COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शनिवार, 29 अक्तूबर 2016

झारखंड सहित पांच राज्यों में शहरी गरीबों के लिए 84,460 और किफायती मकानों के निर्माण को मंजूरी

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने झारखंड सहित पांच राज्यों में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत शहरी गरीबों के लिए 84,460 और मकानों के निर्माण को मंजूरी दी है। इनमें कुल मिलाकर 3,073 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिसके लिए 1,256 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता को मंजूरी दी गई है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के ‘लाभार्थी की अगुवाई में निर्माण’ घटक के तहत इन मकानों का निर्माण किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के लिए 1,918 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 47,379 मकानों के निर्माण को मंजूरी दी गई है, जिनके लिए 711 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता को स्वीकृति दी गई है। पंजाब के लिए 424 करोड़ रुपये के निवेश एवं 217 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 15,209 मकानों के निर्माण को स्वीकृति दी गई है। 
इसी तरह झारखंड के लिए 464 करोड़ रुपये की कुल लागत एवं 192 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 12,814 मकानों के निर्माण को मंजूरी दी गई है। केरल के लिए 179 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 5968 मकानों के निर्माण को स्वीकृति दी गई है, जिनके लिए 89 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता को मंजूरी दी गई है।
मणिपुर के लिए पहली बार 3,090 मकानों के निर्माण को स्वीकृति दी गई है, जिनमें कुल मिलाकर 88 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा और जिनके लिए 46 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता को मंजूरी दी गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के ‘लाभार्थी की अगुवाई में निर्माण’ घटक के तहत आर्थिक दृष्टि से पिछड़े तबकों से वास्ता रखने वाले हर पात्र लाभार्थी को संबंधित दिशा-निर्देशों के अनुरूप मौजूदा मकानों के विस्तारीकरण, उन्नयन के लिए 1.50 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता दी जाती है।

कार्यशाला आयोजित

नई दिल्ली : राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव - 2016 के एक हिस्से के तहत नई दिल्ली में ‘वन अधिकार अधिनियम, 2006 - इसके क्रियान्वयन, जनजातीय एवं वनों में रहने वाले अन्य परम्परागत समुदायों को लाभ और इसकी चुनौतियों’ पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला की अध्यक्षता केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम और सह-अध्यक्षता केन्द्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री जसवंत सिंह सुमनभाई भाभोर ने जनजातीय कार्य मंत्रालय में सचिव और यूएनडीपी की डिप्टी कंट्री डायरेक्टर मैरिना वाल्टर की मौजूदगी में की।
कार्यशाला के लिए पैनल के सदस्यों में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के कुलाधिपति डॉ. एसएम झारवाल, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में डीआईजी (वन) नोयल थॉमस और महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र में एसोसिएट प्रोफेसर एवं मानव शास्त्र विभाग के प्रमुख डॉ. फरहद मॉल्लिक और जनजातीय कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव शामिल थे। इस कार्यशाला में लगभग 250 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें राज्य सरकारों के मंत्रिगण, सांसद, राज्य विधान सभाओं के सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।
जनजातीय कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव राजेश अग्रवाल द्वारा एक प्रासंगिक प्रस्तुति दी गई, जिसमें अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006, जिसे वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) 2006 के रूप में भी जाना जाता है, के महत्वपूर्ण पहलुओं एवं खास बातों का उल्लेख किया गया। डीआईजी (वन) नोयल थॉमस द्वारा भी एक प्रस्तुति दी गई, जिसमें ग्राम सभा द्वारा वन के संरक्षण एवं प्रबंधन के साथ-साथ वन संरक्षण कानूनों की तुलना में अन्य आवश्यक विशेषताओं के लिए भी सामुदायिक वन संसाधन के दिशा-निर्देशों पर ध्यान केन्द्रित किया गया। डॉ. झारवाल और डॉ. मॉल्लिक ने एफआरए के तहत मंजूर सुरक्षात्मक अधिकारों का उल्लेख करने के अलावा वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन से जुड़ी चुनौतियों के बारे में भी विस्तार से बताया।
जनजातीय मामलों के राजमंत्री ने जनजातीय लोगों और अन्य परम्परागत वनवासी समुदायों के वन अधिकारों की रक्षा करने और मान्यता देने वाले इस ऐतिहासिक कानून के बारे में जानकारी दी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस संबंध में प्रक्रियाओं पर लगातार नजर रखी जा रही है और समय-समय पर कई स्तर पर इनकी समीक्षा की जा रही है। उन्होंने पैनल सदस्यों द्वारा की गयी व्यापक प्रस्तुतियों की भी सराहना की।

हिमाचल प्रदेश बना खुले में शौच से मुक्त वाला दूसरा राज्य

नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश खुले में शौच से मुक्त देश का दूसरा राज्य घोषित किया गया। इससे पहले सिक्किम को खुले में शौच से मुक्त पहला राज्य घोषित किया गया था। राज्य सरकार ने शिमला में आयोजित एक समारोह में यह घोषणा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस उपलब्धि के लिए जिला और स्थानीय प्रशासकों का अभिनंदन किया। समारोह में केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा उपस्थित थे। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश ने सफलतापूर्वक 100 प्रतिशत स्वच्छता कवरेज हासिल कर लिया है। राज्य के सभी 12 जिले खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं।
इस अवसर पर वीरभद्र सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि बड़े राज्यों में उनके राज्य ने यह उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश स्वच्छ भारत मिशन हासिल करने में अपने अनुभवों को दूसरे राज्यों के साथ साझा करेगा। समारोह में केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि खुले में शौच से मुक्त होने का दावा हिमाचल प्रदेश तभी करने में सफल हुआ है, जब स्वच्छता अभियान जन आंदोलन बना है।

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