COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शनिवार, 2 अप्रैल 2016

एक साल में दिव्यांगों के लिए जारी होंगे विशिष्ट पहचानपत्र

 संक्षिप्त खबरें 

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थॉवरचंद गहलोत ने कहा है कि विशिष्ट पहचानपत्र (यूआईडी) लागू करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है और इसे एक साल के भीतर पूरा करने के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं। वह यहां स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र में मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर का उद्घाटन करने आए थे। उन्होंने ओडिशा के बोलांगीर के एनआईआरटीएआर में एक उपग्रह केंद्र की आधारशिला भी रखी। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर और जगतसिंहपुर के सांसद डा. कुलामणि सामल भी उपस्थित थे। 
श्री गहलोत ने संस्थान में आयोजित मेगा सर्जिकल कैंप का भी दौरा किया। इस कैंप में ओडिशा के विभिन्न हिस्सों से आए बीमार लोगों का मुफ्त में ऑपरेशन किया गया है। दोनों मंत्रियों और उपस्थित अतिथियों द्वारा एससीध्एसटी लाभकर्ताओं को स्वरोजगार किट भी वितरित की गई। इन लोगों ने विभिन्न रोजगार ट्रेडों में संस्थान द्वारा दिया गया व्यावसायिक प्रशिक्षण हासिल किया है। कैंप में 56 दिव्यांगों को सहायता एवं सहायक उपकरण भी वितरित किए गए। 
श्री गहलोत ने घोषणा की कि अस्पताल में इलाज के लिए मरीजों के लंबे इंतजार को देखते हुए संस्थान को सभी तरह की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। ताकि यहां सौ बिस्तर वाले अस्पताल को 200 बिस्तर वाले अस्पताल में तब्दील करने के लिए इमारत और अन्य आधारभूत ढांचा विकसित किया जा सके। केंद्रीय मंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया कि संस्थान में खाली पड़े पदों का पुनःसत्यापन कराया जाएगा और इन्हें भरने की प्रक्रिया में जल्द ही तेजी लाई जाएगी।

‘अल्पसंख्यकों व वंचित वर्गों को समान रूप से विकसित होने की जरूरत’

केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों एवं अन्य वंचित समूहों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार इस प्रतिज्ञा पर काम कर रही है कि इन वर्गों को समान रूप से विकसित किए जाने की जरूरत है और वह एकरुपता लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। ये उद्गार केंद्रीय वित्त, कंपनी मामले एवं सूचना तथा प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने ‘अल्पसंख्यकों की आर्थिक अधिकारिता ’ विषय पर एनसीएम के 8वें वार्षिक व्याख्यान को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। श्री जेटली ने कहा कि उच्चतर विकास दरें सबको प्रभावित करती हैं, लेकिन ऐसे कुछ क्षेत्र हैं जहां कुछ अल्पसंख्यक पिछड़े हुए हैं और उन क्षेत्रों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 1991 के बाद समाज के वंचित वर्गों की स्थिति में 1991 से पहले की अवधि की तुलना में तेजी से सुधार आया, लेकिन यह सुधार एकरूप नहीं था। उन्होंने कहा कि शिक्षा उनकी स्थिति को तेजी से बेहतर बनाने की कुंजी है और एकरूपता तथा कौशलों का अवसरों में रुपांतरण इसे अर्जित करने के अन्य माध्यम हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामले मंत्री डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि योजनाओं का कारगर क्रियान्वयन और विकास में एकरूपता सुनिश्चित करना ‘सबका साथ, सबका विकास’ के दो मार्गदर्शी सिद्धांत हैं। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय जमीनी स्तर पर अंतर लाने के लिए 6 अधिसूचित अल्पसंख्यकों के लिए योजनाओं के क्रिेयान्वयन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। विकास में सूक्ष्म स्तरीय खामियों को दूर करने के लिए मंत्रालय शिक्षा, कौशल विकास एवं अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों के सामाजिक अलगाव की भावना को हटाने की जरूरत है। वित्त मंत्री एवं प्रधानमंत्री द्वारा उनके मंत्रालय की योजनाओं को मिल रहे समर्थन की सराहना करते हुए डॉ. नजमा ने कहा कि इस सरकार के दौरान शुरू की गई नई मंजिल और हमारी धरोहर योजनाओं को काफी अच्छी प्रतिक्रियाएं प्राप्त हो रही है और इन्होंने परिणाम देना भी प्रारंभ कर दिया है।

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