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आलोक कुमार
गया : बिहार सरकार के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा महादलित के रूप में इनकी पहचान की गई। इसके तहत बंतार, बौरी, भोगता, भुईया या भूमजीज, चैपाल, धोबी, डोम या धनगर, घासी, हलालखोर, हरि, मेहतर या भंगी, कंजर, कुरियर, लालबेगी, डबगर, मुसहर, नट, पान या सवासी, पासी, रजवार, तुरी और चमार जाति के लोगों को मिलाकर 21 और पासवान को मिलाकर 22 जातियां हंै। आकड़ों में अंतर होने के बाद भी मुसहरों की आबादी सूबे में 60 लाख है।

गया के सहदेव मंडल कहते हैं कि मुसहर समुदाय की स्थिति दयनीय है। इस मुसहर समुदाय के 98 प्रतिशत महिलाएं तथा 90 प्रतिशत पुरूष आज भी अशिक्षित हैं। राज्य ही नहीं, देश भर में अपवाद स्वरूप डॉक्टर, जज, वकील, इंजीनियर, आईएएस पदाधिकारी तथा पीएचडी मिल पाते हैं।
ऐसे सरकारी वायदों का क्या

पटना वीमेंस काॅलेज की प्राचार्य सिस्टर डोरिस डिसूजा ने बताया कि बिहार सरकार खुद महाविद्यालय बनाने का ऐलान करती है। लंबे-चैड़े भाषण में सीएम महाविद्यालय का प्रथम उप कुलपति बनाने की इच्छा जाहिर करते हैं। उसके बाद मामला अटक जाता है। ऐसा एक बार नहीं, तीन बार हो चुका है।
पानी के अभाव में सरकारी स्कूल में खिचड़ी बंद
पटना : दीघा थाना के बगल में नहर है। और इसके ठीक किनारे बसा है रामजीचक मुसहरी। पहले यहां पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण मुसहरों को काफी दूर से पानी लाना पड़ता था। सरकार द्वारा किसी तरह की मदद नहीं मिलने पर लोगों ने चंदा कर चापाकल लगवा लिया। लेकिन, इन मुसहरों की किस्मत भी दगा दे गयी। आजकल चापाकल से गंदा पानी आ रहा है। गंदे पानी से थोड़े राहत के लिए लोग बाल्टी में पानी भड़कर उसे एक घंटे तक छोड़ देते हैं। ऐसा करने पर पानी के नीचले सतह पर मिट्टी जम जाती है। फिर इस पानी को मुसहर कपड़े से छान लेते हैं। तब इस पानी को पीने के काम में लाते हैं।
इसी नहर के किनारे एक सरकारी स्कूल है। यहां का चापाकल भी खराब पड़ा है। इसका असर विद्यालय के दोपहरिया भोजन पर पड़ रहा है। यहां पांच महीने से बच्चों को भोजन नहीं दिया जा रहा है। लोगों का कहना है कि अगर बच्चों को भोजन नहीं दिया जा रहा है तो अनाज ही दे दिया जाना चाहिए। लोगों का आरोप है कि इस संबंध में महिलाएं जब आवाज बुलंद करती हैं, तो स्कूल के टीचर सीधे थाना पहुंच जाते हैं। दीघा थाना की पुलिस टीचर के ही पक्ष में बोलकर मामला को दबा देती है। लोगों की मांग है कि इसकी जांच होनी चाहिए ताकि महादलितों के बच्चों एवं अभिभावकों के साथ न्याय हो सके।
तलाक किसी समस्या का समाधान नहीं : पल्ली पुरोहित

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शादी का बंधन आजीवन का होता है। यह गुड्डा-गुड्डी का खेल नहीं है। जो पवित्र बंधन में बंध जाता है, उसे कोई तोड़ नहीं सकता। उन्होंने कहा कि लोगांे को तलाक के चक्कर में नहीं फंसना चाहिए। अगर कोई इंसान किसी के उकसाने पर ऐसा करता है, तो उसे जीवन भर पश्ताना पड़ता है। उन्होंने आह्वान किया कि आपलोग पारिवारिक विघटन को टालने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि ईसाई धर्म के अनुसार विवाह का मतलब प्रेम और सेवा करना है। लोग आपस में मेलमिलाप कर रहें। यहां छोटा और बड़ा होने का सवाल ही नहीं है। अगर मेलमिलाप में परेशानी आ रही हो तो पल्ली पुरोहित से संपर्क कर लें। आपका परिवार टूटने से बच जायेगा।
विस्थापित लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था नहीं

