जनजातीय मामलों के मंत्री जुआल ओरांव ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) का उन्नत वेबसाइट http://www-ncst-gov-in लांच किया। इस अवसर पर उन्होंने नया वेबसाइट तैयार करने में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की। जनजातीय मामलों के मंत्री ने कहा कि नया वेबसाइट शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों, मीडिया के लोगों तथा जनसाधारण के लिए सूचना का भंडार है। श्री ओरांव ने कहा कि नये वेबसाइट में इंटरऐक्टिव सेक्शन, मोबाइल ऐप जैसी अतिरिक्त विशेषताएं और इंटरऐक्टिव टोल फ्री नम्बर जोड़े जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय विभिन्न जनजातीय विषयों पर दिल्ली तथा दिल्ली से बाहर सेमिनार आयोजित करने में एनसीएसटी की मदद करेगा।
उन्नत वेबसाइट भारत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप है और इसमें अनुसूचित जनजातियों से संबंधित सांवैधानिक प्रावधानों तथा सुरक्षा उपायों की प्रभावी जानकारी है। वेबसाइट का उद्देश्य याचिका दाखिल करने वालों, शिकायकर्ताओं सहित सभी हितधारकों को ऐसी याचिकाओं, शिकायतों तथा समीक्षाओं के संबंध में आयोग की रिपोर्ट उपलब्ध कराने में सहायता देना है। इसकी अग्रणी, अतिरिक्त विशेषताएं हैं- ओपेन सोर्स टैक्टनोलॉजी। इसमें एनआईसी के पहले के सर्वर के स्थान पर भारत सरकार के क्लाउड सर्वर पर पोस्ट किया जाना। यह सोशल मीडिया यानी फेसबुक, ट्वीटर, पिनटरेस्ट, यूट्यूब से जुड़ा है। इसमें वीडियो स्ट्रीनिंग और प्रश्नोत्तर सेक्शन भी है।
इससे पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर ओरांव ने मंत्री महोदय का स्वागत किया और नये वेबसाइट की प्रमुख विशेषताओं के बारे में संक्षिप्त प्रेजेंटेशन दिया। इस अवसर पर जनजातीय मामले मंत्रालय के सचिव डॉ. श्याम एस. अग्रवाल, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सचिव अनिल के. अग्रवाल, मंत्रालय तथा एनसीएसटी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
संविधान (89वां संशोधन) अधिनियम 2003 के माध्यम से अनुच्छेद 338 को संशोधित कर तथा संविधान में नया अनुच्छेद 338ए शामिल करके राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना की गई। इस संविधान संशोधन से पूर्ववर्ती राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग की जगह दो नये आयोग - (1) राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएसएसी) (2) राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) 19 फरवरी, 2004 को बनाए गए।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के बजट में 87 करोड़ रुपए की वृद्धि
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री डॉ. नजमा हेप्तुल्ला ने कहा है कि वर्ष 2016-17 के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कौशल विकास के जरिये शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता के आधार पर अपनी प्राथमिकताओं का निर्धारण किया है। 2016-17 में मंत्रालय के बजट का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षिक सशक्तिकरण में लगाया जाएगा। यह अल्पसंख्यकों के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही मंत्रालय ने मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप को मांग प्रेरित बनाने के लिए प्रावधान किया है।
श्री हेप्तुल्ला ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 2016-17 के बजट में 3,800 करोड़ रुपये का बजट परिव्यय रखा है। यह 2015-16 के 3712.78 करोड़ रुपये की तुलना में 87 करोड़ रुपये अधिक है। अल्पसंख्यकों के लिए वर्ष 2016-17 में 3,800 करोड़ रुपये के आवंटन के अतिरिक्त केंद्र सरकार कम से कम 15 प्रतिशत वित्तीय संसाधन जुटाती है और अल्पसंख्यकों के कल्याण और विकास के लिए प्रधानमंत्री के नये 15 सूत्री कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न मंत्रालयों, विभागों की अग्रणी योजनाओं को लक्षित करती है। इनमें सर्वशिक्षा अभियान, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, राष्ट्रीय पेयजल कार्यक्रम और एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम योजना आदि हैं। इन योजनाओं के अंतर्गत अल्पसंख्यकों के लिए 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का धन उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त प्राथमिक क्षेत्र ऋण के अंतर्गत अल्पसंख्यकों के लिए ऋण स्तर 2,76,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सबका साथ सबका विकास निर्देशक सिद्धांत के अंतर्गत देश में अल्पसंख्यकों के विकास के लिए संकल्पबद्ध हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने अल्पसंख्यक समुदायों के विकास के लिए बहुआयामी रणनीति तैयार की है। इस नीति का बल शैक्षिक सशक्तिकरण, आर्थिक सशक्तिकरण और अवसंरचना विकास की विशेष जरूरतों को पूरा करना तथा अल्पसंख्यक संस्थानों को मजबूत बनाने पर है। मंत्रालय की कल्याण और विकास योजनाओं में गरीब और वंचित अल्पसंख्यक वर्गों पर बल दिया गया है।
