COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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बुधवार, 31 अगस्त 2016

वैशाख पूर्व ताड़ी की जगह नीरा पहुंचाने का लक्ष्य : सीएम

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अगले वैशाख के पूर्व ताड़ी की जगह नीरा पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें खुशी होगी। इससे लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी और लोगों का स्वाद भी बदल जायेगा। मुख्यमंत्री अधिवेशन भवन में ताड़ उद्योग पर आधारित आयोजित कार्यशाला में अपने संबोधन में बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग को इस बात की बधाई दी कि उन्होंने इस प्रकार के कार्यशाला का आयोजन कराया। उन्होंने कहा कि यह राज्यस्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम है और इसमें तमिलनाडू के कृषि वैज्ञानिक, ताड़ विशेषज्ञ और अनेक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। उन्होंने तमिलनाडू के कृषि वैज्ञानिकों और ताड़ विशेषज्ञों को इसके लिये धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को इस बात के लिए बधाई दी कि पूरे बिहार में ताड़ के पेड़ों का सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर उसकी गिनती करा ली। कृषि विभाग की गिनती के अनुसार, राज्य मंे लगभग 92 लाख 13 हजार ताड़ के पेड़ हैं। साथ ही 40 लाख खजूर के पेड़ हैं और नारियल के पेड़ों की संख्या 4 लाख के आसपास है। उन्होंने कहा कि मुख्यतः ताड़ और खजूर के पेड़ों की बात करते हैं, तो सबसे ज्यादा दुरूपयोग ताड़ से ताड़ी निकालकर उसके व्यापार से है। शराबबंदी के बाद यह प्रश्न आया कि उनकी जीविका ताड़ उतारने से चलती है। प्रश्न यादि जीविका का है, तो हमलोगों ने इसके समाधान निकालने का भी प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि बहुत पूर्व खादी ग्रामोद्योग संघ के प्रोत्साहन से नीरा की बिक्री होती थी। 
उन्होंने नालंदा का जिक्र करते हुए कहा कि वहां कई गांवों में बागीचा की तरह ताड़ का पेड़ है। 1977-78 की बात है। उन्होंने वहां के लोगों से पूछा कि इतना ताड़ का पेड़ है, तो नीरा का उत्पादन क्यों नहीं होता। कई लोगों से पूछा, तो बताया गया कि इसका संग्रह करना, मार्केटिंग करना मुश्किल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके स्मृति में यह बात थी। इस विषय पर मुख्य सचिव, उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एवं अन्य वरीय अधिकारियों से बात की। तमिलनाडू में सबसे ज्यादा ताड़ का पेड़ है। फिर वहां बातचीत हुयी। विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गयी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सवेरा होने से पहले ताड़ के रस को इकट्ठा कर लिया जाए, तो वह नीरा कहलाता है, किन्तु उसको छोड़ दिया जाए और उसमें फर्मेंटेशन होने लगे, तो वह ताड़ी बन जाता है। उन्होंने कहा कि नीरा पौष्टिक चीज है, जबकि ताड़ी विकृत चीज है। शरीर को फायदा पहुंचाने वाला चीज नीरा है। तमिलनाडू के वैज्ञानिक बातचीत के बाद यहां आये और नालंदा जिले में जाकर ताड़ के पेड़ों को देखा। 
उन्होंने कहा कि पासी समुदाय को ताड़ी उतारने वाला मानकर कुछ लोग भड़काउ काम कर रहे थे। वस्तुतः पासी समुदाय के लोग ताड़ के पेड़ से ताड़ी उतारते हैं और बेचते हैं। उन्होंने कहा कि ताड़ से खाद्य और अखाद्य पदार्थ जो बताये गये हैं, उसकी उपयोगिता अलग है। ताड़ से बनाये गये चटाई और डोल्ची का इस्तेमाल तो हर जगह होता है। बरसात से बचने के लिए भी लोग ताड़ का इस्तेमाल करते हैं।
खपरैल मकान में लोग ताड़ के पेड़ को चीरकर मजबूती के लिए अन्दर से खपड़े के नीचे डालते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि तमिलनाडू में जो ताड़ के पेड़ हैं, उससे ज्यादा फल बिहार के ताड़ के पेड़ों में पाया जाता है। ताड़ का कोआ स्वादिष्ट होता है और कोआ से भी बहुत चीज निकाला जा सकता है। नीरा को भी प्रिजर्व करने के तरीके हैं, किन्तु इस क्षेत्र में तेजी से काम करना होगा। यह देखना होगा कि जिन जिलों में लाखों की संख्या में पेड़ हैं, वहां ताड़ की संख्या को दृष्टिगत रखकर नीरा के संग्रह की प़द्धति बनानी होगी। दुग्ध संग्रह केन्द्र की व्यवस्था की तरह नेटवर्क बनाना होगा। कम्फेड को इसमें तजुर्बा है और इसमें कम्फेड से सहायता लेकर ताड़ी उतारने वाले लोगों का समूह बनाया जाए। जहां अधिक ताड़ के पेड़ हैं, वहां एक या दो पंचायत पर संग्रह केन्द्र बनाया जा सकता है। नीरा को एक जगह एकट्ठा कर प्रोसेसिंग प्लांट में पहुंचाने की व्यवस्था करनी होगी और इसकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग भी करनी होगी। इससे काफी लाभ होगा और आज जो लाभ हो रहा है, उससे दुगनी आमदनी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ताड़ी उतारने वाले सिर्फ ताड़ी क्यांे उतारेंगे, उनके बच्चों और उनके परिवार की भी तरक्की होनी चाहिये। उनके बच्चों को भी शिक्षित होने का अधिकार है। यह जो प्रयास हो रहा है, इस प्रयास से नशीला चीज निकलेगा ही नहीं। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद आज स्थिति बदली है और गांव में शाम होते होते जो झगड़ा झंझट शुरू होते थे, वह सब बंद हो गया है। लोगों की माली हालत सुधर रही है। और आमदनी का सही सदयुपयोग हो रहा है। शराबबंदी के बाद गांव में उल्लासित महिलाओं का चेहरा देख रहे हैं। हम उनके आनन्द के भाव को नहीं मिटायेंगे। ताड़ी की जगह नीरा, गुड़ और अन्य उत्पाद बनेंगे, तो अधिकांश लोगों को सम्मान जनक रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी यही इच्छा है कि आम लोगों के जीवन में परिवर्तन और बेहतरी आए, बिहार आगे बढ़े और अपने पुराने गौरव को प्राप्त करे। इसके पूर्व कार्यशाला को उद्योग मंत्री जयकुमार ंिसंह एवं कृषि मंत्री रामविचार राय ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ और ताड़ पर आधारित प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री को इस अवसर पर ताड़ आधारित उद्योगों से संबंधित एक वृत्त चित्र का भी अवलोकन कराया गया।
इस अवसर पर मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश, उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस. सिद्धार्थ, ग्रामीण विकास के सचिव अरविन्द चैधरी, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डाॅ. अजय कुमार सिंह, तमिलनाडू कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ0 पुन्नू स्वामी, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल ंिसंह, तमिलनाडू के ताड़ विशेषज्ञ, विभिन्न विभागों के पदाधिकारीगण एवं बड़ी संख्या मंे प्रतिभागी उपस्थित थे।

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