COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट तथा खादी प्रोडक्ट की होगी ब्रांडिंग व बारकोडिंग

साथ ही इनका अपना होगा लोगो : प्रधान सचिव, उद्योग विभाग
पटना : ‘राज्य के हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट तथा खादी प्रोडक्ट्स की बारकोडिंग तथा ब्रांडिग के साथ अपना अलग-अलग लोगो होगा। इसके लिए राज्य सरकार त्वरित गति से कार्य कर रही है और दिसंबर, 2016 तक हम इन कार्यो को पूर्ण कर लेंगे।’ प्रधान सचिव उद्योग डाॅ. एस सिद्धार्थ ने सूचना भवन के ‘संवाद’ कक्ष में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उपर्युक्त जानकारी दी और बताया कि फिलहाल खादी सेक्टर में 24 सितंबर, 2016 को चरखा दिवस के अवसर पर राजधानी में व्यापक कार्यक्रम का आयोजन है, जिसमें खादी के सभी स्टेटहोल्डर्स भाग लेंगे इंप्रूव्ड टेक्नोलाॅजी और डिजाइन वाले हजार त्रिपुरारी चरखा भी वितरित होंगे और सीएम नीतीश कुमार स्वयं इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे।
डाॅ. सिद्धार्थ ने बताया कि निफ्ट को खादी की बेहतर डिजाइनिंग का जिम्मा दिया गया है और उसने लगभग 50 डिजाइन सुलभ कराए हैं। डाॅ. सिद्धार्थ ने राज्य सरकार द्वारा हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट तथा खादी के विकास के लिए फोकस्ड अप्रोच की बात कही और बताया कि इसके लिए अलग-अलग पाॅलिसी भी बनाई जा रही है। हैंडिक्राफ्ट के विकास के संदर्भ में उन्होंने जानकारी दी कि पूर्व से उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, उद्योग विभाग के हिस्से के रूप में इसके लिए कार्यरत है और अब इसे स्वतंत्र सोसायटी के रूप में नोटिफाइ कर दिया गया है, जिसके अध्यक्ष होंगे उद्योग मंत्री।
हैंडीक्राफ्ट के विकास के लिए सरकार की एक अहम् नीति माइक्रो क्रेडिट योजना के संदर्भ में उन्होंने बताया कि इससे छोटी-छोटी राशि-रकम के अभाव में कारीगरों को कठिनाई से मुक्ति मिलेगी। बाबा खड़गसिंह मार्ग, नई दिल्ली में हैंडीक्राफ्ट संबंधी बिहार के फेश को माॅडर्न शो रूम के रूप में डेवलप किए जाने की भी बात डाॅ. सिद्धार्थ ने बताई। इसी तरह हैंडलूम के संदर्भ में रिसर्च, डिजाइन, रिसोर्स ,वैरायटी, प्रोडक्ट आदि हेतु निफ्ट के साथ टाइअप की जानकारी उन्होंने दी। आगे सिल्क भवन की योजना की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इससे बिहार के सिल्क उद्योग को एक ही जगह पर इसके रिसर्च, रिसोर्स, डिजाइनिंग आदि की समग्र जानकारी तथा सामग्री प्राप्त हो जाएगी।
उद्योग विभाग की नवोन्मेषी योजना के तहत डाॅ. सिद्धार्थ ने संभावित नीरा उद्योग पर प्रकाश डाला और बताया कि इसके लिए प्रशिक्षण कार्य प्रारंभ है, तमिलानाडू से इस संदर्भ में जानकारियां इकट्ठी की गई हैं तथा आगे इसके विकास का जिम्मा कम्फेड को दिया गया है।
संवाददाता सम्मेलन के प्रारंभ में डाॅ. सिद्धार्थ ने सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के संदर्भ में वर्ष 2016 को माइलस्टोन वर्ष बताते हुए कहा कि इस वर्ष पूर्व की सभी नीतियों की समीक्षा के बाद उसमें संशोधन करते हुए नई नीतियां लागू की गई हैं, ताकि राज्य में बेहतर औद्योगिक माहौल बने।
उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान
डाॅ. सिद्धार्थ ने सिंगल विडों एक्ट में संशोधन के बाद बिहार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, 2016 लागू किए जाने की चर्चा करते हुए बताया कि इसकी सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इसमें 30 दिनों की समय सीमा लागू है, जिसका फायदा यह है कि यदि 30 दिनों में लाइसेंस नहीं मिलता है, तो डीम्ड क्लियरेंस माना जाएगा। आगे बिहार स्टार्ट अप नीति 2016 को मुख्यमंत्री के सात निश्चय में शामिल ‘‘आर्थिक हल युवाओं को बल’’ के संदर्भ में इनोवेटिव सोच वाले युवाओं के लिए बेहतर नीति बताते हुए डाॅ. सिद्धार्थ ने जानकारी दी कि देश के छः राज्यों में पूर्व से लागू है ओर बिहार 7वां राज्य है। बिहार ने छहों राज्यों की अच्छी बातों का समावेश कर अपनी स्टार्ट अप पाॅलिसी बनाई है, जिसमें कैपिटल सब्सिडी की बजाय इंट्रेस्ट सब्सिडी का प्रावधान है। इसमें इंसेटिव के तौर पर स्टाम्प डयूटी, लैंड कनवर्जन शुल्क तथा 100ः वैट रीइंबर्समेंट के प्रावधान सहित पूर्व की नीति में जहां कैपिटल सब्सिडी के तौर पर 5 करोड़ की सीमा तक कुल पूंजी निवेश के 20 प्रतिशत का भुगतान सरकार देती थी, वहीं नई नीति में इंटेªस्ट सब्सिडी का प्रावधान किया गया है, जिसमें बैंक इंटेªस्ट का 100 प्रतिशत जो कुल निवेश का 30 प्रतिशत तथा 10 करोड़ रुपए में जो कम हो, के आधार पर लागू होगा। इसी तरह माइक्रो एंड स्माॅल परियोजना हेतु 12 प्रतिशत, एससी/एसटी महिलाओं, थर्ड जेंडर, युद्ध के कारण विधवा, एसिड अटैक पीड़िता, विकलांग के लिए इंटेªस्ट सब्सिडी 15 प्रतिशत अतिरिक्त होगा। इसी तरह नाॅन प्रायोरिटी सेक्टर के लिए वैट कर 70 प्रतिशत तक रीइंबर्स होगा।
डाॅ. सिद्धार्थ ने प्रमुख बातों के संदर्भ में बताया कि सबसे पहले सरकार ने प्रायोरिटी तथा नाॅन प्रायोरिटी के आधार पर निवेश प्रोत्साहन का वर्गीकरण करते हुए प्रायोरिटी सेक्टर में दस प्रक्षेत्र को सूचीबद्ध किया है। तदनुसार फूड प्रोसेसिंग, टूरिज्म, स्माॅल मशीन मैन्यूफैक्चरिंग, आईटी मैन्यूफैक्चिरिंग (इलेक्ट्रोनिक एंड इलेक्ट्राॅनिक हार्डवेयर मैन्यूफैक्चिरिंग) टेक्सटाइल, प्लास्टिक एंड रबड़ इंडस्ट्री, रीन्यूएबल इनर्जी, हेल्थ केयर, लेदर तथा टेक्निकल एडुकेशन प्रायोरिटी में शामिल हैं। स्टार्ट अप पाॅलिसी में इंक्यूवेटर को प्रति प्रस्ताव 2 लाख रुपए सहित निवेशक के लिए फंड रेजिंग सपोर्ट में 2 से 5 तथा निवेशक को भी 2 फीसदी सब्सिडी है, इसके अलावा 10 लाख रुपए तक सरकार द्वारा सीड कैपिटल के प्रावधान की जानकारी उन्होंने दी। उन्होंने सरकार द्वारा राज्य में औद्यौगिक माहौल के प्रोत्साहन हेतु औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, मुख्यमंत्री सूक्ष्म एवं लघु कलस्टर विकास योजना, हस्तकरघा एवं रेशम प्रक्षेत्र विकास, कौशल विकास कार्यक्रम के प्रावधानों की जानकारी देते हुए युवाओं को इससे लाभान्वित होने की अपील की।

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