- करीब 25 हजार से 30 हजार किसानों को फायदे मिलने की उम्मीद

इस अवसर पर श्रीमती बादल ने कहा कि यह मेगा फूड पार्क 51.50 एकड़ क्षेत्र में बना है और इस पर निर्माण परियोजना लागत 114.73 करोड़ रुपए आई है। इस पार्क में बहु-स्तरीय शीत भंडारण, शुष्क माल गोदाम, सब्जियों के डिहाइड्रेशन लाइन, आधुनिक गुणवत्ता नियंत्रण और परीक्षण प्रयोगशाला सहित फलों और सब्जियों की प्रसंस्करण जैसी दूसरी सुविधाएं मौजूद रहेंगी। मंत्री महोदया ने विश्वास व्यक्त किया कि इस मेगा फूड पार्क परियोजना में आधुनिक बुनियादी सुविधाएं मौजूद रहेंगी जिसमें बागवानी और गैर-बागवानी उत्पादों को सड़ने से बचाने की हर सुविधा है। इस परियोजना से किसानों को अपने उत्पादों की बेहतर कीमत तो मिलेगी ही, उनके उत्पाद कम-से-कम खराब होंगे। इसके अलावा, कृषिगत उत्पादों और उद्यमशीलता के व्यापक अवसर पैदा होने से राज्य के युवाओं को रोजगार मिलेगा।
इस अवसर पर झारखंड के मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और रांची से लोकसभा सांसद श्री राम टहल चौधरी भी उपस्थित थे।
इस मेगा फूड पार्क से उम्मीद है कि इससे करीब 6 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार मुहैया होगा और आसपास के करीब 25 से 30 हजार किसान भी इससे लाभांवित होंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशन में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पर अच्छा-खासा जोर है, जिससे मेक इन इंडिया पहल को गति दी जा सके। साथ ही आधुनिक बुनियादी सुविधाएं निर्मित कर इस क्षेत्र को नई पहचान के अलावा निजी निवेश को बढ़ावा दिया जा सके।
पिछले सप्ताह 253 गांवों में बिजली पहुंचाई गई

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था कि भारत सरकार ने 1000 दिनों यानी 01 मई, 2018 तक देश के उन सभी 18,452 गांवों में बिजली पहुंचाने का फैसला किया है, जो अभी तक इससे वंचित हैं। इस परियोजना का काम मिशन मोड के तहत शुरू किया गया है और विद्युतीकरण प्रक्रिया की रणनीति के तहत लागू करने की अवधि घटा कर 12 महीने कर दी गई है। निगरानी की दृष्टि से विद्युतीकरण प्रक्रिया की समयवाधि को 12 मील के पत्थर में विभाजित कर दिया गया है।
वर्ष 2015-16 के दौरान अब तक 5279 गांवों तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है। बचे 13,173 गांवों में से 9228 गांवों तक ग्रिड के जरिये बिजली पहुंचाई जानी है। 3398 गांवों में बिजली बगैर ग्रिड के पहुंचाई जाएगी क्योंकि यहां भौगोलिक अड़चनों की वजह से ग्रिड सॉल्यूशन तक पहुंच नहीं है। 547 गांवों में राज्य सरकार खुद बिजली पहुंचाएगी। अप्रैल, 2015 से लेकर 14 अगस्त, 2015 तक 1654 गांवों में बिजली पहुंचाई गई। सरकार की ओर से इस काम को मिशन मोड में शुरू करने के बाद 15 अगस्त, 2015 से लेकर 14 फरवरी तक 3625 अतिरिक्त गांवों में बिजली पहुंचाई गई। इस दिशा में रफ्तार तेज करने लिए ग्राम विद्युत अभियंता (जीवीए) के जरिये नजदीकी निगरानी की जा रही है। इसके अलावा नियमित रूप से आरपीएम मीटिंग के दौरान इस दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की जा रही है। साथ ही राज्य डिस्कॉम की ओर से जिन गांवों के विद्युतीकरण की प्रक्रिया चल रही है, उनकी सूची साझा की जा रही है। इसके अलावा उन गांवों की पहचान की जा रही है जहां मील के पत्थर प्रगति की रफ्तार धीमी है।
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