COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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बुधवार, 20 अप्रैल 2016

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन नियम 2016 अधिसूचित

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम, 1995 की प्रधान नियमावली में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन नियम, 2016 के तहत संशोधन कल अधिसूचित किए गए। 
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 (2016 का नंबर 1) द्वारा हुए संशोधनों के परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार द्वारा अत्याचार निवारण अधिनियम के अनुच्छेद 23 के उपबंध (1) में निहित शक्तियों का प्रयोग कर अधीनस्थ अधिनियम- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम, 1995 में भी कुछ संशोधन अनिवार्य बनाए गए। 
2. तदनुसार सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारादिनांक 22.01.2016 मंत्रालय, गृह मंत्रालय, आदिवासी मामलों के मंत्रालय, क़ानून मंत्रालय, अनुसूचित जातिआयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु एवं ओडीशा की प्रदेश सरकारों से सदस्यों को लेकर एक टास्कफोर्स का गठन किया गया था। टास्कफोर्स ने दिनांक 02.02.2016 एवं 22.02.2016 को आयोजित दो बैठकों के बाद अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया। टास्कफोर्स की रिपोर्ट में सम्मिलित सिफारिशों के आधार पर और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा आत्मावलोकन के पश्चात पीओए नियमों में निम्न प्रकार के संशोधन किए गएः
(i) अत्याचार निवारण अधिनियम में किए गए संशोधनों से उपजे अनुवर्ती संशोधन। 
(ii) विभिन्न अत्याचारों के शिकार लोगों के लिए राहत राशि का परिमेयकरण एवं पीओए नियमों के अनुलग्नक-1 का प्रतिस्थापन जिसमें विभिन्न अत्याचारों से जुड़े अपराधों की राहत राशि का विवरण है। इसमें अत्याचारों के नये अपराधों में राहत देना आदि शामिल है। 
(iii) बलात्कार एवं सामूहिक बलात्कार जैसे अपराधों के लिए राहत का प्रावधान 
(iv) राहत राशि के मौजूदा परिमाण, 75,000 रुपए से 7,50,000 रुपए के बीच, में लगभग दस प्रतिशत की बढ़ोतरी, अपराध के स्वरूप के अनुसार, औद्योगिक कामगारों के लिए जनवरी 2016 से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से मिलाना। 
3. अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन नियम 2016 को तदनुसार 14 अप्रैल, 2016 को भारत के असाधारण गजट में अधिसूचित किया गया। 
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 की मुख्य बातें निम्न हैः

  • अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के विरुद्ध किए जाने वाले नए अपराधों में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लोगों के सिर और मूंछ की बालों का मुंडन कराना और इसी तरह अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के सम्मान के विरुद्ध किए गए कार्य हैं। समुदाय के लोगों को जूतों की माला पहनाना, सिंचाई सुविधाओं का प्रयोग करने से रोकना या वन अधिकारों से वंचित रखना, मानव और पशुओं के शवों को निपटाने और लाने ले जाने के लिए तथा बाध्य करना, कब्र खोदने के लिए बाध्य करना, सिर पर मैला ढोने की प्रथा को अनुमति देना, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को देवदासी के रूप में समर्पित करना, जाति सूचक गाली देना, जादू टोना या डायन बताने जैसे अत्याचार को बढ़ावा देना, सामाजिक या आर्थिक बहिष्कारकरना, अनुसूचित जातियोंऔर अनुसूचित जनजातियों के उम्मीदवारों को चुनाव के दौरान नामांकन दाखिल करनेसे रोकना, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के वस्त्रों का हरण कर आहत करना, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को घर, गांव और आवास छोड़ने के लिए बाध्य करना, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की पूजनीय वस्तुओं को विरुपित करना, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के विरुद्ध यौन दुराचरण करना या या ऐसे हाव-भाव से उनको छूना और ऐसी भाषा का उपयोग करना शामिल है। 
  • भारतीय दंड संहिता के तहत आने वाले अपराधों अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्य को आहत करने, उन्हें दारुण रूप से आहत करने, धमकाने और उपहरण करने जैसे अपराधों को, जिनमें 10 वर्ष के कम की सजा का प्रावधान है, उन्हें अत्याचार निवारण अधिनियम में अपराध के रूप में शामिल करना। फिलहाल अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों पर किए गए अत्याचार के मामलों में 10 वर्ष और उससे अधिक की सजा वाले अपराधों को ही अपराध माना जाता है। 
  • मामलों को तेजी से निपटाने के लिए अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत आने वाले अपराधों में विशेष तौर पर मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालतों का गठन और विशेष लोक अभियोजक को निर्दिष्ट करना। 
  • विशेष अदालतों को अपराध का प्रत्यक्ष संज्ञान लेने की शक्ति प्रदान करना और जहां तक संभव हो आरोप पत्र दाखिल करने की तिथि से दो महीने के अंदर सुनवाई पूरी करना । 
  • पीड़ितों तथा गवाहों के अधिकारों पर अतिरिक्त अध्याय शामिल करना आदि रखेगी।
  • शिकायत दर्ज होने से लेकर एवं अधिनियम के अंतर्गत कार्य की उपेक्षा के आयामों को लेते हुए हर स्तर के सरकारी कर्मचारियों के लिए 'जानबूझकर कर की गई ढिलाई' पद की स्पष्ट परिभाषा तय करना। 
  • अपराधों में प्रकल्पनाओं का शामिल किया जाना- यदि अभियुक्त पीड़ित या उसके परिवार से परिचित है, तो जब तक इसके विपरीत सिद्ध न किया जाए अदालतें यह मानेंगी कि अभियुक्त पीड़ित की जाति अथवा जनजातीय पहचान के बारे में जानता था।

