COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

बाल मजदूरी, बंधुवा मजदूरी और मानव तस्करी विलोपन उन्मूलन विषय पर कार्यशाला

  • मुक्त कराए गए बंधुवा और बाल श्रमिकों का पुनर्वास महत्वपूर्ण कार्य : जस्टिस मुरुगेषण
  • बाल और बंधुवा मजदूरी समाज पर धब्बा, इनका उन्मूलन हमारी जिम्मेवारी : राजबाला वर्मा

रांची : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस मुरुगेषण ने कहा कि प्रतिबंधक कानून के अस्तित्व में होने के बावजूद उसके प्रावधानों के सही ढंग से लागू नहीं होने से बाल मजदूरी, बंधुवा मजदूरी और मानव तस्करी को बढ़ावा मिल रहा है। इन्हें रोकने के लिए कानून के सम्बन्धित प्रावधानों का सख्ती से लागू किया जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राज्य को अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन करते हुए इस दिशा में तत्परता से काम करना चाहिए। इन बुराइयों के मूल में गरीबी, अशिक्षा एवं कुछ अन्य समस्याएं हैं, जिन्हें जानने, समझने और उसे पूरा करने का सार्थक प्रयास करने पर ही इन्हें समाप्त किया जा सकता है। रांची के धुर्वा स्थित न्यायिक अकादमी परिसर में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और झारखंड सरकार के संयुक्त तत्वावधान में बाल मजदूरी, बंधुवा मजदूरी और मानव तस्करी विलोपन, उन्मूलन विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए जस्टिस मुरुगेषण ने ये उदगार व्यक्त किए। 
उन्होने कहा कि सरकार न सिर्फ बंधुवा मजदूरों की पहचान करे और उन्हें मुक्त कराए, बल्कि उनके लिए रोजगार के बेहतर विकल्प का प्रबंध भी करे। उन्होंने मानव तस्करों और बाल एवं बंधुवा मजदूरी कराने के आरोपियों के विरुद्ध दोष सिद्ध नहीं होने पर गहरी चिंता जताई और उपायुक्तों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ऐसे मामलों में अभियोजन की प्रक्रिया इतनी मुस्तैदी से की जाय ताकि आरोपियों को सजा भी मिल सके।
जस्टिस मुरुगेषण ने कहा कि बंधुवा मजदूरों की दुर्दशा का प्रतिकूल प्रभाव उनके बच्चों पर भी पड़ता है। उनकी मानसिकता पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। यह उनके शिक्षा, स्वास्थ्य समेत अन्य संवैधानिक अधिकारों का हनन भी है। राज्य सरकार और सक्षम पदाधिकारी यह तय करें कि अन्य राज्यों से मुक्त कराये गए बाल, बंधुवा मजदूरों पर दबाव न बने। ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो कि उन्हें पुनः उस ओर जाना पड़े। अधिकारियों को अपनी जिम्मेवारी तय करनी चाहिए। श्री मुरुगेषण ने कहा कि अधिकारियों को समय-समय पर अपने सुझाव, अपनी समस्याएं व अन्य बातें मानवाधिकार आयोग के समक्ष रखनी चाहिए, जिससे उनका निदान किया जा सके। 
कार्यशाला के तकनीकी सत्र के दौरान जस्टिस मुरुगेषण ने विभिन्न जिलों से आये उपायुक्तों, अनुमंडल पदाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को बाल मजदूरी और बंधुवा मजदूरी से जुड़े विभिन्न  कानूनी प्रावधानों की जानकारी विस्तार से दी। उनसे जस्टिस मुरुगेषण ने कई सवाल पूछे और उपयुक्त उत्तर नहीं मिलने पर उन्हें विस्तार से बंधुवा मजदूरों की बरामदगी के समय बरती जाने वाली सावधानियों, उनके पुनर्वास और सरकार द्वारा उनके उत्थान के लिए लागू की गयी योजनाओं के संबंध में जानकारी दी। 
श्री मुरुगेषण ने अधिकारियों से कहा कि वे उच्चतम न्यायालय के निर्णयों और सरकार द्वारा ऐसे लोगों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की समुचित जानकारी रखें ताकि भुक्तभोगियों को उनका पूरा हक प्राप्त हो सके। इस प्रक्रिया में अधिकारियों को उनके पुनर्वास पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही, बंधुवा मजदूरी कराने वालों के लिए भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए। संभव है कि कानून की जानकारी होने पर वे बंधुवा मजदूरी और बाल मजदूरी नहीं करायेंगे।
इस अवसर पर मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कार्यक्रम के आयोजन के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस कार्यशाला के जरिए और मजबूती मिली है। राज्य सरकार लगातार बाल मजदूरी, बंधुवा मजदूरी और मानव तस्करी की रोकथाम हेतु कार्य कर रही है। विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें प्राप्त हो रहा है। मुख्यमंत्री स्वयं इसकी समीक्षा कर अधिकारियों को निदेश देते हैं। श्रीमती वर्मा ने बताया कि बाल मजदूरी और बंधुवा मजदूरी पर गहन चिन्तन की जरूरत है। कोई किसी से जबरन काम नहीं ले सकता। अगर किसी के साथ ऐसा हो रहा है, तो आरोपी के खिलाफ राज्य सरकार कड़े कदम उठायेगी। गरीबी और अशिक्षा की वजह से लोग अन्य राज्यों और शहरों के लिए पलायन को विवश होते हैं। राज्य सरकार ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें राज्य में ही काम दिलाने का प्रयास सरकारी योजनाओं के जरिए कर रही है। इसकी समाप्ति के लिए ऐसे लोगों की पहचान जरूरी है। राज्य सरकार अपने स्तर से राज्य के पांच जिलों में सर्वे कर रही है, ताकि बंधुवा मजदूरों की पहचान कर उनके पुनर्वास का मार्ग प्रशस्त हो और उन्हें राज्य में ही काम उपलब्ध कराया जा सके। मुख्य सचिव श्रीमती वर्मा ने कहा कि बाल और बंधुवा मजदूरी समाज के लिए काला धब्बा है। अब समय आ गया है इसे मिटाने का। राज्य सरकार इन बुराइयों के उन्मूलन के लिए कटिबद्ध है, लेकिन इन सामाजिक बुराइयों को सामूहिक प्रयास और जन भागीदारी से ही समाप्त किया जा सकता है। 
इससे पूर्व श्रम विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे एवं अपराध अनुसंधान विभाग की पुलिस महानिरीक्षक संपत मीणा ने अपने-अपने विभाग की उपलब्धियों की जानकारी आयोग के समक्ष रखी। श्रम विभाग द्वारा बंधुवा मजदूरी और अपराध अनुसंधान विभाग द्वारा मानव तस्करी पर आधारित लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा मानव तस्करी पर आधारित नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी गई। 
कार्यशाला में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस डी मुरुगेषण, संयुक्त सचिव डॉ. रणजीत सिंह, मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे, समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव एमएस भाटिया, पुलिस महानिरीक्षक अपराध अनुसंधान विभाग की संपत मीणा, रांची, लातेहार, सिमडेगा, खूंटी, गिरिडीह एवं कोडरमा के उपायुक्त एवं आरक्षी अधीक्षक उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन श्रम आयुक्त प्रवीण टोप्पो ने किया।

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