COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

शहरी सुधार प्रोत्साहन के लिए बिहार सहित 20 राज्य पुरस्कृत

 संक्षिप्त खबर 
  • अटल मिशन 2015-16
  • वेंकैय्या नायडू ने सुधार प्रोत्साहन के रूप में 400 करोड़ रुपए दिए 
  • सूची में तमिलनाडु और चंडीगढ शीर्ष पर 
  • वित्त वर्ष में सुधार का फोकस ऑनलाइन भवन अनुमति, ऊर्जा उपयोग सक्षमता और शहरों में बाढ़ की समस्या दूर करना
Tamil Nadu
नई दिल्ली : कायाकल्प और शहरी परिवर्तन अटल मिशन (अमृत) के अंतर्गत वर्ष 2015-16 में शहरी सुधार को प्रोत्साहित करने के कार्य प्रदर्शन में 19 राज्यों तथा केन्द्र शासित क्षेत्र चंडीगढ को पुरस्कृत किया गया। शहरी विकास प्रदर्शन के कार्य में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों की सूची में तमिलनाडु शीर्ष पर रहा और केन्द्र शासित क्षेत्रों में चंडीगढ़।
शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैय्या नायडू ने नई दिल्ली में इंडोसेन सम्मेलन के दौरान श्रेष्ठ कार्य प्रदर्शन करने वाले राज्यों को प्रतीक चिन्ह और चेक दिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 में कार्य फोकस ई-गर्वनेंस, डबल एन्ट्री, लेखा, यूजर्स शुल्क और पालिका करों की उगाही, जल और ऊर्जा लेखा, एकल खिड़की मंजूरी पर रहा। वर्ष 2016-17 में फोकस 53 मिलियन और उससे अधिक की आबादी वाले सभी 53 शहरों में भवन अनुमति की ऑनलाइन व्यवस्था पुराने पंप सेटों को बदलकर ऊर्जा सक्षम पम्प सेट लगाना, शोधित जल का पुनः उपयोग तथा शहरी बाढ़ प्रबंधन की योजना पर होगा। 20 राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेश को सुधार के लिए प्रोत्साहन राशि दी गई। यह इस प्रकार हैं - तमिलनाडु (61.34 करोड़ रुपए), कर्नाटक (29.92 करोड़ रुपए), ओडिशा (10.27 करोड़ रुपए), तेलंगाना (10.73 करोड़ रुपए), केरल (15.00 करोड़ रुपए), छत्तीसगढ़ (13.00 करोड़ रुपए), आंध्र प्रदेश (13.62 करोड़ रुपए), मध्य प्रदेश (33.45 करोड़ रुपए), गुजरात (26.72 करोड़ रुपए), बिहार (15.04 करोड़ रुपए), राजस्थान (20.80 करोड़ रुपए), मिजोरम (1.63 करोड़ रुपए), महाराष्ट्र (45.57 करोड़ रुपए), उत्तर प्रदेश (63.47 करोड़ रुपए), झारखंड (7.28 करोड़ रुपए), हिमाचल प्रदेश (3.54 करोड़ रुपए), त्रिपुरा (1.70 करोड़ रुपए), पश्चिम बंगाल (24.89 करोड़ रुपए), गोवा (1.34 करोड़ रुपए) और चंडीगढ़ (0.69 करोड़ रुपए)।
वर्ष 2015-16 में सुधार प्रोत्साहन के लिए 400 करोड़ रुपए का प्रावधान था। 23 राज्यों, केन्द्र शासित क्षेत्रों ने शहरी विकास मंत्रालय में आवेदन किया। राज्यों, केन्द्र शासित क्षेत्र के दावों की जांच के बाद 70 अंक प्राप्त करने वाले राज्यों को सुधार प्रोत्साहन देने के लिए चुना गया। इसमें हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह सफल नहीं हो पाए।

405 शहर, 20,000 शहरी वार्ड खुले में शौच से मुक्त

  • 2019 तक स्वच्छ भारत की प्रतिबद्धता घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर
  • 11 संस्थानों को ‘सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ पुरस्कार’