सोमवार, 18 अप्रैल 2016

राष्ट्रीय जनजातीय कार्निवल 29 अप्रैल से

पहला राष्ट्रीय जनजातीय कॉर्निवल नई दिल्ली में 29 अप्रैल, 2016 से होगा। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री करेंगे। यह जानकारी नई दिल्ली में जनजातीय मामलों के मंत्री जुआल ओराम ने दी। श्री ओराम राज्यों के जनजातीय कल्याण मंत्रियों, प्रधान सचिवों, सचिवों के सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे। यह सम्मेलन जनजातीय समुदाय के समग्र विकास के लिए रणनीति तैयार करने के बारे में आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि इस कॉर्निवल का उद्देश्य बड़े पैमाने पर जनजातीय संस्कृति के विभिन्न पक्षों को दिखाना और बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि उद्देश्य जनजातीय जीवन के विभिन्न पक्षों जैसे संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाज और जनजातीय समुदाय के कौशल को संरक्षित करना और प्रोत्साहित करना है, ताकि जनजातीय समुदाय की क्षमता का उपयोग उनके समग्र विकास के लिए किया जा सके। उन्होंने कहा कि चार दिन के कॉर्निवल में प्रलेखित परंपरागत, सामाजिक-सांस्कृतिक पक्षों, जनजातीय कलाओं का प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेलकूद, चित्रकारी और पारंपरिक रोग निदान व्यवहारों को प्रदर्शित करना है। उन्होंने कहा कि कॉर्निवल में जनजातीय समुदाय के स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास और संस्कृति के बारे में पैनल संवाद का आयोजन भी किया जायेगा।   
उन्होंने कहा कि सरकार के एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों, आश्रम स्कूलों और देशभर में जनजातीय लड़के-लड़कियों को छात्रावास उपलब्ध कराने के कार्यक्रमों से जनजातीय विद्यार्थियों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने में मदद मिली है। लेकिन, मेधा सृजन की दृष्टि से और सुधार की आवश्यकता है। उन्होनें कहा कि जनजातीय विद्यार्थियों द्वारा बीच में पढ़ाई छोड़ना चिंता का विषय है और इस संबंध में प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे स्कूलों में विज्ञान, गणित और अंग्रेजी विषयों में शिक्षकों की कमी पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें बड़े पैमाने पर जनजातीय लोगों में शिक्षा स्तर बढ़ाना होगा ताकि उनकी क्षमता का समावेशी विकास में उपयोग किया जा सके।
जनजातीय समुदाय के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि स्थिति बहुत प्रोत्साहित करने वाली नहीं है। कभी-कभी तो जनजातीय समुदाय को औपचारिक स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं मिलतीं इसलिए परंपरागत दवाएं और जनजातीय रोग निवारण प्रणाली का एकीकरण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्यकर्मियों के काम न करने की इच्छा के कारण जनजातीय विद्यार्थियों को सही प्रशिक्षण और शिक्षा दिया जाना आवश्यक है ताकि वे स्वास्थ्यकर्मियों का काम कर सकें। जनजातीय लोगों में खून की कमी पर चिंता करते हुए श्री ओराम ने कहा कि उनके मंत्रालय ने इस संबंध में विभिन्न राज्यों में कार्यशालाओं का आयोजन किया है। यह पता लगाया जा रहा है कि देश के किन किन क्षेत्रों में जनजातीय लोगों में खून की कमी है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सभी राज्यों ने इस काम को पूरा कर लिया है। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे इस संबंध में निकले नतीजों को जल्द से जल्द केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय से साझा करें ताकि इस प्रकोप से निपटने की रणनीति बनाई जा सके।
जनजातीय मामलो के मंत्री ने कहा कि अनुसूचित जनजाति के लोगों में बेरोजगारी की समस्या गंभीर है। उन्होंने कहा कि कृषि को टिकाऊ और कमाई के लायक बनाना आवश्यक है ताकि जनजातीय लोगों को सार्थक रोजगार मिल सके। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति के किसानों को संबंधित व्यवसायों जैसे डेयरी, बागवानी, फूल की खेती, मछलीपालन और मुर्गीपालन में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
जनजातीय लोगों के कौशल विकास पर प्रकाश डालते हुए श्री ओराम ने राज्यों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में कौशल आवश्यकताओं को जानने के लिए रणनीति तैयार करें ताकि पैसा कमाने वाले व्यवसायों में अनुसूचित जनजाति के लोगों को लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को प्रस्ताव इस तरह तैयार करना चाहिए कि कौशल प्रशिक्षण से संबंधित वर्तमान संस्थानों यानी आईटीआई और वीटीसी का अधिकतम उपयोग किया जा सके।
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री ने सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले वैसे स्वयंसेवी संगठनों के बारे में चिंता प्रकट की जो गंभीर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दूरदराज के क्षेत्रों और उग्रवाद प्रभावित इलाकों में सरकारी एजेंसियों की पहुंच सीमित है, इसलिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर और सेवा भावना के साथ स्वयंसेवी संगठनों के साथ काम करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि साथ ही इस बात की सावधानी बरतनी होगी और यह देखना होगा कि कौन-कौन से स्वयंसेवी संगठन अपने लक्ष्यों के प्रति संकल्पबद्ध हैं। इस अवसर पर केंद्रीय जनजातियों के मंत्री मनसुखभाई धनजीभाई वसावा तथा जनजातीय मामलों के सचिव श्याम अग्रवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

अनुसूचित जातियों के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा

सरकार ने चालू वित्त वर्ष को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उद्यमियों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण के वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया है। अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए ‘स्टैंडअप इंडिया’ योजना के तहत बजट में 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह प्रधानमंत्री की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की अपील के अनुरूप है जिससे कि वे रोजगार प्रदाता बनें न कि रोजगार मांगने वाले। यह योजना प्रति बैंक शाखा कम से कम दो ऐसी परियोजनाओं को सुगम बनाएगी जिसमें से उद्यमी की प्रत्येक श्रेणी के लिए एक सुविधा होगी। इससे कम से कम ढाई लाख उद्यमियों को लाभ पहुंचेगा। 
सरकार ने दलितों के बीच एक उद्यमशीलतापूर्ण पारिस्थितकीय प्रणाली के निर्माण के लिए उद्योग संगठनों के साथ साझेदारी में एमएसएमई क्षेत्र में एक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति हब की स्थापना करने का भी प्रस्ताव रखा है। यह हब केंद्र सरकार खरीद नीति के तहत बाध्यताओं को पूरी करने के लिए, वैश्विक सर्वश्रेष्ठ प्रचलनों को अंगीकार करने के लिए तथा स्टैंडअप इंडिया पहल का लाभ उठाने के लिए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, उद्यमियों को व्यवसायिक समर्थन देगी।

