर्गत किसी भी पात्र लाभार्थी को अपने स्वामित्व वाली भूमि पर एक मकान बनाने के लिए सहायता दी जाती है। मध्य प्रदेश में शहरवार मंजूरियों में ये शामिल हैं : इंदौर-30789 मकान, रतलाम-6419, सागर-3,156, उज्जैन-2884, कटनी-2800, शिवपुरी-2625, छिंदवाड़ा-2508, नागदा-2,073, जबलपुर-2,012, दतिया-1,726, सिंगरौली-1,716, डबरा-1720, विदिशा-1513, दमोह-1480, सीहोर-1,200, सिधी-1,057, आस्था-1000 और ऊंचेाहारा-1,000
जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के लिए 663 किफायती मकानों को स्वीकृति दी गई है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में अन्य मंजूरियों में ये शामिल हैं : हंदवाड़ा-602, बड़गाम-476, बारामूला-393, डोडा-306, पुलवामा-270, कारगिल-261, सोपोर-205, गांदरबल-185, भद्रवाह-176, शोपियां-159, आरएस पुरा-143, सांबा-121, किश्तवार-113, लेह-99 और पुंछ-96 ।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत मध्य प्रदेश के लिए स्वीकृत मकानों की कुल संख्या बढ़कर 187135 और जम्मू-कश्मीर के लिए स्वीकृत मकानों की कुल संख्या बढ़कर 5864 हो गई है। दी गई मंजूरियों के साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 89072 करोड़ रुपये के कुल निवेश एवं 25819 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ शहरी गरीबों के हित में अबतक कुल मिलाकर 16,51,687 किफायती मकानों के निर्माण को स्वीकृति दी गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के बीएलसी और एएचपी घटकों के तहत हर लाभार्थी को 1.50 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता दी जाती है।
☻☻

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

चेचक और हलका खसरा के लिए एकल टीका

नई दिल्ली : स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बेंगलुरू में आयोजित एक समारोह में देश में मीजल्स रूबेल (एमआर) टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया। इन दो बीमारियों के खिलाफ अभियान पांच राज्यों, संघशासित प्रदेशों (कर्नाटक, तमिलनाडू, पुदुचेरी, गोवा और लक्षद्वीप) से शुरू किया जायेगा, जिसके अंतर्गत करीब 3.6 करोड़ बच्चों को टीके लगाये जाएंगे। इस अभियान के बाद मीजल्स रूबेल (एमआर) टीका नियमित रोग-प्रतिरक्षण कार्यक्रम में शामिल किया जायेगा, जो वर्तमान में दी जा रही मीजल्स की खुराक का स्थान लेगा। वर्तमान में यह खुराक दो बार यानी 9-12 महीने और 16-24 महीने की आयु के बच्चों को दी जाती है।
टीके के उद्घाटन के अवसर पर केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री सदानंद गौडा, केन्द्रीय संसदीय कार्य, रसायन और उर्वरक मंत्री अनन्त कुमार, केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, कर्नाटक सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री डाॅ. शरण प्रकाश रूद्राप्पा पाटिल, कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य राज्यमंत्री केआर रमेश और जाने-माने अभिनेता रमेश अरविन्द उपस्थित थे। गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर पर अभियान के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए संचार सामग्री का विमोचन भी किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि सरकार देश को चेचक (मीजल्स) और हलका खसरा (रूबेल) से मुक्त करने के प्रति वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस काम में राज्य सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, गेट्स फाउंडेशन, लायन्स क्लब, आईपीए, आईएमए आदि विकास भागीदारों को शामिल करेगी। एमआर अभियान का लक्ष्य देशभर में करीब 41 करोड़ बच्चों को लाभ पहुंचाना है। इन सभी की आयु 9 महीने से 15 वर्ष के बीच है।
इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य लोगों में डाॅ. अरुण के. पंडा, एएसएमडी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, एससी खुंटिया, मुख्य सचिव, कर्नाटक, डाॅ. शालिनी रजनीश प्रधान सचिव, कर्नाटक, वंदना गुरनानी, जेएस (आरसीएच, आईईसी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और विकास भागीदारों के प्रतिनिधि शामिल थे।

