COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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बुधवार, 17 दिसंबर 2014

फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं आदिम लोग

संक्षिप्त खबर
गया : गया जिले के फतेहपुर प्रखंड स्थित गुरपा जंगल में आदिम जाति के लोग रहते हैं। प्राकृतिक संसाधन जल, जंगल और जमीन के सहारे उनका जीवन गुजरता है। पहाड़ से गिरने वाला पानी पीते हैं। ये गुरपा जंगल में रहते और वनभूमि की जमीन पर खेती करते हैं। 
ये लोग पहाड़ से गिरने वाले पानी को गड्ढे में जमा करते हैं। बाद में इस पानी का व्यवहार घरेलू कार्य और पीने के लिए करते हैं। एक एनजीओ के कार्यकर्ता शत्रुघ्न कुमार ने पहाड़ के इस पानी की जांच करवायी, प्रचुर मात्रा में फ्लोराइड मिला। इस संदर्भ में फतेहपुर अंचल के अंचलाधिकारी शैलेष कच्छप ने कहा कि मैं इस उपेक्षित गांव से वाकिफ हूं। यहां पर एनजीओ वाले कार्यशील हैं। अभी बीडीओ साहब ने चापाकल लगवाया है। लोगों का परिचय पत्र बना दिया है। लोगों को स्वरोजगार के तहत बकरी दी गयी है। उन्होंने कहा कि आदिम जातियों को वनाधिकार 2006 कानून के तहत वनभूमि पर अधिकार दिलवाया जाएगा। इन लोगों द्वारा प्रेषित आवेदनों पर विचार होगा और जल्द से जल्द वनाधिकार कानून से लाभ दिलवाया जाएगा।
सीओ शैलेष कच्छप कहते हैं कि आवासीय भूमिहीनों को सरकारी मापदंड के अनुसार जमीन दी जाएगी। जिन आवासीय भूमिहीनों को जमीन मिली, मगर कब्जा नहीं हो सका, उनको जमीन पर कब्जा दिलवाया जाएगा। वासगीत पर्चा का वितरण किया जाएगा। इसमें एनजीओ का सहयोग लिया जा रहा है। जिनको वासगीत पर्चा नहीं मिला है, ऐसे लोगों की सूची एनजीओ के लोग बना रहे हैं। हर हाल में मार्च, 2015 तक वासगीत पर्चा निर्गत कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव के दिशा निर्देशानुसार आॅपरेशन बसेरा को सफल बनाना है। इस बाबत रणनीति बना ली गयी है।