पिछले 2 वर्षों में एससी व ओबीसी छात्रों को 7,465 करोड़ रुपए की छात्रवृत्तियां

एक समावेशी समाज के निर्माण के लिए, जिसमें कि अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग उत्पादक, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा उनके विकास एवं वृद्धि में सहायक विभिन्न योजनाएं लागू की जाती हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य इन लक्षित समूहों का आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक सशक्तिकरण करना है।
अनुसूचित जाति के शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए उपाय
मैट्रिक या माध्यमिक स्तर पर अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों को सक्षम बनाने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति के रूप में आर्थिक मदद देता है। प्राथमिक स्कूलों, उच्च माध्यमिक स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के लड़कों और लड़कियों को होस्टल सुविधाओं के लिए भी सहायता दी जाती है। सरकार विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों और वैज्ञानिक संस्थानों में एम.फिल, पीएच.डी और समतुल्य शोध करने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को आर्थिक सहायता भी दी जाती है।  सिर्फ इतना ही नहीं, चुने हुए अनुसूचित जाति के छात्रों को विदेशों में भी मास्टर स्तर के पाठ्यक्रम और पीएचडी की ऊंची पढ़ाई के लिए राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्तियां दी जाती हैं।
2014-15 और 2015-16 के दौरान सामाजिक कल्याण और सशक्तिकरण विभाग ने विभिन्न योजनाओं के तहत लगभग 7,465 करोड़ की छात्रवृत्तियां दी हैं, जैसेकि पूर्व मैट्रिक, मैट्रिक के बाद, राष्ट्रीय विदेशी, राष्ट्रीय फेलोशिप और ईबीसी के लिए डॉ. अंबेडकर मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्तियां अनुसूचित जातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों आदि के छात्रों के लिए चलाई जाती हैं। छात्रवृत्तियों से लगभग 3,30,64,900 छात्र को लाभ हुआ है।   
आर्थिक सशक्तिकरण के उपाय 
चालू वित्त वर्ष के दौरान अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) के लिए अतिरिक्त रूप से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 38,832 रुपए आवंटित किए गए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले अनुसूचित जाति के परिवारों के आर्थिक विकास की योजनाओं पर जोर देना है।
सरकार ने स्टैंडअप इंडिया अभियान के तहत भी 2.5 लाख अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों के लिए आर्थिक सहायता देने का निर्णय किया है।
इन लक्षित समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण के अन्य उपायों में शामिल हैं।
500 करोड़ रुपये की लागत से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिए केंद्र बनाए जा रहे हैं।
मुद्रा योजना के तहत 3.22 करोड़ ऋण दिए गए, जिनमें 72.89 लाख ऋण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति उद्यमियों को दिए गए।
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम द्वारा ऐसी 250 महिलाओं को मोटर ड्राइविंग प्रशिक्षण दिया गया है, जो सफाई कर्मचारी हैं या जिन पर आश्रित है, इनमें से 60 महिलाओं को रोजगार मिला है।
अनुसूचित जाति का सामाजिक सशक्तिकरण
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचारों की जाँच करने के प्रावधानों को मजबूत करने के लिए, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम (अत्याचार निवारण) में संशोधन किया गया है, और नया अधिनियम 26.1.2016 से लागू किया गया है। नए प्रावधान अनुसूचित जाति के सामाजिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
संसद ने पिछले साल संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) अधिनियम 2015 पारित किया था, जिसमें हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा और दादर और नगर हवेली के नए समुदायों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल किया गया था और अब उन्हें भी वे उन सभी योजनाओं के लाभ मिलेंगे, जो अनुसूचित जाति के सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही हैं।
सरकार का मानना है कि ये सभी उपाय निश्चित रूप से अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्गों के शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान देंगे।

शनिवार, 16 अप्रैल 2016

हमें चैन से रहने दो

मेरी दो कविताएं 
हम तो ठहरे
खग पशु
हमें पर्वत जंगल भाता
हे मानव !
समझदार होकर भी
कहां तुम्हें कुछ आता
पर्वतों का
नाश किया और 
जंगलों का सफाया
धरती पर कंक्रीट फैलाकर
तपता हुआ बनाया
तुम्हारी ही करनी से देखो
रूठ गयीं हैं नदियां
इन्हें बनने में लगे थे
हजारों-हजारों सदियां
खुद को शिक्षित बतलाते
पर गढ़ते हो विनाश
हथियारों से कर रहे
देखो अपना ही नाश
कबतक सहूं
चुप रहूं !
अब हमें कुछ कहने दो
हे मानव !
इस धरती पर
हमें चैन से रहने दो
अपनी चिन्ता नहीं तुम्हें
न आने वाली पीढ़ी का 
एकदिन देखना धिक्कारेगा
खून तुम्हारे ‘लाल’ का
अपनी ही करनी से देखो
कितनों का नाश किया
मानव कहते खुद को फिर भी
मानवता को ‘लाश’ किया
तुम से अच्छे तो हम हैं
ईश्वर के सच्चे जन हैं
तुम ना कहना कुछ हमको
अब हमें कुछ कहने दो
हे मानव !
इस धरती पर
हमें चैन से रहने दो।

बिन पानी सब सून

सूखी नदियां
शून्य तालाब, पोखर, नहर
तड़प रहा शहर
सूखा आंखों का पानी
शून्य आत्मा, ईमान, हर पहर
हर रिश्ते में जहर
सूख गये खेत-खलिहान
आह ! मर रहे किसान
तड़प-तड़प निकल रहे प्राण
वीरान गांव चैपाल
हर तरफ कहर
सूखी हज्जत
शून्य मानवता
ढह रहा सभ्य समाज
सूखी जवानी
शून्य उदर, खून
बिन पानी सब सून।

शनिवार, 9 अप्रैल 2016

बिहार में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की समीक्षा

  • केंद्र ने बिहार से पीडीएस के खाद्यान्नों को समय पर उठाने और सभी लाभार्थियों का डाटा वेब पोर्टल पर डालने के लिए कहा