बजट में 10 प्रतिशत से अधिक का इजाफा

नई दिल्ली : संसद में पेश किए गए बजट प्रस्तावों में जनजातीय मामले मंत्रालय के बजट परिव्यय में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई है। चालू वित्त वर्ष के 4,847 करोड़ रुपये की तुलना में आगामी वित्त वर्ष के लिए 5,329 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है। अनुसूचित जन-जातियों के कल्याण के लिए भी सभी मंत्रालयों के बजट आवंटन में 30 प्रतिशत से अधिक वृद्धि की गई है। इस मद के लिए चालू वित्त वर्ष के 24,005 करोड़ रुपये की तुलना में आगामी वित्त वर्ष के लिए 31,920 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है। अजजा विद्यर्थियों के लिए उच्चतर शिक्षा संबंधी नेशनल फेलोशिप और स्कॉलरशिप हेतु बजट में 140 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसके लिए वर्ष 2016-17 के रुपये 50 करोड़ की तुलना में अगले वित्त वर्ष के लिए 120 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017

अनुसूचित जातियों, जनजातियों व अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए आबंटन बढ़ाया जाएगा

वरिष्ठ नागरिकों के लिए आधार आधारित स्मार्ट कार्ड योजना शुरू की जाएगी
 बजट की खबरें 
नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने संसद में आम बजट 2017-18 प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अल्पसंख्यकों की कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन पर विशेष महत्व दे रही है। बजट 2017-18 में अनुसूचित जातियों के लिए आबंटन 38,833 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 52,393 करोड़ रुपए किया गया है, जो लगभग 35 प्रतिशत अधिक है। अनुसूचित जनजातियों के लिए आबंटन बढ़ाकर 31,920 करोड़ रुपए और अल्पसंख्यक मामलों के लिए आबंटन बढ़ाकर 4,195 करोड़ रुपए किया गया है। सरकार नीति आयोग द्वारा इन क्षेत्रों में व्यय की परिणाम आधारित निगरानी की शुरूआत करेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए आधार आधारित स्मार्ट कार्ड शुरू किए जाएंगे, जिनमें उनके स्वास्थ्य संबंधी विवरण दर्ज होंगे। वर्ष 2017-18 के दौरान 15 जिलों में प्रायोगिक योजना के जरिए इसकी शुरूआत की जाएगी। एलआईसी, वरिष्ठ नागरिकों के लिए निश्चित पेंशन योजना लागू करेगी, जिसमें 10 वर्ष तक प्रतिवर्ष आठ प्रतिशत प्रतिलाभ मिलने की गारंटी होगी।  

मनरेगा को अबतक का सर्वाधिक 48 हजार करोड़ रुपये का आबंटन

नई दिल्ली : अरूण जेटली ने संसद में वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश करते हुए बताया कि सरकार, किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के जीवन और पर्यावरण में सुधार लाने के लिए उनसे घनिष्ठ सहयोग के साथ कार्य करती रहेगी, क्योंकि यह हमारी सरकार के लिए समझौता न करने वाला कार्यक्रम है। 2017-18 में ग्रामीण, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए कुल आवंटन 1,87,223 करोड़ रुपये किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि सरकार महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर एक करोड़ परिवारों और 50 हजार ग्राम पंचायतों को 2019 तक गरीबी से बाहर लाने के लिए मिशन अंत्योदय शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने के हमारे संकल्प के समर्थन में मनरेगा को अभिमुख बनाने के लिए गंभीर प्रयास किये हैं। उन्होंने कहा कि 2016-17 में मनरेगा के तहत 38,500 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया था, जिसे 2017-18 में बढ़ाकर 48,000 करोड़ रुपये किया गया है। यह मनरेगा के लिए अबतक का सबसे बड़ा आवंटन है। मनरेगा की सभी परिसंपत्तियों की भूसंबद्धता और उन्हें लोगों की जानकारी में रखने की पहल ने बेहतर पारदर्शिता स्थापित की है और सरकार मनरेगा कार्यों की योजना के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का भी बड़े पैमाने पर उपयोग कर रही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) निर्माण की गति 2016-17 में तेजी से बढ़कर 133 किलोमीटर सड़क प्रतिदिन हो गई, जबकि 2011-14 अवधि के दौरान इसका औसत 73 किलोमीटर प्रतिदिन था। उन्होंने कहा कि सरकार 2019 तक पीएमजीएसवाई के तहत मौजूदा लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस योजना के लिए 2017-18 में 19,000 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि बेघर लोगों और कच्चे घरों में रहने वाले लोगों के लिए 2019 तक एक करोड़ मकानों का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लिए बजट अनुमान 2016-17 में किये गए 15,000 करोड़ रुपये के आवंटन को बढ़ाकर 2017-18 में 23,000 करोड़ रुपये कर दिया है। श्री जेटली ने उम्मीद जाहिर की कि देश के शत-प्रतिशत गांवों का विद्युतीकरण का लक्ष्य 01 मई, 2018 तक प्राप्त कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत 2017-18 में 4,814 करोड़ रुपये के बढ़े हुए आवंटन का प्रस्ताव किया गया है।
श्री जेटली ने कहा कि सरकार ने 2017-18 में ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास को बढ़ावा देने और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए आवंटनों को बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) और क्रेडिट सहायता योजना के लिए आवंटन को बढ़ाकर तीन गुना से अधिक कर दिया है। वित्त मंत्री ने सदस्यों को बताया कि सुरक्षित स्वच्छता और खुले में शौच को रोकने के कार्य को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ने बहुत प्रगति की है। ग्रामीण भारत में स्वच्छता का दायरा अक्टूबर, 2014 में 42 प्रतिशत से बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया है। अब ऐसे गांवों को पाइप युक्त पानी की आपूर्ति में प्राथमिकता दी जा रही है। 

