COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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गुरुवार, 14 जुलाई 2016

मोतीहारी में कृषि एवं डेयरी विकास केन्द्र की स्थापना

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : पिपराकोठी मोतीहारी, बिहार, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने पिपराकोठी मोतीहारी, बिहार में कृषि एवं डेयरी विकास केन्द्र की स्थापना कर इस इलाके के लोगों को एक नयी सौगात दी। मोतीहारी के इस नये कृषि एवं डेयरी विकास केन्द्र के संचालन की जिम्मेदारी राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल को सौंपी गयी है।
अपने संसदीय क्षेत्र मोतीहारी के पिपराकोठी में कृषि एवं डेयरी विकास केन्द्र के उद्घाटन के मौके पर कृषि मंत्री ने कहा कि यह केन्द्र पशुओं की नस्ल सुधार, प्रजनन, पोषण, स्वास्थ्य प्रबंधन, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन और दूध से बनने वाले विभिन्न उत्पादों से संबंधित नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराने के साथ-साथ बेरोजगार नौजवानों को प्रशिक्षण भी देगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल में उच्च दुग्ध उत्पादन करनेवाली बेहतरीन गायें जैसे साहिवाल, थारपारकर और गीर मौजूद हैं। भैंसों में मुर्रा नस्ल के पशु मौजूद हैं, जिनका संतति परीक्षित वीर्य इस केन्द्र के माध्यम से लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने भरोसा जताया कि इस इलाके के किसान और अन्य लोग इस केन्द्र का पूरा-पूरा फायदा उठाएंगे।
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि भारत दूध के उत्पादन के मामले में दुनिया में नंबर वन है, लेकिन अभी भी हमारे पशुओं की उत्पादकता कम है और इनकी वजह हैं अच्छे नस्ल के पशुओं की कमी, चारे की कमी, कुपोषण, दोषपूर्ण प्रबंधन एवं अनियमित प्रजनन आदि। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के निवारण के लिए इस केन्द्र के वैज्ञानिक लगातार इस क्षेत्र के लोगों को सलाह देते रहेंगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि दूसरी हरित क्रांति के लिए एकीकृत खेती को बढ़ावा देना जरूरी है, क्योंकि इससे किसान की आय के दूसरे रास्ते खुलते हैं। उन्होंने कहा कि दूध का व्यवसाय एक अकेला व्यवसाय है, जिसमें किसान को लगातार आमदनी होती रहती है। इस मौके पर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक और अधिकारी मौजूद थे।

सुदर्शन भगत किसान कल्याण राज्यमंत्री

नई दिल्ली : सुदर्शन भगत ने नए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री के रूप में अपना पदभार ग्रहण कर लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उनका फोकस कम लगात से अनाज के अधिक पैदावार के साथ दुग्ध उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने पर होगा, जिससे किसान दुगनी आय प्राप्त कर सकें। 
नए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री, झारखंड के लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। श्री भगत 15वीं लोकसभा (2009-2014) के भी सदस्य थे। उन्होंने 2000 से 2005 तक झारखंड विधानसभा के सदस्य के रूप में काम किया। झारखंड सरकार में श्री भगत मानव संसाधन राज्यमंत्री (2000-2003) और मुख्यमंत्री सचिवालय में मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) 2003-2004) रह चुके हैं। वे 2004 से 2005 तक झारखंड सरकार में कल्याण मंत्री के रूप में भी काम किया है। 

कृषि विज्ञान केंद्र पोर्टल का शुभारंभ

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने आधिकारिक रूप से कृषि विज्ञान केंद्र पोर्टल http://kvk-icar-gov-in का शुभारम्भ नई दिल्ली में किया। इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री एसएस अहलूवालिया, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री सुदर्शन भगत एवं सचिव, पुशपालन, डेयरी एवं मत्स्य, देवेंद्र चैधरी उपस्थित रहे।
केवीके पोर्टल का शुभारंभ के अवसर पर राधा मोहन सिंह कहा कि देश में 645 कृषि विज्ञान केन्द्र हैं। ये केन्द्र देश के सभी जिलों में स्थापित हैं। प्रत्येक केन्द्र में कम से कम 1000 किसान जुड़े हुए हैं। केवीके की सूचना राष्ट्रीय स्तर पर एक जगह उपलब्ध न होने के कारण किसानों एंव अन्य नागरिकों को सूचना प्राप्त करने में कठिनाई होती थी तथा केवीके जिन उद्देश्यों एवं गतिविधियों के लिए स्थापित किया गया था, उसकी ऑनलाइन निगरानी एवं प्रबंधन की भी सुविधा नहीं थी। इस पॉर्टल के माथ्यम से किसानों को सूचना एवं सलाह और केवीके की सेवाओं की ऑनलाइन निगरानी भी की जा सकेगी।

परषोत्तम रूपाला कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री

नई दिल्ली : परषोत्तम रूपाला ने नए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री के रूप में अपना पद भार ग्रहण कर लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता कृषि क्षेत्र और किसानों के कल्याण के लिए केन्द्र सरकार के रोड मैप को लागू करना है। 
वे नवम्बर, 1991 से मार्च, 1995 तक गुजरात विधान सभा के सदस्य रहे। मार्च, 1995 से दिसम्बर, 1997 - गुजरात विधान सभा के लिए दूसरी बार निर्वाचित हुए। 19 मार्च, 1995 से 20 अक्टूबर 1995 तक गुजरात सरकार में नर्मदा, सिंचाई और जल आपूर्ति के कैबिनेट मंत्री रहे। 4 नवंबर, 1995 से 18 सितंबर, 1996 तक गुजरात सरकार में नर्मदा, सिंचाई और जल आपूर्ति के कैबिनेट मंत्री बने। मार्च, 1997 से दिसम्बर 1997 तक गुजरात विधान सभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे। मार्च, 1998 से जुलाई, 2002 - तीसरी बार गुजरात विधान सभा के सदस्य निर्वाचित। जून, 1998 से अक्तूबर, 2001 तक गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) के अध्यक्ष रहे। 9 अक्टूबर, 2001 से 21 दिसम्बर, 2002 तक गुजरात सरकार में कैबिनेट स्तर के कृषि मंत्री बने। अप्रैल, 2008 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। मई, 2008 से मई 2009 तक खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण समिति के अध्यक्ष रहे। अगस्त, 2009 से अगस्त, 2010 तक कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय समिति के सदस्य चुने गए। जुलाई, 2010 के बाद जहाजरानी मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य बने। सितम्बर, 2010 से अगस्त 2012 तक रसायन और उर्वरक पर बनी समिति के सदस्य रहे। मई, 2012 के बाद सदन के पटल पर रखे गए दस्तावेजों की समिति के सदस्य रहे। अगस्त, 2012 के बाद कृषि पर गठित समिति के सदस्य चुने गए। सितम्बर, 2012 के बाद राष्ट्रीय जहाजरानी बोर्ड पर गठित समिति के सदस्य रहे।

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