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान के निर्देश पर एक उच्च स्तरीय केंद्रीय टीम ने बिहार में जागो मांझी की कथित रूप से भूख से मौत को देखते हुए राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की समीक्षा करने के लिए दौरा किया। खाद्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव दीपक कुमार के नेतृत्व में इस टीम ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पीडीएस के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की। टीम ने पाया कि कुछ जिलों में खाद्यान्नों का समय से उठान न होने से पीडीएस के लाभार्थियों को समय पर राशन नहीं मिल पा रहा है। राज्य सरकार ने अभी तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों के आंकड़े पीडीएस पोर्टल पर अपलोड नहीं किए हैं जो कि सब्सिडाइज्ड खाद्यान्नों के आबंटन के लिए एक अनिवार्यता है। इससे अभी भी बड़ी संख्या में बिहार में लोगों को 2 रुपए किलोग्राम की दर से गेहूं और 3 रुपए किलोग्राम की दर से चावल नहीं मिल पा रहा है। 
केन्द्रीय टीम की समीक्षा के बाद बिहार सरकार से कहा गया है कि वह भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से खाद्यान्नों का समय पर उठान सुनिश्चित करे ताकि माह के प्रारंभ में ही खाद्यान्न राशन की दुकानों तक पहुंच जाएं। यह भी कहा गया है कि वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के सभी लाभार्थियों का डाटा राज्य के पीडीएस पोर्टल पर अपलोड करें। 
केंद्रीय टीम को यह बताया गया कि खाद्यान्नों के उठान की समस्या केवल पटना, अररिया, भोजपुर, भागलपुर और सहरसा जिलों में ही है। इन जिलों में अनियमितताओं की शिकायतों के आधार पर गोदामों में छापे मारे गए और कुछ निजी ट्रांसपोर्टरों के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए थे। अब राज्य सरकार खाद्यान्नों की ढुलाई राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से कर रही है। कुछ जिलों में भारतीय खाद्य निगम के गोदाम उपलब्ध न होने के कारण, खाद्यान्नों का उठान पड़ोसी जिलों से किया जा रहा है जिसके चलते सुपुर्दगी में देरी हो रही है। केंद्र ने भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकारी एजेंसियों से इस विलम्ब से बचने के उपाय तलाशने के लिए कहा है। 
विचार-विमर्श के दौरान लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कंप्यूटरीकरण की भी समीक्षा की गई। राज्य ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों का डाटा डिजिटाइज्ड कर दिया है लेकिन इसे अभी राज्य के पीडीएस पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया है जिसके कारण कुछ लाभार्थियों को सब्सिडी वाला खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है। राज्य से कहा गया है कि वह लाभार्थियों की सूची पोर्टल पर शीघ्र अपलोड करे। यह भी बताया गया कि प्रत्येक गांव और शहर में चलाए जा रहे अभियान के तहत लाभार्थियों के आधार नंबर और अन्य विवरण भी एकत्र किए जा रहे हैं और यह कार्य तीन माह में पूरा कर लिया जाएगा। 
राज्य को इस बात से भी अवगत कराया गया कि ऑनलाइन आबंटन का फॉर्मेट भी एन.आई.सी. द्वारा सुझाए गए फॉर्मेट के अनुसार नहीं है और उसे तदनुसार संशोधित करने का अनुरोध किया गया है। राज्य से यह भी अनुरोध किया गया है कि वह ऑनलाइन आबंटन का लिंक राज्य के खाद्य विभाग के पोर्टल पर उपलब्ध कराएं जो वर्तमान में राज्य नागरिक आपूर्ति पोर्टल पर ही उपलब्ध है। 
समीक्षा के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लीकेज को रोकने के उद्देश्य से राज्य लाभार्थियों की बायोमीट्रिक पहचान हेतु राशन की दुकानों पर यथाशीघ्र ‘प्वाइंट ऑफ सेल’ उपकरण लगाएं। राज्य के खाद्य सचिव ने बताया कि ये उपकरण ‘सिस्टम इंटेगरेटर मॉडल’ के तहत नालंदा जिले के नूर ब्लॉक में राशन की 56 दुकानों पर लगाया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि अगले माह पुर्णिया जिले के एक ब्लॉक में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण भी शुरू किया जाएगा।

अल्पसंख्यक छात्रों के लिए वर्ष 2015-16 की छात्रवृत्ति को सरकार ने उठाया कदम

  • वर्ष 2015-16 के छात्रवृत्ति राशि का इस्तेमाल वैकल्पिक व्यवस्था के माध्यम से अगले वित्त वर्ष में किया जाएगा
  • मौलाना आजाद राष्ट्रीय फैलोशिप के लिए यूजीसी को 5.75 करोड़ रुपये जारी

भारत सरकार ने एक बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पहली बार अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को वर्ष 2015-16 के लिए निर्धारित छात्रवृति राशि का इस्तेमाल वैकल्पिक व्यवस्था से अगले वित्त वर्ष में करने की अनुमति दे दी है। सरकार द्वारा ये कदम वर्ष 2015-16 में देश भर के अल्पसंख्यक छात्रों को उनकी बकाया छात्रवृति राशि का वितरण सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। सरकार ने राष्ट्रीय छात्रवृति पोर्टल पर अल्पसंख्यक छात्रों को आ रही तकनीकी समस्याओं के मद्देनजर ये कदम उठाया है। 
छात्रवृति का भुगतान डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर - प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) मोड से करने की दिशा में आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए प्रयास जारी हैं। भारत सरकार और राज्य सरकारों के बीच नियमित तौर पर हो रही उच्च स्तरीय बैठकों की मदद से अधिकांश चुनौतियों से निपट लिया गया है। फरवरी से छात्रवृति वितरण ने गति पकड़ी है और अभी तक 39 लाख अल्पसंख्यक छात्र अपने बैंक खातों में डीबीटी मोड से छात्रवृति प्राप्त कर चुके हैं। यहां यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय हर वर्ष 80 लाख से ज्यादा छात्रों को छात्रवृति वितरित करता है। 
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने इससे पहले एक और ऐतिहासिक निर्णय लिया है कि सभी छात्रवृत्तियां राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के माध्यम से छात्रों के बैंक खाते में सीधे स्थानांतरित की जानी चाहिए। वितरण प्रक्रिया में कई पड़ाव होने के कारण छात्रों तक पूरी छात्रवृति राशि समय पर पहुंचने में काफी दिक्कतें आ रही थीं, इसके चलते ये कदम उठाया गया था। इस तरह की व्यवस्था से छात्रों को कदाचारों से छुटकारा मिलेगा। अनियमितताओं के चलते छात्रों को कई स्त्रोतों से छात्रवृति प्राप्त होती थी जबकि कुछ छात्र इसके लाभ से वंचित रह जाया करते थे। इतने बड़े पैमाने पर ऑनलाइन सत्यापन और धनराशि को सीधे छात्रों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने के पहले प्रयास में सरकार को कुछ तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें आवेदनों में अधूरी जानकारी, आवेदन पत्र में दी गई जानकारी में विसंगतियां और सॉफ्टवेयर में खराबियां शामिल हैं। 
इसके अलावा मंत्रालय ने वर्ष 2015-16 में अल्पसंख्यक छात्रों की बकाया फेलोशिप की जरूरत को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को मौलाना आजाद राष्ट्रीय फेलोशिप के लिए 5.75 करोड़ रुपये का अतिरिक्त अनुदान भी जारी किया है। कुल मिलाकर मंत्रालय ने वर्ष 2015-16 के दौरान फैलोशिप योजना के लिए 55.43 करोड़ रुपये जारी किए है।

सरकार ‘गरीबी हटाओ’ के बदले ‘गरीबी मिटाओ’ के लिए प्रतिबद्ध

  • ‘छोटी सीएसआर परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का समय’
  • ‘सीएसआर परियोजनाओं में सरकार और निजी साझीदारियां समाज के बेहतर कल्याण को बढ़ावा दे सकती हैं’

