COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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बुधवार, 6 अगस्त 2014

सिसिल साह के प्रयास से चर्च को मिला ऐतिहासिक व पर्यटक स्थल का दर्जा

संक्षिप्त खबर
पटना सिटी : पटना सिटी में एक बड़ा चर्च है। यहां 1620 में मां मरियम की मूर्ति की स्थापना की गयी थी। आज इस चर्च को धार्मिक स्थल के साथ ऐतिहासिक एवं पर्यटक स्थल के रूप में पहचान मिल चुकी है। पटना सिटी पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर जेरोम अब्राहम कापुचिन धर्मसमाज के हैं। इस धर्म समाज के पुरोहित खुद ही प्रभु येसु ख्रीस्त के घर की साफ-सफाई करते हैं। पल्ली पुरोहित होने के बावजूद वे झाड़ू लगाते हैं। इनके कार्यकाल में 394 साल पुराने इस महागिरजाघर में सुधार हुआ। धार्मिक भ्रमण के दौरान जेरूसलेम से पवित्र जल, जेरूसलेम की मिट्टी, असीसी का पानी, रोम के पत्थर, असीसी की मिट्टी, असीसी के कैंडल और पटना महाधर्मप्रांत के प्रथम धर्माध्यक्ष हार्टमन की लकड़ी को व्यवस्थित ढंग से चर्च में रखा गया है। पर्यटक आकर श्रद्धा से इन्हें देखते हैं। यहां पवित्र घंटा है, जिसे बजाया जाता है। 
पल्ली पुरोहित फादर जेरोम अब्राहम बताते हैं कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में चर्च को पर्यटक स्थल का दर्जा मिला। इसका श्रेय बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के समन्वयक सिसिल साह को जाता है। उन्होंने लगातार यूपीए सरकार के केन्द्रीय मंत्रियों को इस संबंध में पत्र लिखा। अंततः इस महागिरजाघर को एक धार्मिक स्थल के साथ ऐतिहासिक एवं पर्यटक स्थल घोषित कर दिया गया। 
फादर जेरोम अब्राहम ने कहा कि सूबे के चर्चों में यह इकलौता चर्च है, जो शानदार ढंग से बना है। अभी हाल में मां मरियम का ग्रोटो निर्माण किया गया है। चर्च के मुख्य द्वार को आकर्षक ढंग से बनाया गया है। इन सब कार्यों में पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विलियम डिसूजा का सहयोग प्राप्त हो रहा है। इसके अलावा पल्ली के लोगों का योगदान भी मिला है।

महादलितों की जमीन पर दबंगों का कब्जा

पटना : वर्ष 1986-87 में 42 और 1987-88 में 17 आवासीय भूमिहीनों को जमीन की बंदोबस्ती पर्चा मिली। इस तरह कुल 59 लोगों में बिन्द जाति के 40, दुसाध जाति के 2, मुसहर जाति के 16 और विजय धान के एक हैं। इनमें से कुछ लोग जमीन मिलने पर कब्जा जमा पाने में सफल रहे। कुछ को दबंगों ने जमीन पर से खदेड़ दिया। इसमें महादलित मुसहर समुदाय के लोग हैं। सभी 26-27 सालों से भटक रहे हैं। 
सभी ने जून, 2014 को अनुमंडलाधिकारी कार्यालय, दानापुर के जनता दरबार में फरियाद किया। इनको सरकार से 0.02 डिसमिल गैरमजरूआ जमीन की बन्दोबस्ती की गयी थी। यह जमीन पटना जिले के दानापुर अंचल के जलालपुर ग्राम में स्थित है। गैरमजरूआ जमीन बन्दोबस्ती केस न0 13, वर्ष 1987-88 के अधीन है। इन्हें जिला कार्यालय, पटना के राजस्व शाखा के द्वारा औपबंधिक परवाना दिया गया है। महादलित मुसहर और बिन्द समुदाय के लोगों ने निर्गत परवाना के आलोक में ग्राम जलालपुर, थाना न0 22, खाता न0 149, खेसरा न0 274, 291 और एराजी 0.02 डिसमिल जमीन पर जाकर कब्जा करना चाहा। कुछ बसे और कुछ बस नहीं सके। 
यह जमीन रूपसपुर थानान्तर्गत अभिमन्यु नगर में है। यहां महादलित दिन में झोपड़ी बनाकर चले गए और रात में जलालपुर के दबंगों ने झोपड़ी में आग लगा दी। दबंग खुलेआम धमकी देने लगे। आतंकित होकर महादलित भाग गए। ये आज भी सहमे और डरे हुए हैं। इसी संदर्भ में दानापुर प्रखंड के अंचलाधिकारी सीओ कुमार कुंदन लाल को फरवरी, 2013 में एक स्मार पत्र सौंपा गया। सीओ साहब अभिमन्यु नगर आए। आश्वासन दिया, लेकिन हुआ उलटा। दबंगों ने अपने मकान के आगे बढ़ा-चढ़ाकर चहारदीवारी खड़ी कर ली। रास्ता भी बना लिया। कुछ इसी जमीन पर खेती कर रहे हैं। 