गांव स्तर पर महिला शक्ति केंद्र स्थापित किए जाएंगे 

नई दिल्ली : अरुण जेटली ने संसद में आम बजट 2017-18 प्रस्तुत करते हुए कहा कि 14 लाख आईसीडीएस आंगनवाड़ी केंद्रों में 500 करोड़ रुपए के आबंटन के साथ गांव स्तर पर महिला शक्ति केंद्र स्थापित किए जाएंगे। यह ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कौशल विकास, रोजगार, डिजिटल साक्षरता, स्वास्थ्य और पोषण के अवसरों के लिए ‘वन स्टॉप’ सामूहिक सहायता प्रदान करेगा। गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने की राष्ट्रव्यापी योजना के अंतर्गत छह हजार रुपए सीधे ऐसी गर्भवती महिला के बैंक खाते में जमा किए जाएंगे, जो किसी चिकित्सा संस्था में बच्चे को जन्म देगी और अपने बच्चों का टीकाकरण कराएगी।  
बजट अनुमान 2017-18 में सभी मंत्रालयों की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत महिला और बाल कल्याण के लिए आबंटन 1,56,528 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1,84,632 करोड़ रुपए कर दिया गया है।

2017 तक कालाजार और फिलारियासिस खत्म

  • 2018 तक कुष्ठ तथा 2020 तक खसरा समाप्त करने की योजना 
  • झारखंड और गुजरात में दो नये अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान स्थापित किये जाएंगे 
  • औषधियों की उचित मूल्यों पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए औषधि और सौन्दर्य प्रसाधन नियमावली में संशोधन होगा 

 बजट की खबरें 
नई दिल्ली : केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने संसद में वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश करते हुए बताया कि सरकार ने 2017 तक कालाजार और फिलारियासिस, 2018 तक कुष्ठ तथा 2020 तक खसरा समाप्त करने के लिए कार्य योजना तैयार की है। 2025 तक तपेदिक को भी समाप्त  करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार नवजात शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) जो 2014 में 39 था, उसे घटाकर 2019 तक 28 करने तथा मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) जो 2011-13 में 167 था, उसे 2018-20 तक 100 करने के लिए भी कार्य योजना बनाई गई है। 1.5 लाख स्वास्थ्य उप-केन्द्रों को स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती केन्द्रों में परिवर्तित किया जाएगा।
श्री जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा, द्वितीयक और तृतीयक स्तरों की देखभाल को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत है, इसलिये हमने प्रति वर्ष 5,000 अतिरिक्त स्नातकोत्तर सीटें सृजित करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा बड़े जिला अस्पतालों में डीएनबी पाठ्यक्रम शुरू करने, चुनिंदा ईएसआई और नगर निगमों के अस्पतालों में स्नातकोत्तर शिक्षा को मजबूत करने तथा प्रख्यात निजी अस्पतालों को डीएनबी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने के कदम उठाये जाएंगे। सरकार देश में चिकित्सा शिक्षा और प्रैक्टिस के विनियामक ढांचे में संरचनात्मक परिवर्तन के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
झारखंड और गुजरात में दो नये अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान स्थापित किये जाएंगे। बजट में उचित मूल्यों पर औषधि की उपलब्धता और जनेरिक औषधियों को बढ़ावा देने के लिए औषधि और सौन्दर्य प्रसाधन नियमावली में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है। चिकित्सा उपकरणों को विनियमित करने के लिए नई नियमावली तैयार की जाएगी। ये नियम अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार होंगे और इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करेंगे। इससे इन उपकरणों की लागत कम हो जाएगी।  

