COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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मंगलवार, 2 सितंबर 2014

अपने पुत्र को जंजीर से बांधकर रखती है एक मां !

न्यूज@ई-मेल
संक्षिप्त खबर
पटना : राजधानी स्थित पश्चिम मैनपुरा ग्राम पंचायत में गोसाई टोला नामक मुहल्ला है। यहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सबलपुर, (पटना सदर प्रखंड) की आशा कार्यकर्ता मुन्नी देवी रहती है। मुन्नी के पति, रामलगन राय, की मृत्यु 1997 में ही हो चुकी है। इनके दोनों पुत्र अविनाश (18 साल) और टिंकल (15 साल) को मिर्गी की बीमारी है। 
पति की मौत के बाद मुन्नी किसी तरह अपने घर का खर्च चलाती रही। साथ ही, बीमारी में काफी खर्च हो रहा था। कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पिटल के सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र द्वारा संचालित सिलाई केन्द्र से मुन्नी ने सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वह अपने घर पर ही सिलाई करने लगी। साथ ही 2011 में विधवा मुन्नी को आशा कार्यकर्ता बनाया गया। 
इन सब के बावजूद मुन्नी अब हिम्मत हारने लगी है। पिछले चार माह से आशा कार्यकर्ता के रूप में किये गये काम का पैसा नहीं मिला है। बेटों की दवा ठीक से नहीं हो पा रही है। मिर्गी रोग ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। तंग आकर परिवार वालों ने दवा देने के बदले उन्हें जंजीर में जकड़ रखा है। इस अमानवीय व्यवहार से आसपास के लोग भी हैरान हैं।

मुसहर करने लगे अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने की मांग

पटना : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू और भाजपा गठबंधन के समय 21 दलित जातियों को मिलाकर राज्य महादलित आयोग बनाया था। इन दलित जातियों में पासवान जाति को शामिल नहीं किया गया था। पासवान को छोड़कर 21 दलित जातियों को 3 डिसमिल जमीन की सुविधा दी गयी, जो आवासहीन थे। अब फिर से पासवान को इन जातियों में शामिल कर लिया गया है। 
बिहार सरकार के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा महादलित के रूप में पहचानी गई 21 जातियां हैं - बंतार, बौरी, भोगता, भुईया या भूमजीज, चैपाल, धोबी, डोम या धनगर, घासी, हलालखोर, हरि, मेहतर या भंगी, कंजर, कुरियर, लालबेगी, डबगर, मुसहर, नट, पान या सवासी, पासी, रजवार, तुरी और चमार।
इधर महादलित आयोग में रहकर भी मुसहर समुदाय के लोग घुटन महसूस करने लगे। इनका कहना है कि जिस उद्देश्य से महादलित आयोग बनाया गया, वह पूर्ण होता नहीं दिख रहा है। यहां तक कि राज्य महादलित आयोग के प्रथम अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि ने पूर्व मुख्यमंत्री को अनुशंसा भेजा था। यह लालफीताशाही का शिकार हो गया। अब उदय मांझी महादलित आयोग के अध्यक्ष हैं। उदय मांझी भी मुख्यमंत्री को अनुशंसा भेजने वाले हैं। लोग मुसहर समुदाय को अनुसूचित जाति की श्रेणी से निकालकर अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल किये जाने की मांग करने लगे हैं। लोगों का मानना है कि अनुसूचित जाति में रहकर मुसहरों का विकास और कल्याण नहीं हो पा रहा है। अतः अनुसूचित जनजाति में शामिल कर लिया जाए। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मुसहर समुदाय को आश्वासन दिया है कि इनकी मांग पर वे विचार करेंगे। जरूरी हुआ तो केन्द्र सरकार से पत्राचार भी करेंगे।

गहरे गड्ढे वाली जमीन महादलितों के नाम

दानापुर : दानापुर स्थित कौथवा ग्राम पंचायत में अभिमन्यु नगर है। यहां गैर मजरूआ जमीन है। सरकार ने 59 लोगों को जमीन का परवाना दिया है। अधिकांश लोग परवाना मिलते ही जमीन पर काबिज हो गए। कुछेक लोग जमीन पर काबिज नहीं हो सके। हुआ यूं कि इनकी जमीन से मिट्टी निकालकर रोड बना दिया गया है। जेसीबी मशीन से मिट्टी निकालने के कारण यहां गहरा गड्ढा बन गया है। इसमें सालोंभर पानी भरा रहता है। गड्ढे में पानी रहने के कारण मुसहर समुदाय को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। गड्ढे में पानी रहने के कारण सीमांकन कराने में परेशानी हो रही है। यह मामला 19 सालों से लंबित है। 
दूसरी ओर, कटिहार जिले के समेली प्रखंड में डूमर ग्राम पंचायत की समस्या है। इस पंचायत में बकिया मुसहरी एवं पश्चिम टोला, वार्ड नम्बर 12 है। इस टोले में 260 घरों में महादलित मुसहर रहते हैं। इनकी जनसंख्या 1,100 है। कुछ के पास रैयती जमीन है। कुछ मालिकाना जमीन पर रहते हैं। हां, गैर मजरूआ भूमि पर भी लोग रहते हैं। इंदिरा आवास योजना के तहत 30 मकान बने हैं। कई अधूरा हैं। इस टोले से एक किलोमीटर की दूरी पर कोलहा हरिणकोल की जमीन है। यह सामान्य जमीन से 6 फीट गड्ढे में है। बरसाती पानी भरा रहता है। अभी यह जमीन महादलितों के नाम है। इनका कहना है कि हमें तो ठगा गया है। यह जमीन किसी काम की नहीं। हमें जानबूझ कर ऐसी बेकार जमीन दी गयी है।

आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं

बिहटा : प्रत्येक साल रक्षाबंधन के दिन रुचि कुमारी अपने भाई को राखी बांधती थी। मगर, इस साल ऐसा नहीं हो सका। विवाहिता रुचि के ससुराल वालों ने 25 जुलाई, 2014 को उसकी हत्या कर दी। मामला बिहटा थाना क्षेत्र का है। पहले तो थानाध्यक्ष द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं किया गया और जब एसएसपी के समक्ष शिकायत की गयी, तो उसके बाद एफआईआर तो दर्ज कर ली गयी, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। 
ज्ञात हो कि बिहार की पुलिस में अबतक कोई खास सुधार नहीं हुआ है। राजधानी पटना में पुलिस की लापरवाही, वसूली और बेकसूरों को सताने की खबरें अकसर चर्चा में रहती हैं। ऐसे में यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि जिलों और फिर दूर के क्षेत्रों में क्या होता होगा। सच्चाई यह है कि अधिकांश थाना अवैध कमाई वाले अड्डे बन चुके हैं। गरीब, मजबूरों की यहां नहीं सुनी जाती। हां, दबंग और पैसे वालों को चलती ऐसे थाना क्षेत्रों में खूब रहती है।

‘‘हमारा कानून, हमारा अधिकार‘‘

पटना : पिछले दिनों ‘‘हमारा कानून, हमारा अधिकार‘‘ को लेकर पैक्स ने कानूनी जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। पांच दिनों तक चले इस कार्यशाला में दलितों को अधिकार के बारे में जानकारी दी गयी। साथ ही संविधान, भारतीय दण्ड संहिता, दण्ड प्रक्रिया संहिता, सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955, अपराध, दण्ड आदि पर चर्चा की गयी। प्रतिभागियों को केस स्ट्डी से अवगत कराया गया। इसी से संबंधित केस को लेकर रोल प्ले करना था। इसमें ब्रजेश कुमार, प्रेम कुमार चैधरी, कैलाश राम, रिंकी कुमारी, वासुदेव दास, ओम प्रकाश और आलोक कुमार ने भाग लिया। 

27.6 फीसदी थानों में दलितों के प्रवेश पर रोक

पटना : मल्टिपल एक्शन रिसर्च ग्रुप के प्रशिक्षकों ने कहा कि आज भी दलितों पर अत्याचार हो रहा है। यह ग्रुप पिछले दिनों नयी दिल्ली से पटना एक कार्यक्रम में प्रशिक्षण देने आया था। ग्रुप के लोगों ने कहा कि आज भी दलितों को मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया जाता है। बेगार-कार्य करवाया जाता है। दबंगों द्वारा जमीन पर कब्जा कर लिया जाता है। 
आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 38 फीसदी राजकीय विद्यालयों में अलग से खाना बनाने की व्यवस्था है। वहीं 35.8 फीसदी दुकानों में दलितों को अंदर आने पर रोक है। 33 फीसदी स्वास्थ्यकर्मी दलितों के घर में प्रवेश ही नहीं करते हैं। 27.6 फीसदी थानों में दलितों को आने ही नहीं दिया जाता है। दक्षिण भारत में दलितों के लिए अलग से चर्च और कब्रिस्तान है। कुल मिलाकर इस वर्ग को अलग-थलग रखकर जिंदगी मजे में काटने का उपाय बना लिया गया है। अंजू तालुकदार, अम्बालिका राॅय और राजेश देवली ने प्रशिक्षण दिया।

