COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014

पिछड़ेपन का दस्तावेज है उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत

राजीव मणि
पटना सदर में कुल बारह ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से छह पूर्वी पटना और छह पश्चिमी पटना में हैं। पश्चिमी पटना के छह पंचायतों में से एक है उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत। गंगा किनारे का क्षेत्र है यह। राजापुल से लेकर दीघा तक का बांध किनारे का इलाका।
इस ग्राम पंचायत की खास बात यह है कि पूरे पंचायत में दलित, महादलित, पिछड़ी जाति और कुछेक आदिवासी वर्ग के लोग रहते हैं। अधिकांश मजदूर वर्ग के हैं। गंगा नदी और बांध के बीच की जमीन काफी कम है। इस कारण से बस्ती काफी घनी है। गलियां तंग और गंदी!
इस ग्राम पंचायत का दर्द वर्षों पुराना है। जगह नहीं होने के कारण इस पंचायत क्षेत्र में ना तो कोई स्कूल है और ना ही काॅलेज। छात्र-छात्राएं दूसरी पंचायतों में पढ़ने जाने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं, यहां कोई स्वास्थ्य केन्द्र भी नहीं है। और हां, सामुदायिक भवन की कमी भी यहां खलती रही है। काली मंदिर के पास एक भवन बना जरूर, लेकिन कभी-कभी ही ग्राम पंचायत के कामों के लिए इस्तेमाल हो पाता है। आंगनबाड़ी केन्द्र किराये के मकान में चल रहा है।
इस पंचायत का दर्द तब और बढ़ जाता है, जब बरसाती नदी हो चुकी गंगा में लबालब पानी भर जाता है। पानी ऊपर तक आते ही सरकारी खर्च पर बांध के गेट को बंद कर दिया जाता है। और तब इस पंचायत क्षेत्र के लोग खुद को बाढ़ में फंसा महसूस करते हैं। अबतक कइयों के घर गंगा नदी में समा चुके हैं। कुछेक घर अब भी गिरे पड़े हैं।
यहां करीब चार हजार वोटर हैं। पिछड़ी जाति के 15 सौ, अति पिछड़ी जाति के दो हजार, आदिवासी 30, सामान्य 20 और शेष अन्य पिछड़ी जाति के लोग हैं।
इस पंचायत के पंचायत समिति सदस्य उमा शंकर आर्य हैं। उमा शंकर बताते हैं कि यहां समस्याओं की एक लंबी लिस्ट है। समाधान कुछ का ही हो पाता है। जमीन की कमी यहां काफी खलती है। लालू प्रसाद के समय में ही इंदिरा आवास योजना से काफी घर बनें। अब अधिकांश ढह रहे हैं। वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, लाल व पीले कार्ड के लाभान्वितों की संख्या अच्छी है। एपीएल, बीपीएल कार्ड धारक भी कई हैं। कइयों के कार्ड अभी बन रहे हैं।
गरीबी, अशिक्षा और बीमारी यहां साथ-साथ चलती है। महादलित वर्ग से सुरता, आसू, प्रहलाज, रामजी, रावण और इसी तरह के सैकड़ों नाम हैं, जो अभी बीमार हैं। आर्थिक तंगी के कारण इनका ईलाज नहीं हो पा रहा है। साथ ही राजेन्द्र, संजय, सुनिल, मुन्ना, भुवेश्वर, रामानन्द, विलट, अर्जुन सहित कइयों के घर ढहने लगे हैं।
सुधीर सिंह यहां के मुखिया हैं। लोगों की शिकायत है कि मुखिया क्षेत्र में नहीं आते। बुद्धू रविदास चमरटोली में रहते हैं। चापाकल दिखाते हुए कहते हैं कि काफी समय से यह खराब पड़ा है। इस वजह से पानी दूर से लाना पड़ता है। यहीं लोगों ने अपने पैसे से दूसरा चापाकल लगा रखा है। इससे भी गंदा पानी आता है। साथ ही कई महतो परिवारों का कहना है कि इन्हें इंदिरा आवास नहीं मिला है।

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