COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शनिवार, 2 अगस्त 2014

मुसहर समुदाय में 98 फीसदी महिलाएं अशिक्षित : सहदेव

न्यूज@ई-मेल
आलोक कुमार
गया : बिहार सरकार के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा महादलित के रूप में इनकी पहचान की गई। इसके तहत बंतार, बौरी, भोगता, भुईया या भूमजीज, चैपाल, धोबी, डोम या धनगर, घासी, हलालखोर, हरि, मेहतर या भंगी, कंजर, कुरियर, लालबेगी, डबगर, मुसहर, नट, पान या सवासी, पासी, रजवार, तुरी और चमार जाति के लोगों को मिलाकर 21 और पासवान को मिलाकर 22 जातियां हंै। आकड़ों में अंतर होने के बाद भी मुसहरों की आबादी सूबे में 60 लाख है। 
महादलित आयोग के उदय मांझी कहते हैं कि सरकार ने 2012 में टोला सेवकों का सेवाकाल समाप्त कर दिया था। पंचायत में विकास मित्र और टोला सेवक हैं, जो सरकार और जनता के बीच सेतु का कार्य करते हैं। विकास मित्र का काम लाभकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देकर अधिकाधिक लाभ वंचित समुदायों को दिलवाना और टोला सेवकों का कार्य शिक्षा का अलख जगाना है। विकास मित्र और टोला सेवक को 5 हजार रूपए मानदेय दिये जाते हैं। अन्य सरकारी सेवकों की तरह इनकी अवकाश की सीमा 60 साल करने की मांग हो रही है। उदय मांझी कहते हैं कि वंचित समुदाय के लोग समस्याओं को लेकर आते ही नहीं है और न ही आवेदन देते हैं।
गया के सहदेव मंडल कहते हैं कि मुसहर समुदाय की स्थिति दयनीय है। इस मुसहर समुदाय के 98 प्रतिशत महिलाएं तथा 90 प्रतिशत पुरूष आज भी अशिक्षित हैं। राज्य ही नहीं, देश भर में अपवाद स्वरूप डॉक्टर, जज, वकील, इंजीनियर, आईएएस पदाधिकारी तथा पीएचडी मिल पाते हैं। 

ऐसे सरकारी वायदों का क्या

पटना : काफी समय के बाद अल्पसंख्यक विद्यालय की श्रेणी में हार्टमन बालिका उच्च विद्यालय, कुर्जी को शामिल किया गया। वहीं पटना वीमेंस काॅलेज महाविद्यालय का दर्जा पाने को छटपटा रहा है। नीतीश की सरकार ने पटना वीमेंस काॅलेज को महाविद्यालय का दर्जा दिलवाने का वादा किया था। यह आजतक पूरा नहीं हो सका। अब तो इसपर किसी तरह की चर्चा तक नहीं होती। लोकसभा चुनाव के पूर्व भी पटना वीमेंस काॅलेज को महाविद्यालय बनाने का वादा किया गया था। तब वादा कर अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय से वोट भी लिये गये थे। आज सूबे में जीतन राम मांझी की सरकार है। लोगों को उनसे काफी उम्मीदें हैं। 
पटना वीमेंस काॅलेज की प्राचार्य सिस्टर डोरिस डिसूजा ने बताया कि बिहार सरकार खुद महाविद्यालय बनाने का ऐलान करती है। लंबे-चैड़े भाषण में सीएम महाविद्यालय का प्रथम उप कुलपति बनाने की इच्छा जाहिर करते हैं। उसके बाद मामला अटक जाता है। ऐसा एक बार नहीं, तीन बार हो चुका है।

