COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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बुधवार, 6 जुलाई 2016

आजादी

 कविता 
राजीव मणि
सुनता हूं नारे
रह-रह कर
‘हर कोई मांगे आजादी’
लेकिन क्या
आजादी मांगने वाले
भूल जाते हैं यह
कि कुरबानी भी देनी होती है
इसके लिए
बिना कुरबानी के 
अगर मिल जाती यह
तो मैं ही मांग लेता
खुद से आजादी !

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