COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शनिवार, 9 अप्रैल 2016

बिहार में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की समीक्षा

  • केंद्र ने बिहार से पीडीएस के खाद्यान्नों को समय पर उठाने और सभी लाभार्थियों का डाटा वेब पोर्टल पर डालने के लिए कहा

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान के निर्देश पर एक उच्च स्तरीय केंद्रीय टीम ने बिहार में जागो मांझी की कथित रूप से भूख से मौत को देखते हुए राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की समीक्षा करने के लिए दौरा किया। खाद्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव दीपक कुमार के नेतृत्व में इस टीम ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पीडीएस के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की। टीम ने पाया कि कुछ जिलों में खाद्यान्नों का समय से उठान न होने से पीडीएस के लाभार्थियों को समय पर राशन नहीं मिल पा रहा है। राज्य सरकार ने अभी तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों के आंकड़े पीडीएस पोर्टल पर अपलोड नहीं किए हैं जो कि सब्सिडाइज्ड खाद्यान्नों के आबंटन के लिए एक अनिवार्यता है। इससे अभी भी बड़ी संख्या में बिहार में लोगों को 2 रुपए किलोग्राम की दर से गेहूं और 3 रुपए किलोग्राम की दर से चावल नहीं मिल पा रहा है। 
केन्द्रीय टीम की समीक्षा के बाद बिहार सरकार से कहा गया है कि वह भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से खाद्यान्नों का समय पर उठान सुनिश्चित करे ताकि माह के प्रारंभ में ही खाद्यान्न राशन की दुकानों तक पहुंच जाएं। यह भी कहा गया है कि वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के सभी लाभार्थियों का डाटा राज्य के पीडीएस पोर्टल पर अपलोड करें। 
केंद्रीय टीम को यह बताया गया कि खाद्यान्नों के उठान की समस्या केवल पटना, अररिया, भोजपुर, भागलपुर और सहरसा जिलों में ही है। इन जिलों में अनियमितताओं की शिकायतों के आधार पर गोदामों में छापे मारे गए और कुछ निजी ट्रांसपोर्टरों के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए थे। अब राज्य सरकार खाद्यान्नों की ढुलाई राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से कर रही है। कुछ जिलों में भारतीय खाद्य निगम के गोदाम उपलब्ध न होने के कारण, खाद्यान्नों का उठान पड़ोसी जिलों से किया जा रहा है जिसके चलते सुपुर्दगी में देरी हो रही है। केंद्र ने भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकारी एजेंसियों से इस विलम्ब से बचने के उपाय तलाशने के लिए कहा है। 
विचार-विमर्श के दौरान लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कंप्यूटरीकरण की भी समीक्षा की गई। राज्य ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों का डाटा डिजिटाइज्ड कर दिया है लेकिन इसे अभी राज्य के पीडीएस पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया है जिसके कारण कुछ लाभार्थियों को सब्सिडी वाला खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है। राज्य से कहा गया है कि वह लाभार्थियों की सूची पोर्टल पर शीघ्र अपलोड करे। यह भी बताया गया कि प्रत्येक गांव और शहर में चलाए जा रहे अभियान के तहत लाभार्थियों के आधार नंबर और अन्य विवरण भी एकत्र किए जा रहे हैं और यह कार्य तीन माह में पूरा कर लिया जाएगा। 
राज्य को इस बात से भी अवगत कराया गया कि ऑनलाइन आबंटन का फॉर्मेट भी एन.आई.सी. द्वारा सुझाए गए फॉर्मेट के अनुसार नहीं है और उसे तदनुसार संशोधित करने का अनुरोध किया गया है। राज्य से यह भी अनुरोध किया गया है कि वह ऑनलाइन आबंटन का लिंक राज्य के खाद्य विभाग के पोर्टल पर उपलब्ध कराएं जो वर्तमान में राज्य नागरिक आपूर्ति पोर्टल पर ही उपलब्ध है। 
समीक्षा के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लीकेज को रोकने के उद्देश्य से राज्य लाभार्थियों की बायोमीट्रिक पहचान हेतु राशन की दुकानों पर यथाशीघ्र ‘प्वाइंट ऑफ सेल’ उपकरण लगाएं। राज्य के खाद्य सचिव ने बताया कि ये उपकरण ‘सिस्टम इंटेगरेटर मॉडल’ के तहत नालंदा जिले के नूर ब्लॉक में राशन की 56 दुकानों पर लगाया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि अगले माह पुर्णिया जिले के एक ब्लॉक में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण भी शुरू किया जाएगा।

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