COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शनिवार, 13 सितंबर 2014

दलितों के विकास के लिए खोज रहा हूं जोड़ीदार : मांझी

संक्षिप्त खबर
पटना : सूबे के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी दलितों के हित के लिए जोड़ीदार बनाने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि मैं खुद कार्यपालिका देख रहा हूं और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चैधरी विधायिका। अब तीसरे जोड़ीदार की खोज जारी है, जो न्यायपालिका का कार्य देख सकें। हम चाहते हैं कि तीन जोड़ीदारों के बल पर वंचित समुदाय के लिए बिहार में शानदार कार्य किया जा सके। 
पिछले दिनों (07 सितम्बर) दलित अधिकार मंच के तत्वावधान में महादलित समारोह का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री श्री मांझी ने समारोह का उद्घाटन किया। मुख्य अतिथि बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चैधरी थे। समारोह की अध्यक्षता बाबू लाल मांझी और संचालन नरेश मांझी ने किया। 
इस अवसर पर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि अगर दलितों की जनसंख्या को सही ढंग से सर्वें कराया गया, तो हम आबादी का 25 प्रतिशत हिस्सा होंगे। इतनी जनसंख्या अन्य जातियों की नहीं है। अगर ऐसा होता है, तो दलित ही मुख्यमंत्री होंगे। उन्होंने कहा कि एकदिन दलितों का ही राज होगा! 
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों को भी वासगीत पर्चा मिलेगा। लेकिन, यह जरूरी है कि वे पिछले 12 सालों से क्षेत्र में रह रहे हों। वासगीत पर्चा महिलाओं के नाम से जारी किया जाएगा। इसी तरह इन्दिरा आवास योजना के तहत ग्रामीण और अरबन एरिया में राजीव आवास योजना से बहुमंजिला भवन बनेगा। उन्होंने कहा कि अधिकारी काफी कम संख्या में प्रोजेक्ट बनाते हैं। उनका तर्क होता है कि धनराशि नहीं है। अधिकारियों का काम तो प्रोजेक्ट बनाना है, अगर धनराशि कम पड़ेगी तो वे खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के घर के सामने धरना देंगे और अधिक धनराशि देने की मांग करेंगे। 
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि महादलित अंधविश्वास से निकलें। बीमार पड़ने पर सीधे सरकारी अस्पतालों में जाएं। सारी व्यवस्था दुरूस्त हो गयी है। झोलाछाप और माथा हिलाने वाले भगत और भक्तिनी के चक्कर में नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि 30 रुपए में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्मार्ट कार्ड बन रहा है। 534 प्रखंडों में इसकी व्यवस्था की जा रही है। इसे वार्ड स्तर तक पहुंचाया जाएगा। आरंभ में लोग 125 साल तक जीते थे। अब गिरावट आने पर 65 साल जीते हैं। इसके बावजूद मुसहर समुदाय के लोग 45 साल ही जीते हैं। उन्होंने कहा कि शराब को छोड़ देना होगा। हम दारू के बदले पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। हरेक गांव में 5 चापाकल लगेंगे। युवाओं को विभिन्न तरह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। युवा मनचाहा हुनर प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए भेजें। सरकार मिड डे मील, पोशाक, किताब, छात्रवृति आदि मुहैया करती है। अब 40 परिवारों के ऊपर एक स्कूल खोलने का आदेश दिया गया है। इससे आप लाभ उठायें।

विधायक भी कर रहे भेदभाव

पटना : सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक मंचों पर हम यह दावा भले ही करते हों कि समाज बदल रहा है, सोच बदल रहा है। सामाजिक समरसता आ रही है। लेकिन, यथार्थ में ये सारी बातें बकवास ही नजर आती हैं। गुरुवार को पटना में नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह में यह बात साफ तौर पर दिखी कि सम्मान देने की परंपरा को जातियों में बांट दिया। नीतीश कुमार व दूसरे सवर्ण नेताओं के चरण स्पर्श करने वाले कई विधायक महादलित मुख्यमंत्री व स्पीकर को सम्मान देने में झेपते नजर आए। विधायक ऋषि मिश्रा ने इन दोनों के सामने सिर झुकाना भी उचित नहीं समझा।

