COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शनिवार, 11 जनवरी 2014

केबीसी में 25 लाख जीतकर भी खाने को मोहताज

MANOJ  KUMAR  IN  KBC  2012
राजीव मणि
बिहार के दानापुर में जमसौत मुसहरी है। यहां महादलित वर्ग के लोग रहते हैं। एक सौ दस घरों की इस मुसहरी में करीब 400 मुसहर। अन्य मुसहरी की तरह यहां के लोगों का भी जीवन बेहाल। दो वक्त की रोटी मिल जाए तो बहुत है। सूअर पालना और उसे खाना इनकी मजबूरी है। ज्यादातर लोग मजदूरी करते हैं।
यहीं मनोज कुमार रहता है। वही मनोज जो 2012 में ही ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की हाॅट सीट पर बैठकर 25 लाख रुपए जीता था।
जब वह केबीसी से लौटकर अपने घर पहुंचा, चारो ओर से खूब तारीफें मिलीं। अब पूरे एक साल बीत चुके हैं। इस पत्रकार द्वारा उसके घर जाकर जायजा लिया गया। कभी सरकार, मीडिया और बिहार के लोगों का हीरो बन चुका था मनोज। आज उसके घर की स्थिति ठीक वैसी ही है, जैसी पहले थी।
MANOJ  AT  HIS  HOME
मनोज कुमार पटना के जगदेव पथ स्थित शोषित समाधान केन्द्र का छात्र है। यहीं हाॅस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा है। संस्था शोषित समाधान केन्द्र मुसहर लड़कों को निःशुल्क शिक्षा देती है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ज्योति कुमार सिन्हा की इस संस्था द्वारा संचालित विद्यालय में इण्टर का छात्र है मनोज। मनोज बताता है कि हमारे स्कूल में ही मनोज नाम के एक सर हैं। वे सभी बच्चों का काफी ध्यान रखते हैं। स्कूल में करीब 300 मुसहर लड़के रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। सभी का व्यवहार काफी अच्छा है।
मनोज बताता है कि केबीसी में जाने से पहले ही यह तय हो गया था कि इनाम में जीती गई राशि संस्था को दे देनी है। उसे विद्यालय के विकास कार्यों में खर्च किया जाना है। सो, केबीसी से मिली राशि संस्था को दे दी गई।
मनोज की मां शान्ति देवी आंगनबाड़ी में सहायिका है। पिता महेश मांझी खेतिहर मजदूर हैं। बड़ी बहन सीमा की शादी हो चुकी है। दो छोटे भाई सनोज और अनोज हैं। गांव के ही स्कूल में सनोज चैथी और अनोज छठवीं वर्ग में पढ़ता है। मुसहर टोली में एक कमरे का मकान है। इंदिरा आवास योजना के तहत 45 हजार रुपए मिले थे। उसी से किसी तरह बन सका। पूरा परिवार बिना प्लास्टर वाले इस घर में रात बिता लेता है। सुविधा के नाम पर और कुछ नहीं।
SHANTI  DEVI,  MANOJ'S  MOTHER,  IN AANGANBARI
मनोज बताता है कि उसकी मां को पिछले सात माह से वेतन नहीं मिला है। पिता कुछ पैसे कमा लेते हैं। उसी से रोटी-दाल की व्यवस्था हो जाती है। मनोज की मां शान्ति देवी कहती है कि उसके घर की स्थिति देखकर उसे विश्वास था कि उसे भी 25 लाख में से कुछ मदद मिल जायेगी, लेकिन नहीं मिली।
अभी बात हो ही रही थी कि मनोज का छोटा भाई अनोज आ गया। एक हाथ में बकरी पकड़े और दूसरे में एक थाली। थाली में सब्जी और भात! घर के दरवाजे पर ही बकरी को बांधकर बगल में पड़ी खाट पर बैठकर सब्जी-भात खाने लगा। वहीं बगल में मनोज भी आ गया।
केबीसी में जाने के बारे में पूछे जाने पर वह थोड़ा मुस्कुराया। कहता है, मेरे साथ ही अभिनेता मनोज वाजपेयी जी भी गये थे। केबीसी के मंच पर पहुंचकर जब सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से मिला, तो थोड़ी देर मैं उन्हें देखता ही रह गया। बच्चन जी काफी अच्छे इन्सान हैं। मनोज वाजपेयी जी ने भी मेरा काफी हौसला बढ़ाया। वे भी मुझे बहुत अच्छे लगे।
MANOJ  AND  SHANTI  DEVI
जब यह पूछा गया कि केबीसी से लौटने पर जमसौत में क्या हुआ। वह मायूस हो जाता है। कुछ सोचकर कहता है - मीडिया वाले आने लगे। चैनल और अखबारों में खूब छपा। कुछ तारीफ वैसी भी, जो सच नहीं थी। मसौढ़ी के विधायक अरुण मांझी भी बधाई देने आए थे। अगले ही दिन अखबारों में छपा मिला कि अरुण मांझी जमसौत मुसहरी के ही रहने वाले थे। और विधायक ने यह भी एलान कर दिया था कि मुझे उच्च शिक्षा के लिए सरकारी मदद दी जायेगी। लेकिन, यह सब झूठ था। मुझे आजतक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है।
मनोज की मां शान्ति देवी कहती है कि मुसहरों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। इसपर भी हमारा मजाक बनाया गया। अखबार और चैनल वाले भी बाद में भूल गये कि जो वायदे सरकार की ओर से किये गये थे, उसका क्या हुआ। हम जैसे थे, आज भी हैं।

2 टिप्‍पणियां:

  1. mai sanstha s anurodh karna chahta hu ki inki jo jeeti hui rashi thi jo sanstha ko donate ki gayi h kindly inme s donation ki 25% inhe wapas kiya jaye jise inki mali halat sudhari ja sake kiun ki jeeti hui rashi ka adhikar jitne wale ke sath hota h agar sanstha party ko bargala kar sari rashi apne sanstha m donate karwa leti h to sanstha ki sarasar galti mani jayega mai media s anurodh karna chahata hu ki wo sanstha k director s bat kar us garib larlke ko insaf dilane ka kaam kare dhanyabad.

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  2. Krishna Sharma Ji, Aapki baat Sansthan tak pahucha di gai hai.
    R.Mani

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