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों जैसे देश के शीर्ष नेतृत्व ने 2019 तक भारत को खुले में शौच जाने से मुक्त करने और स्वच्छ बनाने के लिए एक प्रतिबद्धता घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों तथा आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों सहित राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों ने इंडोसान (इंडिया सेनीटेशन कांफ्रेंस) के दौरान घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये। ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों, जिलाधिकारियों और नगर निगम आयुक्तों ने भी इसी तरह के एक अन्य घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये।
इंडोसान के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुये शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा, “स्वच्छ भारत अभियान के तहत अबतक का सबसे बड़ा जनांदोलन आकार ले रहा है। भारत स्वच्छता गठबंधन का नेतृत्व जनता कर रही है और पहली बार विभिन्न स्तरों पर राजनीतिक नेतृत्व के साथ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता गतिविधि को मुख्यधारा में लाया गया है। 21वीं सदी में भारत को अशिक्षा से मुक्त होना ही है और इसके साथ-साथ पढ़े-लिखे लोगों को भी खुले में कचड़ा न फेंकने के लिए शिक्षित करना है।”
श्री नायडू ने कहा कि “मूड ऑफ डेवलपिंग इंडिया” (एमओडीआई) स्वच्छ भारत के लिए पिछले दो वर्षों से गतिशील है। धीमी गति के बाद स्वच्छ भारत अभियान ने पिछले एक वर्ष में अब गति पकड़ ली है तथा ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में उसके कार्यान्वयन की बेहतर प्रगति नजर आ रही है।
उन्होंने बताया कि अबतक 405 शहर और नगर खुले में शौच जाने से मुक्त हो चुके हैं तथा अगले वर्ष मार्च तक अन्य 739 और खुले में शौच जाने से मुक्त हो जायेंगे। शहरी इलाकों के 24 लाख घरों में शौचालयों का निर्माण हो चुका है और अन्य 19 लाख शौचालयों का निर्माण हो रहा है। 82,000 शहरी वार्डों में से 20,000 खुले में शौच जाने से मुक्त हो चुके हैं। 90,000 सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालय बनाये जा चुके हैं और अन्य 1.29 लाख निर्माणाधीन हैं।
स्वच्छता कार्य के लिए प्रधानमंत्री ने 11 संस्थानों और संगठनों का सम्मान किया। इनमें चंडीगढ़ एवं मैसूर (एक लाख से अधिक आबादी वाले स्वच्छ शहर वर्ग में), गंगटोक (सबसे स्वच्छ पर्यटन गंतव्य), पुणे नगर निगम एवं स्वच्छ सहकारिता समाज (ठोस कचड़ा प्रबंधन में सर्वश्रेष्ठ), रानी की वाव, पाटन, गुजरात (सबसे स्वच्छ सांस्कृतिक धरोहर स्थल), सूरत रेलवे स्टेशन (सबसे स्वच्छ स्टेशन), स्नात्कोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, चंडीगढ़ (सबसे स्वच्छ अस्पताल), मंडी जिला, हिमाचल प्रदेश (खुले में शौच जाने से मुक्त और पहाड़ी क्षेत्रों में सबसे स्वच्छ जिला), सिंधुगुर्ग जिला, महाराष्ट्र (खुले में शौच जाने से मुक्त और मैदानी क्षेत्रों में सबसे स्वच्छ जिला) तथा नेशनल कैडेट कोर (राष्ट्रव्यापी स्वच्छता गतिविधि में मिसाल) शामिल हैं।

2 अक्टूबर, 2016 तक एक लाख गांव खुले में शौच से मुक्त

नई दिल्ली : केन्द्रीय ग्रामीण विकास, पेयजल एवं स्वच्छता तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि 2 अक्टूबर, 2016 तक एक लाख गांव खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) हो जाएंगे और इस चालू वित्त वर्ष के दौरान 40 जिले ओडीएफ का दर्जा प्राप्त कर लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजधानी में आयोजित भारत स्वच्छता सम्मेलन (इंडोसन) के उद्घाटन करने के बाद तोमर लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने के प्रयासों में तेजी लाने और स्वच्छता पर ध्यान देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को लाल किले के प्राचीर से अपने ऐतिहासिक संबोधन के बाद 2 अक्टूबर, 2016 को स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ किया था।
श्री तोमर ने कहा कि केन्द्र सरकार, राज्य सरकारें, नगरपालिका इकाइयां, पंचायती राज संस्थान, गैर सरकारी संस्थाएं आध्यात्मिक एवं धार्मिक नेता, जन प्रतिनिधि, शैक्षकि संस्थान और सभी क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्ति स्वचछ भारत अभियान में शामिल हो रहे हैं, ताकि 2 अक्टूबर, 2019 महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर भारत को स्वच्छ बनाया जा सके। प्रधानमंत्री ने पहले ही यह घोषणा की है कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर संपूर्ण भारत को स्वच्छ बनाना है। श्री तोमर ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन सरकारी कार्यक्रम नहीं है। यह जन आंदोलन है और स्वच्छता के लिए लोगों की आदतों में बदलाव लाने की जरूरत है, क्योंकि सिर्फ शौचालय निर्माण ओडीएफ का दर्जा प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। 
उन्होंने बताया कि पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय देश भर के गांवों में स्वच्छता की दिशा में आदर्श कार्यों का संकलन कर रहा है और इनके अनुकरण करने के लिए आम लोगों का ध्यान इस ओर दिलाएगा। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री के ‘भारत स्वच्छता सम्मेलन’ (इंडोसन) के संबोधन के बाद स्वच्छ भारत मिशन को नई गति मिलेगी।
ज्ञात हो कि देश भर में 87,666 गांवों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) गांव घोषित कर दिया गया है। इसमें नमामि गंगे क्षेत्र के 1,544 गांव भी ओडीएफ गांव बन गए हैं। इस बात को रेखांकित करने की जरूरत है कि जब 2 अक्टूबर, 2016 को स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ किया गया था, तब स्वच्छता कवरेज का प्रतिशत 42.12 प्रतिशत था। इस समय यह 55.31 प्रतिशत है। उस समय केवल एक ही जिला ओडीएफ था, जबकि इस समय इनकी संख्या 24 हो गई है। सिक्किम एकमात्र राज्य है, जिसे ओडीएफ राज्य का दर्ज प्राप्त है। जल्दी ही केरल, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र भी ओडीएफ दर्जा प्राप्त कर लेंगे।
इस मौके पर श्री तोमर ने सर्वोत्तम स्वच्छ जिले का पुरस्कार महाराष्ट्र के सिंधु दुर्ग जिले को प्रदान किया। गुजरात के पाटन को सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थान का पुरस्कार दिया गया और सिक्किम में गंगटोक को देश का सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल घोषित किया गया।

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