गरीबों के स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर सीएम की बैठक

पटना : पिछले दिनों बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अध्यक्षता में गया में एक बैठक हुई। इस बैठक का उद्देश्य केन्द्र प्रायोजित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा गरीबों को लाभ पहुंचाना था। इसी क्रम में अब बीपीएल परिवारों के अलावा बीड़ी मजदूर, घरेलू कामगारों, मनरेगा मजदूरों, निर्माण श्रमिकों, रेलवे कुली, वेंडरों को भी इसमें शामिल करने का निर्णय लिया गया है। इसके बावजूद रिक्शा चालक, ऑटो रिक्शा चालक, जीप चालक और ईंट भट्ठा मजदूर इस लाभ से वंचित रह गये। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्यान्वयन पर राज्य में वर्ष 2014-15 में 75 करोड़ खर्च होंगे। ज्ञात हो कि यह योजना गरीबी रेखा से नीचे जीवन वसर कर रहे लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा देने लिए शुरू की गई थी। 
सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते थे कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत ओपीडी मरीजों को भी स्मार्ट कार्ड का लाभ मिले। ओपीडी में स्मार्ट कार्डधारियों को 40 फीसदी रियायते दी जाए, जो लागू नहीं हो सका। इसकी शिकायत भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्यपालक अधिकारी से की गयी थी। 
जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में 66 प्रतिशत अंक लेकर केरल अव्वल स्थान पर है। वहीं 53 प्रतिशत अंक लेकर पड़ोसी उत्तर प्रदेश द्वितीय और 47 प्रतिशत अंक लेकर बिहार तृतीय स्थान पर है। 
बिहार में बीड़ी मजदूरों की संख्या करीब एक लाख 99 हजार और स्ट्रीट वेंडरों की संख्या करीब एक लाख 55 हजार है। वहीं घरेलू कामगारों की संख्या उपलब्ध नहीं है। रेलवे बोर्ड के अनुसार, 22 हजार की संख्या में रेलवे मजदूर हैं। बिहार में 30 रुपए में बीमा करके स्मार्ट कार्ड बनता है। इस स्मार्ट कार्ड से परिवार के 5 लोगों का ईलाज अस्पताल में भर्ती कर किया जाता है। प्रति व्यक्ति 30 हजार रुपए तक व्यय किया जाता है। इसमें अस्पताल का बिल, भोजन, यात्रा भत्ता शामिल है। वहीं आंध्रप्रदेश की सरकार ने राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपए तक कर दिया है। 

केबीसी से अर्चना ने जीते 50 लाख रुपए

रांची : अर्चना तिर्की ने लोकप्रिय टीवी कार्यक्रम कौन बनेगा करोड़पति से 50 लाख जीत लिए हैं। हालांकि उसके सामने एक करोड़ रुपए के लिए भी प्रश्न रखे गये थे। लेकिन, उत्तर पता नहीं होने के कारण अर्चना ने बीच में ही गेम छोड़ना बेहतर समझा। अर्चना बैंक आॅफ बड़ौदा में अधिकारी हैं। खेल के क्रम में जब तारीफ करते हुए अमिताभ बच्चन ने कहा कि अर्चना जी सदैव मुस्कराती रहती हैं। इसके जवाब में अर्चना तिर्की ने कहा कि रोने के लिए भगवान ने बहुत कुछ दिया है। ज्ञात हो कि अर्चना की बेटी अनन्या एक गंभीर बीमारी से जुझ रही है। अब उसे विश्वास है कि केबीसी से जीते हुए पैसों से वह अपनी बेटी का बेहतर ईलाज करा पाएगी।

