संक्षिप्त खबर
नई दिल्ली : सड़क परिवहन और राजमार्ग एवं शिपिंग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में किसानों की खराब आर्थिक स्थिति के लिए पानी की भारी कमी और खेती एवं अन्य संबंधित गतिविधियों में नवाचार तथा विविधीकरण का अभाव मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। श्री गडकरी नई दिल्ली में ‘किसानों को कर्ज के जाल से मुक्तिदिलाना: भारत में नीतिगत सुधारों की चुनौतियां’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे।
श्री गडकरी ने कहा कि देश में सिंचाई से जुड़ा बुनियादी ढांचा निहायत ही अपर्याप्त है। वैसे तो उन्होंने सुस्त पड़े 89 एआईबीपी (त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम) और अन्य सिंचाई योजनाओं के लिए ज्यादा धनराशि दिए जाने का स्वागत किया, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर हम अपने पास उपलब्ध जल का संरक्षण एवं उपयोग करना सीख लें, तो काफी हद तक पानी की समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। इस संबंध में उन्होंने नदियों और धाराओं के तलछट को बनाए रखने के लिए मिट्टीरोधी बांधों (चेक डैम) का निर्माण करने की जरूरत पर विशेष बल दिया। उन्होंने राज्य सरकारों का आह्वान किया कि वे सिंचाई के लिए अपने धन आवंटन में वृद्धि करें और इसके साथ ही उन्होंने मध्य प्रदेश का उदाहरण दिया, जहां सिंचाई खर्च में की गई बढ़ोतरी की बदौलत उत्पादकता भी बढ़ गई है।
जल संरक्षण का उल्लेख करते हुए श्री गडकरी ने यह भी कहा कि गंगा नदी पर जल मार्ग विकास परियोजना और हाल ही में घोषित 111 अन्य राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास से जल सतह को ऊपर उठाने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने में काफी मदद मिलेगी।
मंत्री महोदय ने कृषि के विविधीकरण और कृषि आधारित उद्योगों जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन, बांस आधारित उद्योगों इत्यादि में नवाचार की आवश्यकता पर भी विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि अपशिष्ट सहित स्थानीय रूप से उपलब्ध उत्पादों का सबसे अच्छा उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अभिनव प्रौद्योगिकी लाने हेतु अनुसंधान से जुड़े प्रयास किए जाने चाहिए। इस संबंध में उन्होंने मानव बाल से अमीनो एसिड उर्वरकों और कृषि एवं नगर निगम के कचरे से दूसरी पीढ़ी के एथनॉल के उत्पादन का उदाहरण दिया। मंत्री ने बताया कि हरित राजमार्ग कार्यक्रम से भी गांवों में रहने वाले युवाओं के लिए रोजगार उत्पन्न होंगे और इसके साथ ही उनकी वित्तीय स्थिति सुधारने में भी मदद मिलेगी।
पोत ‘महादेई’ पोर्ट लुई, मारीशस की यात्रा पर
नई दिल्ली : भारतीय नौसेना का जहाज आईएनएसवी महादेई पहली सभी महिला चालक दलों को लेकर पोर्ट लुई, मॉरीशस पहुंचा। नौसेना के प्रसिद्ध नौकायन पोत महादेई अपने घरेलू बंदरगाह गोवा से 24 मई, 2016 को महिला चालक दलों के साथ पहली ऐतिहासिक खुले सागर की यात्रा पर रवाना हुआ था। लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी, जो एक नेवल आर्किटेक हैं, महादेई की पहली महिला कप्तान हैं। इस पोत के चालक दल में लेफ्टिनेंट पी स्वाति, लेफ्टिनेंट प्रतिभा जामवाल (एयर ट्रैफिक कंट्रोल विशेषज्ञ), लेफ्टिनेंट विजया देवी, सब- लेफ्टिनेंट पायल गुप्ता (दोनों शिक्षा अधिकारी) और लेफ्टिनेंट ऐश्वर्या (नेवल आर्किटेक) हैं।
इस जहाज ने 2100 नौटिकल माइल की समुद्री यात्रा दक्षिण-पश्चिम मानसून की मार झेलते 20 दिनों में पूरा किया गया था। इस समुद्री यात्रा का समय इस तरह तय किया गया था कि उन्हें 2017 में, जो विश्व भ्रमण करना है, उसके बारे में अच्छे ढंग से परिचित हो जायें। गोवा से मॉरीशस तक महादेई 35 केटीएस की रफ्तार से आती हवाओं का, 5 तक समुद्री राज्यों और 5 मीटर तक लहरों का उभार सहते हुए गोवा से मॉरीशस पहुंचा। इस यात्रा से प्रशिक्षण के उद्देश्यों को पूरा किया गया। इस कठोर यात्रा के माध्यम से इन नौसैनिकों को उनके सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण के धरातल पर खरा उतरने का एक अवसर भी मिला।
महादेई का स्वागत मॉरीशस के तट रक्षक पोत रिट्ईवर द्वारा पोर्ट लुईस बंदरगाह पर किया गया और उसे फिर सही जगह पर ले जाया गया। इसके साथ ही, महादेई की आगवानी वहां भारत के कार्यवाहक उच्चायुक्त, राष्ट्रीय तटरक्षक बल के कमांडेंट सहित भारतीय उच्चायोग के अन्य अधिकारियों और उनके परिजनों ने किया। मॉरीशस के दस महिला पुलिस अधिकारियों ने बंदरगाह से 10 मील की दूरी पर आगवानी की और उस फिर अपने दल द्वारा ही पोर्ट के लिए रवाना हुए। अपने प्रवास के दौरान चालक दल मॉरीशस के राष्ट्रपति, लैंगिक समानता एवं बाल विकास मंत्री, मॉरीशस सरकार के अन्य गणमान्य लोगों से मुलाकात करेंगे। यह पोत दर्शकों और स्कूली बच्चों के लिए भी उपलब्ध रहेगा। महादेई पर कुछ चयनित समूहों के लिए पोर्ट लुई में छुट्टी बिताने के लिए रहेगा।
यह पोत 24 जून 2016 को पोर्ट लुई से गोवा के लिए वापस आयेगा। महादेई के जुलाई के पहले सप्ताह में गोवा पहुंचने की संभावना है।
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