कृषि ऋण 10 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर निर्धारित

नई दिल्ली : केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने संसद में वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश करते हुए बताया कि सरकार को मानसून की स्थिति बेहतर रहने से चालू वर्ष 2016-17 के दौरान कृषि क्षेत्र में 4.1 प्रति होने की उम्मीद है। चैथा बजट पेश करते हुए श्री जेटली ने कहा कि किसानों को समय पर पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। 2017-18 में कृषि ऋण का लक्ष्य 10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि अल्पसेवित क्षेत्रों, पूर्वी राज्यों तथा जम्मू कश्मीर के किसानों के लिए पर्याप्त ऋण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के विशेष प्रयास किये जाएंगे। किसानों को सहकारी ऋण ढांचे से लिए गये ऋण के संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 60 दिनों के ब्याज के भुगतान से छूट का भी लाभ मिलेगा। 
वित्त मंत्री ने बताया कि लगभग 40 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान सहकारी ढांचे से ऋण प्राप्त करते हैं। सरकार जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों की कोर बैंकिंग प्रणाली के साथ सभी 63,000 क्रियाशील प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटियों के कम्प्यूटरीकरण और समेकन के लिए नाबार्ड की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्य 1900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से राज्य सरकारों की वित्तीय भागीदारी के द्वारा 3 वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। इससे छोटे और सीमांत किसानों को ऋण का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित हो जाएगा।
किसानों के अनुकूल कदमों के बारे में बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि नाबार्ड में एक दीर्घकालीन सिंचाई कोष स्थापित किया जा चुका है और प्रधानमंत्री ने इसकी स्थायी निधि में 20,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि शामिल करने की घोषणा की है। इस प्रकार इस कोष में कुल निधि बढ़कर 40,000 करोड़ रुपये हो जाएगी।
फसल बीमा योजना का विस्तार जो 2016-17 में फसल क्षेत्र का 30 प्रतिशत है, उसे 2017-18 में बढ़ाकर 40 प्रतिशत और 2018-19 में बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाएगा। बजट अनुमान 2016-17 में इस योजना के लिए 5,500 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया था, जिसे बकाया दावों का निपटान करने के लिए 2016-17 के संशोधित बजट अनुमान में बढ़ाकर 13,240 करोड़ रुपये कर दिया गया था। वर्ष 2017-18 के लिए इस मद के लिए 9000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना के अंतर्गत बीमाकृत राशि जो 2015 के खरीफ सीजन में 69,000 करोड़ रुपये थी, 2016 के खरीफ सीजन में दोगुने से भी बढ़कर 1,41,625 करोड़ रुपये हो गई है। 
उन्होंने अपने पिछले बजट भाषण का उल्लेख किया, जिसमें 5 वर्षों में किसानों की आय को दोगुना करने के लिए किसानों की आय सुरक्षा पर ध्यान केन्द्रित किया गया था। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को अपना उत्पादन बढ़ाने और फसल कटाई के बाद की चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों को समर्थ बनाने के लिए अनेक कदम उठाएगी। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) दायरे का मौजूदा 250 बाजारों से 585 एपीएमसी तक विस्तार किया जाएगा। इसके अलावा स्वच्छता, ग्रेडिंग और पैकेजिंग सुविधाओं की स्थापना के लिए प्रत्येक ई-नाम बाजार को अधिकतम 75 लाख रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी।
यह स्वीकार करते हुए कि डेयरी किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, वित्त मंत्री ने तीन वर्षों में 8000 करोड़ रुपये की संचित निधि से नाबार्ड में एक दुग्ध प्रसंस्करण एवं संरचना निधि स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने की गति में तेजी आ रही है, क्योंकि सरकार ने देश के सभी 648 कृषि विज्ञान केन्द्रों का 100 प्रतिशत कवरेज सुनिश्चित करने तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों में नई लघु प्रयोगशालाएं स्थापित करने का निर्णय लिया है।