केंद्रीय बिजली, कोयला एवं नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि हमारी सरकार ‘गरीबी हटाओ’ के बजाये ‘गरीबी मिटाओ’ के लिए प्रतिबद्ध है। वे 8वें वैश्विक सीएसआर सम्मेलन सह जिम्मेदार संगठन उत्कृष्टता पुरस्कार 2015-16 को संबोधित करते हुए श्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं होना चाहिए जिसके पास बेहतर जीवन स्तर न हो।
इस अवसर पर श्री पीयूष गोयल ने कहा कि हमें इन पुरस्कारों के जरिये कंपनियों के बजाये लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि इन उद्योगों को बड़ी कंपनियों से उनकी सीएसआर परियोजनाओं के लिए समर्थन पाने के जरिये बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। मंत्री महोदय ने सीएसआर परियोजनाओं की मात्रा एवं स्तर को बढ़ाने की जरुरत पर जोर दिया एवं कहा कि हमें जनहित, कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरादायित्व एवं अन्वेषण को एकीकृत करने और इसे आगे बढ़ाने की जरुरत है जिससे कि समाज पर इसका ठोस एवं सुस्पष्ट प्रभाव पड़े। मुझे भरोसा है कि एसोचैम जैसे संगठन हितधारकों के बीच सेतु के रूप में काम कर सकते हैं एवं सीएसआर परियोजनाओं को आगे बढ़ा सकते हैं। श्री पीयूष गोयल ने इस अवसर पर इस तथ्य को दुहराया कि सीएसआर परियोजनाओं में सरकार और निजी साझीदारियां समाज के बेहतर कल्याण को बढ़ावा दे सकती हैं।
श्री गोयल ने सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों द्वारा किए जाने वाले कल्याणकारी कार्यों की वकालत करते हुए कहा कि मेरी जानकारी यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कंपनी कानून के संशोधन के बहुत पहले से सीएसआर कार्य करते रहे हैं। इसलिए, पीएसयू के लिए सीएसआर कार्य ऐसा नहीं है जो दो वर्ष पहले अधिदेशित कानून की वजह से शुरु किया गया हो। वे ऐसा एक साथ पिछले कई वर्षों से करती आ रही हैं। श्री गोयल ने कहा कि केवल मेरे मंत्रालयों के तहत ही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने खासकर देश के दुर्गम्य और दुरस्थ क्षेत्रों में ग्रामीण विद्यालयों में एक लाख बीस हजार शौचालयों के निर्माण के लिए पिछले डेढ़ वर्षों के दौरान 2,200 करोड़ रुपए व्यय किए हैं। पीएसयू में ढेर सारे अच्छे कार्य किए जा रहे हैं।

'सुशासन' में बिहार में पूर्ण शराबबंदी

आम चुनाव में नीतीश का भाजपा विरोध स्टैंड लेना और उसके बाद नरेंद्र मोदी के भारी बहुमत से सत्ता में आ जाने के बाद ऐसा लगा था कि नीतीश कुमार की राजनीति चूक गयी है. लेकिन, नीतीश कुमार ने चुनाव जीतकर और जीतने के बाद अपनी सधी हुई नीतियों से बार-बार फिर साबित किया है कि उन्हें बिहार की राजनीति का चाणक्य यूँही नहीं कहा जाता है. जिस तरह से राज्य में शराब पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का ऐलान किया गया है, उसने एक तीर से कई शिकार किये हैं! बिहार में शराब की खपत दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही थी और इस पिछड़े राज्य में सामाजिक ताने-बाने के लिए यह एक गंभीर चुनौती सी बन गयी थी. एक आंकड़े के अनुसार पिछले दस साल में शराब की खपत लगभग दस गुनी हो गयी थी. अब बिहार में एक अप्रैल 2016 से पूर्ण शराब बन्दी का कानून लागू हो जाए तो वहां के युवाओं के भविष्य पर इसका सकारात्मक असर पड़ना भी तय है. हालाँकि, अब तक राजस्व का बहाना बनाकर इसको जायज़ ठहराया जा रहा था, किन्तु सीएम नीतीश कुमार ने साफ़ कहा कि सरकार एजेंडा तैयार कर रही है, जिस पर अमल करते हुए राज्य को शराब से मुक्त किया जाएगा. सीएम ने ज़ोर देकर कहा कि ‘राजस्व प्राप्ति के बहाने नई पीढ़ी को बर्बाद होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता. जाहिर है, इस फैसले को नीतीश कुमार के बढ़ते हुए आत्मविश्वास से जोड़कर देखा जायेगा.
इस साहसिक फैसले के तमाम पहलु एक-एक करके सामने आएंगे, किन्तु यह बात साफ़ है कि राज्य की जनता में नीतीश ने अपनी छवि और मजबूत कर ली है. इससे यह भी जाहिर होता है कि बिहार चुनाव में लालू प्रसाद यादव से गठबंधन के कारण नीतीश कुमार की जितनी भी आलोचना की गयी, उससे पार पाने की कोशिश में सुशासन बाबू सधी हुई कोशिश कर रहे हैं. अपने शराबबंदी के फैसले सी पहले और शपथ लेने के तुरंत बाद नीतीश कुमार ने उच्च अधिकारियों की बैठक में कानून का राज स्थापित करने को लेकर सख्त निर्देश जारी किये थे, जिसकी तारीफ़ कई हलकों में की गयी. उन्होंने वरिष्ठ प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारियों से स्पष्ट कहा कि ‘कानून के शासन के संबंध में कोई समझौता नहीं किया जाएगा.’ कुछ ही दिन पहले, नीतीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पुलिस महानिरीक्षकों, उपमहानिरीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों और जिलाधिकारियों से बात की और उन्हें कानून का शासन कायम रखने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री की इस बैठक का मुख्य मकसद यही था कि ‘हर हाल में अपराध पर काबू पाना है.’ कुमार ने कहा, ‘जो कोई कानून तोड़ता है, वह अपराधी है और उसके साथ कानून के अनुसार बर्ताव करना चाहिए, भले ही उसका कद कुछ भी हो.’ इस बैठक में जो और बातें सामने निकल कर आईं, वह सांप्रदायिक हिंसा पर डीएम और एसपी की जवाबदेही से सम्बंधित थी. बिहार के पांचवी बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ने आगाह किया कि सांप्रदायिक तनाव को शांत करने के लिए प्रतिक्रिया त्वरित होनी चाहिए तो दोषसिद्धि पर भी जोर होना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने अपराध के मामलों की त्वरित जांच के लिए वैज्ञानिक रुख की जरूरत पर भी जोर दिया तो उन्होंने हर हफ्ते सर्किल अधिकारियों और थाना प्रभारियों द्वारा कैंप लगाने के चलन को जारी रखने पर भी जोर दिया, ताकि भूमि विवाद से जुड़े मामलों का हल किया जा सके. उनकी इस समस्त कवायद को देखते हुए इस बात को बल मिलता है कि आने वाले समय में कानून का राज स्थापित करने के लिए नीतीश कुमार अपना सब कुछ झोंक देंगे. हालाँकि, कुछेक घटनाएं बिहार से ऐसी आयी हैं, जो चिंता करने को मजबूर करती हैं. इस सिलसिले में ऐसी बात निकलकर आयी है कि पचरुखी रेलवे स्टेशन पर टहलने के समय अपहृत हरिशंकर सिहं उर्फ बड़े सिंह के निराश परिजन शीघ्र ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलेंगे. यह बेशक एक घटना हो, लेकिन बिहार के बड़े अपहरण उद्योग की ओर इशारा करती है, जिससे सावधान रहने की जरूरत है. इसके अलावा, गोपालपुर से जदयू विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल के समर्थकों ने जिला मुख्यालय में तैनात डीएसपी रामकृष्ण गुप्ता को विक्रमशिला सेतु से गंगा नदी में फेंकने की कोशिश की है, जो सत्तापक्ष के समर्थकों की मानसिकता प्रदर्शित करता है. हालाँकि, पुलिस ने दो हमलावरों को मौके से दबोच लिया है, और डीएसपी के अंगरक्षक मृत्युंजय कुमार के बयान पर दो नामजद सहित पांच लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है, लेकिन यह समझना कठिन नहीं है कि ‘जंगलराज’ का आरोप बिहार से क्यों जोड़ा जाता है.
इस सिलसिले में, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के आरोपों से बिहार प्रशासन को चौकन्ना होने की जरूरत है कि एक ओर तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों को निर्भीक होकर बिना किसी हस्तक्षेप के काम करने की नसीहत देते हैं, दूसरी ओर सत्ताधारी विधायकों और उनके समर्थकों द्वारा कानून की धज्जियां उड़ाते हुए थानेदार को जान से मारने की धमकी दी जा रही है. इसके अलावा भी कुछ छिटपुट घटनाएं हुई हैं, लेकिन नीतीश कुमार की सजगता और खुद राजद प्रमुख लालू यादव की सक्रियता से उम्मीद की एक किरण जरूर दिखती है. लालू प्रसाद अपने विधायकों को लगातार सचेत कर रहे हैं तो उप मुख्यमंत्री तेजस्वी ने पत्रकारों से कहा कि महागठबंधन की सरकार काम करने के लिए बनी है, भोग लगाने के लिए नहीं और जनता ने इतना बड़ा समर्थन दिया है, तो हम उसकी अपेक्षाओं पर खरा उतरेंगे. तेजस्वी यह कहना नहीं भूले कि उनके कार्यों पर नीतीश कुमार को गौरव होगा और आम लोगों का भरोसा किसी हाल में नहीं टूटेगा! देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में बिहार के गौरव को दो ज़मीनी नेता किस प्रकार से अंजाम तक पहुंचाते हैं. अब तक जो संकेत मिले हैं, उससे राजद और जदयू के बीच न केवल बेहतर तालमेल दिख रहा है, बल्कि कई मुद्दों पर आपसी समझ भी बेहतर नज़र आ रही है. बिहार की जनता को स्थायी सरकार और सुशासन मिले तो उसका साहसिक फैसला पूरे देश को राह दिखा सकता है, इस बात में कोई दो राय नहीं है. लालू प्रसाद की पार्टी भी इस बात को बखूबी समझ रही है कि अगर नीतीश को उनके छवि जरा भी धुँधली होती दिखी तो आने वाले समय में भाजपा के साथ उनका पुनः तालमेल हो सकता है, इसलिए वह इन बातों का रिस्क नहीं लेना चाहेंगे! खैर, यह आगे की राजनीति है और अभी तक के कदमों के लिए सुशासन बाबू की तारीफ़ करनी ही होगी, शराबबंदी के फैसले के लिए और कानून व्यवस्था पर सजग दृष्टि रखने के लिए भी.
– मिथिलेश कुमार सिंह
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शनिवार, 2 अप्रैल 2016

