COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शनिवार, 17 मई 2014

़ ़ ़ और गुडि़या बन गयी एंकर

न्यूज@ई-मेल
संक्षिप्त खबर
गया : जब सूबे के शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल थे, तब जिले की गुडि़या नामक एक गरीब लड़की खेत में काम करना छोड़ पढ़ना चाहती थी। मगर परिजन समर्थ नहीं थे। आखिरकार परिजनों ने शिक्षा विभाग से संपर्क किया। गुडि़या पढ़ने लगी। सौभाग्य से यूनिसेफ ने मेहनती गुडि़या का चयन कर विदेश एक कार्यक्रम में भेजा। आज यह गुडि़या काफी शोहरत हासिल कर चुकी है। आज परिवहन, सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री वृशिण पटेल को एक दूसरी गुडि़या से रू-ब-रू होना पड़ा। पहली की तरह यह गुडि़या भी अल्पसंख्यक समुदाय की है। 
पटना जिले की रहने वाली है दूसरी गुडि़या। शबनम खातून नाम है इसका। गुडि़या ने अन्तर धार्मिक विवाह किया है। उसने मनोज कुमार सिन्हा से लव मैरेज की है। पटना जिला ऑटो रिक्शा चालक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष नवीन कुमार मिश्रा के कहने पर ऑटो रिक्शा चलाना सीखी। और फिर शबनम से गुडि़या बन गयी। गुडि़या से आॅटो चालक और फिर आॅटो चालक से एंकर बन गयी। एक कार्यक्रम के दौरान आॅटो चालक गुडि़या ने कहा कि पटना जंक्शन के पास महिला टेम्पो चालकों के लिए अलग से पार्किंग जोन बनना चाहिए। 
गुडि़या ऑटो चलाने के साथ-साथ नौ देवियां धारावाहिक का एंकरिंग कर रही है। इस कार्यक्रम को लाइफ स्टाइल टीवी पर नौ देवियां धारावाहिक के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इस अवसर पर नेहा कुमारी, अनुप्रिया, विनीता कुमारी आदि ने शुभकामनाएं दी हैं।

भगवान भरोसे हैं महादलित

पालीगंज : पटना जिले में पालीगंज है। यहीं नक्सल प्रभावित क्षेत्र में खनपुराटाढ़ नामक महादलित मुसहर समुदाय की बस्ती है। महादलितों ने सरकारी जमीन पर झोपड़ी बना रखी है। यह बस्ती बढ़ते-बढ़ते 350 घरों की मुसहरी बन चुकी है। कोई आठ सौ की आबादी है। पूरी बस्ती में केवल तीन लोग ही मैट्रिक पास हैं। सरकार द्वारा विकास के नाम पर एक चापाकल लगा है। मुख्यमंत्री से लेकर नौकरशाहों तक द्वारा प्रचारित जल स्वच्छता अभियान के तहत ‘अपना शौचालय, अपना जल’ मुंगेरी लाल के हसीन सपने की तरह है यहां। हां, पालीगंज के पदाधिकारियों द्वारा 150 लोगों को महात्मा गांधी नरेगा के तहत जाॅब कार्ड निर्गत कर दिया गया है। समय पर काम और समय पर भुगतान होने से रोजगार की तलाश में अन्य प्रदेशों में पलायन रूका है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) का स्मार्ट कार्ड निर्गत नहीं किया गया है। इसका नतीजा यह है कि यहां के लोग अक्सर बीमार पड़ पोंगा पंडितों की शरण में पहुंच जाते हैं। पोंगा पंडितों की खूब कमाई हो रही है यहां। 
यहीं बद मांझी रहते हैं। इनकी पुत्री रेवंती देवी है। रेवंती आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका बनने वाली है। मां-बाप ने रेवंती की शादी बचपन में ही कर दी थी। मगर बचपन की शादी खिलवाड़ बनकर रह गया। शादी के बाद से ही रेवंती अपने ससुराल नहीं गयी। नतीजा निकला कि विवाह विच्छेद हो गया। अब मायके में रहकर खेत में मजदूरी करती है रेवंती। 

