संक्षिप्त खबर
नई दिल्ली : राज्य अल्पसंख्यक आयोगों का एक दिवसीय वार्षिक सम्मेलन, 2016 समाप्त हो गया। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामले की मंत्री डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि लोगों को संस्कृति एकसाथ जोड़ती है, धर्म नहीं। केंद्र सरकार के ध्येय “सबका साथ, सबका विकास” के साथ समावेशी विकास के फोकस पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि एक संघीय प्रणाली में केंद्र योजना बना सकता है, लेकिन उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्यों पर है। उन्होंने विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए सम्मेलन से तरीके ढूंढने की अपील की। डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने भागीदारों से एक अधिक जिम्मेदार, सतर्क एवं एक ऐसी प्रणाली का ईजाद करने की भावना विकसित करने की अपील की, जिसमें राज्य और केंद्र आपस में प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि एक दूसरे को सहयोग करें। उन्होंने कहा कि मंत्रालय शिक्षा एवं कौशल विकास के माध्यम से अल्पसंख्यकों को अधिकार संपन्न बनाने पर फोकस कर रहा है और उन्होंने इस प्रयास के लिए लोगों से सहयोग की अपील की।
डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि हज अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय को हस्तांतरित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस बारे में सिद्धांत रूप से निर्णय ले लिया गया है और इसके क्रियान्वयन के लिए तौर तरीकों पर काम किया जा रहा है।
सरकारी विभागों के भर्ती नियमों में संशोधन हो : रूडी
नई दिल्ली : कुशल कर्मचारियों के लिए अधिकतम अवसर सृजित करने पर केन्द्रित ध्यान के अनुरूप केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री राजीव प्रताप रूडी ने सभी मंत्रालयों और सरकारी विभागों से व्यापार संबंधी विशेष पदों पर नियुक्ति के लिए चलाये जा रहे अपने भर्ती अभियानों में अस्पष्टता कम करने और इस तरह के पदों के लिए पात्रता मानदंड के रूप में एमएसडीई की प्रशिक्षुता (अप्रेन्टिसशिप) प्रशिक्षण योजना (एटीएस) के तहत प्रदान किये जा रहे राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रमाणपत्र (एनएसी) को मान्यता देने का आग्रह किया है। श्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि यह जरूरी है कि सभी को समान अवसर मिले, ताकि समस्त संगठनों में कुशल कर्मचारियों की भर्ती हो सके। इस कदम से एनएसी प्राप्त करने वालों को समान अवसर मिलना सुनिश्चित हो सकेगा जो उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
एमएसडीई के सचिव श्री रोहित नंदन ने कहा कि सरकार ने डीजीटी के तहत व्यापक सुधार लागू किये हैं और यह प्रमाणित कर्मचारियों को समस्त क्षेत्रों (सेक्टर) में उपलब्ध अवसरों से जोड़ने की एक और पहल है। यह देखा गया है कि एनटीसी की तुलना में अधिक योग्यता होने के बावजूद एनएसी अभ्यर्थियों के नामों पर विचार नहीं किया जाता है। इससे सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर प्रदान करना सुनिश्चित हो सकेगा।
ज्ञात हो कि एमएसडीई के अधीनस्थ प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) अपनी प्रमुख प्रशिक्षुता (अप्रेन्टिसशिप) प्रशिक्षण योजना (एटीएस) के तहत कार्यरत 28,500 प्रतिष्ठानों के जरिये 259 नामित काम-धंधों में अभ्यर्थियों को रोजगार के दौरान प्रशिक्षण प्रदान करता है।
बाघों के संरक्षण पर तीसरा एशिया मंत्रीस्तरीय सम्मेलन अप्रैल में
नई दिल्ली : बाघों के संरक्षण पर होने वाले तीसरे तीन दिवसीय एशिया मंत्री स्तरीय सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 12 अप्रैल, 2016 को करेंगे। सम्मेलन की प्रस्तावना के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव और विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव के अलावा भूटान, मलेशिया, इंडोनेशिया और रूस (टीआरसीएस) चार टाइगर रेंज देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर श्री जावड़ेकर ने कहा कि पूरे विश्व में सिर्फ 13 देश ऐसे हैं, जिनके जंगलों में बाघ पाये जाते हैं। इन्हें बाघ वाले क्षेत्र कहलाने का गर्व प्राप्त है। उन्होंने आगे कहा कि तीसरे एशिया मंत्री स्तरीय सम्मेलन का आयोजन भारत के लिए गौरव के क्षण होंगे। सम्मेलन में सभी टीआरसीएस देश, बाघ जो शानदार प्रजाति होने के साथ भारत का राष्ट्रीय पशु है, के संरक्षण और इस ओर किये अपने उच्च प्रयासों और सफलता की कहानी कहेंगे।
बैठक में मौजूद प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए मंत्रालय के सचिव श्री अशोक लवासा ने बाघ संरक्षण और इससे जुड़े मूल्य के लिए होने वाले तीसरे एशिया मंत्री स्तरीय सम्मेलन की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। श्री लवासा ने भारत में बाघ संरक्षण, वन्य जीवन और जंगलों के प्रति भारत की चिंता को सबके सामने रखा।
पूर्व एशिया मंत्री स्तरीय सम्मेलन का प्रस्तुतिकरण और तीसरे एशिया मंत्री स्तरीय सम्मेलन को प्रदर्शित करने वाले प्रोजेक्ट टाइगर के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी-पीटी) और नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के सचिव सदस्य श्री बीएस बोनल ने इस अवसर पर प्रोजेक्ट टाइगर, एनटीसीए के योगदान के महत्व के साथ ही बाघ संरक्षण के क्षेत्र में भारत को मिली सफलता की जानकारी दी। इस बात पर भी चिंता जताई गई कि बाघों के संरक्षण में सबसे बड़ा खतरा इनका शिकार करना, मौजूदा बाजारों में बाघ की खाल और शरीर के विभिन्न अंगों का दूसरे देशों में भेजा जाना प्रमुख है। बाघों को बचाने के लिए टाइगर रेंज देशों के अलावा इस ओर कार्यरत गैर सरकारी तंत्रों को निरंतर प्रयास करने होंगे। उम्मीद जताई गई है कि आगामी सम्मेलन में वैश्विक स्तर पर बाघ संरक्षण की इच्छा को बल मिलने से भविष्य में इसके बेहतर परिणाम सामने आयेंगे। अपने धन्यवाद ज्ञापन में श्री जावड़ेकर ने अन्य देशों से आये प्रतिनिधियों, अध्यक्ष, एनटीसीए के साथ सभी टीआरसीएस को इस उपयोगी और महत्वपूर्ण सम्मेलन में उपस्थित रहने का अनुरोध किया।
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