COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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गुरुवार, 19 सितंबर 2013

काफी रोचक है पटना का इतिहास

पर्यटन
राजीव मणि 
बिहार की राजधानी पटना कभी राजा-महाराजाओं की पहली पसंद हुआ करता था। सूबे की बदलती तस्वीर और पटना को सजाने-संवारने के प्रयास ने एक बार फिर पर्यटकों को अपनी ओर खीचना शुरू किया है। अफगान सरदार शेरशाह सूरी ने हुमायंू से बगावत कर गंगा नदी के किनारे इस शहर को बसाया था। इतिहास के अनुसार, सम्राट अजातशत्रु ने अपनी राजधानी को राजगृह से पाटलीपुत्र स्थानांतरित किया था। बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य ने यहां साम्राज्य स्थापित कर अपनी राजधानी बनाई।
राजा अशोक की राजधानी भी पाटलीपुत्र रही है। यही वजह है कि इतने सारे राजाओं और ब्रिटिश हुकूमत की छाप इस शहर पर पड़ी।
यह शहर मुख्यतः दो हिस्सों में बंटा हुआ है। पुराने व ऐतिहासिक शहर को आज पटना सिटी के नाम से जाना जाता है। पटना नवीन शहर है। विभिन्न शैलियों में निर्मित भवनों, धर्मिक स्थलों एवं आजादी के बाद के सुविख्यात निर्माणों से यह शहर पटा हुआ है। साथ ही इस शहर से सूबे के पर्यटक स्थलों का भ्रमण भी आसानी से किया जा सकता है।
दर्शनीय स्थल
यहां का गोलघर देश-विदेश के पर्यटकों को सर्वाधिक अपनी ओर खींचता रहा है। 1770 के भीष्ण अकाल के बाद अंग्रेजी सेना के लिए अन्न भंडार करने के उद्देश्य से इसका निर्माण अंग्रेज कैप्टन जॉन गैरिस्टन ने 1786 ई में करवाया था। नाम के अनुरूप इस भवन का आकार गोलाई लिए हुए है। बिना किसी स्तंभ के बने इस विशाल भवन की नींव 125 मीटर, दीवाल की मुटाई 3.6 मीटर और भवन की ऊंचाई 29 मीटर है। दो ओर से बने 29 मीटर लंबे धनुकार सीढ़ियों से 145 पादान चढ़कर इसके ऊपर जाया जा सकता है। जहां से आधुनिक पटना का विहंगम दृश्य दिखता है।
मुगल और राजपूत शैली में बना पटना म्यूजियम अपने आप में काफी अनोखा है। 200 मिलियन साल प्राचीन विश्व का सबसे बड़ा 17 मीटर ऊंचा फसील वृक्ष आल भी संजो कर रखा गया है। इसके अलावा भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद से जुड़ी अनेक चीजें पर्यटकों को अतीत में ले जाती हैं। साथ ही, मौर्य वंश, गुप्त वंश, जैन धर्म एवं कुषाण युग की सजीव मूर्तियां, पेंटिंग आदि यहां देखने को मिनते हैं। देश-विदेश की कीमती पेंटिंग्स के अलावा यहां देखने के लिए काफी कुछ है।
स्वतंत्रता संग्राम का गवाह रहा सदाकत आश्रम पटना-दानापुर मुख्य मार्ग पर अवस्थित है। यहीं भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने अंतिम सांसे ली थी। आज इस मकान को संग्रहालय का रूप दे दिया गया है। यहां राजेन्द्र बाबू से जुड़ी ऐतिहासिक चीजें काफी संभाल कर रखी गई हैं। इसी परिसर में बिहार विद्यापीठ का अवशेष भी देखा जा सकता है।
खुदाबख्श ओरियेंटल पब्लिक लाईब्रेरी भी पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है। मुगल और राजपूत शैली के चित्र, अरबी और फारसी की पाण्डुलिपियां, स्पेन के करडोवा विश्वविद्यालय से लायी गयी दुर्लभ पुस्तकें, एक इंच चौड़ा कुरान व अन्य दुर्लभ पुस्तकें यहां-पढ़ी जा सकती हैं। इस लाईब्रेरी की स्थापना 1900 ई. में की गई है।