ग्रामोदय से भारत उदय अभियान

14 अप्रैल, 2016 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंती से आरंभ कर और 24 अप्रैल 2016 को पंचायती राज दिवस को समापन करते हुए, 14 अप्रैल से 24 अप्रैल, 2016 के बीच, केंद्र सरकार राज्यों और पंचायतों के सहयोग से, ‘ग्रामोदय से भारत उदय अभियान’ का आयोजन करेगी। अभियान का लक्ष्य समस्त गांवों में पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करके, सामाजिक सद्भाव बढ़ाने, ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने, किसानों की प्रगति और गरीब लोगों की जीविका के लिए राष्ट्रव्यापी प्रयास करना है। 14 अप्रैल, 2016 को माननीय प्रधान मंत्रीजी मध्य प्रदेश के मऊ से ग्राम उदय से भारत उदय अभियान का शुभारंभ करेंगे। 24 अप्रैल, 2016 को माननीय प्रधान मंत्रीजी जमशेदपुर से देश की सभी ग्राम सभाओं को संबोधित करेंगे, जिसे देश के सभी गांवों में लाइव टेलेकास्ट और एयर किया जायेगा, जहां ग्रामीण एकत्रित होकर माननीय प्रधानमंत्रीजी के उद्बोधन को सुनेंगे। 
इसके पूर्व दिनांक 14 से 16 अप्रैल, 2016 के मध्य पंचायती राज मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से एक ‘सामाजिक समरसता कार्यक्रम’ का आयोजन सभी ग्राम पंचायतों में किया जाएगा। इस कार्यक्रम में, ग्रामीण, डॉ. अम्बेडकर का सम्मान करेंगे, और सामाजिक सद्भाव को मजबूत बनाने का संकल्प लेंगे। सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की विभिन्न स्कीमों से संबंधित सूचना उपलब्ध करायी जाएगी। 
तदुपरांत, 17 से 20 अप्रैल 2016 के बीच ग्राम पंचायतों में ‘ग्राम किसान सभाएं’’ आयोजित की जाएंगी। इस कार्यक्रम का लक्ष्य कृषि को बढ़ावा देना है। इन सभाओं में कृषि से संबंधित स्कीमों जैसे कि फसल बीमा योजना, सामाजिक स्वास्थ्य कार्ड इत्यादि के विषय में जानकारी उपलब्ध करायी जाएगी और कृषि में सुधार लाने के लिए, कृषकों के सुझाव प्राप्त किए जायेंगे। 
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के लिए ग्राम सभा बैठकों के मुख्य समारोह से पूर्व, 10 राज्यों के पांचवी अनुसूची क्षेत्रों के जनजातीय महिला ग्राम पंचायत अध्यक्षों की एक राष्ट्रीय बैठक 19 अप्रैल 2016 को विजयवाड़ा में आयोजित की जाएगी जिसका मुख्य विषय पंचायत और जनजातीय विकास होगा। 
देश भर में 21, 22, 23 और 24 अप्रैल, 2016 को ग्राम सभा बैठकें आयोजित की जायेगी। इस दिन, गांव में प्रभातफेरी, स्वच्छता पर कार्यक्रम, खेलकूद कार्यक्रम के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न किए जायेंगे। इन ग्राम सभाओं में चर्चा हेतु शामिल विषय निम्नवत होंगे :
  • स्थानीय आर्थिक विकास के लिए ग्राम पंचायत विकास योजनाएं, 
  • पंचायती राज संस्थाओं को प्रदाय राशि का ठीक उपयोग हेतु उपलब्ध निधियां 
  • स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता 
  • ग्राम एवं ग्रामीण विकास में महिलाओं की भूमिका 
  • अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन जातियों, दिव्यांग व अन्य हाशिए पर के वर्गों के कल्याण सहित सामाजिक समावेशन 
  • सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए विभिन्न योजनाओं से संबंधित जानकारी सुलभ करायी जायेगी। 