2016-17 में मंत्रालय का उद्देश्य प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से 90 लाख अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति उनके बैंक खातों में देना है।
‘स्किल इंडिया’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ के लिए सरकार की प्राथमिकता के अनुरूप तथा देश की अर्थव्यवस्था में अल्पसंख्यक समुदाय के मजदूरों की भागीदारी दर बढ़ाने के लिए अल्पसंख्यकों को कौशल विकास के लिए 2016-17 के बजट में 385 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यह राशि 2015-16 में 209.45 करोड़ रुपये थी। 385 करोड़ रुपये के आवंटन में एकीकृत शैक्षिक तथा आजीविका कार्यक्रम ‘नई मंजिल’ शामिल हैं। मंत्रालय ने कौशल विकास के लिए 2015-16 में दो नये कार्यक्रम - ‘उस्ताद’ और ‘नई मंजिल’ शुरू किया। मंत्रालय ने 2014-15 में अल्पसंख्यक समुदायों की कौशल विकास आवश्यकताओं को पूरा करने और रोजगार तथा उद्यमिता पर प्राथमिक बल के साथ अल्पसंख्यक समुदायों को सतत आजीविका प्रदान करने के लिए रियायती ऋण से इसे जोड़ने के लिए मौलाना आजाद राष्ट्रीय कौशल अकादमिक की स्थापना की। अल्पसंख्यकों के कौशल विकास के लिए शुरू किए गए कार्यक्रम ‘सीखो और कमाओ’ का विस्तार किया गया है। मंत्रालय का उद्देश्य इन योजनाओं के तहत 2016-17 में 1 लाख 40 हजार अल्पसंख्यक युवाओं को प्रशिक्षित करना है।
नई योजना ‘नई मंजिल’ 8 अगस्त, 2015 को प्रारंभ की गई। यह योजना उन युवाओं के लिए लाभकारी है, जिनके पास औपचारिक रूप से स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र नहीं है। यानी ऐसे युवा जिन्होंने स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दी या जिन्होंने मदरसों जैसे सामुदायिक शैक्षिक संस्थानों में पढ़ाई की है। यह योजना ऐसे लोगों को संगठित क्षेत्र में बेहतर रोजगार ढूंढने योग्य बनाने और उन्हें बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए है। इससे मदरसों के विद्यार्थियों के लिए अवसरों के द्वार खुलेंगे। यह योजना पांच वर्षों के लिए 650 करोड़ रुपये की लागत से मंजूर की गई हैं। योजना का 50 प्रतिशत धन विश्व बैंक देगा। विश्व बैंक ने 50 मिलियन डॉलर धन देने की मंजूरी दी है। यह पहला मौका है जब विश्व बैंक भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए कार्यक्रम को समर्थन देने आगे आया है। 2016-17 के लिए योजना के तहत 25 हजार अल्संख्यक युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए 155 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 2016-17 के बजट में 3800 करोड़ रुपये का बजट परिव्यय रखा है। यह 2015-16 के 3712.78 करोड़ रुपये की तुलना में 87 करोड़ रुपये अधिक है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कौशल विकास के जरिये शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता के आधार पर अपनी प्रथमिकताओं का निर्धारण किया है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास तथा वित्त निगम (एनएमडीएफसी) अधिसूचित अल्पसंख्यकों के पिछड़े वर्गों के सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए रियायती दर पर स्व-रोजगार तथा आय सृजन करने वाले नये उद्यमों के लिए ऋण उपलब्ध कराता है। एनएमडीएफसी के इतिहास में पहली बार वर्तमान सरकार ने एनएमडीएफसी की अधिकृत हिस्सा पूंजी 1,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2015 में 3,000 करोड़ रुपये कर दिया। इसके बाद मंत्रालय ने एनएमडीएफसी की इक्विटी में 150 करोड़ रुपये का योगदान दिया और 2016-17 के लिए 140 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। इससे स्व-रोजगार के लिए अल्पसंख्यक समुदायों को रियायती ऋण देने के लिए एनएमडीएफसी और धन का लाभ उठा सकता है।
मंत्रालय संसद के बजट सत्र में वक्फ संपत्तियों पर अनाधिकृत रूप से कब्जा जमाए लोगों से संपत्ति को मुक्त कराने संबंधी विधेयक लाने का सभी प्रयास कर रहा है। ‘हज’ विषय विदेश मंत्रालय से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को दिए जा रहे हैं।
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