पटना सिटी रेलवे स्टेशन के पास ही स्थित है नवाब शहीद का मकबरा। इसे बंगाल के नवाब सिराजुदौला ने अपने पिता के मरने के बाद सफेद व काले संगमरमर से बनवाया था।
श्री हरमंदिर साहिब पटना सिटी में है। सिखों के दसवें व अंतिम गुरु गोविन्द सिंह के जन्म स्थान को केन्द्र में रखकर इसका निर्माण करवाया गया था। सिखों के पांच पवित्र तख्तों में हरमंदिर साहिब को तीसरा स्थान प्राप्त है तथा स्वर्ण मंदिर के बाद इसी का स्थान आता है।
इन सबके अलावा पटना में दर्जनों दर्शनीय स्थल हैं, इनमें शेरशाही मस्जिद, शेरशाह का किला हाऊस, पत्थर की मस्जिद, पादरी की हवेली, बिड़ला मंदिर, शहीद स्मारक, महात्मा गांधी सेतु, अगमकुआं, बड़ी पटनदेवी, छोटी पटनदेवी, पश्चिम दरवाजा, गांधी संग्रहालय, कुम्हरार, हरमंदिर, विधानसभा, उच्च न्यायालय, संजय गांधी जैविक उद्यान, हार्डिंग पार्क आदि का नाम उल्लेखनीय है।
कैसे पहुंचे
पटना, बिहार की राजधानी होने के कारण वायुमार्ग से सीधा जुड़ा हुआ है। अतः किसी भी बड़े शहर से यहां सीधा पहुंचा जा सकता है। रेलमार्ग से भी यहां पहुंचना आसान हैै। दिल्ली-कोलकाता मेन लाइन का मुख्य स्टेशन पटना जंक्शन है। सभी गाड़ियां यहां रूकती हैं। इसके अलावा पटना से नेशनल हाईवे-30 गुजरने के कारण यहां सड़क मार्ग से पहुंचना भी आसान है।
रहने-खाने की व्यवस्था
पटना में ठहरने के लिए कई छोटे-बड़े होटल हैं। मौर्या होटल, सम्राट इन्टनेशनल, होटल सत्कार इन्टरनेशनल, होटल मारवाड़ी आवास गृह, होटल चैतन्य, होटल रिपब्लिक, होटल चाणक्या, होटल कौटिल्य, होटल पाटलीपुत्र अशोक सहित दर्जनों होटल हैं, जहां सुरक्षित रहकर पटना का सैर किया जा सकता है। साथ ही कई होटलों में खाने की भी अच्छी व्यवस्था है। इसके अलावा बिड़ला धर्मशाला, हरमंदिरजी गुरुद्वारा, पाटलीपुत्र धर्मशाला, कदमकुआं धर्मशाला में भी सस्ते दर पर ठहरने की अच्छी व्यवस्था है। शहर में रेस्टूरेंटों की भरमार है, जहां उचित मूल्य पर देशी-विदेशी व्यंजनों का मजा लिया जा सकता है।
और कहां जाएं
राज्य के अन्य पर्यटक स्थलों की सैर भी पटना से की जा सकती है। इसके लिए बीरचन्द्र पटेल मार्ग स्थित बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की बसें विभिन्न स्थलों को जाती हैं। पर्याप्त संख्या में यात्री रहने पर निगम पटना शहर दिखाने की व्यवस्था भी करता है। दूसरी तरफ हर छोटे-बड़े शहर के लिए प्राइवेट बस अड्डा से हर आधे घंटे पर बस खुलती है। इसके अलावा भाड़े की टैक्सी से भी यात्रा की जा सकती है।
अन्य प्रमुख पर्यटक स्थलों की पटना से दूरी
शहर        दूरी (किलोमीटर में)
वैशाली      54
पावापुरी    80
नालंदा      89
गया         92
बोधगया   104
राजगीर   102
सासाराम  152
रक्सौल    206
रांची        326
बेतला       316
वाराणसी   246
इलाहाबाद  368

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