रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू नेे राजभवन में मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों से मुलाकात की एवं उनकी समस्याओं को सुना, ताकि इस समाज के लोगों का तेजी से विकास हो सके। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के विकास के लिए आवश्यक है कि वहां रह रहे सभी समुदाय के लोगों का सम्यक विकास हो। उन्होंने कहा कि वे प्रारंभ से ही सभी वर्गों एवं समुदायों के लोगों के विकास हेतु प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर राज्यपाल महोदया के समक्ष डाॅ. अस़गर मिसबाही ने मदरसा बोर्ड तथा उर्दू अकादमी का गठन एवं उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति हेतु पहल करने का आग्रह किया। निफ्ट के उप कुलसचिव एसएस अख्तर ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं हेतु पोस्ट एवं प्री मैट्रिक छात्रवृŸिा हेतु राशि देने का प्रावधान है, लेकिन झारखंड के छात्र-छात्राएं कुछ तकनीकी कारणों से इस लाभ से वंचित हैं। अतः राज्य सरकार इस योजना का लाभ निमिŸा व्यक्तियों को सुलभ कराने हेतु पहल करे। यह गरीबों के लिए वरदान हो सकता है, विशेषकर लड़कियों के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का केन्द्र संचालित करने हेतु मौखिक सहमति प्रदान की गई थी, लेकिन इसकी स्थापना हेतु भूमि सुलभ नहीं कराई गई है, इसके लिए भी पहल किया जाय।
राज्य के पूर्व महाधिवक्ता सुहैल अनवर ने कहा कि वर्Ÿामान में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में जो अर्हता रखी गई है, वह सार्थक प्रतीत नहीं होती है। प्रक्रिया के अनुसार, विद्यार्थियों को एक किसी जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा में उŸाीर्ण करना है। इस विषय की जानकारी रखते हुए भी लिपिगत कमी के कारण विद्यार्थी इस विषय में उŸाीर्ण नहीं हो पाते हैं। उन्होंने दूसरे प्रान्तों में हो रही उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि यहां भी जनजातीय/क्षेत्रीय भाषा में उŸाीर्ण करने की बाध्यता खत्म हो। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में आलीम और फाजील की डिग्री को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विश्वविद्यालय से न दिये जाने के कारण वैधता प्रदान नहीं की गई है। अतः इसके लिए अग्रेतर पहल की जाए। विगत तीन वर्षों से वक्फ बोर्ड का गठन नहीं हुआ है। इस अवसर पर अहमद सज्जाद ने कहा कि नेशनल इंटीग्रेट के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, यह अत्यन्त उत्साहवर्द्धक है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानी शेख भिखारी से जुड़े पहलुओं की ओर ध्यान दिया जाए तथा उनके ग्राम की दशा में सुधार किया जाए। उन्होंने बुनकरों को प्रोत्साहित करने की भी बात कही।
इस अवसर पर प्रसिद्ध शिक्षाविद् डाॅ. शीन अख्तर ने राज्य में अन्य राज्यों की भांति गालीब भवन की स्थापना हेतु पहल करने का आग्रह किया। मंजर इमाम ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों की स्थिति अच्छी नहीं है। बहुत-सी बच्चियां बेच दी जाती हैं। उन्होंने पिछड़े मुसिल्म इलाकों में रहनेवाली मुस्लिम लड़कियों हेतु कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की भांति आवासीय विद्यालय सुलभ कराने की बात कही। पूर्व प्राचार्य डाॅ. जावेद अहमद ने कहा कि राज्य में ड्राप-आउट एक बड़ी समस्या है। बहुत-से विद्यार्थी मेधावी हैं, किन्हीं-न-किन्हीं कारणों से उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाते हैं। उन्होंने शिक्षकों की नियमित नियुक्ति हेतु पहल करने करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य में नियुक्ति न होने के कारण टाॅपर तीन-चार हजार की भी नौकरी करने के लिए ललायित हैं। पूर्व कुलपति प्रो. एए खान ने कहा कि राज्य में आरक्षण नियमावली के कारण 50 फीसदी उर्दू शिक्षकों की रिक्तियां रह जाती हैं। सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के अकीर्लुर रहमान ने कहा कि राज्य में साम्प्रदायिक सौहाद्र को बेहतर-से-बेहतर करने हेतु और सरकारी प्रयास होने चाहिए। इस अवसर पर डाॅ. असलम परवेज, पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. रजीउद्दीन, शाहनवाज कुरैशी ने भी अपने सुझाव दिये।
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