
इसके बाद 23 दिसंबर को जनजातीय क्षेत्रों में कौशल विकास और उद्यमशीलता परिदृश्य पर कार्यशाला, आजीविका का मानचित्रणय कौशल में कमी पर विश्लेषण-कृषि, गैर कृषि और वन आधारित और कृषि व वन आधारित आजीविका में कौशल व उद्यम प्रोत्साहन पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। कार्यशाला में पूर्व जनजातीय सचिव डॉ. हृषिकेश पांडा और पूर्व सचिव, योजना आयोग डॉ. एनसी सक्सेना भी शामिल होंगे।
वनजीवन पहले चरण में कम जनजातीय लोगों में कम एचडीआई वाले चुनिंदा छह राज्यों में आजीविका संबंधी समस्याओं की पहचान करने वाले कार्यक्रम के तौर पर होगा। इसमें असम, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा और तेलंगाना शामिल हैं। दूसरे चरण में इस कार्यक्रम को अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, मेघालय और त्रिपुरा राज्यों में लागू किया जाएगा।
कार्यक्रम में कौशल के मौजूदा स्तर को ध्यान में रखते हुए स्थानीय संसाधनों की पहचान पर जोर रहेगा। कार्यक्रम से उक्त उद्देश्य के लिए कई सरकारी कार्यक्रमों के अंतर्गत कोष का इस्तेमाल करना आसान हो जाएगा। राष्ट्रीय संसाधन केंद्र आजीविका मानचित्रण, कौशल अंतर विश्लेषण और नॉलेज हब के लिए एक प्लेटफॉर्म के तौर पर काम करेगा, जहां जनजातीय उद्यमशीलता विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ आजीविका और उद्यमशीलता मॉडल उपलब्ध होंगे।
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