अन्याय, अत्याचार और शोषण से मुक्ति को तड़प रहा गरीब समाज : राजगोपाल

श्योपुर : प्राकृतिक संसाधनों पर नैसर्गिक अधिकार, शुद्ध पीने का पानी, रहने के लिए मकान और रोजगार के अवसर पाने से शहरिया आदिवासी और गरीब समाज वंचित है। इस अन्याय, अत्याचार और शोषण से मुक्ति पाने के लिए गरीब समाज तड़प रहा है। इससे मुक्ति नवजवानों की शक्ति की एकजुटता और संगठनात्मक अभिक्रम से ही होगी। उक्त बातें एकता परिषद के अध्यक्ष श्री राजगोपाल पी.व्ही. ने महात्मा गांधी सेवाआश्रम द्वारा आयोजित तीन दिवसीय चम्बल क्षेत्रीय युवा नेतृत्व विकास प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन सत्र में कही। 
राजगोपाल ने युवाओं को आगे आने की अपील करते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों जल, जंगल और जमीन पर अधिकार के लिए आंख, कान, दिमाग और मुंह का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना होगा। उन्होंने नवजवानों से कहा कि अपने आसपास की स्थितियों को देखना, उनको सुनना, उसका विश्लेषण करना और अत्याचार व अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाना होगा। एकता परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष रनसिंह परमार ने शिविर के उद्देश्यों के बारे में बताया कि भूमि अधिकार और जलाधिकार अभियान को लंबे समय तक आगे ले जाने के लिए शहरिया भीलाला आदिवासी, गरीब व वंचित समुदाय के युवकों और युवतियों को अन्याय से मुक्ति के लिए अहिंसात्मक अभिक्रम के बारे में प्रशिक्षित करना है। प्रत्येक महीने शिविर श्रृंखला के तहत 2000 नवजवानों को प्रशिक्षित करने की योजना है, जिससे एक मजबूत और टिकाउ आंदोलन को मूर्त रूप दिया जा सके।
उद्घाटन सत्र की अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष गुड्डी बाई थी। इन्होंने कहा कि आदिवासी नवजवानों को आगे आकर अपने हक की लड़ाई लड़नी होगी। नगरपालिका अध्यक्ष मीरा गर्ग ने कहा कि पढ़-लिखकर सबको अपने अधिकारों को समझकर संघर्ष तेज करना होगा। श्योपुर के पूर्व विधायक सत्यभान सिंह चैहान ने आदिवासियों के गरिमामयी इतिहास का पुनरावलोकन करते हुए शहरिया आदिवासी समाज के प्रथम विधायक स्वर्गीय सोमा आदिवासी का उदाहरण प्रस्तुत किया और कहा कि आदिवासी समाज हमेशा से मेहनतकश और ईमानदार रहा है जिसका नाजायज फायदा गैर आदिवासी समाज ने उसे संसाधनों से बेदखल कर उठाया है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य दुर्गेश नंदिनी ने एकता परिषद के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि एकता परिषद ने दूर दराज के आदिवासी अंचल में वंचित समुदाय को जागरूक और संगठित करने का कार्य किया है।
प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन सत्र में श्योपुर के वरिष्ठ पत्रकारों और समाजसेवियों को अंगवस्त्रम् प्रदान कर सम्मानित किया गया। शिविर के उद्घाटन सत्र का संचालन श्योपुर के वरिष्ठ समाजसेवी कैलाश पराशर ने की। शिविर में मुख्य रूप से वयोवृद्व समाज सेवी भीमसेन शर्मा, मोहम्मद हबीब भाई, जलाधिकार अभियान के प्रांतीय संयोजक अनिल कुमार गुप्ता, एकता परिषद के जयसिंह जादौन, रामदत्त सिंह तोमर, मनीष राजपूत, रविन्द्र सक्ेसना, उमरिया से बिमला बारां, शबनम अफगानी, विद्यासागर गौतम, रवि बद्री, उदयभान सिंह परिहार उपस्थित थे।
ई-मेल से आलोक कुमार द्वारा भेजी गयीं खबरें

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