COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शनिवार, 9 अप्रैल 2016

अल्पसंख्यक छात्रों के लिए वर्ष 2015-16 की छात्रवृत्ति को सरकार ने उठाया कदम

  • वर्ष 2015-16 के छात्रवृत्ति राशि का इस्तेमाल वैकल्पिक व्यवस्था के माध्यम से अगले वित्त वर्ष में किया जाएगा
  • मौलाना आजाद राष्ट्रीय फैलोशिप के लिए यूजीसी को 5.75 करोड़ रुपये जारी

भारत सरकार ने एक बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पहली बार अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को वर्ष 2015-16 के लिए निर्धारित छात्रवृति राशि का इस्तेमाल वैकल्पिक व्यवस्था से अगले वित्त वर्ष में करने की अनुमति दे दी है। सरकार द्वारा ये कदम वर्ष 2015-16 में देश भर के अल्पसंख्यक छात्रों को उनकी बकाया छात्रवृति राशि का वितरण सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। सरकार ने राष्ट्रीय छात्रवृति पोर्टल पर अल्पसंख्यक छात्रों को आ रही तकनीकी समस्याओं के मद्देनजर ये कदम उठाया है। 
छात्रवृति का भुगतान डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर - प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) मोड से करने की दिशा में आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए प्रयास जारी हैं। भारत सरकार और राज्य सरकारों के बीच नियमित तौर पर हो रही उच्च स्तरीय बैठकों की मदद से अधिकांश चुनौतियों से निपट लिया गया है। फरवरी से छात्रवृति वितरण ने गति पकड़ी है और अभी तक 39 लाख अल्पसंख्यक छात्र अपने बैंक खातों में डीबीटी मोड से छात्रवृति प्राप्त कर चुके हैं। यहां यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय हर वर्ष 80 लाख से ज्यादा छात्रों को छात्रवृति वितरित करता है। 
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने इससे पहले एक और ऐतिहासिक निर्णय लिया है कि सभी छात्रवृत्तियां राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के माध्यम से छात्रों के बैंक खाते में सीधे स्थानांतरित की जानी चाहिए। वितरण प्रक्रिया में कई पड़ाव होने के कारण छात्रों तक पूरी छात्रवृति राशि समय पर पहुंचने में काफी दिक्कतें आ रही थीं, इसके चलते ये कदम उठाया गया था। इस तरह की व्यवस्था से छात्रों को कदाचारों से छुटकारा मिलेगा। अनियमितताओं के चलते छात्रों को कई स्त्रोतों से छात्रवृति प्राप्त होती थी जबकि कुछ छात्र इसके लाभ से वंचित रह जाया करते थे। इतने बड़े पैमाने पर ऑनलाइन सत्यापन और धनराशि को सीधे छात्रों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने के पहले प्रयास में सरकार को कुछ तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें आवेदनों में अधूरी जानकारी, आवेदन पत्र में दी गई जानकारी में विसंगतियां और सॉफ्टवेयर में खराबियां शामिल हैं। 
इसके अलावा मंत्रालय ने वर्ष 2015-16 में अल्पसंख्यक छात्रों की बकाया फेलोशिप की जरूरत को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को मौलाना आजाद राष्ट्रीय फेलोशिप के लिए 5.75 करोड़ रुपये का अतिरिक्त अनुदान भी जारी किया है। कुल मिलाकर मंत्रालय ने वर्ष 2015-16 के दौरान फैलोशिप योजना के लिए 55.43 करोड़ रुपये जारी किए है।

सरकार ‘गरीबी हटाओ’ के बदले ‘गरीबी मिटाओ’ के लिए प्रतिबद्ध

  • ‘छोटी सीएसआर परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का समय’
  • ‘सीएसआर परियोजनाओं में सरकार और निजी साझीदारियां समाज के बेहतर कल्याण को बढ़ावा दे सकती हैं’

केंद्रीय बिजली, कोयला एवं नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि हमारी सरकार ‘गरीबी हटाओ’ के बजाये ‘गरीबी मिटाओ’ के लिए प्रतिबद्ध है। वे 8वें वैश्विक सीएसआर सम्मेलन सह जिम्मेदार संगठन उत्कृष्टता पुरस्कार 2015-16 को संबोधित करते हुए श्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं होना चाहिए जिसके पास बेहतर जीवन स्तर न हो।
इस अवसर पर श्री पीयूष गोयल ने कहा कि हमें इन पुरस्कारों के जरिये कंपनियों के बजाये लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि इन उद्योगों को बड़ी कंपनियों से उनकी सीएसआर परियोजनाओं के लिए समर्थन पाने के जरिये बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। मंत्री महोदय ने सीएसआर परियोजनाओं की मात्रा एवं स्तर को बढ़ाने की जरुरत पर जोर दिया एवं कहा कि हमें जनहित, कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरादायित्व एवं अन्वेषण को एकीकृत करने और इसे आगे बढ़ाने की जरुरत है जिससे कि समाज पर इसका ठोस एवं सुस्पष्ट प्रभाव पड़े। मुझे भरोसा है कि एसोचैम जैसे संगठन हितधारकों के बीच सेतु के रूप में काम कर सकते हैं एवं सीएसआर परियोजनाओं को आगे बढ़ा सकते हैं। श्री पीयूष गोयल ने इस अवसर पर इस तथ्य को दुहराया कि सीएसआर परियोजनाओं में सरकार और निजी साझीदारियां समाज के बेहतर कल्याण को बढ़ावा दे सकती हैं।
श्री गोयल ने सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों द्वारा किए जाने वाले कल्याणकारी कार्यों की वकालत करते हुए कहा कि मेरी जानकारी यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कंपनी कानून के संशोधन के बहुत पहले से सीएसआर कार्य करते रहे हैं। इसलिए, पीएसयू के लिए सीएसआर कार्य ऐसा नहीं है जो दो वर्ष पहले अधिदेशित कानून की वजह से शुरु किया गया हो। वे ऐसा एक साथ पिछले कई वर्षों से करती आ रही हैं। श्री गोयल ने कहा कि केवल मेरे मंत्रालयों के तहत ही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने खासकर देश के दुर्गम्य और दुरस्थ क्षेत्रों में ग्रामीण विद्यालयों में एक लाख बीस हजार शौचालयों के निर्माण के लिए पिछले डेढ़ वर्षों के दौरान 2,200 करोड़ रुपए व्यय किए हैं। पीएसयू में ढेर सारे अच्छे कार्य किए जा रहे हैं।

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