पंचायत प्रेरकों को 14 माह से मानदेय नहीं, लाखों का गोलमाल

गया : सूबे की साक्षर आबादी 3,16,75,607 है। साक्षर पुरुषों की संख्या 73.39 प्रतिशत और साक्षर महिलाओं की संख्या 53.33 प्रतिशत है। सर्वाधिक साक्षर जिला पटना 63.36 प्रतिशत है। 16 नवम्बर, 2011 से जन शिक्षा विभाग के जन शिक्षा निदेशालय के द्वारा पहल की गयी। राज्य में 8463 पंचायते हैं। निरक्षरों की बढ़ती संख्या में कमी लाने और साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए एक पंचायत में दो पंचायत प्रेरक बहाल किये गये। इनको दो हजार रुपए मानदेय निर्धारित किये गये। छह माह के अंदर 10 लोगों को साक्षर करना है। दुर्भाग्य से इन्हें 14 माह से मानदेय नहीं मिला है। 
वहीं जन शिक्षा निदेशालय द्वारा 8463 पंचायतों में लोक शिक्षा केन्द्र स्थापित किये गये हैं। केन्द्र में लाइब्रेरी स्थापित कर टीवी खरीदने के लिए 60 हजार रुपए आवंटित करने थे। इसमें सूबे के 38 जिलों में केवल भोजपुर, लखीसराय और खगडि़या ही भाग्यशाली निकले, जिन्हें एकमुश्त 60 हजार रुपए उपलब्ध करा दिये गये हैं। शेष 35 जिले पटना, नालंदा, रोहतास, भभुआ, बक्सर, गया, अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद, नवादा, सारण, सीवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, जमुई, बांका, शेखपुरा, मुंगेर और बेगूसराय को 16 हजार 153 रुपए थमा दिये गये। शेष 43 हजार 847 रुपयों का गोलमाल कर दिया गया। इसके अलावा 2250 रुपए भी मिलने थे, जिससे कागजात आदि क्रय करना है, उसे भी नहीं दिया गया। अब साक्षर भारतकर्मी संघ, नालंदा के अध्यक्ष सरोज ठाकुर का कहना है कि 2014 में पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका पेश की जाएगी। 

शिक्षक बन पुत्र ने अपने पिता को बंधुआ मजदूरी से छुड़ाया

पटना : पटना जिले में अवस्थित है पालीगंज। एक नक्सल प्रभावित क्षेत्र। इससे सटे ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र भोजपुर है। इसकी चपेट में आ जाने से पालीगंज भी अछूता नहीं रहा। यहां के नक्सलियों के प्रभाव में आकर छुटभैया भी दबंग बन गए। ये महादलितों को बेहद ही तुच्छ समझने लगें। ये महादलितों पर सोनार की तरह नहीं, लोहार की तरह चोट करते। 
पालीगंज में ही अजदा सिकरिया ग्राम पंचायत है। इस पंचायत में ठकुरी गांव है। यहां राम छविला पासवान रहते हैं। इनके पिता का नाम वंशी पासवान और माता का नाम जागेश्वरी देवी है। राम छविला के भाई राम नरेश पासवान की मृत्यु गोली चलाना देखने के क्रम में हो गयी। राम छविला के 2 पुत्र है - अजय कुमार और संजय कुमार। संजय दसवीं की परीक्षा दे चुका है। राम छविला पासवान मध्य विद्यालय, पालीगंज में पढ़ाते हैं। इसी साल अवकाश ग्रहण करेंगे। 
राम छविला पासवान बताते हैं कि गांव में झलक देव शर्मा रहते हैं। इन्हीं के पास मेरे पिताजी वंशी पासवान बंधुआ मजदूर थे। मालिक के पास 24 बीघा खेती योग्य जमीन थी। अब 3 भाइयों में बंट चुकी है। एक दिन खेत पर आकर झलक देव शर्मा कहने लगे - ‘तू परीक्षा देवे जाएगा तो मेरा हल कौन जोतेगा?’ इतना सुनते ही छविला पासवान गुस्से स ेजल उठा। उसने अपने बाबूजी से कहा कि आप मजदूरी छोड़ दें। इसपर उसके पिता ने कहा कि झलक देव गोली मार देगा। 
शिक्षक राम छविला पासवान आगे बताते हैं कि जब इस बात की जानकारी मेरे अनुज राम नरेश को चली, तो घर आकर आग बबूला हो उठा। किसी तरह से उसे शांत किया गया। मैं मैट्रिक और फिर बिहारशरीफ स्थित नूरसराय के पास शिक्षण प्रशिक्षण केन्द्र से पास कर शिक्षण कार्य करने लगा। काम शुरू कर अपने पिता को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया। जमीन खरीदी। इन सब से पिता इतने खुश हुए कि मौत के मुंह में समा गए। 
शिक्षक राम छविला पासवान ने बताया कि मैंने प्रयास कर 4 लोगों को टोला सेवक में बहाल करवाया। ये हैं पीयूष कुमार, रामप्रवेश मांझी, विशुनदेव मांझी और प्रदीप मांझी। विकास मित्र में रिंकी कुमारी और आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका के रूप में रेवंती देवी को बहाल कराया। अब अवकाश ग्रहण करने के बाद मैं सामाजिक कार्य करूंगा।

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