आंदोलन मंच ने किया अनशन, रखीं कई मांगें

पटना : मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी प्रखंड के लोगों ने आंदोलन मंच का निर्माण किया है। और इसी के बैनर तले लोगों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर गांधी मैदान स्थित कारगिल चैक पर अनशन किया। अनशन कर रहे लोगों का कहना था कि सूबे में सरकारी योजनाएं तो कई बनीं, पर इन योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो पा रहा है। लोगों ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से तुरंत सुधार की मांग की है। अपनी विभिन्न मांगों को लोगों ने इस प्रकार बताया -
  • खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिलने वाले राशन कार्ड से बड़ी संख्या में गरीब वंचित हैं। वहीं जिन्हें राशन कार्ड प्राप्त हो चुका है, वे राशन से वंचित हैं। साथ ही, अयोग्य लोगों के नाम इस योजना में शामिल हो गये हंै। अतः पंचायत स्तर पर राशन प्राप्त करने लायक परिवारों को चिन्हित करने, उन्हें राशन कार्ड देकर राशन आवंटन करने एवं उक्त योजना में शामिल अयोग्य परिवारों को योजना से अलग करने की व्यवस्था हो। 
  • घर-घर शौचालय का निर्माण करना है। परन्तु, उक्त योजना का प्रचार-प्रसार जिस रूप में किया जा रहा है, ठीक नहीं है। इसकी प्रक्रिया जटिल एवं आवंटित राशि लागत राशि से काफी कम है। इस कारण उक्त योजना के क्रियान्वयन में काफी कठिनाई हो रही है। अतः क्षेत्रवार शौचालय निर्माण की लागत राशि की समीक्षा कर प्रत्येक परिवार को कम से कम 25000 रुपए उक्त योजना के तहत दी जाए एवं इसकी प्रक्रिया सरल एवं सुलभ बनाई जाए। योजना क्रियान्वयन हेतु एजेंसी की जवाबदेही तय हो।
  • आज भी प्रदेश के गरीब बीपीएल कार्ड से महरूम हैं। वे सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो जा रहे हैं। इस समय सभी तरह के कल्याण व विकास कार्यों में बीपीएल कार्ड की मांग की जाती है, अतः वंचित गरीबों हेतु एक नीति बनाकर उन्हें इंदिरा आवास योजना, वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन अथवा अन्य योजनाओं से लाभ दिलाने की व्यवस्था हो।
  • शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के नाम पर लगने वाले चापाकल योजना में काफी भ्रष्टाचार है। सच्चाई यह है कि पीएचईडी विभाग मुफ्त में सरकारी वेतन ले रहा है। इसका कुप्रभाव अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति पर पड़ रहा है। इस कारण समाज बीमार होकर मृत्यु को प्राप्त हो रहा है। अतः गहराई वाले चापाकल लगाने की व्यवस्था हो। साथ ही, गुणवत्ता हेतु विभाग की जवाबदेही तय हो। 
  • वर्तमान में ग्रामीण सड़कों के निर्माण, जीर्णोद्धार, पक्कीकरण से जुड़े कार्य में सांसद, विधायक, विधान पार्षद स्तर के जनप्रतिनिधियों की भूमिका बनाई गयी है। पंचायती राज व्यवस्था के तहत जिला परिषद सदस्य को विकास हेतु कोई अधिकार नहीं दिया गया है। यह उचित नहीं है। इस पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। 
  • मनरेगा को सशक्त बनाने, इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार हटाने हेतु उक्त अधिनियम को कृषि एवं किसान से जोड़ने पर किसान एवं कृषि मजदूर के साथ-साथ राज्य एवं राष्ट्र के समृद्धि की भी संभावना है। अतः अधिनियम के तहत कृषि मजदूर किसान की भूमि पर कृषि कार्य करें। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े-बड़े भू-खंड हैं। इसे चैर कहा जाता है। जल-जमाव होने के कारण कृषि कार्य से वंचित है। अतः वैसे भू-स्थलों को चिन्हित कर जल निकास कराते हुए सरकारी स्तर से सिंचाई हेतु बिजली आधारित नलकूप प्रदान करने की नीति लागू हो।
  • प्रदेश में वित्तरहित शिक्षा नीति के कुप्रभाव से पीडि़त लगभग 300 बालिका विद्यालय सरकारीकरण से वंचित हैं। जबकि विद्यालयों में मैट्रिक स्तर की परीक्षा आयोजित करने की अनुमति प्राप्त है। यह स्थिति शर्मनाक है। अतः महिला शिक्षा को मजबूत एवं जागरूक बनाने हेतु सभी वैसे बालिका विद्यालय, जहां मैट्रिक की परीक्षा आयोजित होती है, उसे सरकारीकरण किया जाए।
  • बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग संघ, खादी आयोग, जिला खादी संघ जैसी संस्थाओं की हालत दयनीय है। इसमें सरकारी हस्तक्षेप कर पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। इस संबंध में एक नीति बनाकर उसे क्रियान्वित किया जाए। 
  • जिला मुजफ्फरपुर के प्रखंड मुशहरी के प्रखंड मुख्यालय के निकट स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का भवन अति जर्जर है। उक्त केन्द्र की क्षमता मात्र 6 बेडो की है। अतः उक्त केन्द्र का भवन नया बनाते हुए इसे अस्पताल का रूप देकर इसकी क्षमता बढ़ाई जाए। 
  • जिले के प्रखंड मुशहरी के ग्राम पंचायत डुमरी स्थित बुढ़ी गंडक नदी, बुधनगरा घाट पर वर्ष 1993 में नाव दुर्घटना हुई थी, जिसमें 17 लोग मर गए थे। तब लालू प्रसाद एवं रमई राम ने पुल निर्माण कराने की घोषणा की थी, परन्तु पुल नहीं बन सका। अतः उक्त स्थल पर पुल का निर्माण हो। 
  • दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय को जोड़ने वाली मुजफ्फरपुर पूसा पथ की लंबाई लगभग 40 किलोमीटर है। इससे प्रतिदिन लाखों व्यक्तियों, वाहनों का आना-जाना होता है। परन्तु, सड़क एक लेन होने के कारण सदैव दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। अतः इस पथ का दोहरीकरण किया जाये। 
  • बिहार सरकार में लंबे समय से रमई राम मंत्री रहे हैं। पद पर रहते हुए उन्होंने काफी संपत्ति अर्जित की है। इनके रिश्तेदारों के नाम से भी काफी संपत्ति है। अतः 1990 से अबतक रमई राम, इनकी पुत्री गीता कुमारी एवं दामाद विजय कुमार द्वारा अर्जित संपत्ति की जांच कर उसका प्रकाशन हो।
  • मंत्री रमई राम ने मजदूर आनंदू पासवान के साथ अमानवीय व्यवहार किया। यह लोकतंत्र के लिए कलंक एवं मानव अधिकारों का उल्लंघन है। अतः आनंदू पासवान के बयान के आधार पर सचिवालय थाना, पटना में प्राथमिकी दर्ज कराकर मंत्री रमई राम के विरूद्ध कार्रवाई हो।
  • सूबे में विकास कार्य में दलाल एवं बिचौलियों का राज खत्म हो। 

इस संबंध में मुजफ्फरपुर जिला परिषद के सदस्य व अनशनकारी मुक्तेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि अनशनकारी मांग पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें उपेन्द्र तिवारी, चन्द्रकेश चैधरी, मो. तैयब अंसारी और रामसकल सिंह हैं। अन्ना आंदोलन के को-आॅडिनेटर डाॅ. रत्नेश चैधरी और भाजपा नेत्री सह पूर्व प्रत्याशी बोचहां विधान सभा सुरक्षित आदि ने भी जनहित के समर्थन में हस्ताक्षर किया है।

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