इंसेफ्लाइटिस से गंवाना पड़ा आंख

पटना : महादलित अर्जुन मांझी और रीता देवी की पुत्री सुमन कुमारी आंख से देख नहीं पाती है। उसे इंसेफ्लाइटिस नामक बीमारी है। ज्ञात हो कि उत्तर बिहार में इंसेफ्लाइटिस बीमारी से अबतक सैकड़ों बच्चों की मौत हो चुकी है। इस मामले में अर्जुन और रीता भाग्यशाली रहे। आंख गंवाने के बाद भी सुमन की मौत नहीं हुई। रीता देवी कहती है कि सभी जगहों पर दिखाकर हम हार चुके हैं। इसकी बीमारी जाने का नाम ही नहीं ले रही है। कई डाॅक्टरों को दिखाया गया। झारफूंक भी करवाया गया। डाॅक्टर कहते हैं कि सुमन के आंख का एक नस सूख गया है। इस कारण ही वह अंधी हो गयी है। ईलाज में अबतक काफी रुपए खर्च हो चुके हैं। ज्ञात हो कि अर्जुन और रीता कचरे के ढेर से रद्दी कागज, प्लास्टिक, लोहा आदि चुन और उसे बेचकर अपना परिवार चलाते हैं।

पाटलिपुत्र जंक्शन बनाम विस्थापित

पटना : पाटलिपुत्र जंक्शन बनकर तैयार है। इसकी उद्घाटन तिथि अबतक कई बार बदलनी पड़ी है। इस कारण अभी रेल का परिचालन दानापुर जंक्शन से किया जा रहा है। पाटलिपुत्र जंक्शन से परिचालन शुरू नहीं किये जाने का कारण विस्थापितों को पुनर्वासित नहीं किया जाना है। हालांकि रेलवे ने सुरक्षा दीवार खड़ी कर लोगों को दीघा नहर के किनारे ढकेल दिया है। ज्ञात हो कि यहां 456 घरों में कमजोर वर्ग के लोग रहते हैं। लोगों ने इस मुहल्ले का नाम टेसलाल वर्मा नगर रखा था। 

डायना ने प्रधानमंत्री से की मांग

पटना : लोकसभा और विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से लोगों को प्रतिनिधित्व दिये जाने का प्रावधान है। लेकिन, झारखंड विभाजन के बाद बिहार विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से प्रतिनिधि नहीं चुना गया है। वहीं इस समुदाय से जेजी गोलस्टेन झारखंड में प्रतिनिधि हैं। 
जानकारों का कहना है कि बिहार में एंग्लो इंडियन समुदाय की संख्या काफी कम है। ऐसे में किस आधार पर बिहार विधानसभा में प्रतिनिधि दिया जाए। वहीं झारखंड में इस समुदाय की जनसंख्या अधिक है। सामाजिक कार्यकर्ता डायना ग्रेस थोमस का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 331 में स्पष्ट वर्णन है कि यदि सदन में पर्याप्त एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं है तो उन्हें चुना जाना चाहिए। इसी को आधार बनाकर तमिलनाडु की सामाजिक कार्यकर्ता डायना एंग्लो इंडियन समुदाय से होने के आधार पर लोकसभा में अपना नामांकन चाहती हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने नरेन्द्र मोदी से लोकसभा के लिए नामांकित किए जाने का आग्रह किया है। साथ ही दावा किया है कि उन्हें अन्तरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है। इरोड में जन्मीं 33 वर्षीया डायना ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है।

पांच वर्षीया अंजली लापता

पटना : बिहटा के राघोपुर पंचायत स्थित बिहटा बंगला मुसहरी की पांच वर्षीया अंजली कुमारी पिछले 15 दिनों से लापता है। वह अपनी मां जीतनी देवी के साथ बिहटा स्टेशन से पटना के लिए रेल पर चढ़ी थी। और फिर उसे पटना से फतुहा जाना था। अंजली के पिता समन मांझी बताते हैं कि जब मां-बेटी पटना जंक्शन पर उतरीं, तो वहीं भीड़ में कहीं खो गयी। अपनी बेटी अंजली की तस्वीर लेकर पिता दर-दर भटक रहा है। परिवार, रिश्तेदारों के यहां भी काफी खोजा गया। सभी जान-पहचान वालों से पूछताछ की जा रही है। समन बताते हैं कि गायब होने के बक्त अंजली गुलाबी रंग का सलवार और कुर्ती पहनी थी। अब वे लोगों से अपील करते फिर रहे हैं कि जिसे भी वह बच्ची मिले, वह मोबाइल नंबर 9931126082 पर सूचित करे। 