24 अप्रैल 2016,पंचायती राज दिवस जमशेदपुर (झारखंड) में मनाया जाएगा, जिसमें देश भर से चयनित पंचायत प्रतिनिधि भाग लेंगे। माननीय प्रधान मंत्रीजी सभा को संबोधित करेंगे, और माननीय प्रधानमंत्रीजी का संदेश देश के सभी गांवों में प्रसारित किया जायेगा, जहां ग्रामीण इसे सुनने हेतु एकत्र होंगे। जन प्रतिनधि, केन्द्र सरकार के अधिकारीगण तथा राज्य सरकार के अधिकारी, ग्राम सभाओं में भाग लेंगे। ग्रामीणजन ग्राम एवं देश के विकास हेतु संकल्प करेंगे।

63वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा 

  • अमिताभ बच्चन को पीकू फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
  • कंगना रानौत को तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार 
  • संजय लीला भंसाली को फिल्म बाजीराव मस्तानी के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का पुरस्कार 

63वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2015  की घोषणा आज कर दी गयी। यह घोषणा तीनों ज्यूरी - फीचर फिल्मों, गैर फीचर फिल्में और सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ लेखन वाली ज्यूरी  के अध्यक्षों द्वारा की गयी।  फीचर फिल्म के केंद्रीय पैनल की अध्यक्षता हिंदी सिन जगत के लोकप्रिय निर्देशक एवं निर्माता श्री रमेश सिप्पी ने की। केंद्रीय पैनल में अध्यक्ष सहित 11 सदस्य शामिल थे। गैर फीचर ज्यूरी की अध्यक्षत श्री विनोद गनात्रा ने की और इसमें अध्यक्ष सहित 7 सदस्य शामिल थे। सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ लेखन से संबंधित ज्यूरी की अध्यक्षता सुश्री अद्वेता काला ने की और इसमें अध्यक्ष सहित 3 सदस्य शामिल थे।   
पुरस्कारों की घोषणा से पहले तीनों ज्यूरी के अध्यक्षों और सदस्यों ने अपनी रिपोर्ट वित्त, कार्पोरेट मामले और सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अरुण जेटली को सौंपी। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और सचिव (सूचना एवं प्रसारण) श्री सुनील अरोड़ा भी मौजूद थे। श्री जेटली ने भारत की सिनेमाई उत्कृष्ट और वैविध्य को परिलक्षित करने वाली विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कारों का फैसला करने के लिए ज्यूरी के सदस्यों के द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।   
इस साल के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की विभिन्न श्रेणियों के कुछ प्रमुख विजेताओं में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म की श्रेणी में बाहुबली और गैर फीचर फिल्म श्रेणी की अम्दावाद मा शामिल हैं। अमिताभ बच्चन को पीकू फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार और कंगना रानौत को तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया है। समुथिराकन को विसरारनायी के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार प्रदान किया गया।  सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार तन्वी आजमी को बाजीराव मस्तानी में उनकी भूमिका के लिए दिया गया। संजय लीला भंसाली को फिल्म बाजीराव मस्तानी के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का पुरस्कार प्रदान किया गया।   
डॉ. राजकुमार समाग्रा चरिथरे को सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ पुस्तक का पुरस्कार दिया गया। सर्वश्रेष्ठ फिल्म आलोचक पुरस्कार मेघाचंद्रा कोंगबाम को दिया गया, जो मणिपुरी के पाठकों को भारतीय सिने जगत के बारे में बताती है। इस साल के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में गुजरात को दिया गया देश में फिल्मों के लिए सबसे अनुकूल राज्य का विशेष पुरस्कार भी शामिल है।

ग्रामीण आवास योजना ‘ग्रामीण’ को हरी झंडी

 खास खबर 
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण आवास योजना ‘ग्रामीण’ के क्रियान्वयन को अनुमति प्रदान कर दी है। इस योजना के तहत सभी बेघर और जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले लोगों को पक्का मकान बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 
इस परियोजना के क्रियान्वयन हेतु 2016-17 से 2018-19 तक तीन वर्षों में 81975 रुपये खर्च होंगे। यह प्रस्तावित किया गया है कि परियोजना के अंतर्गत वर्ष 2016-17 से 2018-19 के कालखंड में एक करोड़ घरों को पक्का बनाने के लिए मदद प्रदान की जाएगी। दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में पूरे भारत में क्रियान्वित की जाएगी। मकानों की कीमत केंद्र और राज्यों के बीच बांटी जाएगी। 
विस्तृत जानकारी निम्न है :
  1. प्रधानमंत्री आवास योजना की ग्रामीण आवास योजना- ग्रामीण का क्रियान्वयन।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में एक करोड़ आवासों के निर्माण के लिए 2016-17 से 2018-19 तक तीन वर्षों में मदद प्रदान की जाएगी। 
  3. समतल क्षेत्रों में प्रति एकक 1,20,000 तक एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 1,30,000 तक सहायता में बढ़ोतरी। 
  4. 21,975 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से की जाएगी। 
  5. लाभान्वितों की पहचान के लिए सामाजिक-आर्थिक-जातीय जनगणना- 2011 का उपयोग। 
  6. परियोजना के तहत लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी सहायता हेतु नेशनल टेकनिकल सपोर्ट एजेंसी का गठन।

