नई दिल्ली : श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बंडारू दत्तात्रेय ने कहा है कि मानव सम्मान और स्वतंत्रता हर लोकतांत्रिक समाज का महत्वपूर्ण अंग हैं और बंधुआ मजदूरी को भारतीय समाज से एक निर्धारित समय के अंदर समाप्त करना जरूरी है। इसके लिए प्रत्येक नागरिक को प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि बंधुआ मजदूरी के मुद्दे पर जागरूकता कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है, ताकि बंधुआ मजदूरी के अभिशाप को हमेशा के लिए खत्म किया जा सके। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि मुक्त किए गए बंधुआ मजदूरों, बच्चों और महिलाओं के पुनर्वास के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाई जानी चाहिए।

इस कार्यशाला में विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के श्रम आयुक्त एवं प्रतिनिधि, केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं सिविल सोसाटी के प्रतिनिधि, अकादमिक क्षेत्रों तथा गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस कार्यशाला का आयोजन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (भारत-केंद्र) के सहयोग से किया जा रहा है। नोबेल पुरस्कार प्राप्त डॉ. कैलाश सत्यार्थी ने उद्घाटन समारोह में प्रमुख वक्तव्य दिया।
दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला मे मौजूदा नियमों की समीक्षा की जा रही है, जिसमें बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) नियम, 1976 शामिल है। इसके प्रभावशाली कार्यान्वयन के लिए संशोधित बंधुआ मजदूर पुनर्वास योजना, 2016 पर भी चर्चा की जाएगी। कार्यशाला के पहले दिन यानी 4 अगस्त, 2016 को सरकारी अधिकारियों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पुलिस और न्यायपालिका सहित सभी प्रमुख हितधारकों के साथ परामर्श किया जा रहा है। दूसरे दिन 1976 नियमों में संशोधन करने के लिए सुझावों पर चर्चा की जाएगी। मंत्रालय द्वारा तैयार किए जाने वाले संशोधन प्रस्तावों के मसौदे पर भी चर्चा होगी। कार्यशाला में केंद्र और राज्य के आला अधिकारी, विद्वान एवं विशेषज्ञ, मजदूर संघों तथा स्वयंसेवी क्षेत्र के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
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