पानी के अभाव में सरकारी स्कूल में खिचड़ी बंद

पटना : दीघा थाना के बगल में नहर है। और इसके ठीक किनारे बसा है रामजीचक मुसहरी। पहले यहां पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण मुसहरों को काफी दूर से पानी लाना पड़ता था। सरकार द्वारा किसी तरह की मदद नहीं मिलने पर लोगों ने चंदा कर चापाकल लगवा लिया। लेकिन, इन मुसहरों की किस्मत भी दगा दे गयी। आजकल चापाकल से गंदा पानी आ रहा है। गंदे पानी से थोड़े राहत के लिए लोग बाल्टी में पानी भड़कर उसे एक घंटे तक छोड़ देते हैं। ऐसा करने पर पानी के नीचले सतह पर मिट्टी जम जाती है। फिर इस पानी को मुसहर कपड़े से छान लेते हैं। तब इस पानी को पीने के काम में लाते हैं। 
इसी नहर के किनारे एक सरकारी स्कूल है। यहां का चापाकल भी खराब पड़ा है। इसका असर विद्यालय के दोपहरिया भोजन पर पड़ रहा है। यहां पांच महीने से बच्चों को भोजन नहीं दिया जा रहा है। लोगों का कहना है कि अगर बच्चों को भोजन नहीं दिया जा रहा है तो अनाज ही दे दिया जाना चाहिए। लोगों का आरोप है कि इस संबंध में महिलाएं जब आवाज बुलंद करती हैं, तो स्कूल के टीचर सीधे थाना पहुंच जाते हैं। दीघा थाना की पुलिस टीचर के ही पक्ष में बोलकर मामला को दबा देती है। लोगों की मांग है कि इसकी जांच होनी चाहिए ताकि महादलितों के बच्चों एवं अभिभावकों के साथ न्याय हो सके।

तलाक किसी समस्या का समाधान नहीं : पल्ली पुरोहित

पटना सिटी : ईसाई धर्मरीति के अनुसार प्रशांत और स्मृति की शादी पिछले दिनों हो गयी। फादर जेरोम अब्राहम ने शादी की रस्म की आदायगी की। इस अवसर पर पटना सिटी पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर जेराम अब्राहम ने कहा कि यह चर्च महागिरजाघर है। 1620 में इसकी स्थापित हुई थी। आज यह धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पर्यटक स्थल बन चुका है। 
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शादी का बंधन आजीवन का होता है। यह गुड्डा-गुड्डी का खेल नहीं है। जो पवित्र बंधन में बंध जाता है, उसे कोई तोड़ नहीं सकता। उन्होंने कहा कि लोगांे को तलाक के चक्कर में नहीं फंसना चाहिए। अगर कोई इंसान किसी के उकसाने पर ऐसा करता है, तो उसे जीवन भर पश्ताना पड़ता है। उन्होंने आह्वान किया कि आपलोग पारिवारिक विघटन को टालने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि ईसाई धर्म के अनुसार विवाह का मतलब प्रेम और सेवा करना है। लोग आपस में मेलमिलाप कर रहें। यहां छोटा और बड़ा होने का सवाल ही नहीं है। अगर मेलमिलाप में परेशानी आ रही हो तो पल्ली पुरोहित से संपर्क कर लें। आपका परिवार टूटने से बच जायेगा।

विस्थापित लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था नहीं

पटना : पूर्व मध्य रेलवे परियोजना के तहत गंगा नदी पर रेल सह सड़क सेतु निर्माणाधीन है। लेकिन, इसके निर्माण में झुग्गी-झोपड़ी बाधा बन रही है। कई बार अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया जा चुका है। इसके बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ। इससे निजात पाने के लिए रेलवे ने पाटलिपुत्र स्टेशन से बेलीरोड ऊपरी पुल तक चहारदीवारी खड़ा कर दी। जेसीबी मशीन से झोपड़ी धराशाही कर दी गयी। यह सब पाटलिपुत्र स्टेशन को चालू कराने के लिए किया गया। ज्ञात हो कि अबतक कई बार पाटलिपुत्र स्टेशन की उद्घाटन तिथि बढ़ायी जा चुकी है। 
लोगों का कहना है कि हमलोगों ने पटना उच्च न्यायालय में लोकहित याचिका दायर कर विस्थापन के पूर्व पुनर्वास की मांग की थी। माननीय न्यायालय ने 6 माह के अंदर सरकार को पुनर्वास करा देने का आदेश दिया था। लेकिन, नौकरशाहों ने माननीय न्यायालय के आदेश को अनदेखा कर दिया। इसी बीच लोकहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता की मृत्यु हो गयी। आज भी लोगों की मांग सिर्फ पुनर्वास की है। लोग नहर किनारे रह रहे थे। दीघा से लेकर खगौल तक नहर के किनारे रहने वाले लोगों को हटा दिया गया। लोगों का आरोप है कि झोपड़ी उजाड़ने से पहले किसी तरह की सूचना नहीं दी गयी।
ज्ञात हो कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दीघा बिन्द टोली के लोगों को जमीन बंदोबस्त कर बसाने का निर्णय लिया था, जिसपर अबतक अमल नहीं किया गया है। लोगों की मांग है कि सरकार को इसपर गंभीरता से निर्णय लेना चाहिए।