क्रियान्वयन की रणनीति एवं लक्ष्य :
  • पूर्ण पारदर्शिता एवं निष्पक्ष्ता सुनिश्चित करते हुए लाभान्वितों की पहचान का कार्य सामाजिक-आर्थिक-जातीय जनगणना की सूचनाओं का प्रयोग कर किया जाएगा। 
  • पूर्व में सहायता प्राप्त लाभान्वितों एवं अन्य कारणों से अयोग्य लोगों की पहचान के लिए सूची ग्राम सभा को दी जाएगी। अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा।
  • घरों के निर्माण की कीमत केंद्र एवं राज्य द्वारा समतल क्षेत्रों में 60रू40 के अनुपात में तथा पहाड़ीध् उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों हेतु 90रू10 के अनुपात में रखी जाएगी। 
  • लाभान्वितों की वार्षिक सूची की पहचान ग्राम सभा द्वारा सहभागिता पूर्वक की जाएगी। मूल सूची की प्राथमिकता में परिवर्तन के लिए ग्राम सभा को लिखित में न्यायसंगत ठहराना होगा। 
  • लाभान्वित के खाते में सीधे धनराशि स्थानांतरित की जाएगी।
  • फोटोग्राफ एप के माध्यम से अपलोड किए जाएंगे, भुगतान की प्रगति को लाभान्वित एप के माध्यम से देख पाएंगे। 
  • लाभान्वित मनरेगा के अंतर्गत 90 दिनों के अकुशल श्रम का अधिकारी होगा, सर्वर से लिंक कर तकनीकी आधार पर इसको सुनिश्चित किया जाएगा।
  • मकानों की संरचना ऐसी होगी जो क्षेत्रीय आधार पर उपयुक्त हों, मकानों की रचना में ऐसी खासियतें रखी जाएंगी जो उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकें। 
  • मिस्त्रियों की संख्या में कमी को देखते हुए उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी।
  • मकान बनाने में प्रयुक्त सामग्री की अतिरिक्त जरूरत को देखते हुए ईंटों के निर्माण हेतु सीमेंट या फ्लाई एश का मनरेगा के अंतर्गत कार्य किया जाएगा। 
  • लाभान्वित को 70,000 रुपए तक का ऋण लेने की सुविधा प्रदान की जाएगी। 
  • मकान का क्षेत्रफल मौजूदा 20 वर्ग मीटर से बढ़ाकर भोजन बनाने के स्वच्छ स्थान समेत 25 वर्ग मीटर तक किया जाएगा।
  • परियोजना से जुड़े सभी लोगों के लिए गहन क्षमता सर्जक प्रक्रिया रखी जाएगी। 
  • ज़िला एवं ब्लॉक स्तर पर आवासों के निर्माण हेतु तकनीकी सुविधाएं प्रदान करने के लिए मदद मुहैया कराई जाएगी।
  • आवासों के निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एवं केंद्र और राज्य सरकारों को तकनीकी मदद देने के लिए एक नेशनल टेकनीकल सपोर्ट एजेंसी का गठन किया जाएगा। 
  • मकान एक आर्थिक सम्पत्ति है एवं स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डालने के साथ ही सामाजिक उन्नति में योगदान देता है। किसी परिवार के लिए रहने का स्थाई मकान होने के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष फायदे अमूल्य एवं ढेरों हैं।
  • निर्माण क्षेत्र भारत में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है। इस क्षेत्र का 250 से भी ज्यादा अधीनस्थ उद्योगों से वास्ता है। ग्रामीण आवास योजना के विकास से ग्रामीण समाज में रोजगारों का सृजन होता है और इससे गांवों के अर्थतंत्र का विकास होता है। 
  • रहने के लिए वातावरण बेहतर होने के अप्रत्यक्ष फायदे श्रम उत्पादकता एवं स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव के रूप में होते हैं। पोषण, स्वच्छता, माता एवं बच्चे के स्वास्थ्य समेत मानव विकास के मापदण्डों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जीवन स्तर बेहतर होता है।

एक साल में दिव्यांगों के लिए जारी होंगे विशिष्ट पहचानपत्र

 संक्षिप्त खबरें 

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थॉवरचंद गहलोत ने कहा है कि विशिष्ट पहचानपत्र (यूआईडी) लागू करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है और इसे एक साल के भीतर पूरा करने के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं। वह यहां स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र में मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर का उद्घाटन करने आए थे। उन्होंने ओडिशा के बोलांगीर के एनआईआरटीएआर में एक उपग्रह केंद्र की आधारशिला भी रखी। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर और जगतसिंहपुर के सांसद डा. कुलामणि सामल भी उपस्थित थे। 
श्री गहलोत ने संस्थान में आयोजित मेगा सर्जिकल कैंप का भी दौरा किया। इस कैंप में ओडिशा के विभिन्न हिस्सों से आए बीमार लोगों का मुफ्त में ऑपरेशन किया गया है। दोनों मंत्रियों और उपस्थित अतिथियों द्वारा एससीध्एसटी लाभकर्ताओं को स्वरोजगार किट भी वितरित की गई। इन लोगों ने विभिन्न रोजगार ट्रेडों में संस्थान द्वारा दिया गया व्यावसायिक प्रशिक्षण हासिल किया है। कैंप में 56 दिव्यांगों को सहायता एवं सहायक उपकरण भी वितरित किए गए। 
श्री गहलोत ने घोषणा की कि अस्पताल में इलाज के लिए मरीजों के लंबे इंतजार को देखते हुए संस्थान को सभी तरह की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। ताकि यहां सौ बिस्तर वाले अस्पताल को 200 बिस्तर वाले अस्पताल में तब्दील करने के लिए इमारत और अन्य आधारभूत ढांचा विकसित किया जा सके। केंद्रीय मंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया कि संस्थान में खाली पड़े पदों का पुनःसत्यापन कराया जाएगा और इन्हें भरने की प्रक्रिया में जल्द ही तेजी लाई जाएगी।

‘अल्पसंख्यकों व वंचित वर्गों को समान रूप से विकसित होने की जरूरत’

केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों एवं अन्य वंचित समूहों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार इस प्रतिज्ञा पर काम कर रही है कि इन वर्गों को समान रूप से विकसित किए जाने की जरूरत है और वह एकरुपता लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। ये उद्गार केंद्रीय वित्त, कंपनी मामले एवं सूचना तथा प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने ‘अल्पसंख्यकों की आर्थिक अधिकारिता ’ विषय पर एनसीएम के 8वें वार्षिक व्याख्यान को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। श्री जेटली ने कहा कि उच्चतर विकास दरें सबको प्रभावित करती हैं, लेकिन ऐसे कुछ क्षेत्र हैं जहां कुछ अल्पसंख्यक पिछड़े हुए हैं और उन क्षेत्रों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 1991 के बाद समाज के वंचित वर्गों की स्थिति में 1991 से पहले की अवधि की तुलना में तेजी से सुधार आया, लेकिन यह सुधार एकरूप नहीं था। उन्होंने कहा कि शिक्षा उनकी स्थिति को तेजी से बेहतर बनाने की कुंजी है और एकरूपता तथा कौशलों का अवसरों में रुपांतरण इसे अर्जित करने के अन्य माध्यम हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामले मंत्री डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि योजनाओं का कारगर क्रियान्वयन और विकास में एकरूपता सुनिश्चित करना ‘सबका साथ, सबका विकास’ के दो मार्गदर्शी सिद्धांत हैं। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय जमीनी स्तर पर अंतर लाने के लिए 6 अधिसूचित अल्पसंख्यकों के लिए योजनाओं के क्रिेयान्वयन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। विकास में सूक्ष्म स्तरीय खामियों को दूर करने के लिए मंत्रालय शिक्षा, कौशल विकास एवं अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों के सामाजिक अलगाव की भावना को हटाने की जरूरत है। वित्त मंत्री एवं प्रधानमंत्री द्वारा उनके मंत्रालय की योजनाओं को मिल रहे समर्थन की सराहना करते हुए डॉ. नजमा ने कहा कि इस सरकार के दौरान शुरू की गई नई मंजिल और हमारी धरोहर योजनाओं को काफी अच्छी प्रतिक्रियाएं प्राप्त हो रही है और इन्होंने परिणाम देना भी प्रारंभ कर दिया है।