COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna
COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

शनिवार, 18 जून 2016

2017 तक 18452 गांवों में बिजली

 संक्षिप्त खबरें 
  • राज्यों के बिजली मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक गोवा में संपन्न 
  • उपभोक्ताओं की बिजली संबंधी शिकायतें दर्ज करने को नम्बर ‘1921’ शुरू

नई दिल्ली : केंद्रीय विद्युत, कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सभी राज्यों ने अपने यहां मार्च, 2019 तक या उससे पहले सभी को चैबीस घंटे बिजली मुहैया कराने का संकल्प व्यक्त किया है। यही नहीं, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों को छोड़ सभी राज्यों ने 31 दिसंबर, 2016 तक उन सभी बाकी गांवों में बिजली पहुंचाने का भी संकल्प व्यक्त किया है, जहां यह अभी उपलब्ध नहीं है। सभी राज्य इस कार्य के लिए अगले 30 दिनों में ठेके दे देंगे। राज्यों के विद्युत मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में इस आशय की घोषणा करते हुए गोयल ने कहा कि राज्यों ने 1 मई, 2017 तक एक मिशन के रूप में देश भर में फैले 18452 गांवों के सभी घरों में 100 प्रतिशत बिजली मुहैया कराने पर भी सहमति जता दी है। 
सम्मेलन में भाग लेने वाले राज्यों ने यह सुनिश्चित करने का भी संकल्प व्यक्त किया कि ‘उदय’ से जुड़े सहमति पत्र (एमओयू) में उल्लिखित परिचालनात्मक एवं वित्तीय लक्ष्यों का परिपालन कर दिया जाएगा। अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में सभी राज्यों ने अब से केवल स्मार्ट मीटर ही खरीदने का संकल्प व्यक्त किया है, जिनमें कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है और जो संचार सक्षम होते हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि केंद्रीय खरीद के परिणामस्वरूप इन स्मार्ट मीटरों की लागत को 60 फीसदी घटाकर 3223 रुपये के स्तर पर ला दिया गया है, जबकि पहले लागत 8000 रुपये बैठती थी। यही नहीं, देश भर में 25 करोड़ उपभोक्ताओं के लिए भविष्य में केवल ऐसे ही मीटर हासिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 
उन्होंने यह भी घोषणा की कि देश भर में उपभोक्ताओं की बिजली संबंधी शिकायतें दर्ज करने के लिए चार अंकों वाला नम्बर ‘1921’ शुरू किया गया है। दो दिवसीय बैठक के निष्कर्षों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों के दौरान हुए विचार-विमर्श सफल एवं सार्थक रहे और सभी ने सहकारी एवं सहयोगात्मक तरीके से गरीबों और किसानों की सेवा में काम किया, जो हमारे लोकतंत्र की ताकत को दर्शाता है। गोयल ने कहा कि इस बैठक से यह धारणा निराधार साबित हुई कि विभिन्न राजनीतिक हितों के कारण उद्देश्य में समानता सुनिश्चित नहीं की जा सकती। इस बैठक के दौरान पनबिजली नीति पर भी चर्चा हुई और अटकी पड़ी छोटी (25 मेगावाट या उससे कम) पनबिजली परियोजनाओं पर राज्यों के सहयोग से काम पुनः शुरू करने के तरीके ढूंढ़ने पर जोर दिया गया, ताकि पनबिजली क्षेत्र को नई गति प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक समिति गठित की गई है, जो 30 सितंबर, 2016 तक अपनी सिफारिशें पेश कर देगी। 

भारत अब भी पोलियो मुक्त देश

नई दिल्ली : भारत अभी भी पोलियो मुक्त देश बना हुआ है, क्योंकि देश से वाइल्ड पोलियो वायरस का उन्मूलन कर दिया गया है और इसका अंतिम मामला 13 जनवरी, 2011 को पाया गया था तथा 5 वर्ष से अधिक समय से वाइल्ड पोलियो वायरस के किसी भी नए मामले का पता नहीं चला है। 
मीडिया में कुछ रिपोर्टें आईं कि 5 वर्ष में पहली बार भारत में पोलियो वायरस (पी2 स्ट्रेन) पुनः पाया गया है, तथापि यह सही नहीं है, क्योंकि पाया गया पोलियो वायरस स्ट्रेन टीके से व्युत्पन्न पोलियो वायरस (वीडीपीवी) है, जिसे सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन के निकट सीवेज सैम्पल से एकत्र किया गया है, तथापि आसपास के क्षेत्रों में किसी भी बच्चे को वीडीपीवी से प्रभावित नहीं पाया गया है। देश में वाइल्ड पोलियो वायरस टाइप-2 का अंतिम मामला 17 वर्ष पूर्व 1999 में रिपोर्ट किया गया था। टीके से व्युत्पन्न पोलियो वायरस (वीपीडीवी) के पाए जाने से देश की पोलियो मुक्त स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा। यह सिर्फ देश की निगरानी प्रणाली की दृढ़ता और उसकी इच्छाशक्ति को दर्शाता है जो कि आसपास के वातावरण (सीवेज) में भी पोलियो वायरस के पाए जाने के प्रति सतर्क रहता है। टीके से व्युत्पन्न पोलियो वायरस, पोलियो वायरस के दुर्लभ स्ट्रेन हैं जो कि ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) में निहित स्ट्रेन से अनुवांशिक रूप से परिवर्तित हुए हैं। 
क्षेत्र में हाल में कराए गए नमूना सर्वेक्षण के अनुसार 94 बच्चों ने ओपीवी की कम-से-कम 3 खुराक प्राप्त की थीं। अतः संबंधित क्षेत्र में इसके हस्तांतरित होने की संभावना कम है। तथापि, पोलियो के खिलाफ एहतियाती उपाय के तौर पर हैदराबाद और रंगारेड्डी जिलों के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों को कवर करते हुए 20 जून से एक विशेष प्रतिरक्षण अभियान का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें इनएक्टिवेटिड पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) के जरिए पोलियो से लगभग 3,00,000 बच्चों को सुरक्षित किया जाएगा। विशेष प्रतिरक्षण अभियान यह सुनिश्चित करेगा कि उच्च जोखिम क्षेत्र में रहने वाले सभी बच्चों को पोलियो से सुरक्षा प्रदान की जाए। 

84.21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई 

नई दिल्ली : खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई पर आरंभिक रिपोर्ट आनी शुरू हो गई हैं। राज्यों से मिली रिपोर्टों के मुताबिक, 17 जून को कुल बुवाई क्षेत्र 84.21 लाख हेक्टेयर आंका गया, जबकि पिछले साल इस समय यह आंकड़ा 93.63 लाख हेक्टेयर था। यह जानकारी दी गई है कि 9.17 लाख हेक्टेयर में धान, 3.32 लाख हेक्टेयर में दलहन, 6.01 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाज, 1.88 लाख हेक्टेयर में तिलहन, 44.38 लाख हेक्टेयर में गन्ना और 12.25 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई व प्रतिरोपण हुआ है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें