COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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गुरुवार, 14 जुलाई 2016

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को पेट्रोलियम उत्पादों की डीलरशिप मुहैया कराने को मुख्यमंत्रियों से भूमि आवंटित करने को कहा

नई दिल्ली : तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा मुख्यतः विभिन्न व्यक्तियों को आवंटित की गई डीलरशिप के जरिये विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादों जैसे कि पेट्रोल और डीजल का वितरण किया जाता है। कंपनियों ने डीलरों के चयन के लिए एक प्रक्रिया तय कर रखी है। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से संबंधित अभ्यर्थियों के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व का भी उल्लेख किया गया है। यह अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) से संबंधित अभ्यर्थियों के हित में कंपनियों द्वारा परिकल्पित सकारात्मक कार्रवाई का एक हिस्सा है। 
इसे ध्यान में रखते हुए ओएमसी के प्रदर्शन की समीक्षा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा की गई। इस दौरान यह पता चला कि एससी, एसटी अभ्यर्थियों के लिए जो स्थान चिन्हित किए जाते हैं, उनको लेकर प्रतिक्रिया मुख्यतः भूमि की अनुपलब्धता की वजह से संतोषजनक नहीं रहती है। भूमि के स्वामित्व से इस तरह के समुदायों को परंपरागत रूप से अलग रखे जाने की प्रवृत्ति के कारण ही यह स्थिति देखने को मिल रही है। यह पाया गया है कि वर्ष 2014-15 के दौरान विशेषकर इस तरह के अभ्यर्थियों के लिए 5,994 स्थानों का विज्ञापन दिया गया था। हालांकि, इस विज्ञापन के मद्देनजर केवल 2,906 स्थानों के लिए ही प्रतिक्रिया प्राप्त हुई, जो कुल विज्ञापित स्थानों का 48.5 प्रतिशत है। 3,088 स्थानों के लिए कोई भी प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई। इसके अलावा भी ऐसे 658 और लंबित मामले हैं, जिनके तहत आशय पत्र जारी किए गए थे, लेकिन भूमि की अनुपलब्धता की वजह से ये निर्दिष्ट विक्रय केंद्र (आउटलेट) शुरू नहीं किए जा सके। 
अतः यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस तरह के समुदायों से जुड़े लोगों को भूमि की अनुपलब्धता की वजह से परेशान न होना पड़े, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र प्रधान ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इस प्रयोजन के लिए उपयुक्त भूमि आवंटित करने को कहा है। उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि इस प्रयोजन के लिए भूमि रियायती दरों पर संबंधित राज्य सरकारों को मुहैया कराई जा सकती है। तेल विपणन कंपनियां इस तरह की भूमि को सरकार से पट्टे पर ले लेंगी, इसके बाद उस भूमि पर आवश्यक निर्माण कार्य करेंगी और इसके साथ ही वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने के लिए कार्यशील पूंजी से जुड़ा ऋण भी मुहैया कराएंगी। एससी, एसटी समुदायों से जुड़े कुल 3,745 व्यक्तियों को रोजगार अवसर मुहैया कराने के साथ-साथ उनका आर्थिक सशक्तिकरण भी किया जाएगा। एससी, एसटी समुदाय में उद्यमिता सृजित करने के लिए यह अपनी तरह की प्रथम ठोस पहल है, जिसके लिए संबंधित राज्य सरकारों से आवश्यक सहयोग मांगा गया है।

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