शिक्षक दिवस पर गुरुजी हुए सम्मानित

पटना : श्रीकृष्णपुरी स्थित इन्दिरा गांधी कम्युनिटी हाॅल में एलेन क्लासेज के तत्वावधान में पिछले दिनों शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल थे। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने डाॅ. आईसी कुमार, पूर्व कुलपति, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, सामाजिक कार्यकर्ता नरेन्द्र प्रताप मिश्रा, डीएन तिवारी, मानद परामर्शी, राहुल राज, एसके दुबे, आईडी सिंह, डाॅ. एलपी प्रभाकर, डी. सिंह, ध्रुव कुमार यादव, डाॅ. एके संतोष, डाॅ. परिमल खान, दिनेश चन्द्र और प्रेरणा को शाल, प्रसंशा पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। 
साथ ही डाॅं. रामदुलार दास, प्राचार्य, एसएमडी महाविघालय, जमालपुर (गोपालगंज), डाॅ. योगेन्द्र प्रसाद यादव, पृथ्वी चंद विज्ञान महाविघालय, छपरा, डाॅ. प्रभुनाथ ओझा, पूर्व प्राचार्य, राजकीय इंटर काॅलेज, अतरसन (सारण), प्रो. अवध बिहारी मिश्रा, पूर्व प्राध्यापक, जिन्नत जरीना ईस्माइल, संस्थापक, होली क्राॅस स्कूल, छपरा, रंजीता मिश्रा, राजकीय विद्यालय, महुआ (वैशाली), प्रो. अमरेन्द्र नारायण सिंह, भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, डाॅ. बिहारी सिंह, एएन काॅलेज, पटना, डाॅ. परशुराम सिंह, नव नालंदा विश्वविद्यालय, नालंदा, वीरेन्द्र मिश्र अभय, प्रख्यात कवि, प्रदुमन प्रसाद सिंह, बेनीपुर उच्च विद्यालय, बेनीपुर, सुमिन्द्र प्रसाद सिंह, उच्च विद्यालय, कल्याणपुर, बैद्यनाथ सिंह, सेवानिवृत्त शिक्षक, अनुग्रह नारायण सिंह, नरौली, बीसी राय, काॅलेज आॅफ काॅमर्स, पटना और विजय कुमार सिंह, शिक्षक, गोपालगंज को सम्मानित किया गया।

बदहाल है कौथवां ग्राम पंचायत

दानापुर : दानापुर प्रखंड में कौथवां ग्राम पंचायत है। इस पंचायत के मुखिया राजद के महासचिव बाहुबली रीतलाल यादव के पिता हैं। वहीं जदयू विधायक अरुण मांझी की दीदी का घर कौथवां मुसहरी में ही है। इसके बावजूद आजतक इस मुसहरी की सूरत नहीं बदल सकी।
कौथवां मुसहरी निवासी प्रदीप मांझी का कहना है कि रूपसपुर थानान्तर्गत चुल्हाई चक में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चैधरी आए थे। इन्हें लोगों ने एक आवेदन-पत्र सौंपा था। इस आवेदन में समस्याओं का जिक्र था। इसके बावजूद यहां विकास कार्य पर ध्यान नहीं दिया गया। 
ज्ञात हो कि ये महादलित यहां कई दशक से रह रहे हैं। करीब 20 साल पहले इन्दिरा आवास योजना से मकान बनाया गया था। आज सभी मकान जर्जर अवस्था में हैं। साथ ही, महादलितों को न तो वासगीत पर्चा दिया गया है और न ही जमीन उनके नाम से की गयी है। स्त्री-पुरुष बाहर खुले आकाश के नीचे शौचक्रिया को बाध्य हैं। आजतक इस मुसहरी ने बिजली की रोशनी नहीं देखी है।
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