इन्दिरा आवास योजना में बंदरबांट

भोजपुर : संदेश प्रखंड के जमुआंव पंचायत के कुसरे गांव की दक्षिण तरफ रहते हैं दुलारचंद मुसहर। महादलित दुलारचंद की झोपड़ी में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 26 लोग रहते हैं। इनको बीपीएल सूची में 9 अंक प्राप्त है। इनसे अधिक अंक वालों को इन्दिरा आवास योजना की राशि मिल चुकी है और वे मकान बनाकर रह रहे हैं। 2011 में इन्दिरा आवास योजना की राशि स्वीकृत की गयी थी। वहीं दुलारचंद के मामले में 3 साल के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है।
दुलारचंद ने बताया कि हमारा इन्दिरा आवास पास था। खाता भी खुला था। जब पैसा निकालने बैंक गए तो बैंक मैनेजर, संदेश ने बताया कि पैसा नहीं आया है। प्रभावित मुसहर का आरोप है कि पंचायत समिति के सदस्य जितेन्द्र और पंचायत के मुखिया के कारण यह सब हो रहा है। दोनों के हाथ होने के कारण संदेश प्रखंड के बीडीओ असहाय दिख रहे हैं। यहां रिश्वत का बोलबाला पंचायत से प्रखंड तक है। दुलारचंद ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से आग्रह किया है कि वे भोजपुर जिले के जिलाधिकारी को आदेश निर्गतकर स्वीकृति राशि दिलवाने में उसकी मदद करें। 
वहीं संदेश प्रखंड के डिहरा पंचायत के धर्मपुर गांव में तुलसी मुसहर रहते हैं। तुलसी कहते हैं कि हमलोगों को अगस्त, 2011 में इन्दिरा आवास योजना की राशि 45 हजार रू. स्वीकृत हुई थी। इसमें 30 हजार रू. दिए गए, 15 हजार रू. नहीं मिले। उस समय यह कहा गया कि मकान के लिन्टर तक बन जाने के बाद शेष 15  हजार रू. मिलेंगे। घर के पाटन के बाद भी यह रकम नहीं मिली। यह भी महादलितों से कहा गया कि शौचालय का निर्माण भी करवाना होगा। इतने कम पैसे में यह कैसे बन पायेगा। यही समस्या दुखित मुसहर, नमी मुसहर, गणेश मुसहर, पियासी मुसहर, राधे मुसहर, संतोष मुसहर की भी है।

दो दिवसीय कैडर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

गया : पिछले दिनों पैक्स के सहयोग से प्रगति ग्रामीण विकास समिति ने 16 प्रखंडों में दो दिवसीय कैडर प्रशिक्षण शिविर का आयोजित किया। शिविर में कुल 899 कैडरों ने हिस्सा लिया, इसमें अधिकांश महिलाएं थीं। इस अवसर पर भूमि अधिकार, स्वास्थ्य, मनरेगा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, जननी सुरक्षा योजना आदि पर विस्तार से चर्चा की गयी। 
शिविर में वक्ताओं ने कहा कि भूमि के बिना मनुष्य का मान-सम्मान और पहचान नहीं है। भूमि का रहना अनिवार्य है। बिहार में भूमि को विभिन्न श्रेणी में रखा गया है। भूदान भूमि, गैर मजरूआ भूमि, आम गैर मजरूआ भूमि, मालिक गैर मजरूआ भूमि, मठ-मंदिर की भूमि, चरागाह भूमि, चिरारी की भूमि, बेचिरागी भूमि, सैरात की भूमि, भू हदबंदी भूमि, रैयती भूमि, वन भूमि, आवासीय भूमि, श्मशान भूमि, खेल भूमि, लगानी और बेलगानी भूमि आदि। इन सब भूमि पर अनेक समस्याएं हैं। सरकार द्वारा वितरित भूमि पर वाजिब लोगों का कब्जा नहीं है। काबिज भूमि पर पट्टा नहीं, दाखिल खारिज नहीं, अनेक के नाम से परवाना वितरण, वासगीत भूमि का पर्चा नहीं होना जैसी कई समस्याएं हैं। साथ ही, वासभूमि पर अन्य का स्वामित्व होना। 
इस अवसर पर मनरेगा से संबंधित जानकारी दी गयी। जैसे, मनरेगा में काम पाने का हक किसे है? एक वर्ष में मनरेगा श्रमिकों को कितने दिनों का रोजगार मिलेगा? श्रमिकों को काम कैसे मिलेगा? काम किधर उपलब्ध कराया जाएगा? बेरोजगारी भत्ता किसको और कब मिलेगा? बेरोजगारी भत्ता कितना मिलता है? एक बार में मनरेगा के तहत कितने दिनों का काम मांगा जा सकता है? मजदूरी कितनों दिनों के अंदर मिलनी है? काम के लिए आवेदन किसको देना है? कार्य स्थल पर श्रमिकों को क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती हैं? साथ ही, मनरेगा पर दलीय चर्चा की गयी। 
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, संस्थागत प्रसव, जननी सुरक्षा योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, कबीर अंत्येष्ठि योजना, मुख्यमंत्री परिवार लाभ योजना, खाद्य सुरक्षा अधिनियम, आंगनबाड़ी केन्द्र, शिक्षा का अधिकार, मध्याह्न भोजन, असंगठित मजदूरों का बीमा योजना, सूचना का अधिकार, घरेलू हिंसा आदि पर भी जानकारी दी गयी। शिविर में नालंदा जिला समन्वयक चन्द्रशेखर, दरभंगा जिला समन्वयक बीके सिंह, जहानाबाद जिला समन्वयक नागेन्द्र कुमार, कटिहार जिला समन्वयक बाबूलाल चैहान, गया जिला समन्वयक अनिल पासवान, अररिया जिला समन्वयक विजय गौरेया, भोजपुर जिला समन्वयक सिंधु सिन्हा और बांका जिला समन्वयक वीणा हेम्ब्रम ने संयुक्त रूप से कहा कि प्रशिक्षण शिविर में आए कैडरों को जन अधिकार और जन आवाज बुलंद करने की जानकारी दी गयी। 

महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास

मधेपुरा : महिला सशक्तिकरण की दिशा में मधेपुरा में जोरदार प्रयास हो रहा है। जिले के सिहेश्वर, शंकरपुर, गम्हरिया, मुरलीगंज, कुमारखंड, मधेपुरा और ग्वालपाड़ा प्रखंड के दलित, महादलित और पिछड़ी जाति के गांवों में सहयोगिनी और सहेली नामक कार्यकर्ताओं के द्वारा कार्य किया जा रहा है। 
महिला समाख्या, केन्द्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम है। इसके द्वारा सहयोगनी कार्यकर्ता को बहाल किया गया है। इन्हें 3 हजार रू. मानदेय दिये जाते हैं। प्रखंड के 10 गांवों में कार्य इन्हें करना है। 25 सहयोगिनी कार्यकर्ताओं को बहाल किया गया है। इनको गांव घर में महिला समूह का गठन करना है। स्वयं सहायता बचत समूह बनाना है। स्वास्थ्य, शिक्षा, सरकारी योजनाओं की जानकारी और उनका लाभ दिलवाना है। 
महिला सशक्तिकरण के तहत मधेपुरा में 30 जगजगी केन्द्र खोले गये हैं। जगजगी केन्द्र को संचालित करने के लिए सहेली कार्यकर्ताओं को बहाल किया गया है। इन्हें डेढ़ हजार रू. मानदेय मिलते हैं। एक केन्द्र में  13-14 साल की 20 किशोरियों और 20 ही महिलाओं को साक्षर किया जाता है। मात्र 4 घंटे में किशोरियों और महिलाओं को गीत, नुक्कड़ नाटक, नारा आदि के माध्यम से जागरूक किया जाता है। इनको भी पढ़ना-लिखना, स्वास्थ्य, सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है।

पेट की खातिर 75 की उम्र में भी करता है काम

पटना : दीघा पोस्ट ऑफिस के सामने जूता-चप्पल बनाते हैं तेजस्वी राम। पिछले 7 सालों से एक पीपल के पेड़ के नीचे ये यह काम करते हैं। तेजस्वी बताते हैं कि जब वे 7 साल के थे, तबसे जूता-चप्पल बनाते हैं। आज तेजस्वी की उम्र करीब 75 साल है। इनके चार बच्चे हैं। एक बीए पास है। नौकरी की तलाश में भटक रहा है। 
तेजस्वी कहते हैं कि इस पेड़ के नीचे ही सारा दिन काम करता हूं। यहीं घर से खाना आ जाता है। जब नींद आती है, सो जाता हूं। नींद खुलते ही काम करने लगता हूं। तेजस्वी कहते हैं कि पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत की मुखिया ने इंदिरा गांधी सामाजिक सुरक्षा पेंशन दी है। यह हर महीने मिलना चाहिए, मगर तीन माह में मिलता है। साथ ही यह राशि बहुत कम है।

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