लोगों का कहना है कि हमलोगों ने पटना उच्च न्यायालय में लोकहित याचिका दायर कर विस्थापन के पूर्व पुनर्वास की मांग की थी। माननीय न्यायालय ने 6 माह के अंदर सरकार को पुनर्वास करा देने का आदेश दिया था। लेकिन, नौकरशाहों ने माननीय न्यायालय के आदेश को अनदेखा कर दिया। इसी बीच लोकहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता की मृत्यु हो गयी। आज भी लोगों की मांग सिर्फ पुनर्वास की है। लोग नहर किनारे रह रहे थे। दीघा से लेकर खगौल तक नहर के किनारे रहने वाले लोगों को हटा दिया गया। लोगों का आरोप है कि झोपड़ी उजाड़ने से पहले किसी तरह की सूचना नहीं दी गयी।
ज्ञात हो कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दीघा बिन्द टोली के लोगों को जमीन बंदोबस्त कर बसाने का निर्णय लिया था, जिसपर अबतक अमल नहीं किया गया है। लोगों की मांग है कि सरकार को इसपर गंभीरता से निर्णय लेना चाहिए।
मनरेगा के घायल श्रमिकों को कोई लाभ नहीं

केस एक : गया जिले के मानपुर के लखनपुर पंचायत के ग्राम रसलपुर में स्व. बुद्धू मांझी के पुत्र फेकू मांझी रहते हैं। मनरेगा में वन पोषक का कार्य करते थे। जानवर को खदेड़ने के क्रम में वे घायल हो गए। तब उनके परिजन फेकू को उठाकर अबगिल्ला, जगदीशपुर ले गए। वहां हड्डी रोग विशेषज्ञ डाॅ. मोहम्मद एजाज ने अप्रैल, 2013 को बायें पैर में प्लास्टर चढ़ा दिया। 47 दिनों के बाद मई, 2013 को प्लास्टर हटा देने के बाद फेकू चलने लगे। इलाज का सारा खर्च उनके परिजनों ने ही उठाया। इस बीच जाॅब कार्डधारी फेकू मांझी ने कार्यक्रम पदाधिकारी, मानपुर को आवेदन देकर कहा कि चार माह से मजदूरी नहीं दी जा रही है। मनरेगा श्रमिक फेकू की मजदूरी सीधे बैंक आॅफ बड़ौदा के अकाउंटस में भेज दी जाती थी, जो चार माह से नहीं मिली है। यह जानकारी गैर सरकारी संस्था कदम की जयमणि कुमारी ने दी है।

मुसहरों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए
गया : राष्ट्रीय मुसहर-भुइया विकास परिषद के संयोजक उमेश मांझी और सचिव अजय मांझी ने कहा है कि बिहार में मुसहर समुदाय की 40 लाख और देशभर में 66 लाख की आबादी है। हमलोगों की स्थिति बद से बदतर है। मात्र वोट बैंक समझकर हमें व्यवहार किया गया। हालांकि केन्द्र और राज्य सरकार ने योजनाएं बना रखी हैं। लेकिन योजनाओं का लाभ मुसहर समुदाय को नहीं मिला। अगर लाभ मिला भी, तो ‘दलाल’ सेंधमारी करने लगे। महादलितों में इंदिरा आवास योजना अधूरा ही रह गया। शौचालय निर्माण करने वाले सही ढंग से शौचालय बनाए ही नहीं। हमलोग बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। इस आलोक में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलित आयोग बनाया। यह सोचकर कि समाज के किनारे रह जाने वालों का विकास करेंगे। वह भी राजनीति की बलिवेदी पर चढ़ गया।
उमेश मांझी ने आगे कहा कि हमलोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को स्मार पत्र देकर मांग किया कि अगर सच में आप मुसहर समुदाय का कल्याण और विकास करना चाहते हैं, तो आप अनुसूचित जाति की श्रेणी से निकालकर मुसहर समुदाय को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल कर लें। मगर स्मार पत्र की मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब बिहार की राजनीति में नेतृत्व परिवर्तन हो चुका है। हमलोग चाहेंगे कि बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी मुसहर समुदाय की मांग को पूरा करें।
आपका लेखन सराहनीय है
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद
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