मनरेगा के घायल श्रमिकों को कोई लाभ नहीं

गया : मगध प्रमंडल में मनरेगा का काम किस तरह चल रहा है, इस घटना से इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। मामला गया जिले के मानपुर निवासी फेकू मांझी और जहानाबाद सदर निवासी शिवलाल मांझी का है। दोनों मनरेगा में कार्य करने के दरम्यान घायल हो गए। इनका प्राथमिक उपचार नहीं कराया गया और न ही मुआवजा दिया गया। दोनों अपने हाल पर हैं।
केस एक : गया जिले के मानपुर के लखनपुर पंचायत के ग्राम रसलपुर में स्व. बुद्धू मांझी के पुत्र फेकू मांझी रहते हैं। मनरेगा में वन पोषक का कार्य करते थे। जानवर को खदेड़ने के क्रम में वे घायल हो गए। तब उनके परिजन फेकू को उठाकर अबगिल्ला, जगदीशपुर ले गए। वहां हड्डी रोग विशेषज्ञ डाॅ. मोहम्मद एजाज ने अप्रैल, 2013 को बायें पैर में प्लास्टर चढ़ा दिया। 47 दिनों के बाद मई, 2013 को प्लास्टर हटा देने के बाद फेकू चलने लगे। इलाज का सारा खर्च उनके परिजनों ने ही उठाया। इस बीच जाॅब कार्डधारी फेकू मांझी ने कार्यक्रम पदाधिकारी, मानपुर को आवेदन देकर कहा कि चार माह से मजदूरी नहीं दी जा रही है। मनरेगा श्रमिक फेकू की मजदूरी सीधे बैंक आॅफ बड़ौदा के अकाउंटस में भेज दी जाती थी, जो चार माह से नहीं मिली है। यह जानकारी गैर सरकारी संस्था कदम की जयमणि कुमारी ने दी है।
केस दो : जहानाबाद सदर के सेवनन ग्राम पंचायत के सेवनन मुसहरी में स्व. जगलाल मांझी के पुत्र शिवलाल मांझी रहते हैं। इनका जाॅब कार्ड नम्बर 9749 है। यह मई, 2008 में जारी किया गया है। दहारूचक में कार्य करने शिवलाल मांझी गए थे। दहारूचक से पतरीया तक पईन उड़ाही का कार्य चल रहा था। कुछ साल पहले ही दोनों आंखों का मोतियाबिन्द का आॅपरेशन करवाया था। शिवलाल मिट्टी की टोकरी को दूसरे के सिर पर रख ही रहे थे कि एक मिट्टी का टुकड़ा आंख पर जाकर लग गया। बायीं आंख पर मिट्टी का टुकरा गिरते ही वे बेहाल हो गए। परेशान शिवलाल घर आ गये। उसे मजदूरी भी नहीं मिली। जून में जिलाधिकारी के जनता दरबार में मामला दर्ज करवाया था। यह जानकारी गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के नागेन्द्र कुमार ने दी है।

मुसहरों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए

गया : राष्ट्रीय मुसहर-भुइया विकास परिषद के संयोजक उमेश मांझी और सचिव अजय मांझी ने कहा है कि बिहार में मुसहर समुदाय की 40 लाख और देशभर में 66 लाख की आबादी है। हमलोगों की स्थिति बद से बदतर है। मात्र वोट बैंक समझकर हमें व्यवहार किया गया। हालांकि केन्द्र और राज्य सरकार ने योजनाएं बना रखी हैं। लेकिन योजनाओं का लाभ मुसहर समुदाय को नहीं मिला। अगर लाभ मिला भी, तो ‘दलाल’ सेंधमारी करने लगे। महादलितों में इंदिरा आवास योजना अधूरा ही रह गया। शौचालय निर्माण करने वाले सही ढंग से शौचालय बनाए ही नहीं। हमलोग बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। इस आलोक में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलित आयोग बनाया। यह सोचकर कि समाज के किनारे रह जाने वालों का विकास करेंगे। वह भी राजनीति की बलिवेदी पर चढ़ गया। 
उमेश मांझी ने आगे कहा कि हमलोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को स्मार पत्र देकर मांग किया कि अगर सच में आप मुसहर समुदाय का कल्याण और विकास करना चाहते हैं, तो आप अनुसूचित जाति की श्रेणी से निकालकर मुसहर समुदाय को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल कर लें। मगर स्मार पत्र की मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब बिहार की राजनीति में नेतृत्व परिवर्तन हो चुका है। हमलोग चाहेंगे कि बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी मुसहर समुदाय की मांग को पूरा करें।

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